भारतक आर्थिक व्यवस्था मे जीएसटी सँ आयत क्रान्तिकारी सुधार, पूरे देशक बाजार होयत एकरूप

१ जुलाई सँ भारत मे बस्तु एवं सेवा कर लागू होयत

आलेख

– राजन झा

जीएसटी यानि बस्तु एवं सेवाकर

एखन भारत में सब जगह प्री जीएसटी सेल चलि रहल अछि। बहुतो एलेक्ट्रोनिक सामान जेना कार आदि पर भारी मात्रा में छूट देल जा रहल अछि। ऑफ सीजन में भी सेल के मजा? एकर कारण अछि की देश में एक जुलाई सँ जीएसटी यानी ‘बस्तु आ सेवाकर’ लागु होमय लेल जा रहल अछि।

कुनु भी देशक नागरिक सरकार केँ दू तरहक टैक्स दैत छैक। एकटा प्रत्यक्ष आ दोसर अप्रत्यक्ष। प्रत्यक्ष टैक्स में  टैक्स चुकबय के जिम्मेदारी ओहि खास ब्यक्ति केँ होएत छैक जेकरा पर ओ टैक्स लगाओल जायत अछि। ओय टैक्सक जिम्मेदारी दोसर पर नय देल जा सकैछ। एकर एकटा उदाहरण इनकम टैक्स अछि जतय कोनो व्यक्ति जतेक कमाएत अछि ओहि पर पर निर्धारित टैक्स कमेनिहारहि केँ चुकबय पड़ैत छैक। मुदा अप्रत्यक्ष टैक्स में टैक्स चुकेबाक जिम्मेदारी दोसर पर डालल जाइत छैक। जेना कुनु दुकानदारक ओतय ग्राहक जे सामान कीनय लेल जाएत छैक त ओ ग्राहक सँ सामान पर लगायल गेल टैक्स सेहो असुली करैत छैक। कुनु भी दुकानदार केर सामान पर निर्धारित टैक्स देबाक अनिवार्य होएत छैक जे टैक्स केर असुली ओ आम जनतारूपी ग्राहक सँ कय लैत अछि। एकर मतलब ई जे उपभोक्ता नहि मात्र कुनु सामान केर दाम चुकबैछ बल्कि दामक संग ओहि सामान पर लागयबला टैक्स सेहो चुकबैत छैक।

जीएसटी एक तरहक अप्रत्यक्ष टैक्स अछि जाहि में केंद्रीय आ राज्य सरकार द्वारा  लगायल जाय बला बहुत रास टैक्सक समावेश अछि। ई एक तरहक डेस्टिनेशन बेस्ड टैक्स छैक जाहि में टैक्स निर्धारण कुनु सामान केर गंतव्य पर होयत। पहिने जे VAT (value added tax)के व्यवस्था छलय ताहि में उत्पादन पर टा टैक्स केर व्यवस्था होएत छलैक। जीएसटी पूरा देश केँ एकटा मार्किट में बदलि देतय जाहि सँ सम्पूर्ण देश में सामान केर कीमत में एकरूपता आओत। ई उत्पादक सँ उपभोक्ता केँ बस्तु एवं सप्लाई पर लागय बला एकल टैक्स अछि। एहि में बिभिन्न तरहक टैक्स जेना सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, मनोरंजन टैक्स आदि बहुत रास टैक्सक समावेश छैक, जाहि सँ उपभोक्ता केँ बहुतो तरहक टैक्स अलग-अलग चुकेबाक झमेला सँ मुक्ति भेटत आ देश में टैक्स टेररिज्म केर खात्मा होयत।

जीएसटी तीन स्तर पर लगाओल जायत। पहिल केंद्रीय सरकार द्वारा जकरा केंद्रीय जीएसटी केर नाम सँ जानल जायत। केंद्रीय जीएसटी केंद्रीय बस्तु एवं सेवा पर लगाओल जायत आर एकर टैक्स केंद्र सरकार सँ शेयर कयल जायत। दोसर स्टेट जीएसटी अछि जे राज्य सरकर केर प्राधिकार केर अंतर्गत उत्पादित एवं सप्लाई होय बला बस्तु एवं सेवा पर लगायल जायत। ई टैक्स राज्य सरकार केर साथ शेयर कयल जायत।

जीएसटी केर अंतर्गत छ तरहक टैक्स रेट तय कयल गेल अछि। हेल्थकैयर, एजुकेशन सेक्टर आ पेट्रोलियम प्रोडक्ट केँ जीएसटी सँ बाहर राखल गेल अछि। बेसिक अनाज पर 0% टैक्स निर्धारित कयल गेल अछि। सोना, चाँदी, हीरा पर 3% टैक्स तय कयल गेल अछि। प्रोसेस्ड भोजन पर 12%, गुड्स, रेलवे आ एयर ट्रांसपोर्ट पर 5%, साबुन तेल, टूथपेस्ट, स्मार्टफोन पर 18%, कार पर 28%, आर जतेक भी लक्ज़री प्रोडक्ट आ तम्बाकू प्रोडक्ट अछि ओहि पर 28% संग सेस निर्धारित कयल गेल अछि।

जीएसटी संबिधान संशोधन बिधेयक 122 केर तहत प्रस्तावित कयल गेल अछि आ एकर देखभाल खातिर एक जीएसटी कौंसिल बनाओल गेल अछि जकर चेयरमैन केंद्रीय वित्त मंत्री यानि अरुण जेटली जी छथि। अय में यूनियन मिनिस्टर केर वोट शेयर 1/3 आ राज्य सरकार केर वित्त मंत्री सभक वोट शेयर 2/3 अछि।

जीएसटी केँ इंडिया मे बहुत पैघ आर्थिक सुधार कहल जायत अछि जाहि में उपभोक्ता केँ बिभिन्न तरहक टैक्स सँ मुक्ति भेटत आ पूरा देश एक सामान बाजार में परिवर्तित भ जायत । जीएसटी सँ छोट अबधिक लेल किछ सामान जरूर महग भऽ जायत मुदा लंबा अबधि में एकर फायदा उपभोक्ता आ व्यापारी वर्ग धरि जरूर पहुँचत एकर आशा अछि। बाकी जीएसटी लागु हेबाक बाद एकर सफलताक विश्लेषण कायल जायत।