आलेख
– मणिकांत झा ‘मणि अमारुपी’
मिथिलाक विकास कोना
“ज अपने माय भेलिह मिथिला
फेर कियाक एतेक शिथिला
जखन ओ अपन माय
कियाक बनेलहुँ हम सतमाय”
हमर चर्चा इतिहास / पुरखाक बखान / खिद्यांश पर नैं अछि । चर्चा वर्तमानक संग भविष्य कोनाक सँवारी मिथिला बौद्धिक रूप स’ समृद्ध त’ सबदिन रहल, मुदा आर्थिक रूप स’ सब दिन दरिद्रता हमर डीही बनल रहल ।
सुख दु:ख मे कखनो संग नैं छोड़लक, अभिन्न समांग बुझू । पुरखा एक स’ एक विद्वान भेलाह । किछु केर अपवाद स्वरूप छोड़ि त’ बहुल संख्याक समाज मे कोनो विशेष योगदान नैं । ओकरा पाछू जे किछु कारण रहल होयत से नहि जानि । ओ अपन डीह क’ छोड़ला उपरान्त घूरि क’ नैं देखलथि । ओ अपने विकास मे लागल रहलाह । हुनकर अनुराग अपना प्रति त’ रहल मुदा जन्मभूमिक प्रति विरक्ति सन ।
अति दु:खद जे मिथिला बौद्धिक क्षेत्र मे संसार मे सम्मानित स्थान पौउने अछि । ओ सब स’ पिछड़ल कोना ? हमर विकास कियाक नै ? जखन हम एतेक प्रबुद्ध त’ सम्पूर्ण भारतक सबस’ पिछड़ल क्षॆत्र मे मिथिलाक गिनती सब स’ नीच्चा कोना ? जखन मिथिला एतेक प्रतिभा संपन्न लॊक सब स’ भरल-पूरल अछि त’ एकर विकास कियाक नैं भ’ रहल अछि ? जहि मिथिला के नीक वर्णन रामायण / महाभारत मे भेल ओ आइ एहेन विचित्र परिस्थिति मे कोना केर फँसल ? जहि मिथिला मे भगवान श्री रामक सासुर, ओ सबहक नजरि मे एतेक धीया सिया जकाँ त्यागल कियाक ? की’ हमर भाग्य राजा विदेह आर सियाक भाग्य स’ जोड़ल अछि ? राजा जनक बिना वस्त्र केर विदेह आ’ माय सीता सबदिन कष्टें मे रहलिह । की’ हमसब अभिशप्त छी ? देह पर कोनो कपड़ा लत्ता नैं, जाधरि जीयब, दु:खे सहब । जखन मिथिला प्रतिभा संपन्न लॊक सबस’ भरल अछि त एकर विकास सही स’ नैं भ’ रहल अछि, हुनकर मायक प्रति एतेक उदासीनताक की’ कारण ? जखन एक स’ बढ़ि क’ एक धन कुबेर छथि त’ हुनकर लक्ष्मी मिथिलाक विकास मे कियाक नैं योगदान द’ रहल छथि ? जहि स’ दू पाय अपनो उपार्जन करताह आ’ संगे संग लोक क’ रोज़गार सेहो भेटत ? जहि मिथिलाक चित्रकला संसार मे एतेक प्रसिद्ध , चित्रकार सबहक एतेक दुर्दिन कियाक ? पान, मांछ, मखानक चर्चा सबठाम, फेर कियाक आब मिथिला मे मांछ आन्ध्र स’ आबैत अछि ? पानोंक खेती मृत्यु शय्या पर पड़ल अछि, से कोना ? हमर खेतिहर आब प्राय अहि खेती के तिलांजलि द’ देलाह । अति दु:खद आ’ गम्भीर विषय अछि, अहि पर ध्यान देबाक अत्यन्त आवश्यक । मखानो त’ हक्कन कानि रहल अछि, कियाक ? जे किछु बचल छल ओ छल बोली, भाषा, रहन सहन, अपनत्वक भावना, ओकरो श्राद्ध कर्म मे हम सब लागल छी ।
एतेक हम सब जाति/ धर्म मे अपने आप केर बाँटि देने छी , जे शासन/ प्रशासन/ सरकार नीक जकाँ बुझैत अछि, फुटा क’ राखू, राज करू, जे अंग्रेज़क नीति छल ।
हम सब अपने क’ चारू कात स’ बान्हि लेने छी, जहि स’ निकलनाए, चक्रव्यूह क’ बेधनाए स’ बेसी कठिन । ‘मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना’
मैथिल केर माने ब्राह्मण, मैथिली बजनिहार के’ त’ ब्राह्मण, मिथिला ककर तँ ब्राह्मणक । अहि भ्रम स’ निकलए पड़त, सही रूप स’ मिथिलाक हितैषी छी त’ । मिथिला माने सबहक मिथिला, ओ कोनो जाति, कोनो धर्म , कोनो जगह स’ आबि एतए बसल, मिथिला स’ जा क’ कतोअ बसल । एक शब्द मे कहल जाए त’ ‘सबहक’ । मैथिली भाषा सबहक, मैथिल सब कियो, जिनका कनिकों मोह माया छनि ओहि मिथिला स’ ।
जहिया अपन मोनक परिसीमनक दायरा बढ़त, ओहि दिन विकासक पहिल डेग बढ़त । जहिया सबहक भागीदारी मिथिलाक विकास लेल कम आ बेसी, यथा शक्ति तथा भक्ति, ओहि दिन मिथिला राज संगे समृद्धशाली, वैभवशाली मिथिलाक उदय होएत । सब मैथिल ख़ुशहाल हेताह । मृत्यु शय्या पर पड़ल मैथिली, फेर पुनर्जन्म पौतिह ।
आइ धरि नैं बुझि सकलहुँ, जे किनकर श्राप भेटल हम मैथिल क’ आ’ एकर प्रायश्चित्त कोना भ’ सकैछ ?
मिथिला जनसंख्या मे एतेक जड़िगर त’ नेता सब ओहि मिथिले क’, त’ फेर कियाक ओ ओहि पर गुबदी लादने छथि ?
अहि तरहक बहुत रास प्रश्न मोन मे उथल पथल करैत रहैत अछि । जकर निदान हमरा सबहक लेल नितान्त आवश्यक ।
हम जहि बिन्दु पर चर्चा करए चाहैत छी
- भौगोलिक क्षेत्र आ’ परिस्थिति
- मानसिक, समाजिक आर सर्वांगीण विकास
- बौद्धिक, शैक्षिक आ’ शोध
- आर्थिक विकास
(अ) कृषि आ’ अनाज केर भंडारण
(आ) मिथिला पेंटिंग, मैत्री सौहार्द कोष, पर्यटन एवम् यातायात - औद्योगिक, रोज़गार/स्वरोज़गार
- विद्युत (पनबिजली/सौर)
- निवेश, प्रवासी/अप्रवासी केर समुचित योगदान
1. भौगोलिक क्षेत्र आ’ परिस्थिति :-
मिथिला धरातलीय आओर भूमिगत जल दुनू केर धनी अछि । मिथिलाक जमीन मुख्य रूप स’ नदी स’ घेरल आर खूब उपजाऊ अछि । मुदा बाढ़िक प्रकोप स’ सदिखन शोक मनाबैत रहैत छी । सब नदी क’ एक दोसर स’ आर प्रत्येक नदी क’ नहर स’ जोड़ि देल जाए त’ मिथिला फेर लहलहा उठत ।
जहि बेर बाढ़ि स’ बचैत छी, त’ रौंदी लपेटै लेल पहिले स’ तैयार । ओकर निदान छैक, सब नदी क’ एक दोसर स’ जोड़ि आ’ नहरक माध्यम स’ खेती लेल समुचित जल संसाधन स’ खूब उपज ।
उत्तर कँ पर्वतीय प्रदेश – सोमेश्वर श्रेणीक हिस अछि । ई दलदली क्षेत्र अछि जतए साल वॄक्षक घनगर जंगल छैक । अहि जंगल मे बाघ संरक्षित अछि । जे वाल्मिकीनगरमे अछि । अहि क्षेत्र क’ प्रमुख पर्यटन क्षेत्रक रूप मे विकास करल जा सकैत अछि । सब आधुनिक सुख सुविधा संग यातायातक समुचित बेबस्था, सुरक्षा सँ नीक आमदनी भँ सकैत अछि ।
मध्यवर्ती विशाल मैदान – मिथिलाक प्राय: पैघ क्षेत्र अहि भाग मे आबैत अछि । भौगोलिक हिसाब स’ अहि तीन भाग मे बाँटि सकैत छी :
1 – तराई क्षेत्र :-सोमेश्वर श्रेणीक तराई मे कंकर-बालू के जमाब छैक । एकर दक्षिण मे तराई उपक्षेत्र छैक, जे प्रायः दलदल अछि ।
2 – बांगर क्षेत्र:- इ सबसँ पुरान जलोढ़ क्षेत्र अछि । समान्यतः ई आस पासक क्षेत्र स’ 7-8 मीटर ऊँच रहैत छैक ।
3 – खादर क्षेत्र :- एकर विस्तार गंडक स’ कोसी नदीक क्षेत्र तक प्राय: समस्त मिथिलांचल क’ अधिकांश भाग मे पसरल अछि । प्रत्येक वर्ष आबै वाला बाढ़ि केर कारण ई क्षेत्र बहुत उपजाऊ अछि । मुदा अहि बाढ़िक कारणे हमर मिथिलाक क्षेत्र तबाही सँ हक्कन कनैत रहैत अछि । दरिद्रता माथ क’ पाग जकाँ सदिखन ढ़कने रहैत अछि । बाढ़ि स’ भेल बर्बादी भगवान शंकर जकाँ मिथिला मे ताण्डव करैत अछि ।
मिथिला मे गंगा नदी, बागमती, कोसी, बूढ़ी गंडक, गंडक आओर ओकर सहायक नदी अपन जाल बिछा क’ उपजाऊ बनेने अछि । उत्तर मे हिमालय पर्वतक नेपाल श्रेणी अछि । हिमालय स’ उतरै वाला प्रमुख नदी आ’ ओकर सहायक जलधारा मिथिलाक चरण पखारैत, प्रवाह करैत अछि, ओ सब नदी क’ गंगा स’ मिलान होएत छैक । वर्षा काल मे अति वृष्टि भेला स’ सब नदी मिथिलाक लेल काल बनि जाएत अछि । बाढ़िक रूप मे बड्ड अभिशाप मिथिला क’ सनेस स्वरूप प्राप्त होएत छैक । बड्ड नमहर समस्या हमरा सबकेँ लेल । ओकर निदान जल संरक्षण क’ संगे संग विस्तृत नहर प्रणाली क’ सब मुख्य नदी आओर ओकर सहायक नदी जोड़ब छैक । जहि स’ जल प्रवाह पर लगाम लगायल जा सकैत छैक । ओहि लेल अपन पड़ोसी नेपाल स’ मदद लेबय पड़त । दुनू देश के सहयोग स’ नदी पर बाँध/ चेक डैम/ डीप डैम /बैराज(समुचित जल प्रबन्धन लेल साधन) बना, जल धाराक वेग केर संयमित क’ सकैत छी । ओहि जल स’ सिंचाई आ’ पनबिजलीक उत्पादन भ’ सकैछ । अहि प्रकार जल संरक्षण स’ खेती लेल जलक बेबस्था साल भरि भ’ सकैछ ।
ओना अखनो नहर सब छैक, जाहि स’ मिथिलाक क्षेत्र सिंचित भ’ रहल अछि । मुदा एकर विस्तारक आवश्यकता छैक । नहर प्रणाली स’ सिंचाई पर खेतिहरक लागत कम भ’ जतेक । नहरक उपयोग यातायातक रूप मे सेहो भ’ सकैत अछि । संगे संग जल संसाधनक सटीक बेबहार होएत ।
वर्तमान मे नहर :-
त्रिवेणी नहर :- गंडक नदी पर बाँध बना पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारणक भूमि क’ सिंचाई होएत अछि।
गंडक नहर :- त्रिवेणी बाँध लग वाल्मिकीनगरक लग मे दोसर नहर निकालल गेल, जहि स’ चंपारण, मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा ज़िलाक क्षेत्र सिंचित भ’ रहल छैक ।
कोसी नहर :- कोसी क’ सब दिन शोके केर रूप मे देखल गेल, कारण रहल बाढ़ि स’ भंयकर तबाही, मुदा ओहि पर नहरक निर्माण स’ बाढ़िक प्रकोप पर लगाम लबाबाक प्रयास भेलै, संगे संग मिथिलांचलक अधिकांश क्षेत्र सिंचित भेलै । नेपाल सरकार क’ संगे भेल समझौताक आधार पर कोसी नदी पर भीमनगर लग बाँध बना क’ पश्चिमी कोसी आओर पूर्वी कोसी नहरक निर्माण भेल । कोसी नहर प्रणाली सँ सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया आर अररिया ज़िला सिंचित भ’ रहल छैक । मुदा प्रलयकारी बाढ़ि केर देखैत अख्खनो चेक डैम / डीप डैमक दरकार छैक । जाहि स’ त्रासदी रोकल जा सकैछ ।
कमला नहर :- दरभंगा ज़िलाक उत्तरी भाग मे कमला बहैत अछि , ओहि से नहर निकाली मधुबनी ज़िलाक सिंचित भ’ रहल छैक ।
वडुआ जलाशय स’ निकलल नहर स’ भागलपुर आ’ मुंगेरक क्षेत्र सिंचित भ’ रहल छैक । मुदा अख्खनो नहर प्रणालीक समुचित विकास नैं भेलै । सब नदी क’ अपना मे जोड़ि जलक समस्या स’ निदान पाबि सकैत अछि मिथिला।
2. मानसिक, समाजिक आर सर्वांगीण विकास:-
हम सब गप त’ करैत छी मिथिलाक विकासक, मैथिलक भावनाक, मैथिलीक उदगारक, अपन मिथिला राज्यक – जकर परिकल्पना हम सब प्रबुद्ध मैथिल मुख्य रूप स’ सबठाम करैत छी । अहीं सब कहू, “की’ अख्खन जे कियो चुनल नेता एम पी / एम एल ए/ एम एल सी आ’ स्थानीय निकाय जेना कि पंचायत, ज़िला पंचायत, नगर निगम — आदि आदि, की’ ओकर सदस्यगण मैथिल नैं छथि ? की’हुनका हम – अहाँ वोट द’ विजयी नैं बनौलियै ? ओ सब निर्वाचित सदस्य मैथिले त’ छथि । हुनको माय मिथिले त’ छथिन । बाजौथु आ’ नैं बाजौथु, भाषा मैथिलीये छनि ।
त’ विकास फेर कियाक नैं ? ओ गुबदी कियाक लदने छथि ।
हमरा हिसाबे जाधरि मोन नैं बदलत ताधरि किछु नैं । कतबो चिचिया ली, भेटत सोहल सुथनी । मिथिला राज्य भेटे जाएत, त’ बानरे बाँट ने हेतै।
ओहि लेल सब स’ पहिले मोन बदलए पड़त । आत्म शुद्धीकरण नितांत आवश्यक । इतिहास गवाह अछि नंद वंशक पतन क’ कारण छलै ओकर निरंकुश शासन क’ संगे उन्माद बेबहार । राजा प्रजाक बीच बाप बेटाक सम्बन्ध होएबाक चाही, जे शास्त्र कहैत छैक । मुदा ओहि घनानंद स’ प्रजा त्राहि त्राहि करैत छलैक । ओहि वेदना क’ देखि महागुणी चाणक्य आततायीक अन्त लेल सोचलाह । साधारण बालक क’ नव निर्माणक आधार सूत्र बनौलाह । ओहि ग़रीब बालक ‘चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त’ क’ जनताक सुख दुखक भागीदार बनौलाह । ओ कहने छलाह, ‘राजा ओ भेल, जे निज हित स’ उपर लोकहित, आ लोकहित स’ उपर समाजक हित, समाजक हित स’ राज्य/ राष्ट्र हित क’ सब स’ उपर स्थान अर्थात सर्वोच्च ।’ तखने ओ मौर्य वंश कुशल शासक क’ रूप मे जानल गेल । जहिया लोभ शासक पर हावी भेलै, ओहो वंशक पतन भेलै ।
जाधरि हम मैथिल निज लोभ/ स्वार्थ, अपन-आन, अपन जाति, अपन धर्म स’ ऊपर नै उठब, ताधरि सत्ता क’ परिवर्तन त’ सम्भव, मुदा समृद्ध मिथिला/विकसित मिथिला किन्नो नैं साकार । ओहि लेल बदल पड़तै संस्कार आ’ बेबहार । बिना मोन केर बदलने सबकिछु निरर्थक ।
हमर सोच अछि मिथिला राज्य बनतै त’ हम मुख्य मंत्री बनब, मंत्री बनब , पता नैं कतेको पद भेटत । सबकिछु त’ अहाँ क’ भेटल, मुदा मैथिल क’ की’ भेटतै ? ओहिना शासन जेना चलि रहल छैक । मंत्रालय / सचिवालय पता नैं कतेको कार्यालय । नव नव लोकक भर्ती हेतै , मुदा सबकिछु चलत त’ रामे भरोसे ने ।
हम राज्यक परिकल्पनाक विरोध मे नैं छी । हम विकसित मिथिलाक पक्षधर छी । जाहि मे निस्वार्थ भाव स’ लोक काज करत, सबहक सरकार, सब जाति/धर्मक सरकार, सबहक प्रतिनिधित्व, ओहि मे ई नैं जे हमर जाति क’ / हमर धर्म क’/हमर गाम क’ —- हमर समाज, जाति-धर्मक बेमारी कय कारण स एतेक टूटल अछि, जाहि कारणे हम सब कोनो व्यापक विचार लेल एकठाम ठाढ़ नैं भ’ पबैत छी । पूर्ण रुप स’ बिखरल , खंड खंड मे बँटल । ई बेमारीक कारणे लोक सार्वजनिक हितक मूल परिभाषा बिसरि गेल, समरसता स’ भरल पूरल रहै वाला समाज जाति – धर्मक बोखार स’ जकैड़ि गेल ।
हमसब मानसिक रुप स’ बेमार भ गेलहुँ, जकर लाभ राजनेता नीक स’ उठाबै मे माहिर अछि । हमसब ओकर हाथक कठपुतली — जाहि दिन हम अपन सोच अपन मिथिला लेल बनायब, विकास क’ कियो लाल नैं रोकि सकत । अपन मिथिला लेल अहाँ क’ मोल चुकाबए पड़त, ओकर मोल भेल निज स्वार्थ, बाभन-सोलहकन, हिन्दू-मियाँ, बड़का-छोटका— आदि आदि । मैथिल माने सब मिथिलावासी, सब जाति, सब धर्म, सब अप्रवासी-प्रवासी, ओ सब जे मिथिलाक प्रति उदगार रखैय छथि । सब अपन कुटुम्ब / अपन समांग ।
3. बौधिक, शैक्षिक आ’ शोध
बौधिक आ’ शैक्षिक दृष्टिकोण स’ मैथिल सबस’ आगाँ । पुरखा स’ भेटल ज्ञान, जन्मे स’ तर्क मे पारंगत, संस्कार आर संस्कृति मे मिथिला धनी । जाहि धरती पर शंकराचार्य पराजित, जतए सुग्गो संस्कृत मे गप्प करै, मुदा आजुक परिपेक्ष मे हम कियाक पाँछा ? भक्ति भावकेँ भवसागरमे डूबल हमर शाश्वत आ’ संस्कारी मिथिला, सदिखन ज्ञान, धर्म एवम् तर्कक तपो भूमि रहल अछि । न्याय मीमांसाक जन्म भूमि, ओहि पावन भूमिमे बहुत किछु बाहरी दुनियाकेँ बुझबाक छैक ।
ताहि लेल मिथिला केर पावन भूमि पर बहुत किछु शोध करबाक आवश्यकता छैक, जतए ताम्र पत्र आरो लिखित दस्तावेज़ छैक, जाहि मे विद्यापति, अयाची, वाचस्पति संगे नहि जानि कतेको पुरखाक लिखल पर शोध भ’ सकैत छैक । कालिदास केर शोध स’ मैथिलकेँ रुप मे स्थापित क’ सकैत छी । मिथिलाक लोक कथा, लोक गीत, लोक नृत्य पर शोध भ’ सकैत छैक । तंत्र-मंत्र पर शोध भ’ सकैत छैक । मिथिलाक लोक संस्कृति आ’ इतिहास पर शोध भ’ सकैत छैक । मधुबनी चित्रकला आदि पर शोध भ’ सकैत छैक ।
4. आर्थिक विकास:-
(अ) कृषि आ’ अनाज भंडारण, खेती पर आधारित :- मिथिला रौंदी आर दाही केर बीच मे अख्खन धरि समटल अछि । कृषि प्रणाली जे सनातन स’ चलि आबि रहल अछि । ओहि मे कोनो विशेष बदलाव प्राय नहि देखै मे आएल । कल कारख़ानाक कतौ कोनो नामे नैं, जेना गदहाक माथ स’ बिलाअ् गेल सींग । जेहो किछु उपज होएत अछि, ओकर रख-रखावक लेल कोनो बेबस्था नैं । जलक राजा रहितौ हम राजा विदेहे ।
आइ ओ जलक ठीक स’ प्रबन्धन करल जाए त’ मांछ आर मखानक खेती नीक स’ भ’ सकैछ ।
कृषि लेल जे समस्या अछि, ओहि में प्रमुख सिंचाई केर समस्या । समय पर किसान क’ खाद आ’ उन्नत बियाक उपलब्धता, अन्नक समुचित ख़रीद बिक्री सेल स्थानीय बाज़ारक अभाव, अनाज भंडारणक बेबस्था संगे सरकारी ख़रीद केर बाद अनाजक पूरा दाम समय पर किसानकेँ नहि भेटब, अनाजक समुचित सुरक्षा, उत्पादन बढेबाक समुचित जानकारीक अभाव ।
कृषि सम्बंधी संस्थागत बेबस्था में व्यापक सुधारक आवश्यकता, खेती मे जोखिम कम करबाक समुचित प्रयास आ’ जानकारी, कृषिकेँ प्रोत्साहन देबाक लेल नव तकनीक, आधुनिक आ’ वैज्ञानिक साधनक उपयोग आवश्यक । जहि लेल पूसा’ आ’ सबौर कृषि विद्यालयक अनुभव आ’ सहयोग गाम-गाम धरि पहुँचै ।
किसानकेँ कुशल कृषि लेल समय समय पर कार्यशाला एवम् प्रशिक्षणक समुचित बेबसथा होए । कृषि विज्ञान केन्द्र हरेक जिलामे होए त ‘ बेसी नीक रहतै । मुदा उदासीनताक कारण एकरो स्थिति मृत प्राय । आर्थिक क्षेत्र मे विकास लेल उदारवादी नीतिकेँ संगे संग ग़रीबी आर बेरोज़गारीकेँ लेल कुटीर, मध्यम एवम् व्यवस्थित उद्योग आर कृषिक विस्तार आवश्यक । आर्थिक संवृद्धिकेँ खाम्ह बना स्व/रोज़गारक अवसरक सृजन करल जाए सकैछ । आर्थिक संवृद्धिक लेल निजी क्षेत्र, निजी पूँजी आर निजी निवेशक भूमिका पर विशेष जोरक आवश्यकता छैक ।
आब प्रश्न ई छैक जे राज्यक भूमिका की’ आर कोना ? सरकारकेँ अहि पर केहेन सोच ? सरकारक पहल कोन तरहक ? अहिमे सरकारक पक्ष जनता केर प्रति संकल्पकेँ देखार करैछ । निजी क्षेत्र तख्खने अपन उदगार देखाबैत छैक, जख्खन सरकारक मदद सब तरहें उद्योग लगेबाक लेल भेटैत छैक । सब सुविधा सरकार स’ एकहि खिड़की मादे भेटै त’ बिना कोनो कष्टे केर भेट जेतै, त’ उद्योगपति लोकनि आगू औताह । लाल फ़ीताशाहीक चक्रव्यूह मे नैं फँसए चाहैत छथि । सरकार जमीन अधिग्रहणक’ ओकर उद्योग लगेबाक लेल समुचित विकास करत त’ लोक सबकेँ सुविधा हेतै । मजबूत बुनियादी ढांचाक उपलब्ध आ’ परियोजनाक लेल समुचित सहयोग । सब तरहक सरकारी अनुमोदन, स्वीकृति एवम् निष्पादन बिना कोनो रोक टोक के होयबाक चाही, ओहि लेल एकल खिड़की प्रणाली आवश्यक ।
विकासक लेल निजीक संगे संग सार्वजनिक क्षेत्र, सार्वजनिक निवेशक भूमिका अति महत्वपूर्ण आर निर्णायक छैक । कृषि पर निर्भर उद्योगक पूर्ण रूपेण आगू बढाबि , जेना मकई, धान, ——– । जहि प्रकारे सामुदायिक खेती लेल हमर सोच अछि ठीक ओहि प्रकार स’ उद्योग मे सेहो करल जाए सकैत छैक । समृद्ध अप्रवासी मैथिलक संसाधन आर सहयोग स’ निजी क्षेत्र मे निवेशक’ उद्योगक गाड़ी चलाएल जा सकैत छैक।
सरकार द्वारा सब्सिडी उद्योग विभाग पोस्ट हाव्रेस्टिंग आर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगक लेल सब्सिडी सेहो दैत छैक । कृषि आधारित उद्योग लगाबैक लेल सेहो सरकार सब्सिडी दैत छैक ।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम केँ द्वारा उद्योग विभाग नव उद्योग लगाबै लेल 35 प्रतिशत सब्सिडीक योजना चला रहल छैक । अहि स्कीम मे नव उद्योग लगाबै वाला केँ पांच सँ सात साल तक केँ लेल विद्युत, उपकरण खरीद आर भूमि के लेल सब्सिडीक सेहो बेबस्था छैक ।
कृषि आधारित उद्योग खोलबाक लेल बहुत रास सुविधा छैक । साइलो, कोल्ड स्टोरेज, राइस मिल आओर ड्राई वेयर हाऊस खोलबा लेल सरकारी मदद स’ उद्योग जगत केँ मजबूती देल जा सकैत अछि ।
मकई केँ खेती एवम् आधारित फैक्ट्रीक अभाव – मकई केँ खेती कोसी क्षेत्रक भागलपुरक उत्तरी इलाका, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, किशनगंज, बेगूसराय के संग समस्तीपुर ज़िला मे सेहो बड्ड पैघ रुपस’ करल जा सकैछ ।मकई प्रमुख नगदी फसलक रुप मे सबस’ नीक भ’ सकैछ । कम समय मे उत्पादन, कम सिंचाई आ बेसीसँ बेसी मुनाफाक लेल केरा आ मकईक खेती सबस’ नीक कम सिंचाई मे मकईक खेती भ’ सकैछ । मकई बेबहार आजुक समय मे सबठाम भ’ रहल छैक । मकई केर माँग विश्वक प्रत्येक बाज़ार मे खूब भ’ रहल छैक । नीक जकाँ वैज्ञानिक पद्धति केँ अपना बढ़िया क़िस्म केँ उपजायल जा सकैत छैक । ओहिना अख्खनो एशियाक नीक बाज़ार मे पूर्णियाँक गुलाबबाग केँ मानल जाएत अछि । ओहिठाम विदेशी कम्पनी होर्लिक्स,ब्रिटेनिया, हिन्दुस्तान लीवर, नेस्ले, अमृत स’ ल’ क’ बड़का बड़का कम्पनी अपन एजेंटक माध्यम स’ मकई कीनैत अछि । मकई लोक आहार केँ संगे संग मुर्गा आ’ मवेशीक लेल सेहो होएत छैक । बेसी स’ बेसी मकई पर आधारित वस्तु उत्पादनक लेल फ़ैक्टरी लागएल जा सकैत छैक । ओ सरकार केर सहयोग आ’ सहकारिता केर बल बूता पर लागि सकैत छैक । मुदा बड़का कम्पनी केँ दाम स’ किसान क’ कोनो फ़ायदा नैं होएत छैक । सब एजेन्ट गोल क’ जाएत छैक । ओना सरकारी सहायता आ’ भंडारणक बहुत अभाव छैक । गृहस्थ केँ उचित दाम आ’ आर्थिक सहयोग नैं केँ बराबर भेटैत छैक । कहावत छैक “हर बहाए ओ खर’ खाए बकरी खाए अचार”, ठीक ओहिना किसान केँ लागतों नै ऊपर होएत छैक, पैकार सबटा कमा लैत छैक । जाहि केँ लेल सहकारिताक बहुत आवश्यकता बुझना जाएत अछि ।
धान आ’ जुट पर आधारित फ़ैक्टरीक अभाव – नदीक धारा बदलि गेलै आ’ मौसम सेहो किसानक संग छोड़ि देलकै, जाहि कारणे सिंचाई केँ समस्या बढ़ै लागल । किसान सब क’ पारम्परिक खेती मे मुनाफा कम आ’ घाटा बेसी होमए लागल । सरकार जदि नहर स’ सिंचाईक प्रबन्ध कराबै त’ समाधान केँ संगे संग लोक मे उत्साह जगतै । धान आ’ जूट उत्पादन मे लागत कम भ’ जेतैक । जुटक माँग दिनों दिन बढ़ि रहल छैक, लोक एकर बेबहार बहुतो ठाम क’ रहल अछि, पॉलीथिन/ प्लास्टिक केर बैग पर सरकारक प्रतिबन्ध लगला स’ लोक बेबहार कम करए लागल अछि। आब कागत आ जुटक बैगक बेबहार खूब बढ़ल । जुटक खेती आर जुट सँ बनाओल गेल वस्तु पर फेर स’ धेयान देबाक चाही ।
पारम्परिक मांछ/ पान /मखान:- मिथिलाक विकसित बनाबै मे पुश्त स’ चलि आएल पारम्परिक खेती ; मांछ, मखान आ पानक खूब नीक भूमिका रहत । एतुका अहि सब वस्तुक क़द्रदान अपने देशे टा नाहि विदेशो मे सब छथि । मुदा समुचित बाज़ार, माल ल’ जेबाक समुचित बेबस्था ( कम लागत मे सबठाम शीघ्रातिशीघ्र पहुँचेबाक साधन), उत्पादन केर लेल समुचित पूँजीक बेबस्था, आधुनिक तकनीकक संग प्रबन्धनक ग्यान । किसान बिना बिचौलिया ओ बाज़ार मे उचित मूल्य मे बेचि सकथि । सार्वजनिक निजी साझेदारी Public Private Partnership केर अन्तर्गत पोखरि खूनि मांछ आ’ मखानक सेहो काएल जा सकैछ । अहि लेल सरकारकेँ प्रोत्साहित करबाक चाही ।
कृषि पर आधारित व्यवसाय:-
1.आधुनिक नर्सरी केँ स्थापना आर प्रबंधन
2.मधुमक्खी पालन
3.रेशम उत्पादन / रेशमकीट पालन
4.मशरूम उत्पादन
5.तरकारीक खेती
6.कृमि खाद उत्पादन
7.कृषि व्यवसाय
8.हरित गृह(ग्रीन हाउस ) प्रौद्योगिक
(आ) मिथिला पेंटिंग ,मैत्री सौहार्द कोष, पर्यटन एवम् यातायात :-
1.मधुबनी/ मिथिला पेंटिंग :-
मधुबनी /मिथिला पेंटिंग केँ नाम स’ विश्व प्रख्यात पुरखा स’ भेटल गुण अछि, जकरा हम नियोजित / समुचित बाज़ार मे बेचि धन उपार्जन क’ सकै छी । एकर समुचित प्रसार प्रचारक संगे सुनियोजित तरीक़ा स’ विकास आर व्यवसायीकरण पर ज़ोर देबाक अत्यन्त आवश्यक छैक ।मिथिलाक संस्कृति आर सभ्यता केँ पहचानक रूप मे स्थापित मधुबनी/मिथिला पेटिंगक कलाकृति केँ देखि देशे नाहि विदेशहु मे बहुते कद्रदान छथि । तखन ओ व्यापारिक शिखर पर कियाक नैं पहुँचल ? व्यवसायीकरण केँ अखुनका जुग मे ई एतेक पाँछू कोना ? एकर विवेचना करबाक चाही । मधुबनी पेंटिंग एतेक अछूत कियैक ? जकर समुचित बाज़ार नैं बनि सकैत छैक । अगर बाज़ार छैक त’ बेचनिहार आर खरीदनिहारक बीच कतेक आरो लोक सब छथि, जे उचित दाम देबा मे कोताही करैत छथि, ओकरा दोसर शब्द मे कही त’ दलाली करैत छथि । जे कख्खनो एक दोसर केर भेट करै स’ वंचित राखै चाहैत अछि । किछु एनजीओ आर दलाल मूल कलाकारक हिस सेहो अपने डकारि लैत छथि ।
चित्रकार सब कियाक ठन ठन गोपाल ?
कहल जाइत छैक जे मिथिला / मधुबनी पेंटिंग केँ पहिले विश्वक मंच भेटल, जख्खन देश मे भूकम्प आएल छल 1934 मे । प्राकृतिक आपदा सँ भेल क्षति के देखबा केर लेल ब्रिटिश अधिकारी विलियम आर्चर मधुबनी गेलाह । ओ चित्रकलाक खूबसूरती केँ देखि दंग रहि गेलाह, ओकर तुलना पिकासो स’ केलाह, जे पश्चिमी दुनियाँक चित्रकारी मे सबस’ पैघ व्यक्ति छलाह । 1949 मे जख्खन हुनकर चित्रकला पर लेख इंडियन आर्ट जरनल, मार्ग मे छपल, तख्खन ई मधुबनी केँ कला दुनियाक केर नजरि मे आएल । पहिल प्राकृतिक आपदा स’ पेंटिग केँ पहचान भेटल, दोसर प्राकृतिक विपदा मे व्यवसायिक रूप भेटल ।
1960 के दशक मे पड़ल भीषण रौंदी , जहि समय मे ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट बोर्ड केर सलाह पर किछु उच्च जाति केँ महिला देबारक स्थान पर कागत पर पेंटिंग्स बनाक’ एकरा व्यवसाय केर रूप मे अनलन्हि । ओ आमदनीक नीक स्रोत बनल । अख्खन हम तेसर विपदा स’ जूझि रहल छी । त’ फेर कियाक नैं ओहि पेंटिग केँ अपन जीविकाक साधन व्यापक रूप स’ बनाबी । जे पेंटिंग राजा जनकक दरबार स’ चलि विश्व मे ख्याति प्राप्त कएलक, ओ हमर सहारा कियाक नैं बनि सकैछ ।
2. भारत-नेपाल मैत्रीक लेल मिथिला केँ विशेष मैत्री सौहार्द कोषक सहायता (Harmony Packages):-
नेपाल स’ सटल मिथिलाक सीमान पर सदिखन मैत्री संबंध, दुनू देश केँ बीच बेटी रोटीक कालान्तर स’ चलि आबि रहल सम्बंधक कारणे सहोदर जकाँ लगैत छी । जेना एके गाम, एके भाषा, एके संस्कार आ’ बिध बेबहार । नीक सरोकारक कारणे केन्द्र सरकार केँ सीमा सुरक्षा लेल कश्मीर आर आन सीमा क्षेत्र पर भ’ रहल ख़र्चाक आवश्यकता नैं छैक । आपसी सम्बंध एतेक गहींरगर जे नेपाल आर भारत भावनात्मक रुप स’ एके जकाँ । ताहि कारण स’ सरकार केँ मिथिला पर विशेष धेयान देबाक चाही । जाहि स’ मैत्री आओर प्रगाढ़ होएत । दुनू देशक सांस्कृतिक आर कलाक बढ़ैबा मे केन्द्र सरकारक विशेष भागीदारी होएबाक चाही । नेपाल स’ सबस’ बेसी मिथिलाक क्षेत्र लागल छैक, ओहि लेल आओरो सीमा राज्य जकाँ मिथिलो क्षेत्र केर विशेष पैकेज भेटबाक चाही ।
3. मिथिलाक पर्यटनक समुचित विकास :-
मिथिला मे एक स’ बढ़ि केँ एक सब धर्मक आस्थाक केन्द्र छैक । ओकर सुनियोजित आर समुचित विकास आवश्यक । जतेक तीर्थ /मंदिर आ’ पौराणिक महत्व स’ समृद्ध स्थान केँ विश्वक पटल पर राखि आर ओकर प्रसार प्रचार केँ माध्यम स’ मिथिला दर्शन लेल आकर्षित क’ पर्यटन क्षेत्रक विकास करएल जा सकैत अछि । रामायण सर्किटक गप्प करी त’ अयोध्या स’ मिथिला केँ सम्बन्ध एकटा मुख्य होएत, जाहि मे अयोध्या स’ सीतामढ़ी आ जनकपुरक एकटा महत्वपूर्ण माला बनत । ओहि मे अहिल्या स्थान , बाल्मीक नगर संगे संग बहुत रास रामायण आ’ महाभारतकाल स’ जुड़ल बहुत जगह अछि । माता सीता पूज्यनीया छथि, हुनका बिना सनातन धर्म बुझू अपूर्ण । विश्व पटल पर हुनकर जन्मभूमि केर राखि, सीतायन सर्किट बनाओल जा सकैत अछि । ओहिना कवि कोकिल विद्यापति केर जन्म स्थान केर पर्यटन स्थल बनाओल जा सकैछ । शक्ति मंदिर केर रुप मे उच्चैठ क’ स्थान । ओहि केँ लेल सड़क मार्ग / व्यापक रूप स’ रेल मार्ग ओहि केँ संगे विदेशी / देशी पर्यटक केँ लेल वायु मार्गक सेहो नीक बेबसथा होएबाक चाही ।
सब तीर्थ स्थल केँ चिन्हांकन क’, ओकर जीर्णोद्धार – प्रत्येक स्थलक रख रखाबक लेल एक ट्रस्ट बना व्यवस्थापक मंडलक अधीन देखरेख होएबाक चाही । ओहि समिति केँ सदस्य सरकारी आ’ संगे ओतुका किछु ग़ैर सरकारी अनुभवी सदस्य होथि । आमदनीक लेल समुचित प्रवेश शुल्क, व्यवसाय करनिहार लोकनि स’ निर्धारित शुल्क लेबाक प्रावधान होयबाक चाही ।
4. यातायात आ’ परिवहन:-
कोनो जगहक विकास आर समृद्धि मे यातायातक सुगम बेबसथाक सबस’ बेसी प्रभाव छैक । आर्थिक दृष्टिकोण स’ जल परिवहन सब स’ सस्ता, ओहि केँ बाद रेल, ओहि स’ मँहग सड़क आ’ सबस’ मँहग वायु । मुदा उपयोगक दृष्टिकोण स’ सबहक अपन स्थान आर महत्व ।
सड़क परिवहन:-
प्रत्येक पर्यटन स्थल केर चिन्हित क’ ओकरा सड़क मार्ग स’ जोड़ब पर्यटन केर बढ़ाबै लेल आवश्यक छैक । सड़क केर चौड़ीकरण / विस्तार अख्खनो कमी छैक । जाहि कारण स’ व्यापार प्रभावित होएत छैक ।
रेल परिवहन :-
रेल परिवहनक अख्खनो समुचित विकासक अभाव छैक । अख्खनो लाइनक दोहरीकरण/ विद्युतिकरणि केँ प्रचुर मात्रा मे अभाव । नीक रेल गाड़ीक अभावे अभाव । संगे संग मालगाड़ी केँ सेहो कमी । रेलवे लाइनक नीक नेटवर्क होएबाक चाही, जाहि स’ कतौ स’ एतए आ’ एतए स’ कतौ यातायात केँ संगेहि व्यापारिक दृष्टिकोण अत्यावश्यक छैक । माल ढ़ुलाई आ’ कम समय केँ संगे संग कम ख़र्चा मे निर्धारित जगह तक पहुँचेबाक बेबस्था होएबाक चाही । रेलसंपर्क स’ अख्खनो देशक सब भाग मिथिला स’ पूर्ण रूपेण नैं जुड़ल छैक । पर्यटनक दृष्टिकोण स’ मिथिला केँ नेपाल स’ जोड़ब अतिआवश्यक छैक ।
जल परिवहन:-
व्यापारक दृष्टिकोण स’ जल परिवहन सबस’ सुगम आ’ सस्ता । मिथिला त’ नदीक जाल केँ बीच मे बसल अछि । समुचित रूप स’ सब नदी केँ एक दोसर स’ जोड़ल जाए आर ओकरा देशक दोसर भाग स’ जोड़ल जाए त’ आर्थिक रूप स’ सबल आर बेजोड़ । माल ढुलाईक संगेहि संग नागरिक यातायातक लेल सबस’ सस्ता आ’ तेज माध्यम होएत ।
वायु परिवहन:-
मिंथिला मे त’ अख्खन एकोटा वायुपट्टी नैं छैक, जकर उपयोग यातायात केर लेल भ’ रहल होए । सामरिक दृष्टिकोण स’ चीनक सीमा स’ सटल होएबाक कारणे दरभंगा, कटिहार,पुर्णियाँ, भागलपुर सन शहर मे यातायातक लेल विमान सेवाक होएब आवश्यक । पर्यटनक दृष्टिकोण स’ त’ नितांत आवश्यक । ज’ राम सर्किट स’ बाहरी पर्यटक केर जोड़बाक चाहैत छी । जिनका हिन्दू धर्म मे आस्था छनि । ओ विदेशी जे पौराणिक / एतिहासिक दृष्टिकोण स’ मिथिला आर नेपाल कँ देखए चाहैत छथि । ओ घूमै लेल औताह । जिनकर पुरखा सौ दू सौ साल स’ बाहर बसि गेल अछि विदेशमे, जेना मॉरिसस, फ़ीजी , —, हुनका सबके अपन माटि स’ जोड़बाक चाही ।
5.स्वरोज़गार,उद्योग एवम् सरकारी सुविधा :-
(अ) प्रधानमंत्री कौशल विकास योजनाक अंतर्गत विभिन्न कोर्स(Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana Course)
अहि योजनाक अन्तर्गत युवक अपन कार्य कौशलताक आधार पर 6 मासक विधिवत प्रशिक्षण ल’ अपन रोज़गार आ’ नौकरी क’ सकैत छथि ।हुनका सबकेँ सफलतापूर्वक प्रशिक्षणक प्रमाणपत्र संस्था स’ सेहो देल जाइत छैक । जकर मान्यता सम्पूर्ण देश मे छैक ।
भिन्न भिन्न लोक मे भिन्न भिन्न प्रकारक कौशल होइत छैक।अहि बातक धेयान रखैत, सरकार अहि योजना केँ अन्तर्गत विभिन्न तरहक कोर्स शामिल केने अछि। अख्खन धरि अहि योजनाक अंतर्गत 34 विभिन्न कार्यक्षेत्र केँ चुनल गेल अछि। जाहि केँ अंतर्गत ट्रेनिंग देल जा रहल अछि ।
ओहि कार्य क्षेत्रक विवरण नीच्चा मे देल गेल अछि – कृषि, घर सज्जा, सौन्दर्य आ कल्याण, मोटर वाहन, पृथ्वी मूविंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाक निर्माण, बीएफ़एसआई, पूंजीगत वस्तु, निर्माण काज, घरेलू काज, इलेक्ट्रॉनिक्स आर हार्डवेयर, फ़ूड प्रोसेसिंग, फर्नीचर आ फिटिंग, रत्न आ ज्वेलरी, ग्रीन जॉब, हस्तशिल्प, स्वास्थ्य देखभाल, आयरन आ स्टील सम्बंधित, आईटी आ’ आईटीईएस, चमड़ा, जीव विज्ञान, लोजिस्टिक, मीडिया आ एंटरटेनमेंट, खनिज, पैन्ट आ कोटिंग, पाइपलाइन, बिजली उद्योग, खुदरा, रबर, सुरक्षा सेवा, वस्त्र आ हथकरघा, पर्यटन खेल, दूरसंचार ।
(आ) लघु आ कुटीर उद्योग (स्मॉल स्केल इण्डस्ट्रीज़):-
मिथिला श्रम शक्ति केँ रूप मे ककरो स’ कम नैं, उपलब्धताक दृष्टि कोण स’ सबस’ सबल, जकरा कोनो उद्योगक लेल अति महत्वपूर्ण खाम्ह मानल जाइत छैक । मैथिल, आन राज्यक विकास मे अपन श्रमक योगदान द’ ओहि राज्यक विकास मे चारि चान लगबैत छथि । देशक कोनो कोन नैं छुटल छैक जतए मैथिल नैं हेताह । लघु उद्योगक क्षेत्र मे आधुनिक तकनीक केँ अपनोलाह स’ आओर लाभकारी रोजगार मे श्रम शक्ति क’ ठीक ढंग स’ सदुपयोग केलाह स’ बहुत किछु करल जा सकैत छैक । लघु उद्योगक वृहत जानकारी संगेहि प्रसार आर स्थानीय संसाधनक उपयोग स’ बहुत किछु भ’ सकैत छैक।
(इ)स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया,
देशक युवक कें उज्ज्वल भविष्यक लेल सरकार द्वारा नव अभियान चलाएल जा रहल अछि । अहि अभियान द्वारा नवयुवक केँ लेल नव अवसर उपलब्ध कराओल जा रहल छैक।अपन व्यवसाय करबा मे इच्छुक युवा वर्ग स्वरोज़गार अपना क’ नीक भविष्य बना सकैत छथि । ई कहाबत “अपन हाथ जगन्नाथ“ स’ अपन आर्थिक मज़बूतीक संगे संग दोसर युवा वर्ग क’ नौकरी सेहो द’ सकैत छथि । अहि क्षेत्र मे सरकार सेहो सहायता क’ रहल अछि । स्टार्ट अप इंडिया स्टैंड अप इंडिया योजना स’ बहुआयामी प्रभाव पड़त । नवका उद्यमी युवावर्ग अपना लेल रोज़गारक फाटक त’ खोलबे करताह संगे संग अपने व्यवसाय स’ दोसरोक लेल रोज़गारक दरवाज़ा सेहो खोलताह । नव छोट आ’ पैघ-उद्योगक शुरू करबाक लेल सरकार द्वारा प्रोत्साहन देल जा रहल छैक, जाहि मे ऋण सुविधा, उचित मार्गदर्शन एवम् अनुकूल वातावरण आदि सब किछु शामिल अछि।
अहि अन्तर्गत जे रोज़गार क’ सकैत छी, ओकर किछु उदाहरण:-
लेखन सामग्रीक उत्पादन, आयुर्वेदिक फार्मेसी, सौंदर्य आ’ श्रृंगार प्रसाधन उद्योग, प्रिंटिंग इंक उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, आइस-क्रीम उद्योग, डेरी उद्योग, कन्फैक्शनरी उद्योग, मोमबत्ती उद्योग, वाशिंग डिटरजेंट पाउडर, पापड़, सतू, बड़ी आ चाट मसाला उद्योग, लैटेक्स रबड़ उद्योग, रबड़क हवाई चप्पल, प्लास्टिक वस्तु केँ उत्पादन, पॉलीथीन शीट उद्योग, प्लास्टिकक थैली, पेपर पिन (आलपिन) आ जेम-क्लिप, तार स’ काँटी, टीनक छोट-छोट डिब्बा – डिब्बी, कॉर्न फ्लेक्स, फल आ’ तरकारीक डिब्बाबन्दी एवं संरक्षण, खेलौना आर गुड़िया उद्योग, दियासलाई उद्योग, मसाला उद्योग, डबल रोटी उद्योग, बेबहार भेल इंजिन ऑयलक पुनर्शोधन, ग्रीस उत्पादन, कटिंग ऑयल, एढैसिव उत्पादन उद्योग, मच्छर भगाबय वाला क्रीम, सर्जिकल कॉटन, सर्जिकल बैंडेज उद्योग, होजरी उद्योग, रेडीमेड गारमेंट उद्योग, स्विच आ’ प्लग उद्योग, ड्राई सैल बैटरी, बोल्ट एवं नट उद्योग, साबुन एवम् साफ़ सफाईक उद्योग , सिल्क स्क्रीन द्वारा कपड़ा पर छपाई, बिस्कुट उद्योग, चीनी उद्योग (खांडसारी), इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री, टायर रिट्रीडिंग उद्योग, खाद्य रंगक निर्माण, फल आर फूलक एसेन्स, मक्खन आर मसालाक सुगन्धी, चिप्स आर वेफर्स, नूडल्स एवं सेंवई , माल्ट फूड आर माल्ट मिश्रित पेय, मकई स्टार्च, पान मसाला आर गुटका, सुगंधित जाफरानी ज़र्दा, किवाम आर मसाला, सूखल संरक्षित आर डिब्बा बंद तरकारी, सॉसेज, केचअप आ अचार, दुग्ध पाउडर, घी, पनीर, कत्था निर्माण उद्योग, पेंट निर्माण उद्योग ,अपन मिथिला मे बहुत किछु अपन पौराणिक विशेष वस्तु , जेना जनेऊ,पाग,खाय वाला वस्तु (बड़ी, अदौड़ी )आदि ।
स्वरोजगार बेहतर भविष्यक नव विकल्प अछि । गृह आर कुटीर उद्योगक विकास,आधुनिक कुटीर एवं गृह उद्योग, उद्योग स’ सम्बंधित जरुरी जानकारी, औद्योगिक नीति, कम पूंजीक व्यापार, व्यवसाय बढाबैक उपाय, कारोबार योजनाक चुनाव , कुटीर उद्योग, कुटीर आर लघु उद्यम योजना, केहेन उद्योग लगयबाक चाही, केहेन व्यापार अनुभवक हिसाब सँ फायदावाला, कोन नव व्यवसाय केँ अखुनका आ भविष्य मे सबसँ बेसी माँगवाला होएत ,स्वरोजगार, छोट व्यापार, उद्योग, शुरु करै स’ पहिले अहि सब गपक विस्तृत जानकारी होएबाक चाही। जाहि स’ आगू कोनो तरहक परेशानी नैं होएत।
कोनो व्यवसाय कें लेल आर्थिक स्वतंत्रता होएबाक चाही । विभिन्न प्रकारक उद्योग आजुक परिपेक्ष मे छैक, जकर चुनाव अपना अनुभव आर तकनीकी जानकारीक सुगम उपलब्धता कें संगेहि संग पूँजीक बेबस्थाक आधार पर करबाक चाही । खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, गृह एवं कुटीर उद्योग, लघु कुटीर आ’ गृह उद्योग परियोजना, सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, स्टार्ट अप इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया स्टैंड अप इंडिया, स्टार्टअप योजना, स्वरोज़गार परियोजनाक विस्तृत जानकारी सरकार द्वारा देल गेल छैक, जे स्थानीय उद्योग कार्यालय स’ प्राप्त होएत।
लघु उद्योग क’ शुरू करबा लेल सम्बन्धित उपयोगी मार्गदर्शन एवं भेटै वाला सरकारी सुविधा
1.उपयुक्त उद्यमक चुनाव कोना करी ?
2.सरकारी सुविधा कोन प्रकारक ?
A.लघु उद्योग के लेल ऋणक सुविधा:- साधारणत: ऋण दू प्रकार केर होएत छैक
(क) राज्य सरकार स’ भेटै वाला ऋण ब्याजक दर ऋण सम्बन्धी अन्य जानकारी
(ख) ‘राजकीय वित्त निगम अधिनियम’ केर अन्तर्गत भेटै वाला ऋण
(ग) बैंकक ऋण योजना
(घ) ऋण संबंधी आन सरकारी योजना
1. साधारणत
2. बीज धन योजना (Seed Capital Scheme)
3. महिला-उद्यम निधि (Mahila Udyan Nidhi-Mun)
औद्योगिक रूप स’ पिछड़ल क्षेत्र केँ भेटै वाला सुविधा आर उद्योग सम्बन्धित विस्तृत जानकारी केर लेल नीच्चा देल गेल बिन्दु पर गहन अध्ययन आवश्यक
1.किश्त पर मशीन खरीदबा केर लेल की’सुविधा ?
2.मशीनरी प्राप्त करबाक लेल अन्य केहेन श्रोत ?
3.कच्चा मालक प्राप्ति कोनाक’(Availability of Raw Material)
4.देशी स्रोत स’ उपलब्ध कच्चा मालक कोटा कतए आ’ कोनाक प्राप्त होएत छैक ?
5.प्रशिक्षण सम्बन्धी सुविधा (Training Facilities)
6. लघुस्तरक उद्योग कोना लगाबि?
7.वस्तुक चुनाव कोना करी?(Production Selection)
8.प्रोत्साहनक केहेन सुविधा? (Incentive facilities)
9.संगठनक प्रकार (Types of Constitution)
10.परियोजना प्रतिवेदनक उपलब्धता
औद्योगिक परियोजनाक लेल की’ मापदंड :-
(1) परियोजना-विशेष, जकर चुनावक योजना अथवा
पूंजी-बहुल
(2) उद्योगक आकार
(3) विदेशी मुद्रा अर्जन
(4) व्यावसायिक लाभ
(5) राष्ट्रीय आर्थिक लाभ
(6) परियोजनाक विस्तृत जानकारी
आजुक परिपेक्ष मे सरकारी नौकरी मे पदक बड्ड अभाव छैक । अपन जीवनक अधिकांश भाग नौकरी ताकै मे लागि रहल अछि । जख्खन सरकारी सेवा लेल अधिकतम उम्र सीमाक लांघैत छथि, कोनो दोसर विकल्प नैं रहैत छनि तख्खन ओ आधा मोन स’ ग़ैर सरकारी क्षेत्र आ’ व्यवसाय पर धेयान दैत छथि । जाहि कारणे व्यापार मे जमै मे समय बेसी लगैत छनि ।अगर ओ शुरू स’ अपन योग्यताकेँ आधार पर निष्पक्ष रुप सँ क्षेत्रक चुनाव करताह, त’ सफलता अवश्य भेटत , जेना कि गुज़ारती , मारवाड़ी आ’ पंजाबी वर्ग करैत छथि । संगेहि संग आजुक अभिभावक वर्गक सेहो प्रोत्साहन चाही, ओ अपन संतानक प्रतिभाक निष्पक्षता केर संगे संग बच्चा केर लगाब पर धेयान दैथि । लोक लाज आर समाजक दबाव मे बच्चा पर अपन मोनक हिसाबे कार्य क्षेत्र मे जएबाक लेल दबाव नै बनाबथि । ओकर दुष्परिणाम स’ नव युवा वर्ग कुंठित भ’ रहल छैक । लोक कोनो क्षेत्र मे आगू बढथि, कोनो आवश्यक नैं जे ओ डाक्टर , इन्जीनियर आ’ प्रशासनिक पद पर नैं गेलाह त’ ओ कोनो काजक नैं छथि । सबस’ पहिले मैथिल समाज केँ अहि दुविधा स’ निकलए पड़तैक, जे लोक की’ कहत ? आजुक समय मे सब क्षेत्रक अपन अपन महत्व छैक, कोनो विषयक शिक्षा ख़राब नैं छैक । कमी छैक त’ अपन मोनक विश्वास आर अभिभावक कें पूर्ण रूपेण सार्थक सहयोग ।जहिया हम मैथिल, ई मंत्र कें नीक स’ बुझब, ओहि दिन स’ कल्याणे कल्याण होएत ।
कोन कोन उद्योग करबाक चाही ?
विभिन्न उद्योगक विस्तृत जानकारी:-
1.लेखन सामग्रीक उत्पादन
(क) चॉक (Chalk)
(ख) स्लेट-पेन्सिल (Slate- Pencil)
(ग) पेस्टल कलर (Pastel Colours)
(घ) दर्ज़ीक चॉक (Tailors Chalk)
(ङ) ऑफिस पेस्ट (Office Paste)
(च) ऑफिस गम (Office Gum)
2.आयुर्वेदिक फार्मेसी (Ayurvedic Pharmacy)
सौंदर्य आ’ श्रृंगार प्रसाधन उद्योग
1. एम्लशन (Emulsion)
2. पाउडर (Powder)
3. स्टिक्स (Sticks)
4. केक (Cake)
5. ऑयल (Oil)
6. म्युसिलेज (Mucilage)
7. जैली (Jelly)
8. सस्पेन्शन (Suspension)
9. पेस्ट (Paste)
10. सोप (Soap)
11. घोल (Solution)
सौंदर्य प्रसाधनक वर्गीकरण (Classification of Cosmetics)
(i) चर्म केँ लेल (For Skin)
(ii) केश केँ लेल (For Hair)
(iii) नाखून केँ लेल (For Nails)
(iv) दात आ मुंह केँ लेल (For Teeth & Mouth)
(v) बोर्डलाइन आ किन-रेड प्रोडक्ट्
(क) फेस पाउडर (Face Powder)
(ख) कोल्ड क्रीम (Cold Cream)
(ग) वैनिशिंग क्रीम (स्नो) (Vanishing Cream)
(घ) हैंड क्रीम (Hand Cream)
(ङ) क्लीनसिंग क्रीम (Cleansing Cream)
(च) लिपस्टिक (Lipstick)
(छ) नेल पॉलिश (Nail Polish)
(ज) केश तेल (Hair Oil)
(झ) नारियल तेलक शैम्पू (Coconut Oil
Shampoo)
(ञ) हेयर ऐमल्शन, क्रीम आर डाई (Hair Emulsion,
Cream & Dye)
(ट) हेयर फिक्सर Hair Fixer
(ठ) टूथ पाउडर (Tooth Powder)
(ड) टूथ पेस्ट (Tooth Paste)
(ढ) शेविंग क्रीम (Shaving Cream)
(ण) आफ्टर शेव लोशन (After Shave Lotion)
(त) एलम ब्लॉक (फिटकरी) (Alum Block)
(थ) विलोमक (Depilatories)
(द) बच्चा केँ लेल प्रसाधन (Baby Toiletries)
बेबी ऑयल (Baby Oil)
बेबी लोशन (Baby Lotion)
(iv) बेबी पाउडर्स (Baby Powders)
3.प्रिंटिग इंक उद्योग (Printing Ink Industry)
4.अगरबत्ती, धूप,हवन सामाग्री (Incense Stick etc.)
5.आइस-क्रीम (Ice-cream)
6.डेरी उद्योग (Dairy Industry)
क्रीम बनेबाक (Cream Production)
मक्खन (Butter)
पनीर बनेबाक उद्योग
मक्खन (Butter)
7.कन्फैक्शनरी उद्योग (Confectionery Industry)
टॉफी
बटर टॉफी
नारियलक टॉफी
बटर मिल्क टॉफी
चाकलेट टॉफी
बर्फी बनेनाय
फल सँ टॉफ़ी बनेनाय
ग्लूकोजयुक्त सादा मिठाई
लेमन वाला ड्राप्स बनेनाय
चायना-बाल
मैन्थौल ड्रॉप्स
लाली पॉप
शुगर कोटिंग
सौंफ पर शुगर कोटिंग
क्रीम-आफ-टारटार युक्त मिठाई
8. मोमबत्ती उद्योग (Candle Manufacturing)
साधारण मोमबत्ती
मच्छर भगायवाला मोमबत्ती
कलात्मक मोमबत्ती
9. वाशिंग डिटरजेंट पाउडर (Washing Detergent Powder)
10. पापड़, बड़ी आर चाट मसाला (Papad, Bari & Chat Mashala)
11. लेटैक्स रबड़ उद्योग (Latex Rubber Industry)
(अ) रबड़क बैलून (Rubber Balloon)
(ब) रबड़क खेलौना आर प्राणी शास्त्र संबंधी मॉडल
12. रबड़क हवाई चप्पल (Rubber Goods Manufacturing)
13. प्लास्टिक कें वस्तुक उत्पादन(Plastic Goods Manufacturing)
14. पॉलीथीन शीट उद्योग (Polythene Sheet Industry)
15. पेपर पिन (आलपिन) आर जेम-क्लिप (Manufacturing of Alpins & Gem Clips)
(क) पेपर पिन (Paper Pin)
(ख) जैम क्लिप (Gem Clips)
16. तार स’ काँटी (Wire Nail Industry)
17. टीन कें छोटे डिब्बे-डिब्बियां (Tin Containers)
18. कॉने फ्लेक्स (Corn Flakes)
19. फल आ तरकारी कें डिब्बाबन्दी एवं संरक्षण (Canning & Preservation of Fruits & Vegetables)
20. फलक शर्बत आ’ स्कवैश (Fruits Syrup & Squash)
21. टमाटर कें चटनी (Tomato Ketchup)
22. टोमाटो कैचपक मसाला
23. अचार (Pickles)
24. आमक डिब्बाबन्दी
25. हरियर मटरक डिब्बाबंदी (Green Peas Canning)
26. सिरका बनेनाय (Vinegar)
27. सूखल तरकारी (Dry Vegetables)
28. खिलौना आ गुडिय़ा उद्योग (Toy Industry)
29. माटि आ’ पेपरमैशीक खेलौना
30. प्लास्टर ऑफ पेरिसक खेलौना
31. लकड़ीक खेलौना
32. कपड़ाक खेलौना आ गुडिय़ां
33. दियासलाई उद्योग (Match Box Industry)
34. मसाला उद्योग (Spice Industry)
35. डबल रोटी उद्योग Bread Industry
36. बेबहार भेल इंजन ऑयल के पुनर्शोधन (Re-Refining of used Engine Oil)
37. ग्रीस उत्पादन (Grease Manufacturing)
38. कटिंग ऑयल (Cutting Oil)
39. एढैसिव उत्पादन उद्योग (Adhesive Manufacturing Industry)
1. डैक्सट्रीन एढैसिव (Dextrine Adhesive)
2. गम्ड पेपर एढेसिव (Gummed Paper
Adhesive)
3. हैवी पेपर (लिफ़ाफ़ा के लेल) गोंद (Heavy
Paper Envelope Gum)
4. क्राफ्ट पेपरकें लेल गोंद (Craft Paper
Envelope Gum)
स्टार्च एडैसिव (Starch Adhesive)
1. न्यूट्रल स्टार्च एढैसिव (Neutral Starch
Adhesive)
2. विनियर एढैसिव (Veneer Adhesive)
3. शीशे पर पेपर चिपकाबै वाला एढैसिव (Paper to
Glass Adhesive)
4. दीवार पर पेपर चिपकाबै वाला पेस्ट (Wall Paper
Paste)
सैल्यूलोज एढैसिव (Cellulose Adhesive)
1. पोस्टेज स्टैम्प एढैसिव (Postage Stamp
Adhesive)
रबड़ एवं लेटैक्स एढैसिव (Rubber & Latex Adhesive)
1. सर्जिकल टेप केँ लेल सॉल्वेट एढैसिव (Solvent
Adhesive for Surgical Tape)
40 मच्छर भगायवाला क्रीम (Mosquito Repellant Cream)
41. सर्जिकल कॉटन (डाक्टरी रूई) (Surgical Cotton)
42. सार्जिकल बैंडेज उद्योग (Surgical Bandage Industry)
43. होजरी उद्योग (Hosiery Industry)
44. रेडीमेड गारमेंट उद्योग (Readymade Garment Industry)
45. स्विच आ’ प्लग उद्योग (Switch and Plug Industry)
46. ड्राई सैल बैटरी (Dry Cell Battery)
47. बोल्ट एवं नट उद्योग (कोल्ड प्रोसेस से) – Bolts and Nuts Industry
48. इंक इंडस्ट्री (Ink Industry)
लिखबाक स्याही (Writing Inks)
पोस्टर इंक (पोस्टर कलर) (Poster Colour Ink)
ड्राइंग इंक (Drawing Ink)
प्रिंटिंग इंक (Printing Ink)
49. साबुन एवम् सफ़ाई (Soap and Cleaners)
(क) कपड़ा धोबय वाला साबुन
(ख) पारदर्शक साबुन (नहाने का साबुन) (Transparent Soap)
(ग) विट टाइप क्लीनिंग पाउडर (Cleaning Powder Vim Type)
50. सिल्क स्क्रीन द्वारा कपड़ों पर छपाई (Cloth
Printing by Silk Screen)
51. बिस्कुट उद्योग (Biscuit )
52. चीनी उद्योग (खांडसारी) (Sugar Industry)
53. टायर आर ट्यूब रिट्रीडिंग उद्योग
54. खाद्य रंगक निर्माण (Food Colours)
55. रंगक महत्व एवं समायोजन (Importance of Colours)
1. कृत्रिम खाद्य रंग (Synthetic Food Colours)
2. मृदुल खाद्य रंग (Caramel Colours)
3. खाद्य रंगों का स्वयं निर्माण (Colours
Manufacturing)
56. फल आर फूलक एसेन्स (Flavours & Essences)
57. कृत्रिम ऐसन्स अर्थात मिश्रण
58. चिप्स एवम् वेफर्स (Potato Waffers)
59. नूडल्स एवं सेवइ (Noodles)
60. माल्ट फूड एवम् माल्ट मिश्रित पेय (Malt Food & Drinks)
61. मक्कइ कँ स्टार्च (Maize Starch)
62. पान मसाला एवम् गुटका
63. दुग्ध पाउडर, घी, पनीर व कैजीन (Dairy Products)
64. कत्था निर्माण उद्योग (Katha Industry)
65. पेंट निर्माण उद्योग (Paint Industry)
हमर विशेष आह्वान :- नवतुरिया आगू आबथि आर अपन व्यवसाय करथि ।
6. जलविद्युतक आ’ सौर उर्जा :-
(अ) जलविद्युतक विकास
समतल होएबाक कारण स’ मिथिलांचल जलविद्युत केँ विकासक संभावना कम छैक। मुदा पश्चिमी चम्पारण केँ तराई वाल्मिकीनगरक आस पास आओर नेपाल सीमा सटल कोसी बैराज / कोनो नव बैराज के निर्माण क’ जल शक्ति स’ मिथिला केर विकास मे योगदान भेट सकैत छैक।
छोट आ पैघ परियोजनाक लेल नदीक विस्तृत अध्ययन क’ रूप रेखा तैयार करल जा सकैछ । समुचित जगह केँ चिन्हित क’ नव जलविद्धुत परियोजनाक विकास आ तकनीकि मूल्याकन आवश्यक छैक । मिथिला केँ लेल नव निर्माण क’ अहम् अंग बनत ।
(आ) सौर ऊर्जा :-
मिथिला मे सौर उर्जा पर काज भ’ सकैछ ।सुरुजक प्रकाश साल भरि जाड़ छोड़ि रहिते छैक ।समतल भूमि केर कारणे जमीन पर लगाओल जा सकैत छैक ।सुरुजक श्रोत त’ रहबे करत , अहि मे ईंधन पर आधारित नहि रहबाक कारणे स्वावलम्बी उर्जा छैक ।अख्खन धरि सरकारो मिथिला क्षेत्र मे कतौ नहि लगौलक ।हमसब कारख़ानोकेँ लेल सेड आ’ छत पर लगा सकै छी। सौर उर्जा पर आधारित सिंचाई पंप सेहो बाजार मे उपलब्ध छैक । ओकर उपयोग स’ सिंचाई नीक स’ क’ सकैत छी ।बिजली पर आश्रित नहि , सौर पंपक पर किसान केर सरकार स’ सब्सिडी देल जाएत छैक ।
7. निवेश, प्रवासी आ’ अप्रवासी केर समुचित योगदान:-
जे मैथिल प्रवास वा अप्रवासी, देश विदेश मे कुनो क्षेत्र मे स्थापित छथि हुनका स’ अवाहन करैत आग्रह, ओ अप्पन मातृभूमि लेल आगाँ आबथि । हुनक डेग बढत त’ मिथिलाक विकासक श्री गणेश होएत । छोटो छोट निवेश स’ बहुत किछु भ’ सकैत अछि । माय मिथिला टुक टुक ताकि रहल छथि, सबहक आहुति स’ विकासक यज्ञ सुफल होएत ।
संकल्प करु सुनु हे मैथिल
बिन त्यागे नहि कल्याण!
आगू बढ़ू डेग बढाबू
माय मिथिलेकेँ करू प्रणाम!!