पटना, सितम्बर ७, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
चेतना समिति द्वारा विद्यापति भवन मे संध्याकाल ६ बजे सँ मैथिली भाषाक महान् साहित्यकार ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म केर स्मृति दिवस मनाओल जा रहल अछि। समितिक तरफ सँ रमानन्द झा रमण एहि समारोह मे जनसहभागिता लेल हकार दैत कहलैन अछि जे मणिपद्म केर लेखनी सँ मिथिलाक विभिन्न कालखंडक लोकदेवता रूप मे पूजित-वर्णित विभूति सबहक जीवनपर अत्यन्त महत्वपूर्ण लेखनी मैथिली साहित्यकेँ विशेष समृद्धि प्रदान केलक, एहेन विभूतिक स्मृति करब प्रत्येक मैथिलीभाषीक कर्तब्य बनैछ।
डा. रमानन्द झा रमण द्वारा सम्पादित कुल २१ विद्वान् द्वारा मणिपद्मजी केर विभिन्न रचना पर राखल विचार केँ समेटैत चेतना समिति पटना द्वारा प्रकाशित पोथी ‘मणिपद्म चेतना’क फोटो आ अपन स्मृति वाक्य फेसबुक पर एहि तरहें लिखैत छथिः
मोन पड़ै छथि डा ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म'(०७.०९.१९१८-१९.०६.१९८६)
‘तोहर शिवसिंह लागनि धेने, आगू बरदक जोड़ी नेने।
लखिमा कानथि अन्न बिना रे, चोटकल शिशुकेँ कोरा नेने।
तोहर राधा जाड़नि तोड़थि, कृष्ण पसर उठि महिष चराबथि,
नन्दक घर छनि गाय तीन टा, एक बुन्न घोरो नहि पाबथि’।
सोसल मीडिया पर मणिपद्म केँ आरो के सब याद कय रहला अछिः
संजय चौधरी, मिथिलांगन, दिल्ली सँ कहैत छथिः
आइ मिथिलाक महान साहित्यकार श्री ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” जी केर जयंती छन्हि …… महान साहित्यकार केँ हमर शत शत नमन ……. मैथिली केर सुविख्यात संस्था मिथिलांगन (दिल्ली) एहि अवसर पर दिल्ली में ११ सितंबर २०१६ रवि दिन केँ भव्य आयोजन करय जा रहल अछि, संभवतः ई आयोजन इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र जनपथ में होयत।
रत्नेश्वर झा, महासचिव, अखिल भारतीय मिथिला पार्टी कहैत छथिः
सय सय गंगाजल स धोने,
नहि मिटैछ इतिहासक दाग।
एकबेर भूलुंठित भेने,
फेर ने चढ़य माथक पाग।
आइ डॉ. ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्मजीक जन्मदिवस अछि। १९८५ अगस्त क हुनक बहेरा आवास पर दर्शन आ हुनका संग भिन्न-भिन्न विषय पर चर्च मोन पड़ैत अछि। मिथिलाक लोकदेवता सबकेँ मिथिलाक लोकनायक केर स्वरुप देनिहार महान साहित्यकार थिकाह मणिपद्मजी। सतत मैथिली संग सनज के कुरीति लेल सेहो छट पटेनिहार व्यक्तित्व। स्वरोजगार आ नगद फसिल होयत तखने लोक दक्षिण पश्चिम जाय स रुकत ई स्पष्ट कहने छलाह। भोर में बुझल जे ओ एकटा बहुत पैघ होमियोपैथ सेहो छलाह। हमरा स्वयं अपना हाथ स ३ गोट लिक्विड देलाह, अस्वगंध, दमियाना आ अमीन सतिभा। मधुप, मणिपद्म आ किरण केर ओहि त्रिधारा केँ हमर कोटि कोटि प्रणाम, संग संग हुनका द्वारा कहल सब गप के अमल करब ई प्रण।
दिलीप झा, मैथिली कवि, लेखक व अभियानी, मधुबनी कहैत छथिः
मैथिली लोक साहित्य केँ अलग पहिचान दियौनिहार नैकाबनिजारा, लोरिक विजय सन कालजयी कृतिक लेखक डॉ. ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ केर आइ जन्मदिन थिकनि. एहि महान कृतिकार कें शत्-शत् नमन।
वयोवृद्ध विद्वान् साहित्यकार लेखक पंडित गोविन्द झाः
तोहर सरिस एक तोंही, मोन पड़ैत छह मोही!
रामचन्द्र झाः
अछि दिग्दिगन्तमे कीर्ति हुनक जँ-ए अनुगुंजन !
मणिपद्म नमन अछि, अभ्यर्थन अछि औ वन्दन !!
उदय शंकर मिश्र, दरभंगाः
लोक साहित्य केर जनक केँ सादर नमन!