एकहक टा मिथिला जीबइ यऽ एकहक मैथिल छाती मेः प्रो. बी. के. कर्ण

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः प्रो. बी. के. कर्ण

bk karna3प्रोफेसर बी. के. कर्ण – निदेशक, पीसीआरआइ (पैकेजिंग क्लिनीक एण्ड रिसर्च इन्स्टीच्युट, हैदराबाद) भारत – एक समर्पित मिथिला राज्य समर्थक जिनका द्वारा आगामी ४ मार्च, २०१६ ई. केँ हरेक मैथिल (मैथिलीभाषी – मिथिलावासी) – चाहे ओ भारत मे होएथ वा नेपाल मे – हुनका सब सँ एक दिन उपवास रखबाक निवेदन केलैन अछि। अपन व्यक्तिगत आह्वान मे एहि दिवस केँ हर मैथिल द्वारा अपन पौराणिक भूगोल मिथिला दुइ देश मे बँटबाक दिवस यानि वैह दिन १८१६ ई. मे सुगौली संधि लागू कैल गेला सँ मिथिलाक्षेत्र दुइ राष्ट्र बीच बँटि गेल, एकटा नेपाल आ दोसर भारत मे अवस्थिति पाबि गेल – अपन भौगोलिक अस्मिता बंग प्रान्त सँ उछैटकय दुइ देशक बीच जाएब मैथिल लेल आर कोन-कोन दृष्टि मे नीक भेल किंबा बेजा भेल एहि पर बहुतो तर्क-वितर्क संभव अछि, लेकिन प्रो. कर्ण जिनका प्रेम सँ हैदराबाद केर संस्थान मे लोक बीके कर्णा सेहो कहैत छन्हि ओ उपवास रखबाक निवेदन केलनि अछि।

मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक आर बीके कर्णा सर बीच आइ कतेको वर्ष सँ निरन्तर वैचारिक आदान-प्रदानक अन्तर्संबंध दुइ जागरूक मैथिल भाइ-भाइ रूप मे स्थापित अछि, आर ई निर्णय लेल गेल अछि जे आदरणीय प्रो. कर्ण द्वारा कैल गेल आह्वान केँ समस्त मैथिल जगत् मे पहुँचेबाक कार्य मे यथासाध्य सहयोग करब, ताहि सँ प्रणेता प्रो. कर्ण संग एकटा साक्षात्कार एतय प्रकाशित कैल जा रहल अछि। आउ, व्यक्तित्वक विशिष्टता सँ परिचयक संग हुनक मिथिला प्रति समर्पण केँ हम सब बुझी आर गर्व करी जे हमरा सबहक पौराणिक पहिचान ‘मैथिल’ होयब कतेक दैविय गुण ओ संपदा सँ संपन्नताक द्योतक थीक।

प्रवीणः ४ मार्च ( मार्च 04 )उपवास दिवस! किऐक? कि तर्क?

bk karna1प्रो. कर्णः इतिहासमे मिथिलाक क्षेत्र दू भागमे नहि छल, एके छल। ईस्ट इण्डिया कंपनी (ब्रिटिश सरकार) आ नेपाल सरकारक सुगौली सन्धि मार्च ४ (4th March ) १८१६ कय अस्तित्व मे आयल छल, जाहि मे सिक्किम, कुमाऊँ, गढ़वाल आ मिथिला क्षेत्रक जिक्र अछि, तकरे बाद मिथिला दुइ भाग मे बँटि गेल, मिथिला – भारत आ मिथिला – नेपाल।

एकटा प्रत्यक्ष प्रमाण जेना की, सीताक जन्म सीतामढ़ी, जे भारत मे अछि, सीताक स्वयंवर स्थान धनुषा, नेपाल मे स्थित अछि। मिथिलाक विभाजन भेल से सत्य अछि।

वर्तमान दुइ राष्ट्र मे मैथिल समुदाय केर बौद्धिक पहिचान प्रति दुनू राष्ट्रक समर्थनभाव देखि अन्तर्राष्ट्रीय सीमाक सम्मान करितो हमरा अपन मिथिलाक भूगोल दुइ देश मे बँटल देखाएत अछि। बीच-बीच मे दुइ देशक संबंध विभिन्न कारण सँ बनैत-बिगड़ैत देखि एकटा अन्जान भय हमरो होएत अछि जे कहीं हम दुनू कातक मूल मैथिल केर छाती पर ई अन्तर्राष्ट्रीय सीमा जे आइ खुजले टा नहि अछि, बल्कि दुनू कातक लोक बीच जनस्तरीय संबंध ‘रोटी-बेटी’क संबंधरूप मे प्रख्यात अछि ताहि पर कोनो तरहक दूरगामी कूराजनीति केर असैर नहि पड़ि जाय। खासकय, हालहि नेपाल मे मधेसक आन्दोलन आर तेकरा संबोधन करबा मे जाहि तरहक दुइपक्षीय अड़ियलपंथीक व्यवहार सँ विभिन्न तरहक शंका-उपशंका उपजल अछि; जेना नेपालक नव संविधान मे वैवाहिक अंगीकृत नागरिकता प्रदान करबाक अत्यन्त प्राचीन परंपरा पर्यन्त केँ हतोत्साहित करबाक प्रावधान राखल गेल अछि आर जाहि कारण आइ भारत ओ नेपालक संबंध पर्यन्त खटासक अनुभूति करय लागल अछि… एहेन समय हमर आत्मा बेर-बेर ओहि दिवस याने ४ मार्च केँ मोन पाड़ैत अछि, ई हमर अन्तरात्मा सँ निकलल आवाज थीक जे एहि दिवस हम सब उपवास करी आर शपथ ली जे हमरा सबकेँ कोनो विभाजन कहियो नहि विभाजित कय सकैत अछि। हमर ऐक्यरूपता सदिखन अपन मधुर भाषा आ अति प्राचिन प्रतिष्ठित वेदानुरूप लौकिक व्यवहार जेकरा मिथिलांग सेहो कहल जाएछ से सदिखन बाँचल रहत।

हम मिथिला एकीकरणक पक्षमे नहि छी, परञ्च मिथिलाक विभाजनक इतिहास नहि भूलब, तकर संकल्प अछि । हम सब आ हमर सभक पीढ़ी आ कहु त, जाबैत तक दुनियाँ अविचल रहतैक, ताबैत तक, नहि बिसरब।

आ एहि दिन केँ नहि बिसरैथ जे मार्च ०४, १८१६ कय अधिकारिक रूपसँ मिथिला दुइ राष्ट्र बीच बँटा गेल छल।

मिथिलाक विभाजनक वेदनाक रूपमे अनुभव कै रहल छी, ताहि हेतु उपवास राखब, आ हरेक मैथिल वासी-प्रवासी आ मिथिला प्रेमी सँ आग्रह जे एहि वर्ष हमर मिथिलाक विभाजनक २०० वर्ष होएत, मिथिलाक लेल मार्च ०४, २०१६ केँ , जे जतय छी आ जतय रहब, अनुरोध जे उपवास जरूर राखु, मिथिलाक विभाजनक वेदना केँ अनुभव करू।

प्रवीणः बहुत सुन्दर सरजी! अपनेक बात हमरा आँखि मे नोर भरि देलक। वास्तव मे एहि पार मिथिला – ओहि पार मिथिला… मुदा मिथिला संविधान मे कतहु नहि। एक दिशि बिहारी – एक दिशि मधेसी आ पता नहि आरो कतेक नव पहिचान सँ हमरा लोकनि केँ सदा-सदा विभाजित करबाक लोक दुरेच्छा रखैत अछि… आइ स्वयं मैथिलीभाषी आन पहिचान प्रति छद्म राजनीतिक स्वार्थ लेल पटना आ काठमांडुक सोझाँ घुटना टेकने छथि। अहाँक ई आह्वान हृदय केँ छूबयवला अछि। जानकारी कराबी जे वर्तमान सीमांकन अनुरूप जे नेपालक प्रदेश २ अछि ओ मिथिलाक वर्तमान रूप केँ परिलक्षित करैत अछि, बस एहि मे मोरंग, सुन्सरी आ झापाक किछु क्षेत्र समाहित नहि अछि। मुदा भाषागत रूप मे ई क्षेत्र सब दिन मिथिला रहत।

सर! अपन परिचय मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक केँ कोन तरहें देब? हैदराबाद मे प्रवास पर रहैत आर एतेक वर्ष सँ मिथिला प्रति असीम प्रेम रखबाक रहस्य कि?

bk karna4प्रो. कर्णः हमर नाम बी के कर्ण लेकिन बी के कर्ना सँ पहिचान अछि, हम इण्डिया /एशियाक प्रथम बैचक पैकेजिंग प्रोफेशनल छी।

३० वर्ष सँ भारत सरकारक सेवा छोड़ि अपन संस्था Packaging Clinic & Research Institute, हैदराबाद मे संस्थापक निदेशक छी आर IIT Roorkee केर विजिटिंग प्रोफेसर आ सलाहकार M.Tech (पैकेजिंग) के रूपमे छी।

१९८९ मे UNDP केर फ़ेलोशिप पैकेजिंग क्षेत्र मे भेटल जाहि मे कईएक देशक यात्रा भेल छल, पैकेजिंग क्षेत्र मे UN Consultant और European Union packaging consultant कार्यक अनुभव सेहो अछि।

मैथिल छी, मिथिलाक विकासक लेल व्याकुल छी। एक घटना सँ बहुत प्रेरित छी। सन १९७८ मे मिथिला उच्च विद्यालय, बलौर मे मिथिलाक विभूति स्वर्गीय श्री कांचीनाथ “किरण” विशिष्ट अतिथिक रूपमे विद्यालयक वार्षिक कार्यक्रम मे आयल छलाह, हमरा सेहो हुनका सँ पाँचटा पोथी पारितोषिक रूप मे भेटल छल। ओ अपन भाषण मे उलेख बेर-बेर केने छलाह जे मिथिला-शिथिला भऽ रहल अछि, अहाँ सब मिथिलाक साहित्यिक-सांस्कृतिक स्वरूप पर ध्यान दियौक।

मिथिला – शिथिला कियाक? ई शब्द प्रेरणा स्वरुप अछि, ताहि दिन सँ मिथिलाक लेल किछु करबाक लेल, कटिबद्ध छी।

हैदराबाद मे मैथिल काफी सजग छथि, मिथिलाक हर कार्यक्रम धूमधाम सँ मनबैत छी। मिथिलाक विकासः मैथिलसँ होयत, केयो बाहरक कोनो व्यक्ति मिथिलाक विकास नहि करताह।

मिथिला मे उद्योग पर ज्यादा रुझान अछि, उद्योग पर सेमिनार हरेक वर्ष मिथिला प्रवास मे जरूर करैत छी। मिथिला मंथन संस्थाक संस्थापक अध्यक्ष नाते, मंदिर मन्थन पर काफी झुकाव अछि जे मैथिल जे वैष्णोदेवी आ तिरुपति जाएत छथि, कोनो बात नहि, परन्तु मिथिलाक धार्मिक तीर्थस्थलक विकास पर नहि रुझान रखैत छथि ताहि सँ काफी कष्टक अनुभव करैत छी। मिथिलाक भगवान् की कोनो आन भगवान् सँ कमजोर??? मैथिल मिथिलाक धार्मिक स्थल सेहो जरूर भ्रमण करैथ, स्थानीय लोकक व्यापार बढतैक। स्वरोजगारक अवसर बढतैक। मिथिलाक विकासक लेल कटिबद्ध छी।

प्रवीणः मिथिला राज्य किऐक चाही? मिथिला वास्तव मे छी कि?

प्रो. कर्णः मिथिला राज्यक लेल अनेक पहलु अछि : केवल दू दृष्टिकोण सँ :

१) इतिहासक आधार परः

bk karna5मिथिला राज्य मैथिलक मौलिक अधिकार थीक। मिथिला क्षेत्र औखनि बिहार राज्यक अंतर्गत अछि। सोचल जाउ जे इतिहासक रक्षा होय वा नहि ? जरूर हेबाक चाही, हर कीमत पर, ऐहिक लेल हरेक त्याग जरुरी अछि, बिहारक इतिहास पर गौरव वा मिथिलाक इतिहास, सांस्कृतिक वजूद पर गौरव ?? बिहारक इतिहास केवल १०४ वर्ष, आर मिथिलाक इतिहास हज़ारों वर्ष, वेद-पुराण, सनातन काल सँ। यदि उपर्युक्त प्रश्नक जवाब न्यायोचित भेटत तँ मिथिला राज्य सँ समस्त भारतवर्ष गौरान्वित होयत। अयोध्या क्षेत्र केँ अवध प्रदेश राज्य जरूर होय।

मिथिला राज्य भारत वर्ष केर धरोहर अछि एकरा सम्मान भेटय, ऐहिक लेल हम मिथिलाराज्यक कार्यकर्ता छी तथा जीवन धरि सेवा में लागल रहब।

२) विकासक आधार पर:

bk karna2अपन धरती, अपन राज। मिथिला राज्य मे मैथिलक राज होय। समाजक हरेक वर्गक भागीदारी हेतैक। छः करोड़ मैथिलक आबादी मे ने कोनो उद्योग, ने कोनो प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट, इंजीनियरिंग कॉलेज कतेक? मेडिकल कॉलेज बहुत कम। गाम गाम सुन्न, बिहार सरकार मतसुन्न। मिथिलाक साहित्यक आ संस्कृतिक रक्षा केना? एकर समाधान – केवल वा केवल मिथिला राज्य, भारतीय संविधानक गौरव।

प्रवीणः मैथिली भाषा मे मैथिल केँ आत्मगौरव कम देखैत छी… लोक कहैत अछि।

प्रो. कर्णः मैथिली सँ विकासक भरोसा हेबाक चाही, मिथिला मे अनेको भाषा अछि, जेना की मैथिली, अंगिका, वज्जिका, जोल्हा, हिंदी, नेपाली, आदि। … परन्तु मिथिलावासी केँ बुझल छन्हि जे मैथिली सबसँ सशक्त भाषा अछि।

आईएएस केर परीक्षा मे मैथिली बहुत सहयोगी विषय मानल गेल अछि। मैथिलीक लोकग़ीत सँ रुझान जरुरी अछि, पत्रिका, मैथिली फिल्म, टीवी सीरियल सँ मैथिल केँ आत्मगौरव restore (पुनर्जाग्रत) भऽ रहल अछि।

मैथिली मैथिलक घरेमे टुअर अछि। एकर जिम्मेदार मैथिल स्वंय छथि, मैथिल हिंदी, अंग्रेज़ी आ अन्य भाषा मे लिखैत वा बाजैथ, खुशीक बात अछि पर मैथिली -भाषा क त्यागने नहि। साधारण मैथिलीक शब्द के क्लिष्ट मैथिली शब्द क़े रोचकहीन बनेने छथि, जहिना होय, मैथिलीमे लिखू, पढ़ु आ बाजु।

प्रवीणः सर! अहाँ एकटा विशिष्ट शिक्षा सँ संपन्न लोक… वास्तव मे पहिचान केर आधार पर नागरिक केर अधिकार लेल कि सोच रखैत छी?
भारत केर निर्माण मे मिथिलाक कि योगदान? मिथिला प्रति उपेक्षाक आरोप केँ स्थापित करबाक लेल अपनेक आइ धरिक यात्रा पर वृतांत बताउ।

bk karna6प्रो. कर्णः लगभग तीन वर्ष पूर्व २०१३ मे, इलाहाबाद मे कुंभ छल। ओहि मे हम-सब पुरे कुम्भ मे फ़्लेक्सी बैनर मे मिथिलाक प्रचार मे मिथिला-मन्थन टैग छल जेः

मिथिला दुखी त देश दुःखी,
मिथिला सुखी त देश सुखी।

मैथिल हर राज्य आ दुनियाक हरेक देशमे छथि, मिथिलाक विद्वानक पलायन सँ मिथिलाक क्षेत्र मे विकासक अभाव अछि। मिथिला मे उद्योग हो। प्रवासी मैथिल द्वारा मिथिलामे योगदानक आवश्यकता अछि। मिथिलामे उद्योगक अपार संभावना अछि। तीनटा देश सँ मिथिलाक सीमा जुड़ल अछि, जेना की -नेपाल, भूटान आ बांग्लादेश। भारतक सर्वांगीण विकास, मिथिला राज्यक बिना असंभव अछि।

प्रवीण : मिथिला मे सेहो किछु एहेन कार्यक्रम हेबाक चाही जाहि सँ अहाँक ज्ञान आरो जनसामान्य धरि पहुँचय। कि सब प्रयास केलहुँ? मैथिली जिन्दाबाद वेब पोर्टल पर कतेक ध्यान दैत छी? कि कहबैक पाठक सब केँ?

प्रो. कर्णः मिथिला मे हमर कार्यक्रम उद्योग सं सम्बन्धित हरेक वर्ष भऽ रहल अछि। उद्योग लेल प्रशिक्षण जरुरी अछि। जिला उद्योग केंद्र केर संग उद्योग पर सेमिनार / वर्कशॉप होय, हमर संस्थान पी.सी.आर.आई. मिथिलाक सेवामे हमेशा सं जुड़ल अछि आ जुड़ल रहत।

“मैथिली जिंन्दाबाद” बहुत प्रभावशाली वेब पोर्टल अछि, एक बेहतरीन ई-पुस्तकालय अछि। मैथिली-जिन्दाबाद एक अनोखा संगम अछि जाहि मे इंडिया आ नेपाल क साहित्यक, सामाजिक चिंतन क एक सफल प्लेटफार्म। हमर शुभकामना जे निरन्तर कार्यशील रहय, हम बहुत प्रशंसक छी, मिथिलाक हरेक स्वाद सँ भरल अछि, एही पोर्टल केर स्थायी पाठक सँ अनुरोध जे मैथिली जिन्दाबाद” पढ़ु, जुड़ू, प्रचार करू यथार्थ केर आधार पर।

प्रवीणः जार्ज ग्रियर्सन पर अपन विशेष स्मृति रूप किछु कहू!

प्रो. कर्णः बिहार राज्यक निर्माण सँ पूर्व माननीय जार्ज ग्रियर्शन आयल छलाह, मिथिलाक नक्शा, बिहारक नक्शा सँ पूर्व निर्मित अछि, मिथिला राज्यक समर्थन के रूपमे मानि रहल छी, हुनकर स्मृति मे मिथिला राज्यक जान आंदोलन एकटा महत्वपूर्ण कड़ी रहत।

प्रवीणः हैदराबाद सहित प्रवासक क्षेत्र मे मैथिल केँ केहन अधिकार चाही?

प्रो. कर्णः मिथिला भवन दुनिया केर हरेक शहर मे होय, एकर प्रयास जिनगी भैर तक कैल जाय। मिथिला भवन मे लोक गीत, पोथीक संग्रह, मिथलाक भोजन, मिथिला पर्व – त्योहार सबटाक गतिविधि होइत रहय।

प्रवीणः भारतक एहि विशिष्ट भूभाग मिथिला मे विद्या धनं सर्वधनं प्रधानं रहितो विपन्नता कोना?

प्रो. कर्णः मिथिला मे विद्या धनक उपयोग मैथिल द्वारे मिथिलाक बाहर होइत रहल अछि। एकर उपयोग मिथिलामे होय, एकर नहि तँ आधारभूत ढांचा अछि आ ने उचित अवसर, सबटा ज्ञान बेअसर। ताहि लेल एक मात्र उपाय – केवल मिथिला राज्य। मैथिल केँ देख्सी लगैत छैक, मैथिल केँ मैथिली बजय मे अपमान मह्शूश नहि हो। मैथिल केँ त्रि-भाषा ( Maithili – Hindi – English ) पर सदैव ध्यान देबाक चाही।

प्रवीणः मिथिला राज्य बनेबाक लेल कि योजना?

प्रो. कर्णः फेज-१
१) जय मिथिला-जय-जय मिथिला नाराक मैथिलक भावना सँ जुड़बाक, जेना जय महाराष्ट्र, तहिना जय मिथिला कहिते, जय जय मिथिला कहबाक कंपन होय।

२) अखण्ड बहस हो – मिथिला राज्य कियैक आ कियैक नहि ? चायक नुक्कड़ सँ सँसद तक – तकर प्रयास

३) समाजक हरेक जातिक भागीदारी, जन चेतना अभियान

४) मिथिला राज्य निर्माण समारोह – हरेक शहर -हरेक ग़ाम मे।

५) मिथिला राजनीतिक पार्टीक गठन – गठित पार्टी द्वारा धरातलीय अभियान मे मिथिला राज्यक आवश्यकता सँ जन-जन केँ जोड़ब।

फेज-२
जन-जन केर आंदोलन, मिथिला राज्यक आंदोलन।
जय मिथिला-जय-जय मिथिला!!

प्रवीणः बहुत रास धन्यवाद आदरणीय सरजी! अपनेक विचार आ ओकर वजन मैथिली जिन्दाबादक मार्फत् मिथिलाक जन-जन धरि पहुँचय। हम यैह कामना करब।

प्रो. कर्णः धन्यवाद आर हम सब जन-जन सँ जुड़ल रही। एहि पोर्टल पर विचार रखबाक लेल एक बेर फेर सँ धन्यवाद!! मोन राखय जायब – ४ मार्च – एक दिनक उपवास!!