साक्षात्कारः नितीन चन्द्रा – निर्देशक, मिथिला मखान
मैथिली भाषाक बहुचर्चित आ राष्ट्रीय सम्मान सँ सम्मानित फिल्म ‘मिथिला मखान’ ऐगला मास मे रिलीज करबाक योजना अछि। ई फिल्म नेपाल क्षेत्र मे सेहो रिलीज कैल जेबाक योजना अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक संग टेलिफोनिक वार्तामे ई जानकारी निर्देशक नितीन चन्द्रा करौलनि।
वर्तमान जागरुक मैथिलीभाषीक समाज देश अथवा विदेश कतहु अछि ओकरा सबहक जुबान पर एक्केटा चर्चा छैक जे मिथिला मखान सन फिल्म कहियो बनले नहि छल मैथिली मे। एतेक धरि जे मैथिली फिल्म मे कोनो गुणस्तर केर निर्वहन कहियो नहि भेल कलंक देनिहार पाथर हृदय आलोचक सेहो एहि फिल्म केर प्रशंसा करैत नहि थकैत छथि। मैथिली जिन्दाबाद पर मिथिला मखान सँ जुड़ल समाचार बहुत पहिनहुँ सँ प्रकाशित होएत आयल अछि। एकर समाचार संपादक आर फिल्म विश्लेषक किसलय कृष्ण एक साल पहिनहि कहि देने छलाह जे ई फिल्म मैथिली फिल्मक इतिहास मे नव इतिहास बनाओत। आर सफलताक सब श्रेय जाएत अछि निर्देशक – निर्माता आ परिकल्पक चन्द्रा भाइ-बहिन-परिवार केँ। स्वयं भाषा विज्ञान केर शोधकर्ता रहल निर्देशक नितीन नीरा चन्द्रा हिन्दीक अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषा मे कार्य करबाक लेल प्रसिद्धि पओने छथि, एहि क्रम मे हुनका द्वारा मैथिली केँ ई उपहार प्रदान कैल गेल अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी हुनका सँ विशेष समय मांगिकय विस्तार सँ चर्चा कएलनि अछि। आउ देखी जे कि सब कहलैन अछि चन्द्रा।
मैथिली फिल्म केर ५० वर्षक इतिहास मे सब माइलस्टोन क्रियेट केनिहार नन-मैथिल भेलाह। परन्तु मैथिलीभाषी जनमानस द्वारा हुनका सबकेँ अपेक्षित सम्मान ओहि योगदान देनिहार आ मैथिलीकेँ अमर कृति सौंपनिहारकेँ गैर मैथिल बुझि नहि देल जा सकल अछि। ई मैथिलीभाषीक एकटा मुख्य कमजोरी जेकाँ देखि रहल छी, कारण एहि सँ योगदान देनिहार कतहु न कतहु हतोत्साहित होएत अपन आगूक योगदान देबा मे परहेज करैत छथि।
मैथिलीक पहिल फिल्म कन्यादान एक बंगालीभाषी बनौलनि, हमहुँ एक भोजपुरीभाषी थिकहुँ। १९६५ मे जहिना कन्यादान एकटा इतिहास बनेलक जे मैथिली भाषा केँ सेहो पहिल फिल्म प्रदान केलक, तहिना ५० वर्ष बाद मैथिली केँ एकटा राष्ट्रीय सम्मान सँ सम्मानित फिल्म भेटल अछि। हमरा जनतब मे आयल जे कन्यादान बनेनिहार केँ मैथिलीभाषी कहियो यादो नहि केलनि, तहिना अपनो ई अनुभूति भेटल जे एतेक रास मैथिली-मिथिलाक संस्था कार्यरत रहितो कहियो हमरा याद करैत से नहि देखलहुँ। एक बेर कियो सम्मान करबाक लेल आमंत्रित केबो केलनि त कहला जे भाड़ा अपने खर्च कय केँ सम्मान ग्रहण करबाक लेल आउ। एहेन लज्जास्पद अवस्था देखि मन कनेक दुःखी भेल, मुदा हमर समर्पण गैर हिन्दी भाषा तरफ जहिना पहिने सँ रहल तहिना आगुओ रहत। लेकिन मैथिली भाषा केर समृद्धि लेल लोकक मानसिकता मे परिवर्तन आयब जरुरी अछि।
नितीन चन्द्रा अनौपचारिक वार्ता मे अपन हृदयक बहुत रास बात रखैत मैथिली भाषा केर फिल्म निर्माण मे खास मैथिल केर एटीच्युड मे समस्या देखबैत कहलैन जे पैसावलाक कमी नहि अछि मिथिलावासी मे, मुदा अपना छोड़ि दोसर पर विश्वास करैत कोनो नीक कार्य करबा मे आगू बढबाक हिम्मत नहि देखलहुँ। ओ स्वयं निर्माता ताकैत कतेको वर्ष बितेबाक गाथा सुनौलनि एहि मिथिला मखान लेल, कहलैन जे आगुओ बहुत पैसाक आवश्यकता अछि। हम अनप्रोफेसनल एप्रोच सँ कोनो काज करिते नहि छी। रिलीज लेल सेहो सुनियोजित ढंग सँ मीडिया आ विभिन्न प्रचार स्रोत द्वारा जनमानस मे ई जनतब पहिनहि करा देब जे आखिर हम कि बनेलहुँ अछि आर अहाँ एकरा कियैक देखब।
मिथिला मखान मैथिली फिल्म केर इतिहास मे पहिल सूपर हिट फिल्म भेल अछि जेकरा राष्ट्रीय पुरस्कार सेहो भेटल। मिथिला मखान केर रिलीज केर तैयारी चैल रहल अछि, एहि वास्ते सेहो एकटा योजना आ पूर्ण प्रोफेसनलिज्म सँ होयत। हम व्यक्तिगत तौर पर विभिन्न भाषा लेल काज करैत रहल छी, अत्यन्त सफल भेल छी। आगुओ हम मैथिली भाषाक सेवा करैत रहब। मिथिला मखान नेपालक मैथिल केँ ध्यान मे राखिकय बनाओल गेल अछि। नेपालक मिथिला सँ हमर अटैचमेन्ट बड गहिंर रहल रहल अछि, बच्चे सँ सब ठाम आदरणीय पिताक संग घूमबाक दिन सब सेहो याद अछि। नेपाल मे मैथिली दोसर सबसँ पैघ आबादीक भाषा थीक, एहि सँ उत्साहित छी आर ओतय मैथिली फिल्म मिथिला मखान नीक मार्केटिंग करत ताहि लेल सेहो आश्वस्त छी।
विदित अछि जे मिथिला मखान सँ पहिने भोजपुरी भाषा मे देसवा समान चर्चित आ सफल फिल्म केर निर्माण मे नितीन चन्द्रा केर निर्देशन भेल अछि। भारतक अन्य भाषा मे सेहो बहुत रास सफल कार्य करबाक एकटा विशिष्ट छाप जुड़ल छन्हि नितीन संग। मिथिला मखान फिल्म केर सूटिंग कनाडा आ खास मिथिला सहित भारतक विभिन्न स्थान पर करब बड पैघ चुनौती छल। कतय कनाडाक माइनस टेम्परेचर आ कतय दरभंगाक ४७ डिग्रीक तापक्रम – मुदा जी-जान एक कयकेँ मैथिली लेल काज केला सँ पूरे बिहार लेल एकटा उपलब्धि हासिल केलक ई फिल्म। आब देखा चाही जे भारत आ नेपालक विभिन्न स्थान पर दर्शक एकरा कोन तरहें स्वीकार करैत छथि। नितीन अपन बहुत रास भावना शेयर कएलनि।
नितीन दरभंगाक पैनचोभ सनक जाग्रत गाम मे बच्चा सब अपन भाषा बाजय मे लाजक अनुभूति करब, दरभंगा शहर मे ९०% लोक मैथिली नहि बाजब आ संगहि भाषिक पहिचान प्रति जन-गण-मन मे कोनो चेतना नहि रहबाक बात लेल सेहो बड जोरदार आलोचना केलनि विभिन्न सक्रिय मैथिली-मिथिलाक संस्था सब केँ। ओ कहलैन जे हिसाब जोड़ल जायत तऽ समूचा भारत मे मात्र विद्यापतिक स्मृतिगान पर करोड़ों रुपयाक खर्च कैल जाएत अछि, मुदा एकर उपलब्धि कि भेल ताहि पर कियो समीक्षा तक लेल तैयार नहि अछि। फिल्म केर महत्व सर्वविदिते अछि जे जन-जन केँ ई भाषाक महत्व बतबैत अछि आर एकटा संवेदना-चेतना सब मे जगबैत अछि। फिल्मक कारण आइ हिन्दी या भोजपुरी मैथिली सनक प्राचीन आ अत्यन्त मधूर भाषा सँ काफी आगू निकैल चुकल अछि। लेकिन तैयो मैथिल जनमानस मे फिल्म निर्माण प्रति जेहेन जागरुकता आ तदारुकता-तत्परता हेबाक चाही से नहि देखल जा रहल अछि।
अन्त मे, नितीन स्वयं केँ सेहो मिथिलाक अंश कहैत अपन ममहर भारत-नेपालक सीमाक्षेत्र रक्सौल केर समीप होयबाक बात कहलैन। संगहि विराटनगर, राजविराज, लहान, जनकपुर, बीरगंज, हेटौडा आदि विभिन्न नेपालक मिथिला भूभाग मे पिताक सड़क निर्माण, बाँध निर्माण आदिक विभिन्न परियोजनापर ठीकेदारी व्यवसाय चलबाक कारण स्वयं सेहो बहुत बच्चे सँ एहि क्षेत्र सँ जुड़ल रहबाक स्मृति मे अनलैन। नेपाल मे रिलीज लेल पूरा तैयारी कय चुकल छी, आब जल्दिये तारीख केर घोषणा करब, आर मैथिली जिन्दाबाद संग सदिखन सहकार्य करैत आगू बढब ताहि लेल प्रतिबद्ध छी, नितीन कहलैन।
मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ नितीन केँ आ हिनक पूरा टीम केँ भरपूर शुभकामना!!