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मिथिलापुत्र बी. के. कर्णा – मिथिला टु ग्लोब, ग्लोब टु मिथिला (साक्षात्कार)

साक्षात्कार

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचय आ साक्षात्कार – मैथिली जिन्दाबाद सम्पादक प्रवीण नारायण चौधरी संग बी. के. कर्णा जीक साक्षात्कार 

दक्षिण भारतक एक तीव्र विकासशील राज्य तेलंगानाक राजधानी ‘हैदराबाद’ मे अपन मिथिलाक एक कर्मठ सपूत – नामः बी के कर्णा द्वारा विश्वस्तरीय पैकेजिंग क्लिनीक केर स्थापना कयल गेल अछि । एहेन संस्थान पूरे भारत मे विरले आ आंगुर पर गानय योग्य होयत ई अन्दाज लगा रहल छी । अपन हैदराबाद यात्राक क्रम मे एहेन महान शख्सियत सँ भेंट आ वार्ता बहुत उपयोगी होइत रहल अछि । ई मिथिलापुत्र नहि केवल स्वरोजगार आ उद्योगक प्रबल पक्षधर छथि, बल्कि भारतक विकास आ प्रत्येक भारतीय केर विकास लेल सेहो उच्चस्तरीय सोचक धनी छथि, जिनकर सोच छन्हि जे देशक विकास तखनहिं संभव छैक जखन ओकर विभिन्न ऐतिहासिक प्रदेश यथा मिथिला जेहेन सुप्रतिष्ठित सभ्यता आ भूगोल केर विकास हेतैक । बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्व बी के कर्णा संग एहि वर्षक आरम्भ मे भेंट आ वार्ताक किछु महत्वपूर्ण अंश अपने समस्त पाठक लोकनि लेल प्रकाशित कय रहल छी । आशा करैत छी जे ई भेंटवार्ता सँ बहुतो लोक मे नव दृष्टि आ कार्यशक्ति उत्पन्न होयत जे समग्र हित लेल पर्याप्त होयत ।

भारत सहित विदेशहु केर एक सँ एक प्रसिद्ध औद्योगिक घराना आ कारखाना संगहि अन्यान्य उद्यम-व्यवसाय मे पैकेजिंग सम्बन्धी महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करनिहार बी. के. कर्णा निश्चय मिथिलाक यथार्थ विभूति थिकाह । हिनकर सेवा लेनिहार विश्वप्रसिद्ध ब्रान्ड ओनर सब मे डा. रेडीज लैब, टाटा ग्रुप, एमेजौन, नेटको फार्मा, अरबिन्दो फार्मा, ब्रिटानिया बिस्किट्स, हिन्दुस्तान युनिलीवर, फ्लिपकार्ट, आदि भारतीय बहुराष्ट्रीय कम्पनी सभक संग केडीएस ग्रुप बांग्लादेश, एनबीसीसी जेड्डा, इथियोपियन फ्लावर इन्डस्ट्रिज, सलमान ग्रुप ओमान आदिक नाम प्रमुख अछि । समय-समय पर वैश्विक स्तरक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान – आईआईटी रुड़की आदि जेहेन संस्थान सब मे हिनकर लेक्चर आ साल भरि मे कतेको राश प्रशिक्षण कार्यशाला सभक संचालन अपन संस्थान व अन्यान्य संस्थान लेल ई करैत आबि रहल छथि ।

हमः पीसीआरआई जेहेन प्रतिष्ठित संस्थाक स्थापना व निरन्तर कार्य जे कि वास्तव मे हिन्दुस्तान सँ लय अनेकहुँ अन्तर्राष्ट्रीय जगत धरि अपन सेवा प्रदान कय रहल अछि, आर एकर स्थापना मिथिलाक एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व – विद्वान् एवं मिथिला पहिचान लेल आजीवन कार्यरत व्यक्तिक रूप मे मिथिलाक एक सन्तान श्री बी. के. कर्ण यानि अपने, बलौर (दरभंगा) वासी दक्षिण भारतक एक प्रमुख महानगर – वर्तमान तेलंगानाक राजधानी हैदराबाद मे कय रहल छी – ई हमरा सभक वास्ते एकटा गौरवबोध केर विषय भेल ।

बी. के. कर्णा – हार्दिक आभार पीएनसी जी । अहाँक संग भेंट आ मैथिली-मिथिला लेल समर्पण संग कार्यानुभव बहुत प्रभावित करैत अछि । हमर पीसीआरआई मे अहाँक हार्दिक स्वागत ।

हमः मैथिली जिन्दाबाद डट कम केर सम्पादक रूप मे अपनेक एक साक्षात्कार प्रकाशित करय चाहि रहल छी । अपने संग जहिया-जहिया भेंट भेल, कोनो न कोनो नव जानकारी आ हर मानव लेल प्रेरणास्पद-अनुकरणीय ज्ञानबोध सेहो होइत रहल अछि । एहि बेर अपनेक एकटा सुन्दर उक्ति मोन मे बैसि गेल – हमर बौआ केँ आशीर्वाद दैत अपने कहने रही – “सक्सेस स्पीक्स, आईडिया स्पीक्स आ मनी स्पीक्स !” संगहि मिथिला मे सामान्य डिग्री आ नौकरी सँ उपर उद्यम-उद्योग केर बढ़ावा देबाक लेल आगू अयबाक आह्वान कएने रही । यैह सब विषय-वस्तु आ अपनेक पास रहल अद्भुत गहींर ज्ञान सँ वृहत् स्तर पर मैथिलीक पाठक केँ जनतब उपलब्ध करेबाक लेल ई साक्षात्कार बहुत महत्वपूर्ण होयत, एना हमर अनुमान अछि ।

बी. के. कर्णा – निश्चय, हमर नारा अछि ‘जय मिथिला – जय जय मिथिला’ । आर एकर अभिप्राय यैह अछि जे मिथिलाक जय हो । हमरा संग लेल गेल ई साक्षात्कार निश्चय सभक लेल शुभदायक होयत । अपनेक आभार जे एकरा मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित कय हमर जीवनक महत्वपूर्ण पक्ष केँ पैघ जनमानस मे आलोकित करब ।

हमः अपनेक मैथिलत्व पहिचान केँ प्रकाश दैत वैयक्तिक-कौलिक परिचय दी ।

बी. के. कर्णा – हम बी. के. कर्ण और बी. के. कर्णा नाम सँ जानल जाइत छी । मैथिल छी, हम अपने आपके बिहार राज्य मे छी लेकिन मिथिला आ मैथिल पर ज्यादा भरोसा करैत छी जे हमर क्षेत्र मिथिला अछि आ हम मैथिल छी । हमर गाम बलौर, मनीगाछी, दरभंगा जिला, मिथिला क्षेत्र, हम सम्प्रति प्रवासी रूप मे हैदराबाद मे छी ।

हमः उच्च शिक्षा हासिल करय सँ लैत सरकारी नौकरी आरम्भ करबाक, गोटेक दशकक अनुभव आ पुनः अपन अन्तर्मनक पुकार सुनि किछु अलग आ विशिष्ट संस्थान ‘पीसीआरआई’ आरम्भ करबाक यात्रा पर संछिप्त प्रकाश दी ।

बी. के. कर्णा – हम गाँव सँ निकललहुँ १९८५  मे । हम बिहार सँ प्रथम पैकेजिंग प्रोफेशनल छी । अपन ५० वर्षक उमेर मे २७ साल गवर्नमेन्ट जौब कय केँ हमरा ई एहसास भेल जे मैथिल बहुत नौकरी कयलथि । दूर-दूर जाकय नौकरी कयलथि । विश्व केर हर कोणा मे पहुँचि गेलाह । जतय-जतय हम घुमलहुँ – चाहे युरोप चाहे अफ्रीका आ कि एशिया – हमरा यैह एहसास भेल । सब जगह मैथिल भेटलाह । हम सब सर्विस पूरे दुनिया केँ देलहुँ यैह बुझय मे आयल । आब सर्विस मिथिला केँ दय के बेर छय । मुदा मिथिला मे नौकरीक कोनो अवसर नहि छैक । ओहि नौकरीक सापेक्ष मे हमरा एहसास भेल जे अपन जिन्दगी मे ५० साल त बिता लेलहुँ, नौकरी करैत, आब उद्यमी बनी । रिस्क छल, बहुत रिस्क छल जे गवर्नमेन्ट जौब छोड़िकय… अपन कोनो काज आरम्भ करू । हम एतय पैकेजिंग इन्स्टीट्यूटक हेड छलहुँ । आईआईपी मे । मिनिस्ट्री अफ कमर्स के अन्दर मे । मुदा दिमाग मे भीतर सँ बेचैनी आबि गेल । मातापिता के आशीर्वाद लेलहुँ । पत्नी किरण सँ विचार लेलहुँ आ बच्चो सभक विचार लयकय – ई एकटा डेमोक्रेटिक रूप मे निर्णय लयकय सरकारी नौकरी छोड़ि हम अपन संस्थानक स्थापना कय सकलहुँ ।

बस एतबी बात दिमाग मे छलय जे ‘जहाँ सुमति तहाँ सम्पत्ति नाना’, छबो फेमिली मेम्बर्स मे सभक विचार एक भ’ गेल त यैह हमरा लेल सम्पत्ति छल । तेँ द्वारे ओहि विचार केँ धारण कय मिथिलाक सेवा लेल हम आगू बढ़ि गेलहुँ ।

दिमाग मे आयल जे मिथिला आर मैथिल रोजगार करथि, तखनहि विकास भ’ सकैत छैक – सर्वांगीण विकास यैह हेतैक । और सर्वांगीण विकासक लेल मिथिला मे उद्योग जरूरी छैक । और हमर चूँकि अनुभव छलय इन्स्टीट्यूट के,  त एहि मे कोनो प्रोडक्ट नहि, हमरा लग केवल कन्सेप्ट छल । पैकेजिंग कन्सेप्ट के हम मैनुफैक्चर करैत छी ।

मिथिला मे हमर इन्स्टीट्यूट केर एखन वर्तमान मे ओहेन स्कोप नहि छैक । हम अपन घरे पर जे संस्था बनेलियैक – पैकेजिंग क्लिनिक एन्ड रिसर्च इन्स्टीट्यूट – पीसीआरआई, २२ फरवरी २०१२ केँ ! १२ साल बीति गेलय । सर्भाइव भ’ गेलहुँ ।

गवर्नेमेन्ट मे रहितहुँ त रिटायर भ’ जइतहुँ, लेकिन आब त रिटायर नहि होयब । जाबे तक साँस रहत अपन सेवा मे लागल रहब । पैकेजिंग अपन प्रोफेशन अछि । एकर सेवा मे लागल रहब । अपन भूमि के सेवा मे, कर्मभूमि जे हैदराबाद भेल आ जन्मभूमि मिथिला भेल – दुनूक सेवा मे लागल रहब । हम हमेशा दैनिक रूप मे एहि भाव मे रहैत छी ।

अपन फोन मे रिंगटोन सेहो लगेने छी – जय मिथिला जय जय मिथिला !!  ई नारा हमेशा दिमाग मे चलैत रहय । लोक जय पंजाब, जय महाराष्ट्र, आदि कहैत छैक । जय हिन्द सेहो कहैत छैक ।

हमरा मोन मे जय मिथिला – जय जय मिथिला केर नारा २००१ मे आबि गेल छल । डा. धनाकर जी साइकिल सँ मिथिला मे छलथि, हुनका सेहो आग्रह कयलियनि जे एहि नारा केँ घर-घर मे पहुँचाबथि ।

संविधान मे मिथिलाक्षेत्रक एक्के टा भाषा छैक – मैथिली जेकरा संवैधानिक भाषाक रूप मे मान्यता भेटल छैक । एकर प्रधानता रहबे करतय । त समग्र मे हमर यैह परिचय अछि जे हम एक मैथिल छी – अपना पास रहल विद्या सँ मिथिला आ देश केर सेवा करैत रहब ।

हमः अपन उच्चशिक्षा बारे मे सेहो कनेक विस्तार सँ जानकारी देल जाउ सर ।

बी. के. कर्णा – उच्च शिक्षा हासिल करैत सरकारी सर्विस बारे अहाँक पूछल प्रश्न पर यैह कहब जे भारत मे ४० साल पहिने फर्स्ट पैकेजिंग प्रोफेशन के शुरुआत भेल छलैक । १९८५ ई. मे आरम्भ भेल एहि प्रोफेशनक पहिल बैच सँ हम छी । एहि मे हमरा यूएनडीपी फेलोशिप करय लेल भेटल १९८९ मे ।

हमरा जीवन मे ३ महिला हमर प्रेरणाक स्रोत छथि । घटनाक्रम मे उच्चशिक्षा आ सरकारी नौकरी करैत आ अपन संस्थान शुरू करय मे – ताहि मे हमर माँ – जेना कि हम मैट्रिक पास कयलहुँ १९७९ मे, इन्टरमीडिएट १९८१ मे, बीएससी १९८१-१९८३ मे रहय लेकिन ओकर सेशन कनेक विलम्ब भ’ गेल छलैक, लगभग डेढ साल विलम्बक चलते १९८४-८५ धरि चलि गेल छलैक बीएससीक पढाइ । एहि बीच हमर संगत खराब भ’ गेल छल । हम काफी फ्रस्ट्रेशन मे चलि गेल रही । ताहि समय हमर माँ केर एक गोट उक्ति हमरा प्रति लक्षित सुनय लेल भेटल । ओ कहने छलीह – “१ रुपया के १ रुपैया नहि बुझी, १ लड़का के लड़का नहि बुझी”

यैह माँक आवाज सुनिकय हम सबटा गलत संग छोड़ि एकटा संकल्प कय लेने रही जे हमरा एकटा नया प्रोफेशन मे ज्वाइन करबाक अछि । ताहि समय हम मदर इंडिया फिल्म देखने रही आ माय केर महत्व सेहो बुझने रही, तेँ मायक बात हमरा काफी प्रेरणा देने छल । हम स्वयं केँ काफी समर्पित कयलहुँ, पैकेजिंग प्रोफेशन मे आबि गेलहुँ ।

हम एहि प्रोफेशन मे त एलहुँ, मुदा अयलाक बाद लोक सब सँ कतेको तरहक टिका-टिप्पणी भेटय लागल । कियो कहय ई ठोंगा इंजीनियर बनतय, कियो कहय सब इंजीनियरे बनतय, सब टेक्नोलौजिस्टे बनतय आदि । २३ साल के उम्र मे हम सरकारी नौकरी पाबि गेल रही । ज्वाइन कयलाक बाद १९८७ मे वैह संस्था मे भेटि गेल । तेकर बाद नौर्थ इंडिया सँ हम आ साउथ इंडिया सँ गुणा शेकरण केँ विदेश जेबाक अवसर प्राप्त भेल ।

मोन मे यैह छल जे आब बाहरे नौकरी कय लेब, विदेशहि मे बसि जायब । मुदा दोसर प्रेरणा दयवाली महिला रूप मे हमर दादी १९८९ मे कहलक जे ‘ललन बौआ, तूँ बिलैंत (बेलायत – लन्दन) जाय छँ – लेकिन मोन मे हमर बातक ध्यान रखिहें ! बाहर के सुख सँ घरक दुःख नीक होइत छैक ।’ ओकर यैह वाणी केँ मोन मे राखि विदेश मे नौकरी लगबो कयल त नौकरी नहि कय भारत वापस आबि गेलहुँ ।

यूएनडीपी फेलोशिप प्रोजेक्ट मे काज करय लगलहुँ, नया-नया आर्टिकल सब लिखलहुँ । ब्रिटिश लाइब्रेरी मे आर्टिकल सब अछि । खुब मोन लगाकय काज कयलहुँ । १९९४ मे हमर विवाह भेल । तेसर प्रेरणा देनिहाइर महिला रूप मे हमर पत्नी किरण कर्ण भेटलीह । हुनका संग शिक्षा सम्बन्ध मे साक्षात्कार भेल छल । ओ कहने छलीह – सपना देखी त खुजल आँखि सँ, एना जुनून आओत आ तखन सफलता भेटत ।

हम अपन पत्नी सँ पुछने रहियनि जे अहाँक शिक्षा कि-केना अछि, ताहि पर ओ प्रतिक्रिया बड़ा ठेसाह रूपें देलीह कि मैथिली सँ प्रतिष्ठित त छी, मुदा मैथिलीक महत्व बिहार सरकार घटा देलकैक । हुनकर एहि प्रतिक्रिया सँ सेहो हमरा एकटा प्रेरणा बुझू तहिये भेटल जे मैथिली भाषाक मान-मर्यादा बढ़ेबाक लेल हमहुँ अपन जीवन मे कार्य जरूर करब ।

किरणजीक खुजल आँखि सँ सपना देखबाक तात्पर्य मिथिलाक विकास मे औद्योगिक निवेश दिश सेहो किछु इशारा कएने छल, स्वरोजगारक बढ़ोत्तरी सँ एहि क्षेत्रक कल्याण होयत तेना बुझय मे आयल छल । सरकारी नौकरी सँ इतर स्वरोजगार आ उद्योगक सपना हुनकर प्रेरणा सँ हमरा भेटल । हम दुनू तहिये सँ प्रण मैथिली-मिथिला सेवा लेल सेहो प्रण कएने छी ।

दिल्ली सँ कोलकाता ट्रान्सफर भेटल, फेर २००३ मे कोलकाता सँ हैदराबाद ट्रान्सफर भेल । एतुका रीजनल हेड रही आईआईपी मे । २०१०-११ मे आबिकय अपन स्वरोजगार शुरू करबाक लेल किरणजी फेर प्रेरित कयलीह । रिस्क लेबाक यैह सही समय छल । एहि तरहें २२ फरवरी २०१२ मे पीसीआरआई आरम्भ भेल ।

लेकिन बहुते रास संघर्ष सब आबि गेल । लेकिन साथ-सहयोग सभक भेटल । पिताजी गवर्नमेन्ट जौब सँ रिटायर छलाह । पहिने हुनकर विचार हमरो लेल ६० वर्षक बाद कोनो व्यापार शुरू करबाक रहनि । प्राइवेट काज सेहो हैदराबाद मे, जेतय न अपन भाषा, न समाज, न रिश्तेदार… तखन ई काज केना चलत से सब चुनौती रहय । लेकिन पिताजीक प्रोत्साहन आ हुनकर अंग्रेजी मे कहल एक उक्ति बहुत प्रेरित कयलक । ओ कहथि – योर बोल्डनेस इज योर एसेट्स एन्ड यू कैन स्टैन्ड एनिव्हेयर ! ई हमरा लेल महामूलमंत्र छल ।

हमर औफिस मे एकटा मारवाड़ी दोस्त कहलक जे अहाँ व्यापार शुरू कयलहुँ, घबरायब नहि, ९९९ दिन जँ टिक गेलहुँ त १०००म् दिन अहाँक छी, सफलता सुनिश्चित अछि ।

हमः पीसीआरआई सेट-अप पर सेहो टेस्टिंग, सर्वे, सहित कुल चारि गोट फोकस विन्दु अनुसार आ उपलब्ध लैबरेटरी, सिस्टम, प्रशिक्षण, कार्यरत क्वालिफाइड लोक व अन्य बातक संछेप जानकारी सेहो दी ।

बी. के. कर्णा – पीसीआरआई – “पैकेजिंग क्लिनिक एन्ड रिसर्च इन्स्टीट्यूट” – जे कोनो प्रोडक्ट छैक, ओकरा जीवन दैत छैक पैकेजिंग । जेना डाक्टर जीवन दैत छैक रोगी केँ आ दबाई केँ जीवन दैत छैक ओकर पैकेजिंग ! यैह चलते हम हार्ट क्लिनिक, डेन्टल क्लिनिक, मेन्टल क्लिनिक कि लंग्स क्लिनिक जेकाँ पैकेजिंग क्लिनिक नाम राखने रही । पहिने त नामो राखय मे बहुते समस्या बुझायल छल । बुझय पड़त जे स्वरोजगार स्थापना करबाक वास्ते सरकारी नौकरी त्यागिकय अपन ५० सालक उम्र मे दुस्साहस कएने रही, लेकिन सभक शुभकामना आ सहयोग सँ पीसीआरआई स्थापित भ’ गेल । हिन्दुस्तान केर एक प्रतिष्ठित संस्थान रूप मे ई गानल जाइत अछि ।

हमः मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक संग-संग सामान्यजन लेल पीसीआरआई संग जुड़बाक आ काज करबाक वा सेवा लेबाक कोन-कोन विन्दु महत्वपूर्ण छैक ?

बी. के. कर्णा – हमर सभक प्रोफेशन हर व्यक्ति सँ जुड़ल छैक । प्रोडक्ट, पीपुल और प्लानेट – तीनू सँ जुड़ल छैक । ३ पी मे प्रोडक्ट, पीपुल आ प्लानेट – जाहि सँ प्रोग्रेस आ पोल्यूशन फ्री भेटैत छैक । पीसीआरई सँ जुड़य मे लोकहितक कुल ४ गोट विन्दु पर प्रकाश देबय चाहब –

१. रोजगारदाता लेल – अपन पूँजी लगाकय रोजगार उपलब्ध करेनिहार लेल पैकेजिंग सँ जुड़ल निवेश मे बहुत रास सम्भावना उपलब्ध छैक । व्यापारे बसते लक्ष्मी – व्यापार क्षेत्र मे पैकेजिंग सँ जुड़ल अनेकों प्रतिष्ठान व सेवामूलक निवेश लगेबाक भरपूर सम्भावना छैक । एहि प्रोफेशन मे भारत मे सर्वाधिक अवसर उपलब्ध छैक । बुझि सकैत छी जे विश्व भरि मे ४% ग्रोथ रेट छैक पैकेजिंग सम्बन्धी निवेश मे, जखन कि भारत मे ई १८% ग्रोथ रेट छैक । लगभग ५ गुना बेसी विकास दर सँ पैकेजिंग विकसित भ’ रहल छैक भारत मे । मान्यता यैह छैक जे जाहिठाम पैकेजिंग जतेक विकसित रहतैक, ओ क्षेत्र आ देश ओतबे बेसी विकसित रहतैक । एहि तरहें भारत मे लगानीकर्ता लेल पैकेजिंग दुनिया अत्यन्त आकर्षक आ सहज छैक ।

२. रोजगार प्राप्तकर्ता लेल – रोजगारक अवसर – पैकेजिंग बिना आइ बाजार मे कोनो प्रोडक्ट उपलब्ध करायब आ ओकर सुरक्षित ढंग सँ उपभोक्ता धरि पहुँचायब सम्भव नहि छैक । बेसीतर उपभोग्य सामान पैकेज्ड फौर्म मे बाकायदा एकटा निश्चित सुरक्षित आयु (शेल्फ लाइफ) सहितक उपलब्ध करायल जाइत छैक । पैकेजिंग उपर मे उपभोक्ता लेल विभिन्न जानकारी देबाक लेल वैधानिक नियम-कायदा सेहो सरकार बनौने अछि । एहि तरहें एहि क्षेत्र मे प्रशस्त नौकरी भेटि सकैत छैक ।

एखनहुँ धरि एक्सपर्ट के कमी छैक एहि प्रोफेशन मे । जेकरा डिग्री भेटल छैक ओकरा लेल रोजगारो सुनिश्चित रहिते टा छैक । पीसीआरआई सँ ट्रेनिंग लय विभिन्न तरहक रोजगार पाबि सकैत अछि लोक । हमरा सब समय-समय पर ट्रेनिंग आ पहिने सँ काज कय रहल पेशाकर्मीक स्किल अपग्रेडिंग सेहो करैत छी ।

३. प्रदूषण सँ बचाव लेल पैकेजिंग प्रोफेशनलिज्म आवश्यक – ओवर पैकेजिंग यूज कयला सँ प्रदूषण होइत छैक । कोन तरहक सामग्री लेल केहेन तरहक पैकेजिंग जरूरी छैक, एकर समुचित जनतब उत्पादनकर्ता आ उपभोक्ता संग कानून-व्यवस्थाक जिम्मेवार प्रशासन लेल सेहो जरूरी छैक । लेकिन जागरुकताक अभाव मे हाल धरि कन्ज्यूमर हिन्दुस्तान मे बहुत कम छैक ।

मानि लियह जे कतहु एक्सपायरी डेट ६ महीना लिखल छैक, लेकिन ओकरा सँ यदि पुछल जाइक जे एहेन डेकलरेशन केँ सपोर्ट करयवला डक्यूमेन्ट ओकरा लग छैक वा नहि, त अधिकतम उत्पादक वा पैकर्स लग ई नहि रहैत छैक । जखन कि एकटा अनिवार्य प्रक्रिया थिकैक । हमर सभक पीसीआरआई एहि सन्दर्भ मे काफी सहयोगी भ’ सकैत छैक ।

४. जनजागृति – कन्ज्यूमर (उपभोक्ता) केर जागृति मे पीसीआरआई के महत्वपूर्ण भूमिका भ’ सकैत छैक । प्रोडक्ट नीक ‍- पैकेजिंग खराब, कतहु-कतहु पैकेजिंग नीक – प्रोडक्ट खराब – एहि सभक सन्दर्भ मे उपभोक्ताक हित रक्षा करय मे हमरा सभक भूमिका – लैब टेस्ट मार्फत स्थापित कयल जा सकैत छैक । उदाहरण लेल लाइफ सेविंग ड्रग देखू । हम कहैत रहैत छियैक जे जिन्दगी बचाबय वला दबाइ केँ बचाबय छैक पैकेजिंग ।

आइ कोरोना मे वैक्सिन लगलैक त कि बिना पैकेजिंग के कोरोनाक दबाइ जा सकैत छलैक देश आ विदेश ? एहि लेल सेहो शितलीत पैकेज विकसित कयल गेलैक तखनहि ओ वैक्सीन शहर सँ गाम धरि सफलतापूर्वक पहुँचलैक आ एहेन महामारी विरूद्ध करोड़ों लोक केँ वैक्सिनेट कयल गेलैक ।

जनसामान्य जँ चाहैत छथि जे अपन घर केँ सुरक्षित राखबाक अछि, तखन हुनको सब केँ पैकेजिंग जेहेन महत्वपूर्ण सन्दर्भ मे जागरुक बनहे टा पड़तनि । हम त एहि विषय केर पढाइ कक्षा ६ सँ सामान्यजन लेल उपलब्ध करेबाक वास्ते सरकार केँ पत्राचार सेहो कयलहुँ अछि । एहि सँ हाइजिन आ पोल्यूशन मादे समुचित जानकारीक प्रसार हेतैक । पीसीआरआई एहि समस्त सन्दर्भ मे उपयोगी संस्थानक भूमिका निभा सकैत अछि ।

हमः मिथिला लेल – सुगौली सन्धिक आलोक मे – आ औद्योगिक विकास संग मिथिला चित्रकलाक सन्दर्भ अपने द्वारा कयल प्रयास पर जानकारी दी ।

बी. के. कर्णा – सुगौली सन्धि जे ४ मार्च २०१६ केँ गोरखा राजा (नेपाल) आ ब्रिटिश भारत सरकार बीच भेल, जाहि मे मिथिलाक भूभाग दुइ देश मे बंटि गेल – हमरा एहि बातक घोर वेदना भ’ रहल अछि । हम विगत कतेको वर्ष सँ आजुक दिन उपवास मे रहैत छी । एतय हैदराबाद मे सेहो तेलंगाना सरकार द्वारा अनुमति देल गेल जगह पर हम अपन धर्मपत्नी किरण संग उपवास पर बैसल रही । हम एहि लेल संकल्पित छी जे ४ मार्च ‘मिथिलाक्षेत्रक दुइ देश मे विभाजन करयवला सुगौली सन्धिक हस्ताक्षर दिवसरूपमे’ आजीवन उपवास करैत रहब ।

एहि दिवस सँ जुड़ल इतिहास सन्दर्भ मे अहाँक योगदान पीएनसीजी अतुलनीय अछि जे हमरा एकर सम्पूर्ण इतिहास सँ अवगत करौलहुँ जाहि सँ हम विगत मे अनभिज्ञ छलहुँ । एहि दिवस केँ मिथिलाक दुइ देशक सीमा मे विभाजित होयबाक पीड़ाक कारण एकर नाम वेदना दिवस देने छी ।

ओना दुनू देश मे मिथिला प्रति सम्मानजनक संवैधानिक मान्यता आ दुनू देशक बीच अनवरत निर्बाध रूप सँ आयब-जायब बनल रहय यैह कामना करैत दुनू सार्वभौम सम्पन्न राष्ट्रक राष्ट्रियता प्रति हम सम्मानक भाव रखैत छी ।

हमः आगामी कुम्भ (प्रयाग) मे अपनेक अभियान सन्दर्भ सेहो पाठक लेल सम्पूर्ण जानकारी दी ।

बी. के. कर्णा – २०१३ ई. मे पिछला महाकुम्भ मे हम आ किरण दुनू आदमी भाग लेने रही । हम सब दिल्ली सँ आयल रही तहिया ।

“मिथिला दुःखी त देश दुःखी, मिथिला सुखी त देश सुखी”

– मौनी अमावस्या दिन यैह नारा सहितक पोस्टर लेने हम दुनू गोटे पूरा कुम्भ मे घुमलहुँ । ध्येय यैह छल जे कुम्भ मे सहभागी ऋषि-मुनि लोकनि जे भारतक ऐतिहासिकता-पौराणिकता आ मौलिकता सँ अवगत छथि, कियैह न मिथिलाक बारे हुनका सभक ध्यानाकर्षण कराबी ! तेँ कुम्भ मे घुमलहुँ आ मिथिलाक प्रचार कयलहुँ ।

१२ वर्ष बाद फेर वैह क्रम केँ आगू बढ़बैत एहि वर्ष सेहो प्रयागराजक कुम्भ मे हम सपत्नी सहभागी बनय जा रहल छी । हिन्दुस्तान विकासक मार्ग पर अग्रसर छैक । एहि बीच मे रामचन्द्रजी अपन जन्मभूमि पर बनल बाबरी मस्जिदक विवाद केँ न्यायिक तौर पर अन्त करबा अयोध्या अपन घर लौटि आयल छथि । देशक नियम-कानून अनुसार हुनकर घरवापसी सँ हम बहुत उत्साहित भेल छी ।

एहि बेर कुम्भ मे अपन एक कवितारूपी नाराक संग मिथिलाक वैह झंडा लयकय जायब, घुमब । २७ जनवरी सँ ३० जनवरी तक ओतय रहब । अपन आध्यात्मिक गुरुजी जे मंगरौनी सँ छथि ओ प्रत्येक कुम्भ मे कल्पवास करैत छथि । गुरुदेवक सान्निध्य मे कामर लयकय देवघरक यात्रा हो या कामाख्या माँक धामक यात्रा – मिथिलाक संस्कार आ रीति अनुसार गुरुदेव श्री शारदानन्द झाक संग हम, पत्नी किरण, अजयजी आ सबिता – हुनकर आर कतेको शिष्य सब कुम्भ मे संग रहब । मिथिलावादी नेतृत्वकर्ता रत्नेश्वर झाक टीम सेहो रहता आ कुम्भ मे संग जुड़ता । एहि बेर हमर कवितारूपी नारा मे सीधा भगवान सँ प्रश्न रहत –

हे नर के इन्द्र नरेन्द्र

मिथिला धरा पूछे ‘हे सियावर’

अवध राजा का अवध प्रदेश कहाँ है

मिथिलाधाम – आपका ससुराल मिथिला कहाँ है

दोनों प्रदेश त्रेता में थे

अब गुमनाम है श्रीराम

इतिहास है भूगोल है अब गुमनाम है हे राम

यह जो केवल ग्रन्थों में है

उसका संविधान में हो सम्मान

जय मिथिला जय जय मिथिला

हमः अपने एक बेर कहने रही जे मिथिलाक सुगौली क्षेत्र मे सेहो जनजागरण यात्रा करब, कृपया सुगौली सँ यात्रा पर प्रकाश दी ।

बी. के. कर्णा – सुगौली सँ यात्रा पर प्रकाश यैह देब जे हम ४ मार्च केँ एक दिनक जे उपवास करैत छी से सुगौली मे करी ई बहुत दिन सँ हमर मोन मे बैसल अछि । एहि तरहें एक-दिवसीय उपवास उपरान्त सुगौली सँ पुनौराधाम (सीतामढ़ी) माँ सीताक प्राकट्यस्थल धरिक लगभग १०० किलोमीटर केर यात्रा करी । यात्रा पैदल करी अथवा गाड़ी सँ एहि पर निर्णय नहि लय पेलहुँ एखन धरि । जेना हो, बिहार सरकार सँ एहि लेल समुचित आदेश लयकय हम ई यात्रा पूरा करब से संकल्प अछि ।

खास वजह यैह अछि जे सुगौली (चम्पारण) दिशक कतेको लोक सब संग जुड़ल छी । ओ सब मिथिलाक छथि से विस्मृति भ’ गेल छन्हि वा अन्यान्य कारण सँ स्वयं केँ मिथिलाक लोक नहि मानैत छथि । मिथिला राज्यक विषय पर सेहो छिटकैत रहैत छथि । ओम्हुरका लोक मे मिथिला प्रति जे स्वामित्व छैक तेकर अभाव बुझाइत अछि । तेँ राजा जनक आ जानकीक अवतरणक कथा-गाथा सँ जोड़ैत आमजन मे मिथिला प्रति अपनत्वक भाव जगाबी यैह एहि यात्राक उद्देश्य रहत ।

मिथिला मे मैथिलीक प्रधानता रहितो चम्पारण क्षेत्र मे भोजपुरी भाषाक प्रभाव बढ़ल रहबाक बात केँ आत्मसात करैत भोजपुरी केँ स्वीकार्यता प्रदान करैत मिथिला भूगोलक अखण्डता केँ स्थापित करी । सुगौली सन्धि आ अन्य ऐतिहासिक सन्दर्भ जोड़िकय लोकजागरण कय सकब से विश्वास अछि । महात्मा गांधी भारतक स्वाधीनता लेल प्रथम स्वाधीनता संग्राम यात्रा चम्पारण सँ कयने रहथि । ओ अपन पुत्र केँ पत्र मे लिखने रहथि जे हम जाहिठाम सँ ई यात्रा कय रहल छी ओतय सँ मात्र १०० किलोमीटर केर दूरी पर जनकपुत्री जानकीक प्रादुर्भाव स्थल अछि । एहि तरहें हमहुँ ऐतिहासिक आ पौराणिक सन्दर्भ सब जोड़िकय लोकजागृति मार्फत मिथिलाक काज करय चाहि रहल छी ।

४ मार्च २०१६ केँ सुगौली सन्धि भेल । मिथिला दुइ भाग मे बँटि गेल । नेपाल मे हम मधेशी कहाइत छी । भारत मे हम बिहारी कहाइत छी । हमर पहिचान मिथिलाक नहि बचल । नेपाल-भारत मे बेटी-रोटीक सम्बन्ध रहितो मिथिलाक समग्रता खण्डित होयब अत्यन्त कष्टदायक अछि । एहि एकटा सन्धिक कारण मिथिलाक्षेत्र दुइ भाग मे बँटि जेबाक कारण हमर पहिचान विखण्डित भेल ।

एहि क्षेत्रक आर्थिक प्रगति सेहो टाइटैनिक जहाज जेकाँ डूबनाय आरम्भ भ’ गेल । ई कोनो अर्थशास्त्रीक दृष्टि सँ देखल जा सकैत अछि । हमर क्षेत्र पलायन रोग सँ ग्रसित भ’ गेल । इन्टेलेक्चुअल्स सेहो माइग्रेट करय लगलाह – एहि सँ आर बेसी क्षति भेल अछि ।

विगत समय मे हमर विभिन्न अभियान सब मिथिलाक्षेत्र मे भ्रमण करैत कएने छी । मिथिला मन्थनक संग औद्योगिक आ पर्यटकीय विकास सभक सन्दर्भ मे कतिपय महत्वपूर्ण आयोजन सब कएने छी । मन्दिर मन्थन अन्तर्गत उद्योगक आवश्यकता आ निवेशक संगहि उग्रतारा, उच्चैठ, आदि अनेकों महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल सभक बारे चर्चा-विमर्श आम लोक सँ करैत आबि रहल छी । जेना सुलतानगंज सँ देवघर केर धार्मिक यात्रा मे अरबों रुपयाक बिजनेस सम्भव होइछ, तहिना आरो बहुत रास सम्भावनायुक्त गन्तव्य सब मिथिलाक्षेत्र मे उपेक्षित-अनजान अवस्था मे पड़ल अछि । पुनौराधाम, अहिल्यास्थान, जनकपुर आदि केँ जोड़यवला रामायण सर्किट सँ अयोध्या आ मिथिला केँ जोड़बाक बात चलि रहल अछि ।

यात्रा क्रम मे हमर फोकस एहि सब विन्दु पर केन्द्रित रहत । ७-८ करोड़ मैथिल लोक उद्योग लेल कम नहि छथि । मिथिलाक ललितकला – हस्तकला – चित्रकला मे सेहो अनेकों सम्भावना आ विश्वस्तर पर स्थापित भ’ चुकल अछि । मिथिला चित्रकला मे डायग्नौस्टिक मिथिला पेन्टिंग केर पक्ष पर सेहो हमर शोधकार्य भेल अछि । मिथिला चित्रकलाक उपयोग मोटिवेशनल पेन्टिंग रूप मे, पोजिटिव इनर्जी प्राप्त करबाक स्रोत रूप मे कयल जा सकैछ, होइत आबि रहल अछि से हमर शोधक निष्कर्ष छल । पेन्टिंग केर दुइ प्रकार मध्य क्लासिकल पेन्टिंग आ डायग्नौस्टिक पेन्टिंग मे मिथिला पेन्टिंग केँ डायग्नौस्टिक पेन्टिंग रूप मे दुनियाक सोझाँ राखय लेल हम भारतक राष्ट्रीय मीडिया मे सेहो अनेकों आर्टिकल्स आ डकुमेन्ट्री प्रकाशित कएने छी ।

वर्तमान उथल-पुथल भरल जीवन मे ध्यान केन्द्रन (कन्सेन्ट्रेशन) हो, सकारात्मक ऊर्जा (पोजिटिव एनर्जी), सकारात्मक माहौल हो, प्रेम बढ़य से चाहत हो – एहि सब दृष्टि पर समुचित विचार कय केँ मिथिला पेन्टिंग तैयार करबाक परम्परा रहल अछि । कोन पेन्टिंग कतय लगाबी, कोन रंग केहेन परिणाम वास्ते केना प्रयोग करी – ई सारा तथ्य एकटा मिथिला पेन्टिंग केर कला मे निहित अछि ।

तहिना सुगौली सन्धिक दिवस यानि ४ मार्चक दिन समस्त ८ करोड़ मिथिलावासीक आबादी सँ आवाहन करब जे एहि एक दिन ओ सब उपवास करथि । एहि तरहें एकटा समृद्ध सभ्यताक संरक्षण होयत आ राजनीतिक स्तर पर सेहो एकर अखण्डता कायम होयत ।

हमः मिथिला राज्य बनय – एकर अवधारण कि अछि अपनेक नजरि मे ?

बी. के. कर्णा – हम मिथिला के छी आ हमर पहचान मैथिल के अछि । देशक निर्माण लेल हम सब सेहो राष्ट्रक सजग प्रहरी छी । संविधान मे हमरा सभक नाम हो ई प्रत्येक मैथिलक चिन्तन मे अछि । मिथिला राज्य बनय आ एकर अपन शासन-प्रशासन हो ।

हमर माँक प्रेरणा शब्द रहय – सर्वप्रथम व्यक्तिगत रूप मे स्थायित्व भेटब आवश्यक छैक । तदनोपरान्त परिवार, फेर स्वजाति, फेर समाज आ समुदाय होइत देश धरिक सेवाक सोच राखब सभ्य नागरिकक कर्तव्य थिक । एहि प्रेरणापथ पर हम चलि रहल छी । कर्ण कायस्थ महासभाक स्थापना २०१८ मे स्वजाति बन्धुक बन्धुत्व प्रसार लेल कयलहुँ । एहिना कुम्भ मे जाइत-जाइत कर्णकुम्भ महागोष्ठीक आयोजन करबाक सोच हमरा मे आयल छल जे आइ सफलतापूर्वक कतेको एपिसोड्स मे लक्ष्य हासिल करबाक दिशा मे डेग बढ़ा चुकल अछि । व्यक्तिगत विकासक सवाल पर शिक्षा, नौकरी आ संस्थानक चर्चा करबे कयलहुँ । पत्नी सहचरिणी बनिकय संग दैते छथि । एकटा डाक्टर बेटा आ पुतोहु डाक्टर छथि । दोसरो बेटा आईआईटी जेहेन उच्चसंस्थान सँ इंजीनियरिंग केर पढाइ पूर्ण कय सेवादान कय रहल छथि ।

मिथिला राज्य यैह लेल जरूरी छैक जे मिथिला क्षेत्रक अपन पहिचान, अपन प्रशासन, अपन विकासक अधिकारी – ८ करोड़ मैथिलक पहिचान हेतय मिथिला राज्य । भाषा-बोली मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका, अंगिका सहित मिथिला मे बसनिहार सभक अपन मुद्दा आ सरोकार पर राज्य संचालन हेतैक ।

मिथिला राज्य यैह लेल जरूरी छैक भारतक सम्प्रभुता केँ ई आर बेसी मजगूत बनेतय । भारतक संघीयता मे इतिहासक मुख्य आधार केर प्रधानता रहलय । मिथिलाक्षेत्र भारतवर्षक अभिन्न अंग रहलैक । मिथिलाक अनेकों योगदान पुराण तक मे वर्णित छैक । बिहारक इतिहास कतेक दिनक छैक ? ११२ साल लगभग ? लेकिन मिथिलाक इतिहास सनातन, ओहि इतिहास केँ झाँपय के कुत्सित प्रयासक नाम छैक बिहार ।

मिथिला गुमनाम हेतय त भारत पर असर पड़तय । बिहार के कोनो इतिहास नहि छैक मिथिलाक तुलना मे… ।

विद्या, बुद्धि, दर्शन – सब चीज सँ परिपूर्ण रहैत दोसर राज्य लेल एकर योगदान भ’ रहल छैक । आन राज्यक विकास मे मैथिलक योगदान अपूर्व-अद्भुत छैक । अपन क्षेत्र मे लागि योगदान करब त एकर सुखद परिणाम निकलतैक । मिथिला राज्य मैथिल द्वारा प्रशासित हेतैक । मिथिलाक सेवा मैथिल सब करतैक, मिथिलाक विकास संग देशक विकास सेहो हेतैक । फ्लाइट मे जेना कहैत छैक जे पहिने अपना सुरक्षा कीजिये तखन दोसराक सुरक्षाक चिन्ता करियेगा… ठीक तहिना, हम सब मिथिलावासी पहिने अपन क्षेत्र लेल चिन्तन करब जखन राज्य भेटत । एखन राज्यविहीनता सँ हमरा लोकनि माइग्रेटेड जीवन जिबय लेल बाध्य भेल छी । राज्य भेटला सँ माइग्रेशन दूर होयत, गाँव-गाँव-गली-गली विकास हेतैक । मिथिलावासी प्रवासी समुदाय सभक मोन मे जागृति अओतनि – मिथिला मे वापस आबि रहल छी, रूट केँ पकड़ि रहल छी । मिथिलाक विकास मैथिले द्वारा होयत, बिहारी द्वारा नहि ।

जय मिथिला – जय जय मिथिला !!

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