प्रसंग – एकटा आर “महाभारत”
एहि सप्ताहक दोसर ‘गरमा-गरम बहस वला मुद्दा’

निर्माता-निर्देशक झा द्वारा पहिनहुँ किछु चर्चित आ प्रशंसित कार्य सँ मैथिली फिल्म केँ एकटा नव ऊँचाई भेटलैक। चाहे ओ फिल्म “मुखियाजी” होइ वा लघु फिल्म “कवि-कल्पना” जेकर प्रदर्शन हमहुँ पिछला साल मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल दिल्ली मे देखने रही, काफी विज्ञ विचारक लोकनिक संग सभागार मे उपस्थित खचाखच भीड़ ओहि फिल्म केँ काफी प्रशंसा केने छल।
मधुर-मैथिली केर यु-ट्यूब पेज सँ टीजर एड जे रिलीज भेल ताहि संग झा विकास अपन फेसबुक स्टेटस सँ अपील अंग्रेजी मे किछु एहि अन्दाज मे केलनि जे पढि स्वाभाविके रूप सँ कियो सम्भ्रान्त आ सज्जन मैथिलीप्रेमी हुनकर अपील केँ इग्नोर नहि कय सकैत छल। हैश-टैग #namonarayan
तथा #आलोचना_अनिवार्य_अछि केर प्रयोग सेहो कयलनि।
मधुर मैथिली यु-ट्यूब चैनल पर एहि फिल्म केर विषय मे कहल गेल अछिः
“मैथिलि लघु फिल्म नमोंनारायण के पहिल झलक / ट्रेलर
एही मैथिलि लघु फिल्म में राजीव सिंह, भाष्कर झा संग शरत सोनू अभिनय केने छथि.
ई फिल्म हास्य व्यंग्य आ मनोरंजन स भरपूर अछि जे की सौभाग्य आ दुर्भाग्य के बीच निर्णय के त्रिकोणीय संयोग बनबैत अछि.
पटकथा, निर्देशन, छायांकन : विकास झा
निर्माता : विकास झा, अभिनव झा, राजीव झा आ नीरज पाठक
पार्श्व संगीत : राहुल देव नाथ.
एडिट : आशीष झा
साउंड डिजाईन : शंकर सिंह
कला निर्देशक : प्रेमचन्द महतो
निर्देशन सहायक : रवि कुमार एवं शुभम झा
Namonarayan tells a comical and satirical short story in maithili language that is a triangular conflict of decision between good and bad destiny.
screenplay, direction and cinematography : Vikas Jha
Producers : Abhinav Jha, Rajiv Jha, Nirraj Pathak & Vikas Jha
Original background score : Rahul Dev Nath
Editor : Ashish Jha
Sound design : Shankar Singh
Art Director : Premchand Mahto
Dubbing technician : Gulab soni
Direction Asistants : Ravi Kumar & Shubham Jha
Presenter : Madhur Maithili
Production associates :
Xtreemz Pictures, Stitching Frames, December 27 productions & Matrika Foundation
Social media associate : Being Maithil”
एम्हर लोक सब टीजर देखि पूरा फिल्म सेहो ओतबे नीक आ पूर्वहि जेकाँ सुपर हिट होयबाक शुभकामना आदान-प्रदान करब शुरुए कएने छल कि ताबत समय मे बड़ा गरमा-गरम बहस भेनाय शुरू भऽ गेलैक। बहस बेसी भेनाय माने विवाद केर लक्षण देखेनाय… कियैक भेलैक ई विवाद, कनीकाल जखन बहस केर विन्दु पर प्रश्न ठाढ केनिहार आ सफाई देनिहार संग आरो-आरो लोक सभक बात-विचार सब पढलहुँ त पता चलल जे निर्माता-निर्देशक “झा विकास” पर मैथिलीक प्रसिद्ध लेखक “हरिमोहन झा” केर वर्तमान सन्तति (संभवतः पोती) द्वारा लेखकक कापीराइट केँ ब्रीच (खंडन) करबाक आरोप लगेलीह। लेकिन झा विकास हुनकर एहि आरोप केँ पूर्णरूपेण नकारैत उल्टा हुनका पर असहयोग करबाक आक्षेप लगौलनि।
संछेप मे, लेखक हरिमोहन झा केर व्यंग्यात्मक कथा सँ प्रेरित होइत फिल्म ‘नमोनारायण’ बनेबाक बात झा विकास लिखलनि, पहिने ओ पूर्ण रूप सँ हरिमोहन झाक लिखल कथानक पर आधारित फिल्म बनेबाक लेल विचार कएने छलखिन आर ताहि लेल ओ लेखकक वर्तमान संतति परिवार संग सम्पर्क करैत सहयोग लेल अनुरोध कएने छलखिन जे ओ लोकनि हुनका अधिकार देथि… मुदा लेखकक परिवार द्वारा रोयल्टी देलाक बाद मात्र एकर उपयोग फिल्म मे करबाक ठोकल जबाब देलखिन।
एहि सँ पहिनहुँ जे बनल छल “कवि-कल्पना” ताहि मे सेहो एहि तरहक प्रकरण रहबाक बात कहल गेलनि। ओहो फिल्म मे हरिमोहन झा केर लिखल पोथी सँ प्रेरित भऽ कय कवि-कल्पना फिल्म बनेबाक बात झा विकास कएने रहथि। परिवार द्वारा आपत्ति जतेला पर झा विकास स्वयं सेहो ई स्वीकार कयलाह जे लेखकक अधिकार केँ कतहु सँ ओ हनन करबाक लेल नहि, बल्कि मैथिली फिल्म मे मैथिली साहित्यकार केँ जोड़ि दुनू फिल्म आ साहित्यकार केर हित रक्षा केर सोच राखि फिल्म बनौलनि।
लघु फिल्म सँ कोनो व्यवसायिक लाभ अर्जन संभव नहि होइत छैक, ताहि हेतु सिर्फ भाषा, साहित्य, साहित्यकार, फिल्म आदिक संरक्षण, संवर्धन आ प्रवर्धन हुनकर ध्येय छल। तथापि पहिल बेरक त्रुटि केँ दूर करबाक लेल दोसर फिल्म लेल ओ समुचित अनुमति याचना करैत परिवार संग सम्पर्क कयलाह, लेकिन प्रत्युत्तर मे लेखकक वर्तमान सन्तति द्वारा एक कप चाहो लेल बिना पूछने सीधा रोयल्टी पे करबाक आ तखनहि टा फिल्म बनेबाक दबाव बनायल गेल।
आब एतय बहुत रास सवाल एकाएक मुरियारी देनाय शुरू करैत अछिः
१. कॉपीराइट होल्डर लेखक लोकनिक सन्तति सभ वर्तमान परिस्थिति मे मैथिली भाषा-साहित्य केर संवर्धन-प्रवर्धन लेल स्वयं कि सब कय रहल छथि? मैथिली साहित्य कोन दिशा मे चलि जा रहल छैक ताहि विषय पर लोकक ध्यानाकर्षण आवश्यक छैक। एहि पर मंथन करय जाउ।
२. हरिमोहन झा केर साहित्य बाज़ार सँ विलुप्त किएक छैक जखन कि आइयो बेसी लोक पढ़य चाहैत छथि हरिमोहन झा केँ?
३. मैथिली सिनेमा केर दशा आ दिशा कि छैक? ताहि मे यदि क्यौ मैथिली साहित्य केँ सिनेमा सँ जोड़बाक लेल अपन प्रयास आ परिश्रम कय रहल छथि त हुनका साहित्यकारक परिवार सँ अनुमति आ सहयोग किएक नहि भेटैत छैक?
४. जखन फिल्म कोनो लेखकक मूलकथाक हुबहु नकल (प्रयोग) नहि कय मात्र ओहि तर्ज पर वा ओहि मे किछु नव तथ्य आदिक जोड़-घटाव कय केँ फिल्म केर निर्माण कयल गेल हो, तखन ओ कापीराइट केर उल्लंघन भेलैक की?
५. जखन लघु फ़िल्मक उदेश्य कोनो तरहें व्यवसायिक नहि छैक और निर्देशक अपन धन खर्च कय पैघ परिश्रम सँ कतेको जोखिम उठाकय फिल्म बनौलनि तखन समाज आ साहित्यकारक परिवार सँ सहयोग आ आशीर्वाद कियैक नहि भेटबाक चाहियनि?
६. मैथिली फिल्म केर अवस्था सँ सब परिचित छी। एखन धरि एकर व्यवसायिक मूल्यांकन बहुत हद तक पिछड़ले अछि, जे काज करैत छथि ओ सब अपनहि जेबी सँ गलाकय बस भाषा आ समाजक परिचिति केँ बढेबाक लेल – तखन एहि ठाम लेखकक सन्तति जे स्वयं कर्तव्यपथ सँ विमुख होथि, तिनकर कि लुटा गेलनि? अनुमति लेबाक लेल घर पर गेल निर्माता-निर्देशक केँ एक गिलास पानियो नहि पुछि सीधे रोयल्टीक मांग करब कतेक उचित आ जायज भेल?
७. झा विकास केर शब्द मे सेहो किछु सवाल अछि जे बड़ा ध्यान देबय योग्य अछि। ओ कहैत छथि, “हम हाथ जोड़ि विनती कयल जे हमरा सहयोग दिय, हमर फिल्म केर उद्देश्य व्यवसायिक नहि अछि, हमरा संग कोनो निर्माता वा निवेशक नहि अछि; तैयो जँ फिल्म केँ थोड़-बहुत आमदनी हेतैक त अपने लोकनि धरि लाभांश जरूर पहुँचायब। तैयो ओ सब नहि मानलनि। एहेन परिस्थिति मे कथानक बदलिकय फिल्म बनेलहुँ। तखन कोन जुलुम कय देलियैक? लगले लीगल नोटिस पठा देलौंह आ आगू बढ़िकय फेसबुक पर भवटपन करय आबि गेलैथ, हमर पोस्ट पर आ असभ्य भाषा मे हमरा चोर, भितरघाती, ई सब संज्ञा देनाय शुरू कयलन्हि। ओही पर लोक सब उचित अनुचित जे प्रतिक्रिया देनाय शुरू भेल त नुका रहली आ अपन सिंडीकेट तैयार कय दोसर दिन चारि गोट प्रणम्य देवता सभ केँ ठाढ कय देलनि जे आब अहाँ सब लडू हमरा लेल। कि हरिमोहन झा केर लिखल साहित्य पर समाजक लोक केँ कोनो अधिकार नहि छैक की?”
८. जाहि महान साहित्यकार केर सन्तति द्वारा हुनकर अनमोल रचना सभक पुनर्प्रकाशन तक नहि करायल जा रहल हो, जेकरा मैथिलीक वर्तमान पृष्ठभूमिक पोषण सँ पर्यन्त कोनो सरोकार आ सम्बन्ध नहि हो, ओ केहेन रोयल्टी पेबाक नैतिकता सँ विवाद कयलनि?
मैथिलि सिनेमा विगत कइएक दशक सँ ओतबे पिछड़ल आ कमाई करयवला अवस्था तक नहि पहुँचि सकल अछि। एहेन स्थिति मे जँ वर्तमान युवा पीढी अपन लगानी सँ – सारा जोखिम केँ झेलैत, अपन भाषाक स्थापित साहित्य सँ संगम करबैत सर्वथा प्रशंसनीय कार्य करब आरम्भ कयलनि अछि, तखनहुँ विवाद उठायब, हुनक मनोबल केँ ध्वस्त करब, ई सब कतहु सँ सुपत बात नहि बुझा रहल अछि। चर्चाक क्रम मे ईहो बात पता लागल जे पहिल मैथिली फिल्म हरिमोहन झा केर साहित्य ‘कन्यादान कथा’ पर बनल, स्वयं लेखक केर जीवनकाल मे ई महत्वपूर्ण कार्य भेल, लेखक कोनो प्रकारक रोयल्टी वा वाद-विवाद उत्पन्न नहि कयलनि। जिनकर योगदान सँ मैथिली भाषा-साहित्य स्वयं कर्जा मे दबल अछि, से जखन स्वयं अपना लेल कोनो लोभ नहि रखलनि तखन लेखकक वर्तमान सन्तति केँ स्वयं सोचबाक चाही जे ओ सहयोग करैत अपन भूमिका सकारात्मक आ सार्थक कय सकैत छथि।
हरिः हरः!!