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प्रवीण नारायण चौधरी

मानव धर्म अनुसार सेवाकार्य मे निरन्तरता बनेने रही – जातिक विचार मे ओझरेबाक जरूरत नहि

सेवाभाव सँ काज करैत रहू एकटा छलाह लुट्टी बाबू । लूटन झा केँ सब लुट्टी बाबू कहनि । बड़का मालिकक बेटा रहथि, दुलारे लूटन नाम राखि देने रहथिन बाबूजी । तेँ लुट्टी नाम बेसी प्रचलित भ’ गेल छलन्हि । लुट्टी बाबू मे एकटा गुण कि दुर्गुण ई रहनि जे ओ अपन लोकप्रिय जमीन्दार पिताक ठीक मानव धर्म अनुसार सेवाकार्य मे निरन्तरता बनेने रही – जातिक विचार मे ओझरेबाक जरूरत नहि

मैथिल ब्राह्मण समुदाय आ कुटमैती निर्धारणक चुनौती पर प्रवीण विचार

लेख-विचार – प्रवीण नारायण चौधरी कथा आ वार्ता (प्रवीणक अनुभव) विवाह योग्य बेटीक पिता रूप मे वैवाहिक कथा-वार्ता बारे अपन किछु अनुभव सब लिखबाक इच्छा भेल अछि । ई बुझैत जे हमरे जेकाँ कतेको बेटा-बेटीक मातापिता केँ हमर ई अनुभव (विचार) सहितक लेख पढ़िकय बहुते रास शंका-दुविधाक समाधान भेटतनि, ई लेख प्रस्तुत कय रहल छी मैथिल ब्राह्मण समुदाय आ कुटमैती निर्धारणक चुनौती पर प्रवीण विचार

जाहि कारणे ई संसार बनल – एकटा अत्यन्त पठनीय-मननीय लेखः चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती

Read Another Good Write Up By the Shankaracharya “Chandrashekharendra Saraswati” The reason why this world was created Causes are of two kinds: Nimitta and Upaadaana. If there is an earthen pot, there must be a thing called clay to make it from. Clay is Upaadaana – the reason for the pot. But how does the जाहि कारणे ई संसार बनल – एकटा अत्यन्त पठनीय-मननीय लेखः चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती

नेपाल, संघीयता आ पुनः राजतांत्रिक प्रजातंत्रक मांग

नेपाल, संघीयता आ पुनः राजतांत्रिक प्रजातंत्रक मांग नेपालक नव संविधान – नया राजनीतिक संरचना “संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र” प्रति लोक आस्था मे फेर सँ बदलाव आयल देखा रहल अछि । हालहि भेल गोटेक नव आन्दोलन द्वारा ई स्थापित होबय लागल अछि । काठमांडू मे मुख्यतया केन्द्रित आन्दोलन किछु आनहु स्थान पर देखाय लागल अछि । एहि नेपाल, संघीयता आ पुनः राजतांत्रिक प्रजातंत्रक मांग

भारतक प्रथम विभाजन – सुगौली सन्धि (पुस्तक) केर विमोचन १४ जून पटना मे

विराटनगर, २८ मई २०२५ । मैथिली जिन्दाबाद !! सुपरिचित इतिहासकार तेजाकर झा द्वारा ‘भारतक प्रथम विभाजन – सुगौली सन्धि’ नामक पुस्तक लिखल गेल अछि । एकर विमोचन कार्यक्रम पटना मे १४ जून केँ कयल जायत । एहि विमोचन मे नेपाल भारतक जानल-मानल विद्वान् लोकनि सहभागी रहता । पुस्तक ब्रिटिश राज द्वारा १८१६ ई. मे नेपालक भारतक प्रथम विभाजन – सुगौली सन्धि (पुस्तक) केर विमोचन १४ जून पटना मे

भगवानक दर्शन (मननीय लेख – हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद सहित)

लेख-विचार – प्रवीण नारायण चौधरी भगवान् धरि पहुँचब सहज अछि हम सब भगवान् मे विश्वास करैत छी । ई हमरा सभक बौद्धिक कल्पना थिक । जखन हमरा सब केँ एतेक अनुभव भेटैत अछि जे हम सब अपना केँ आ अपन परिवेश केँ नीक जेकाँ बुझय लगैत छी, तखनहि हमरा सब केँ स्वतः भगवान् धरि पहुँच भगवानक दर्शन (मननीय लेख – हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद सहित)

गाजापट्टी मे मानव समुदायक त्रासदीपूर्ण अवस्था

गाजापट्टीक त्रासदीपूर्ण दृश्य काल्हि BBC News वा एकर अनुसांगिक अन्य पेज सब पर कतहु गाजा सिटीक आम लोकक त्रस्त जीवनक दुखद वृत्तान्त सब पढ़िकय हमर मन अत्यन्त व्याकुल भ’ गेल । हम सोच मे पड़ि गेलहुँ जे हम मानव अपन ईगो आ वर्चस्व लेल आमलोकक जीवन मे कतेक पैघ त्रासक प्रसार करैत छी जे आइ गाजापट्टी मे मानव समुदायक त्रासदीपूर्ण अवस्था

अहुँ सभक गाम-ठाम मे एहिना होइत अछि की ?

छगुनता ई पोस्ट लिखैत दुःख सेहो होइत अछि, लाजो लगैत अछि आ चुप रहला सँ दोषक भाव सेहो अबैत अछि । दुःख आ लाज केँ पचाकय दोष नहि लागय तेँ लिखि रहल छी । हमर मिथिला समाजक बहुत पैघ आबादी मे ‘धी-बेटी’ सब केँ देखैत छी ‘डीजे गाड़ी’ के पाछू ठाढ़ भ’ अपन भाइ-बहिनक विवाह अहुँ सभक गाम-ठाम मे एहिना होइत अछि की ?

अत्यन्त महत्वपूर्ण लेखः वैदिक धर्म ओ प्रामाणिक ग्रंथ

‘द वेदाज’ नामक पोथी सँ एक गोट महत्वपूर्ण लेख – मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लेल  मूल लेखकः श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती (काञ्चीपीठक ५९वाँ शंकराचार्य) – भावानुवादः प्रवीण नारायण चौधरी Authoritative Text on Vedic Religion There are many books available today on a variety of subjects. There are several books on each of the religions. However, the अत्यन्त महत्वपूर्ण लेखः वैदिक धर्म ओ प्रामाणिक ग्रंथ

बुद्ध धर्म आ हिन्दू समाज – श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती (शंकराचार्य) केर एक बेहतरीन लेख

Buddhism and Hindu Society To me it is clear that at no time in India did people practice Buddhism in toto though they respected Gautam Buddha as a great personage. Today, there are many who have joined a movement called the “Theosophical Movement”. Nevertheless, many of them continue to celebrate the festivals just like Hindus. बुद्ध धर्म आ हिन्दू समाज – श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती (शंकराचार्य) केर एक बेहतरीन लेख