राजविराज, सप्तरी। नवम्बर २७ – १० कातिक । मैथिली जिन्दाबाद!!
साहित्यकार एवम् पत्रकार सुजीत कुमार झाक मैथिली भाषा मे सातम कृति ‘बुलबुल’ कथा सङ्ग्रहकेर बुधदिन एक समारोह बीच राजविराजमे लोकार्पण कएल गेल । जिल्ला विकास समिति सप्तरीक सभाकक्षमे आयोजित ओ समारोहमे भाषावैज्ञानिक डा. सुनिल कुमार झा, मैथिली साहित्य परिषद् सप्तरीक वर्तमान अध्यक्ष शुभचन्द्र झा,पुर्व अध्यक्षसभ बिष्णु कुमार मण्डल, देबेन्द्र मिश्र आ बिबेकानन्द मिश्र संयुक्त रुपमे लोकापर्ण कएलन्हि ।
आफन्त नेपालद्वारा प्रकाशित बुलबुल कथा संग्रहमे १३ गोट कथा समावेश कएल गेल अछि । सुजीतक ई सातम कृति अछि । एहिसँ पहिने हुनक कथा संग्रह चिडै, जिद्दी, कोइली घूरि आउ, गन्ध, खजुरीवाली आ रिपोर्टर डायरी प्रकाशित अछि । सुजीतक बाल कथा संग्रह कोइली घूरि आउ धनुषा जिल्लाक करीब आधा दर्जन निजी विद्यालयमे पढाई सेहो होएत अछि ।
विमोचन समारोहमे बजैत बक्तासभ बुलबुल मैथिली कथा सङ्ग्रह मैथिली भाषा साहित्यक क्षेत्रमे एकटा अलग पहिचान स्थापित करत बतौलन्हि अछि । साहित्यकार झा सरल भाषामे सामाजिक परिवेशक यथार्थ चित्रण करबा मे सफल भेल छथि हुनका सभक कहब छल । ओ सभ सुजीत झा केँ लेखनयात्राकेँ निरन्तरता देबाक सल्लाह ओ शुभकामना सेहो देलन्हि ।
आफन्त नेपालक उपाध्यक्ष प्रदीप यादवक अध्यक्षतामे भेल ओ लोकार्पण समारोहमे वरिष्ठ पत्रकार शिवहरि प्रसाद भट्टराई, नेपाल सद्भावना पार्टी गजेन्द्रवादीक केन्द्रीय अध्यक्ष विकास कुमार तिवारी, संघीय समाजवादी फोरमक केन्द्रीय सदस्य शैलेन्द्र प्रसाद साह, अन्तर्रा्ष्ट्रिय मैथिली परिषद् नेपालक अध्यक्ष करूणा झा, नेपाल सद्भावना पार्टीक महासचिव राजिव झा, नेपाल पत्रकार महासंघ धनुषाक पूर्व अध्यक्ष रामआषिश यादव, मैथिल महिला परिषद् केर अध्यक्ष सबिता दास, जितेन्द्र कुमार झा लेखक सुजीत कुमार झा सहितक वक्तासभ अपन विचार रखने छलाह ।
पुस्तकक सम्बन्धमे मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डा. सुरेन्द्र लाभ कहैत छथिः
कथामे जे तनाव होइत छैक, क्षण–क्षणक अभिव्यक्तिकिक जे दक्षता होइत छैक – से बात बुुलबुल नामक एहि कथा संग्रहमे भेटि जायत । पहिल कथा–कठपुतलीकेँ पढि़यौक । कथानक टटका छैक । एकटा पागल प्रेमीक कथा छै । मुदा ई पागल प्रेमीक प्रेमिका छैक – नाटक । कथाक प्रारम्भ जतेक नीक छैक–मध्य ओहूसँ बेसी नीक छैक । कथाक मध्य भागमे नाटक सभागारक बाहर दर्शकसभक बीचकेर संवाद सब महानगरीय मनोविज्ञानक रेखाचित्र प्रस्तुत करैत अछि । कथाक अन्त विलक्षण छैक । भुख आ’ आनन्द बीच केकरा चुनल जाय तेकर प्रस्तुति एकटा अदभुत दृश्य उपस्थित करैत अछि ।
दोसर कथा – बुलबुल छैक । एहि कथाक नामपर संग्रहक नाम राखल गेल छैक –बुलबुल । अति हृदयस्पर्शी कथा सुजीतजी लिखने छथि । बुलबुल कथाक नायिका छैक, सड़क सफाई करएवाली, दलित, झगड़ालु । कथा नायक – पण्डित छैक, लेखक छैक । ई नायक नायिका प्रेमी प्रेमिका नहि अपितु नायकद्वारा ‘बहिन’ सम्बोधन कएला उपरान्त ‘भाय–बहिन’ छैक । आ विछोेड़ कालमे उपहारक आदान–प्रदान आँखिकेँ डबडबा दैत छैक । पति–पत्नी बीचक छोटछिन जिद्द कथाक विषय–वस्तु भऽ सकैत अछि, तकर प्रमाण तेसर कथा ‘खिड़की’ मे भेटैत अछि । सामान्यतया पति–पत्नीक अहँकारक कारणसँ आई बहुतोक जीवनमे ग्रहण लागि गेल अछि । खासकऽ ओहन दम्पति सभक हेतु ई प्रस्तुत कथा प्रेरक भऽ सकैत अछि ।
चारिम कथा ‘प्रिय सखी’ अछि । प्रस्तुत कथा दाम्पत्यक परिभाषा खोजि रहल अछि । दाम्पत्य जीवनसँ सम्बन्धीत बहुतरास प्रश्नसब ठाढ़ करैत अछि–‘प्रिय सखी’ ।
‘मैडम चौधरी’ – एहि संग्रहक पाँचम कथा थीक । मैथिली कथाक परम्परागत पृष्ठभूमि – गाम, घर, चौरी, चाँचरसँ उठि महानगरक नोकरी पेशा महिलाक अन्तर्कथा एहि कथाक कथावस्तु बनल अछि । कथा कतहु प्रश्न ठाढ़ करैछ –‘समाजमे परिवर्तन कहाँ आएल अछि ? महिला कतए स्वतन्त्र अछि ?’
प्रेम कथाक सिद्धहस्त कथाकार सुजीत जीक कलमसँ छठम कथा ‘बदलैत मौसम’ सम्प्रेषित भेल अछि । एम्हर प्रेम–सम्बन्धी दृष्टिकोणमे सेहो विविधता आएल अछि । सुजीत जी एहि धारक प्रतिनिधि कथाकारके रुपमे अपने–आपकेँ ठाढ़ करबामे सफल भेलाह अछि । प्रस्तुत कथा प्रमाणित करैत अछि ।
‘केमिकल रिएक्सन’ – सुजित जीक सातम कथा थीक । अहू कथामे नीक प्रेम कथा रेखांकित भेल अछि । एकठाम कथाक नायिका एकटा साश्वत प्रश्न ठाढ़ करैछ – ‘पुरुषकेँ जाधरि सुविधा रहैत छैक परस्त्रीसँग सम्पर्क करैत छैक, सुविधा समाप्त सम्पर्क समाप्त ।’
समाज एखनहु कठोर छैक – खासकऽ महिला प्रति । ताहूमे महिला जँ पति-परित्यक्ता हो तखन तऽ ओकर दुर्गति छैक । इएह विषय वस्तु लऽ कऽ सुजीत जी – प्रस्तुत भेलाह अछि – ‘झिलमिला रहल नोर’ नामक कथामे । घरेलु हिंसापर आधारित एहि कथामे पुरुष प्रधान समाजपर पैघ चोट मारल गेल छैक – ‘की एसगरि महिला सर्वसुलभ होइत छैक ?’
एहि संग्रहक नवम कथा छैक–‘छुट्टीक परिभाषा’ । नोकरी पेशा पुरुषक व्यथा छैक एहि कथामे – छुट्टीक अर्थ पतिकेँ हेतु अलग आ पत्नि हेतु अलग होइत छैक । एहि छोट–छिन विषयकेँ एकटा कुशल शिल्पकार जकाँ सुजीत जी ‘छुट्टीक परिभाषा’ केँ गढ़लन्हि अछि । सामाजिक एवं पारिवारिक तनावक विखण्डन, नव परिवेशमे सुजीत नव तनावक ताण्डव, आक्रोस, अधिकार खोजिक चेतना आदि विविध आयामकँे नीक जकाँ आत्मसात कएने छथि । तकर प्रमाण संग्रहक दशम कथामे भेटि जाएत । बापक नाम बेटीक प्रतिशोधपूर्ण चिठ्ठीक दोसर नमूना नहि भेटत । अहाँ कतबहुँ अहिंसाबादी छी, मुदा एहि कथामे प्रतिशोधक सँग रहि जाएब । कथाकारक कुशलताक बहुत पैघ मापदण्ड छैक ई ।
‘नव अध्याय’ एहि संग्रहक एगारहम कथा थीक । स्वार्थी बेटासभक हेतु बहुत पैघ सन्देश छैक एहि कथामे । बेटासब द्वारा तिरष्कृत आ उपेक्षित भेलापर बृद्ध माय अपना ‘घरकेँ’ स्वार्थी बेटा सबके नहि दऽ बृद्धाश्रममे दान दैछ । एकटा मर्मस्पर्शी कथाक रुपमे ‘नव अध्याय’ केँ जानल जाएत ।
बारहम कथा थीक –‘मीठ–मीठ बात’ । छै तऽ इहो प्रेमे कथा, मुदा नव शैली, नव दृष्टिकोण छैक एहिमे । मिथिलाक जीवनशैली बदलि रहल छैक– तकर आभास भेटत एहि कथामे । वासनासँ उपर पे्रम होइत छैक–से बात एहि कथामे प्रमाणिकरण भेल अछि ।
तेरहम कथा ‘संसार मुठ्ठीमे’ अदभुत अछि । रुचिगर अछि । कथा किछु पैघ होइतहुँ अहाँकेँ अगुतएवाक अवसर नहि भेटत । अन्तधरि अहाँ कथाक सँग सटल रहब । बुद्धिजीवी मोवाइल आ पुलिसक चक्कर–इएह किछु विन्दुसब छैक एहि कथाक । नीक जकाँ बुनल गेल कथा थीक–संसार मुठ्ठीमे ।
संग्रहक खास विशेषता – सरल भाषा, कथाक आकार उपयुक्त, महिला अधिकारक वकालत, सामाजिक विडम्वनापर चोट, सन्देशमूलक, रुचिगर, पठनिय एवं संग्रहणीय ।