मैथिलीक सर्वोच्च ‘प्रबोध साहित्य सम्मान’ गंगेश गुंजन केँ

gangesh-gunjanप्रत्येक वर्ष मैथिली भाषा-साहित्य-अभियान मे आजीवन उत्कृष्ट योगदान कएनिहार एक सर्जक केँ भाषा-शास्त्री एवं कलकत्ता विश्वविद्यालयक भूतपूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. प्रबोध नारायण सिंहक सम्मान मे स्वस्ति फाउन्डेशन द्वारा सर्वाधिक पुरस्कार रकम रु. १ लाख संग प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिह्न सहित प्रदान कएल जाएछ। एहि वर्षक ई सम्मान मैथिली भाषाक प्रसिद्ध स्रष्टा श्री गंगेश गुंजन केँ देल जेबाक जनतब स्वस्ति फाउन्डेशनक प्रबन्धन न्यासी प्रो. अभय नारायण सिंह केर हस्ताक्षरित विज्ञप्ति मार्फत प्राप्त भेल अछि।

विज्ञप्ति मुताबिक उपरोक्त निर्णय विख्यात भाषाविद् साहित्यकार एवं विश्वभारती विश्वविद्यालय, शान्ति निकेतनक पूर्व प्राध्यापक प्रो. डा. उदयनारायण सिंह ‘नचिकेता’ केर अध्यक्षता मे निर्णायक मंडली द्वारा लेल गेल कहल गेल अछि।

वर्ष २०१७ केर प्रबोध साहित्य सम्मान वरिष्ठ एवं विशिष्ट कवि-गीतकार-नाट्यकार, कथाकार, उपन्यासकार ओ अनुवादक श्री गंगेश गुंजन केँ देल जेतनि। श्री गुंजन भारती, अनामा, कथादिशा, योगी, सही-सही, कैक्टस आदि पत्रिकाक पटना, भागलपुर एवं दिल्ली सँ सम्पादन कएने छथि। रचनाधर्मिता सँ ई कहियो विमुख नहि भेलाह। अन्हार इजोर, उचितवक्ता, सिन्दुरक दाम कथा संग्रह, लोक सुनू आ हम एकटा मिथ्या परिचय कविता, दुखक दुपहरिया गीत-गजल, आइ भोर नाटक, बुधिवधिया चौबटिया नाटक एवं पहिल लोक मैथिली उपन्यास प्रकाशित छन्हि। मणिपद्म लिखित एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ सेहो पुरस्कृत उपन्यास नैका बनिजारा केर हिन्दी अनुवाद सेहो स्वयं कएने छथि। हिन्दी मे हिनक ‘शब्द तैयार हैं’ तथा ‘मिथिलांचल की लोककथाएं’ सेहो प्रकाशित छन्हि।

प्रबोध साहित्य सम्मान २०१५ केर विजेता रविन्द्रनाथ ठाकुर - बीच मे डा. नचिकेता
प्रबोध साहित्य सम्मान २०१५ केर विजेता रविन्द्रनाथ ठाकुर – बीच मे डा. नचिकेता

उपरोक्त निर्णय २०१७ केर नववर्षक प्रवेश दिवस यानि जनबरी १ तारीख केँ लेल गेल से विज्ञप्तिक तारीख सँ स्पष्ट अछि। सोसल मीडिया आ लगभग सब मीडिया मे प्रकाशित ई समाचार मैथिली भाषा-साहित्य-अभियान जगत लेल बड पैघ खुशखबरीक रूप मे देखल गेल। सम्मानित गंगेश गुंजन केँ सब कियो बधाई देबाक संग-संग मैथिली भाषा-साहित्य-अभियान केर संरक्षण-संवर्धन-प्रवर्धन मे स्व. प्रबोध नारायण सिंह एक अमिट स्तम्भ बनिकय स्थापित होयबाक सुखद चर्चा सरेआम कैल जा रहल अछि। छूच्छ आलोचना आ हताशाक शिकार त बहुतो अपना केँ पैघ माननिहार व्यक्ति मे मिथिला मे देखायब कोनो पैघ बात नहि भेल, परञ्च एहेन अमिट कृति स्तम्भ ठाढ कय स्वयं केँ स्थापित करबाक जीजिविषा कियो स्व. प्रबोध नारायण सिंह एवं हुनक सुशिक्षित-सुसभ्य-विकासशील परिवार सँ सीखय – समर्पित लोकक मुंह सँ एहेन-एहेन अनेकों बहुचर्चा सुनबाक लेल भेटि रहल अछि।

ई सम्मान देबाक लेल सेहो एकटा विशिष्ट समारोहक आयोजन होएत रहल अछि। पैछला वर्ष मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर एक अति विशिष्ट सत्र एहि सम्मान केर हस्तान्तरण लेल समर्पित कैल गेल छल। पैछला बेर ई सम्मान केदार चौधरी केँ देल गेल रहनि। ताहि सँ पूर्व सेहो अति विशिष्ट आजीवन योगदानदाता लोकनि केँ ई सम्मान देल जाएत रहल अछि। स्वस्ति फाउन्डेशन केर जतेक प्रशंसा कैल जाय ओ कम होयत, कारण राज्यक उपेक्षाक शिकार मैथिली केँ प्राणदान देबाक काज यैह गोटेक सम्मान – पुरस्कार आ प्रोत्साहन काजक सिद्ध भऽ रहल अछि।

मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ सम्मानित स्रष्टाक संग-संग स्वस्ति फाउन्डेशन केँ बेर-बेर शुभकामना, नमन आ आभार प्रकट करैत सुन्दर भविष्यक कामना करैत अछि।