नहि रहलाह विद्वान् एवम् भाषाविद् प्रा. डा. सुनील कुमार झा – राजविराज

शोक समाचार
 
अत्यन्त दुःखक संग ई जनतब दय रहल छी जे परमादरणीय विद्वान् भाषाविद् आ समाज हित मे सदिखन समर्पित व्यक्तित्व प्रा. डा. सुनील कुमार झा (राजविराज) आइ एहि लोक सँ परलोक दिस गमन कय गेलाह।
 
प्रा. डा. झा द्वारा अनेकानेक शोधकार्य आ कार्यपत्रक अलावे भाषा हित ओ विकासक दिशा मे पर्यन्त बहुते रास महत्वपूर्ण योगदान देल गेल अछि। प्रा. डा. झा केर विद्वताक चर्चा नेपालक संग-संग आनहु-आनहु देशक संस्थान द्वारा समय-समय पर कयल जाएत रहल अछि।
 
हमरो लेल ई सौभाग्यक बात भेल जे २१ अक्टूबर, २०१४ केँ राखल गेल ‘मैथिली महायात्रा’ राजविराज चेप्टर केर प्रमुख अतिथि स्वयं प्रा. डा. झा छलाह। हुनकर संबोधन आ मातृभाषा मैथिली मे विभिन्न अन्तर्द्वंद्वक कारण उभैर रहल खतरा पर विशेष व्याख्यान जे विश्वक विभिन्न भाषाक एहने अबस्था सँ जोड़िकय कहल गेल छल से अविस्मर्णीय रहत। ओ कहने छलाह जे यदि मैथिलीक मानकीकरण नहि करब त लोक केँ ई मौका भेटैत रहतैक जे कहियो एकरा अंगिका या बज्जिका या ठेंठी आदिक नाम पर तोड़ैत रहत। प्रा. डा. झा केर ओ प्रखर चेतावनी जे मातृभाषा सँ द्रोह कयनिहार लेल देल गेल छल – जँ अहाँ अपनहि भाषा संग शत्रुता करब त ‘पहिचानविहीनता’ केर शिकार होयबा सँ कियो नहि बचा सकैत अछि। निश्चिते! नेपालक वर्तमान मधेश व मधेशी समस्याक मूल जैड़ यैह थिकैक जे राज्य एकल भाषा नीति सँ अहाँ-हमरा अपन मातृभाषा बिसरय लेल बाध्य कय दैछ, आर जखन अहाँ-हम आन्दोलन करैत छी आ उत्पीडण आ असमान अधिकार-हक केर औपनिवेशिक शासन सँ मुक्तिक बात करैत छी तैयो अपन मातृभाषाक बदला पुनः ‘हिन्दी’ केँ सर्वोपरि मानि अपनहि सँ अपन नोक्सान करैत छी – तार सँ गिरा आ खजूर पर अटका वाली बात भेल ई। प्रा. डा. झा सदैव अपन ओजस्विता सँ यथार्थ हित-चिन्तन कयलनि।
 
हिनका संग अन्तिम भेंट पैछला वर्ष अग्रजा करुणा झा जी केर बचिया श्वेताक विवाहोत्सव पर राजविराज मे भेल छल। तहियो ओ अपन स्वास्थ्यक कारण बतबैत पैछला वर्षक आयोजना ‘अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल सामाजिक अभियन्ता सम्मेलन’ जाहि मे मिथिलाक पुरातात्विक महत्वपर चर्चा निहित छल, ताहि मे भाग लेबा सँ मना कय देने छलाह। ओ अपन स्थान पर प्रा. हरिकान्त लाल दास, प्रा. पिताम्बर यादव, आदिक नामक सुझाव देलनि। संगहि युवा सामाजिक अभियन्ता एवं कहल गेल आयोजनक वास्ते निरन्तर शोध मे लागल निराजन झा सँ अपन निवास-स्थान पर आबि एहि विषय मे आगाँ काज करबाक लेल उचित प्रकाश ग्रहण करबाक लेल कहने छलाह। हम सब हुनकर ऋण सँ ऊऋण कहियो नहि भऽ सकब।
 
प्रा. डा. सुनील कुमार झा केर पार्थिव शरीर जनकपुर सँ मातृभूमि राजविराज आनल जा रहल छन्हि, संभवतः गाम पहुँचलाक बाद आइये साँझ धरि हुनक अन्तिम संस्कार कयल जेतनि। सामाजिक संजाल पर हुनका चिन्हनिहार अनेकानेक व्यक्तित्व लोकनि श्रद्धाञ्जलि सन्देश निरन्तर पठा रहला अछि। हमरो दिस सँ दिवंगत आत्माक परम शान्ति हेतु ईश्वर सँ प्रार्थना – भगवती सदैव मिथिला मे एहेन-एहेन अकाट्य-अगाध विद्वानक अम्बार लगौने रहैथ सेहो विनती। अपन पेट त कुकुरो भरइ यऽ, दुनियाक हित हेतु प्रा. डा. झा समान योगदान देनिहार सपुत सब एतय होएत रहय, यैह मिथिलाक सनातन तत्त्व थिक। ॐ तत्सत्!!
 
हरिः हरः!!