मुम्बई कायम करत नव मिसाल – नया अनुकरणीय उदाहरण
– पंकज झा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, दहेज मुक्त मिथिला, मुम्बई सँ
सम्पूर्ण भारतवर्ष मे मैथिल समाज भिन्न-भिन्न कार्य लेल भिन्न-भिन्न नाम सँ संगठन और संस्था बनौने छथि। बहुत संगठन बहुत रास काज सेहो अपन-अपन स्तर सँ कय रहल अछि। मूल उद्येश सबहक यैह होइत छैक जे अपन मैथिल समाज केर कल्याण वास्ते किछु न किछु प्रयास करी। ताहि लेल एक-दोसर संग स्पर्धाक भावना सेहो बहुत बेसी रहब स्वाभाविके छैक। नीक बात छैक, प्रतिस्पर्धा हेबाक चाही। स्पर्धा कोनो अधलाह शब्द नै छैक। स्पर्धा सदैव लोक केँ आगाँ बढय मे प्रेरणा देबाक काज करैत छैक। मुदा स्पर्धा केहन? और स्पर्धा ककरा सँ? ई दुइ महत्वपूर्ण प्रश्न एहि सन्दर्भ मे सोझाँ ठाढ देखा रहल अछि।
हमरा मोन पड़ैत अछि जे जखन हम सब धिया-पुता रही, गाम-घर मे फूस आ माटिक भीतघर मे दुर्घटनावश आगि लागि जाएत छल तऽ सम्पूर्ण ग्रामीण अपन-अपन घर सँ डोल-बाल्टी लऽ कऽ आगि मिझेबाक लेल दौड़ि पड़ैत छल। सब केँ एक मात्र उद्देश्य होएत छल जे कोहुना आगि मिझाय, क्षति होमय सँ बचय। ओतय ई स्पर्धा नहि होएत छल जे फलाँ बाबु चाइर बाल्टी पाइन फेकल्खिन त हम पाँच किया नहि फेकब। ओतय मात्र एक्कहि टा उद्देश्य होएत छलैक जे कोहुना जल्दी सँ जल्दी आगि मिझा जाय। हाँ स्पर्धा ई जरुर होएत छल जे फलाँ कका केर मकान जेहन बनलैन ताहि सँ नीक हम कोना बनाबी। और ई बहुत बढ़िया स्पर्धा छल। ई हेबाको चाही। बढियां बनेबाक प्रतिस्पर्धा सँ आखिर गामोक सुन्दरता बढि जाएत छल।
हमर कहबाक अभिप्राय ई अछि जे समाज मे कोनो भी कुरीति, बुराई वा कमी-कमजोरी केँ दूर करबाक लेल हम सब अपन-अपन स्तर सँ पूरा जोर लगा दी। जेना कि गाम-घर मे आगि लगला पर समुच्चा गाम एक भऽ जाएत छल, बिल्कुल ताहि तरहें सब केओ एकजुट बनिकय कोनो सार्थक प्रयास केँ सफल बनाबय लेल कार्य करी। और प्रगतिशील, सकारात्मक आ प्रेरणादायक काज लेल अवश्य ई प्रयास करी जे नीक सँ नीक काज हमरा बूत्ते कोना होयत जाहि लेल समाजक सम्मान आ प्रतिष्ठा केँ बढ़ा सकी।
विगत किछु समय मे मुंबई महानगरीक मैथिल सेहो जागल बुझाएत छथि। बहुत नीक-नीक काज सब होमय लागल अछि। सब अपन-अपन स्तर सँ किछु-किछु काज कय रहला अछि। कियो गोटे रक्तदान शिविर केर आयोजन कय रहला अछि तऽ कियो गोटे दहेज़ उन्मूलन लेल जागरूकता अभियान चला रहला अछि, कियो गोटे आध्यात्मिक जागरण त कियो गोटे धिया-पुता सब केँ शिक्षा मे सहयोग कय रहला अछि; एहि तरहें काज केर समन्वय सब गोटे संगे मिलि-जुलि कय अगर कएल जाय तँ शायद काजक परिणाम बहुत सकारात्मक होयत।
अही क्रम मे मुंबई मे श्री संदीप झा, श्री धीरज चन्द्र झा, श्री जय माधव झा, श्री जय नारायण झा, श्री प्रेम चन्द्र झा आदि बहुत वरिष्ठ आर सक्रिय मैथिलपुत्र समाज केँ एक सूत्र मे बान्हि जनकल्याण योजनाक तहत एक-एक योजनाक संग सामाजिक समन्वय लेल एक टा समिति केर निर्माण केला अछि। एहि समिति केर निर्माण मिथिलाक गौरव मैथिलानी नगरसेविका श्रीमती पुतुल रविन्द्र झा केर अध्यक्षता मे पिछला १०/०१/२०१६ नेरुल राजेंद्र भवन मे भेल छल। और एहि सभा मे प्रथम योजना मे “वर-वधु” मिलन समारोह केर आयोजन करबाक प्रस्ताव छल। जेकर समर्थन सम्पूर्ण समाजक विभिन्न संस्था सँ आयल प्रतिनिधि लोकनि केने छलाह। एहि प्रस्ताव पर आब दोसर बैसार २४/०१/२०१६ केँ कांदिवली मे श्री अशोक सिन्हा जी केर निवास पर संपन्न भेल अछि जाहि मे मार्च २०१६ तक दस हजार मैथिल परिवार केर विवरण एकत्र करबाक योजना बनल। एहि विवरण सँ समाज मे विवाह-दान, रोजी-रोजगार, शिक्षा-दीक्षा आदि बहुत विषय पर सूचना संकलनक संग वांछित जगह पर आपसी सहयोग केर अपेक्षा सेहो राखल गेल।
एहि बैसार मे उपस्थित छला संदीप झा, धिरजचंद्र झा, देवलोचन चौधरी, धर्मेन्द्र नाथ ठाकुर, कृष्णकुमार झा, अशोक कुमार सिन्हा, त्रिपुरारी चौधरी, देवशंकर चौधरी, जय माधव झा, अरुण कुमार चौधरी, संजय मिश्रा, सम्पति झा, विमलकुमार झा, कमलेश कुमार झा, पं धर्मानंद झा, वि एन झा, पंकज झा, दीपक झा, पवन कुमार झा, भगवान चौधरी, भारतेंदु विमल, राजकुमार झा, नरेन्द्र झा, महेश कुमार झा, रविन्द्र झा, बौवाकान्त झा आदि। आपसी समन्वय सँ एहि तरहें समाजोपयोगी विभिन्न कार्य होएत रहबाक आशाक संग मुम्बई मैथिल समाज सौंसे देशक मैथिल समाज लेल एकटा नव अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करत ई भरोस राखैत बैसार केँ समापन कैल गेल।