गजल:- २७ (२०७२-०३-०४/०८)
मुबारक अछि सबके ई रमजान ।
मुश्लिम मित्र सभक ई पर्व महान ।।
भलेही भऽ गेल हो मजहब अलग ।
मुदा मानवता अछि एक पहिचान ।।
बुझ्लौ नहि कहियो मरीहम रोजाके ।
तइयो रखने छी बहुतो अरमान ।।
विश्वमे अमन शान्ति लाबि दौथ पर्व ।
बच्चा लौथ एकरा बन सऽ समसान ।।
सबदिन सदभाव बनल रहौथ ।
‘मधुशाला’ पुजै अल्ला बनि अनजान ।।
वर्ण:-१४
© नारायण मधुशाला…!!!