गतिविधि रिपोर्ट
– राम नरेश शर्मा, मुम्बई। जुलाई २३, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद
दहेज मुक्त मिथिला क अध्यक्ष पंकज जी एकदिन गप्प-सप्प क क्रम में कहला जे मुंबई में मैथिली नाटक के कोनो टीम नञि छै तैं हमसब कोनो सामाजिक मुद्दा पर नाटक देखै सं वंचित रहि जाय छी. हम आश्वस्त करेलियैन जे हम प्रयास करै छी जे बहूत जल्दिये एकटा टीम बनत.
तकर बाद हम प्रयास में लागि गेलहुं. एहि संबंध में अंधेरी क इनफिनिटी मॉल में एक्टर आ रंगकर्मी संजीव पूनम मिश्र जी संग मुलाकात केलहुं, संगे IPTA (indian people theater association) बेगुसराय के भूतपूर्व सचिव आ भोजपुरी एक्टर परमानंद शर्मा सेहो छलाह. संजीव जी के ई प्रस्ताव बड्डनीक लगलैन, ओ एहि प्रस्ताव के सहर्ष स्वीकार केलाह आ कहलाह अहां रंगकर्मी, फिल्मकर्मी आ समाजसेवा सं जुड़ल सब लोक क एकटा मिटिंग राखु.जाहि ठाम हमसब विस्तार सं चर्चा करब.
दिनांक 12 जुलाई 2015 के आगामी अंतर्राष्ट्रीय मैथिल सम्मेलन क लेल कमलकांत झा जी अध्यक्षता में मुंबई क उपरनगर नालासोपारा में एकटा बैसार छल. एहि बैसारक तुरंत बाद हमरा सबहक बैसार भेल जाहि में रंगमंच आ फिल्म जगत सं जुड़ल निम्न लोक सभ उपस्थित भेलाह:-
एक्टर आ रंगकर्मी संजीव पूनम मिश्रजी, “सस्ता जिनगी महग सेनूर” फेम राजीव सिंहजी उर्फ गजराज, “सजना के अंगना में सोलह सिंगार” फेम राहुल सिन्हाजी, सीआइडी फेम रामबहादुर रेणुजी, बॉलीवुड के गीतकार अमिताभ रंजनजी, शॉर्ट फिल्म निर्माता सुमित सुमनजी, रंगकर्मी कुनाल ठाकुरजी, भोजपुरी एक्टर परमानंद शर्माजी, रंगकर्मी भास्कर झाजी, रंगकर्मी अखिलेश मिश्रजी, मॉडल वरूण मंडलजी आदि.
एहि ठाम समाजिक सरोकार सं जुड़ल लोक सेहो उपस्थित छलाह:- दहेज मुक्त मिथिला (पं.धर्मानंद झाजी, पंकज झा जी, धर्मेंद्र झाजी, राजेश रायजी, सगुन मैथिलजी, रोशन मैथिलजी, प्रकाश कमतीजी, सुशील मंडलजी) एवं संपूर्ण टीम. भूतपूर्व फिल्कर्मी आ समाजसेवी शुभ चंद्र मिश्रजी, प्रोफेसर कृष्णकुमार झा “अन्वेषकजी”, मैथिल नेता कमलकांत झाजी, मधुबनी IPTA क भूतपूर्व नाट्यकर्मी आ मैथिल नेता धनंजय झाजी, ज्योतिषी प्रफुल्ल मिश्रजी, पत्रकार कृष्णकुमार झाजी आदि.
पटना क नाट्य संस्था “भंगिमा” आ दिल्ली क “मैलोरंग” जकाँ एकटा बढियाँ नाट्य मंडली कोना बनत ताहि पर अपन विचार रखलाह संजीव पूनम मिश्रजी जाहि पर सबकेयौ अपन विचार राखैत ध्वनिमत सं पारित क देलाह. धनंजय झाजी, धर्मानंद झाजी, पंकज झाजी, प्रोफेसर कृष्णकुमार अन्वेषकजी सबकेयौ कहलाह जे एहि मंडली क हमसब तनमन आ धन सँ सहयोग करब आ संगे महाराष्ट्र क सभ मिथिला मूलक संस्था क आहवान करबैन जे ओ एहि टीम के नाटक करै लेल मंच देथु.
धनंजय झा जी कहलाह अहां सब पहिल नाटकक शुरूआत विरार सं करू हम हॉल के संग-संग कॉस्ट्यूम, सबटा वाद्ययंत्र आ लाइटिंग के बंदोबस्त सेहो क लेब. आ कोनो तरहक धन क समस्या नञि आबए देब. अंत में फिल्मकर्मी आ रंगकर्मी लोकनि अपन विचार व्यक्त केलाह जे हमरा सबकें किछु समय दियअ जाहि सं हमसब फिल्म आ नाट्य जगत से किछु आरो लोक के जोड़ब आ संपूर्ण रूप-रेखा बना क अपने सबलग उपस्थित होयब.