दुइ दिवसीय मलंगिया महोत्सव मे सत्रक मैराथन

पहिल दिवसक पहिल सत्र एहि महोत्सवक केन्द्रपुरूष मैथिलीक प्रसिद्ध नाटककार श्री महेन्द्र मलंगिया केर व्यक्तित्व आ कृतित्व पर केन्द्रित छल जाहि मे नेपालक प्राज्ञ साहित्यकार एवं रंगकर्मी-सिनेकर्मी रमेश रंजन झा तथा भारत सँ मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डा. भीमनाथ झा द्वारा संबोधन कयल गेल। जतय रमेश रंजन झा मलंगियाजीक व्यक्तित्व आ कृतित्व मे नेपाल आ ओहि ठामक सृजनकर्म सहयोगी वातावरण सँ भेटल सहयोग पर प्रकाश दैत हुनकर जीवनक अनमोल चारि दशकक सृजनशीलताक चर्चा कयलनि, ओत्तहि डा. भीमनाथ झा द्वारा एकटा रोचक कथाक रूप मे मलंगियाजीक सृजन-जीवन पर प्रकाश देल गेल। नेपालक प्रवास केर समय नाटक लेखन सँ लैत मंचन आ कलाकार केँ तैयार करेबाक विभिन्न अनुभव एकटा शिष्यक रूप सँ लैत नाटक एवं सगीत प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्रमुख व्यक्ति बनबाक काल धरिक हरेक विन्दु पर मलंगियाजीक व्यक्तित्व, सृजनकर्म आ प्रशिक्षण केँ रमेश रंजन झा स्मृति मे अनैत अपन एक गोट आलेख केर सेहो पाठ कयलनि। ओ कहलखिन जे २०१० ई. जहिया धरि मलंगियाजी नेपाल मे रहला तहिये धरि नाटक लेखन कय सकलाह, ताहि सँ हुनकर जीवन मे नेपालक सहयोगात्मक रवैया केँ सेहो श्रेय जाइत अछि। डा. भीमनाथ झा द्वारा रमेश रंजनजीक एहि टिप्पणीक खंडन करैत हुनक सृजनयात्रा भारत मे एलाक बादो ओतबे गतिशीलता सँ जारी रहबाक बात कहल गेल। हाल धरि ज्योतिरिश्वर रचित ‘वर्णरत्नाकर’ केर तीन कल्लोल पर समीक्षात्मक आलेख मलंगियाजी द्वारा लिखल जा चुकल अछि, आगू ६ कल्लोल धरि जल्दिये प्रकाशित होयबाक सेहो सूचना ओ देलनि आर हुनक विद्वतापूर्ण लेखन क्षमता सँ वर्तमान पीढी केँ सीख लेबाक उद्घोषणा ओ कयलनि।

तेसर सत्र मे दुनू देश (नेपाल ओ भारत) केर मिथिलाक अन्तर्सम्बन्ध पर सहभागी विमर्शकार डा. शेफालिका वर्मा, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, प्रवीण नारायण चौधरी, विभा झा एवं अभिषेक देव नारायण तथा समन्वयक किशोर केशव द्वारा छल। हलांकि एहि सत्रक प्रस्तुति मे दुइ मिथिलाक बीच सांस्कृतिक सम्बन्धक बदला दुइ राष्ट्रक राजनैतिक स्थिति धरि सेहो चर्चा चलि गेल छल, तहिना विमर्शकार अभिषेक देव नारायण द्वारा समन्वयक प्रश्नक जबाब देबाक बदला हुनका द्वारा तैयार कयल गेल आलेख केर सारांश बतेबा मे समय खर्च कयल गेल, जाहि मे विषयक परिधि मे नहि रहि अभिषेक बेसी रास प्रश्नहि मे उलझल देखेला – यथा मिथिला क्षेत्रक सीमा, मैथिल केकरा कहल जाय, इत्यादि। तदोपरान्त विमर्श फेर सँ अपन गति पकड़लक आर दुनू कातक मैथिल जनमानस मे कथा-कुटमैती सँ लैत जनस्तरीय सम्बन्ध केर कारण दुइ राष्ट्रक मित्रता सेहो सनातनजीवी भऽ सकल अछि, मिथिला केँ नेपाल-भारत मैत्रीक मुख्य सेतु मानल जाइत अछि। लेखन-प्रकाशन सँ लैत आर्थिक कारोबार मे पर्यन्त दुनू कातक मिथिलाक भूमिका आ अन्तर्सम्बन्ध महत्वपूर्ण काज करैत अछि, ई बात विमर्श मे खुलिकय चर्चा कयल गेल।


तदोपरान्त मर्यादा (दिल्ली) द्वारा अमरजी राय केर निर्देशन मे नाटक नशबन्दी केर मंचन कयल गेल छल। तहिना बारहमासा (दिल्ली) केर प्रस्तुति आ अभिनेता गौरव झा जे कि मूक अभिनय करैत ‘आउ कनी हँसि ली’ नाटकक मंचन कयलनि। पहिल दिनक आखिरी आ सातम सत्र मे नाटक ‘ओरिजिनल काम’ मैलोरंग (दिल्ली) केर प्रस्तुति आ डा. प्रकाश झा केर निर्देशन मे प्रस्तुति कयल गेल छल।
दोसर दिनक आयोजन मे पहिल सत्र ‘प्रवासी मैथिलमे लोकपरम्परा’ विषय पर छल जाहि मे दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्लीक प्रोफेसर डा. विभा कुमारी, शिक्षाविद् डा. अजय झा, साहित्यकार एवं आलोचक अजित आजाद, सीनियर रिसर्च फेलो एवं रंगकर्मी-निर्देशक डा. प्रकाश झा, साहित्यकार एवं मंच उद्घोषक किसलय कृष्ण, साहित्यकार एवं नाटककार ऋषि वशिष्ठ भाग लेलनि। एहि सत्रक संचालन कश्यप कमल द्वारा कयल गेल। प्रवासी मैथिल किनका मानल जाय, ओ लोकनि कोना अपन भाषा-संस्कृति-परम्परा प्रवासहु केर स्थान मे जोगौने छथि, एहि विषय पर सब वक्ता अपना-अपना तरहें विशिष्ट प्रस्तुति देने छलाह।

तेसर सत्र मे डा. रमानंद झा ‘रमण’, कथाकार अशोक, प्रो. डा. विभूति आनन्द एवं डा. तारानन्द वियोगीक सहभागिता मे ‘मैथिलीक आलोचना – स्थिति आ अपेक्षा’ विषय पर विमर्श प्रस्तुत कयल गेल। हिनका लोकनि द्वारा अपन-अपन आलेख पाठ करबाक संग श्रोताक संग प्रश्नोत्तरी मे ईहो सत्र अत्यन्त लाभकारी सिद्ध भेल। मैथिली मे आलोचना करब निन्दा बेसी बुझल जेबाक कारण एकर स्थिति सन्तोषजनक नहि कहल जा सकैछ, लेकिन बिना आलोचना कोनो भाषा-साहित्यक उमेर बेसी नहि भऽ सकबाक कारण एहि दिशा मे कार्य बढेबाक जिकिर सब कियो समग्र रूप सँ कयलनि।
दोसर दिवसक चारिम सत्र मे कथा गोष्ठी भेल। एहि मे भाग लेलनि कथाकार अशोक, शिवशंकर श्रीनिवास तथा श्रीधरम। एहि सत्र केर समन्वयक रहथि अजित आजाद। कथाकार अशोक अपन भोली भाइ केँ याद करैत ‘छल’ शीर्षक केर रोचक कथाक पाठ कयलनि। तहिना श्रीधरम अपन किछु अतिविशिष्ट लघुकथा पढलनि। शिवशंकर श्रीनिवास द्वारा सेहो एकटा कथा पढल गेल छल। समन्वयक अजित आजाद केर विलक्षण परिचय करेबा सँ लय कथाक सारांश सँ दर्शक लोकनि मंत्रमुग्ध भेलाह।
पाँचम सत्र छल मीडिया आ समाज – वर्तमान एवं भविष्य विषय पर, एहि मे भाग लेलनि प्रेमशंकर झा, संजय कुंदन, प्रियरंजन झा तथा ललित नारायण झा जखन कि समन्वयक रहथि भवेश नंदन। मैथिली मीडियाक हाल पाठक आ दर्शकक उदासीनताक कारण एकदम पिछड़ल अछि, दूर-दूर धरि आशाक कोनो टा किरण कतहु नहि देखाइत अछि। जे कियो शुरू करैत छथि, ओ किछु समय बाद थाकि जाइत छथि। आदि। पूँजीक कमी आ विभिन्न कारण सँ मैथिली मे पत्रकारिता सफल नहि भऽ सकल कहल गेल।
तदोपरान्त डा. विभा कुमारी आ डा. शेफालिका वर्मा केर नव पुस्तक विमोचन कयल गेल, जेकर समन्वयक छलाह मैथिली लेखक संघ केर महासचिव विनोद कुमार झा ‘सरकार’।
सातम सत्र मे अछिंजल, मधुबनीक प्रस्तुति आ अभिषेक देव नारायण केर निर्देशन मे ‘मिथिलाक नारीक उद्गार’ नाटकक मंचन कयल गेल। एहि नाटक मे ग्रामीण जनजातीय महिला लोकनि विशुद्ध ग्रामीण परम्पराक डोमकच्छ, गोदना, जट-जटिन आदिक मिश्रित नाटक एकदम सुन्दर आ प्रभावी ढंग सँ प्रस्तुति देलनि।
आठम आ अन्तिम सत्र मे ‘ओकरा अंगनाक बारहमासा’ – श्री महेन्द्र मलंगियाक लिखल प्रसिद्ध नाटकक हिन्दी संस्करण मलंगिया फाउन्डेशन केर प्रस्तुति आ सुमन कुमार केर निर्देशन मे प्रस्तुत कयल गेल छल।