संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण दरभंगा मे आयोजित

दरभंगा, जनवरी ११, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

sanskrit-sambhashnam‘पठत संस्कृतं वदत संस्कृतम्’ सँ कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय मे संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण कक्षाक आरम्भ कैल गेल अछि। ई प्रशिक्षण निरन्त १० दिन धरि प्रतिदिन २ घंटा धरि धाराप्रवाह संस्कृत बाजबाक लेल आयोजित अछि।

कामेश्वर सिंह दरभगा संस्कृत विश्विद्यालय केर शिक्षाशास्त्र विभाग मे आयोजित एहि प्रशिक्षण कार्यक्रमक आयोजन मे करीब पाँच दर्जन प्रशिक्षु लोकनि भाग लय रहला अछि।

मानल बात छैक जे भारतवर्षीय परंपरा मे संस्कृत भाषा आ शिक्षा मात्र जैड़ मे रहल अछि, आर विश्व भरि मे पूर्वीय दर्शनक रूप मे सेहो ख्याति प्राप्त कएने अछि। आइ पश्चिमी सभ्यताक लोक सेहो संस्कृतक सूत्र पर अन्वेषण कार्य सब करय लागल अछि, कारण आब ओकरो सब केँ ई स्पष्ट भऽ गेलैक जे जाहि बात केँ विज्ञानक नाम सँ वैज्ञानिक चमत्कार कहि ओ मध्यकालीन युग उपरान्त प्रचार-प्रसार करैत अपन पीठ अपनहि सँ ठोकलक ओ सब बात लगभग संस्कृत  पहिनहि सँ अपन गहिंर – अथाह ज्ञानसागर मे समाहित कएने अछि। लेकिन दुखद स्थिति ई अछि जे जाहि संस्कृतक एक सँ बढिकय एक सेवक एहि मिथिलाक्षेत्र सँ भेलाह से आइ विपन्न अवस्था मे पहुँचि गेल अछि। एहि कार्यक्रम सँ मिथिलाक्षेत्र मे संस्कृत लेल फेर सँ उर्वरकता आनबाक लक्ष्य स्पष्ट अछि। 

sanskrit-sambhashnam1संस्कृतहि सँ संस्कृति केर रक्षा सम्भव अछि आर एहि प्रशिक्षण मे दरभंगाक विभिन्न कॉलेज केर प्राध्यापक व छात्र भाग लय रहला अछि। ई प्रशिक्षण कुलपति डॉ. नीलिमा सिन्हा केर संकल्प ‘संस्कृत सभक बीच’ उद्देश्य केँ फलीभूत करैत प्रतीत भऽ रहल अछि। सम्भाषण वर्ग मे समाजक सब वर्गक भागीदारी भऽ रहल अछि। नागेंद्र झा महिला कॉलेज, मिथिला महिला कॉलेज, सी.एम. कॉलेज, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग केर प्रतिभागीक संग आम नागरिक केर भागीदारी संस्कृतक प्रति जागरूकता केँ इंगित करैत अछि।

कक्षा केँ प्रथम सम्बोधन मे निदेशक, शिक्षा-शास्त्र विभाग डॉ. घनश्याम मिश्र कहलैन, ‘भाषतेति भाषा’ – यानि जे अहाँ एतय सीखैत छी ओकर निःसंकोच आर-आर ठाम व्यवहार करू, तखनहि अहाँ एहि तरहक प्रशिक्षणक सही लाभ उठा सकब। साहित्य विभागाध्यक्ष डॉ शक्तिनाथ झा कहलैन जे, ‘संस्कृत भाषाक अलौकिकता केँ दर्शाबैत फेर सँ संस्कृत केँ लोकवाणी बनायब जरुरी अछि।’ डॉ. मीना शास्त्री फेर सँ आरम्भ कैल गेल एहि आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त केलनि।डॉ. श्रवण चौधरी कहलैन जे आइ सम्पूर्ण विश्व मे संस्कृत वाणीक उपयोगिता बढ़ि रहल अछि।

दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण शिविर केर पहिल दिन वर्ग संचालित करैत प्रशिक्षक डॉ. रामसेवक झा कहलैन जे केहनो लोक लगातार २० घंटा धरि एहि प्रशिक्षण केँ प्राप्त कय धाराप्रवाह संस्कृत मे बाजि सकैत अछि । ओ संस्कृत केर समुचित प्रचार-प्रसार लेल युवा सब केँ आगू अयबाक आह्वान कएलनि ।

ओ कहलैन जे संस्कृत केर विकास सँ मात्र मानव केर सर्वाङ्गीण विकास सम्भव अछि। संस्कृत भाषा जाहि रूप मे सशक्त तथा परिनिष्ठित देखा रहल अछि ओहि मे महर्षि पाणिनि सदृश हमरा लोकनिक पूर्वजक महान श्रम निहित अछि। भारतीय संस्कृतिक मूल संस्कृत भाषा थीक। एकर प्रचार प्रसार मे ई विश्वविद्यालय निरन्तर प्रयत्नशील अछि । ई भाषा मानव केर कलुषता दूर कय विवेक जागृत करैत अन्त:करण केँ शुद्ध करैत अछि।

संयोजिका डॉ. रीता सिंह नवागन्तुक प्रशिक्षु लोकनिक स्वागत करैत पुनः आह्वान कएली जे जतेक लोक प्रशिक्षण प्राप्त कय केँ जाएत छथि ओ आगाँक कक्षा मे ५-५ नव प्रशिक्षु केँ जरुर पठबैथ। अन्त मे धन्यवाद -ज्ञापन डॉ. ऋद्धिनाथ झा द्वारा कैल गेल।