मिथिलाक माछ, मखान आ पानः तिनू भऽ रहल अछि अन्तर्धान

पान-मखान-माछ मिथिला सँ विलुप्त होएत

मिथिलाक अर्थ व्यवस्थाः सन्दर्भ पान, माछ आ मखान

– प्रवीण नारायण चौधरी

paan pattaहर क्षेत्रक अपन प्राकृतिक स्वरूप मुताबिक कृषि कार्यक विशिष्टता अलग-अलग होएत छैक। १९६० केर बाद जेना-जेना अवैज्ञानिक बाँध परियोजना सँ हिमालय सँ बहैत आबि रहल विभिन्न नदीक पानि केँ मिथिलाक्षेत्रक जमीन मे प्राकृतिक पसार केँ नियंत्रित कय मात्र गंगा मे फेकबाक कार्य भेल, तेकर असैर क्रमशः मिथिलाक पारंपरिक कृषि प्रणाली पर अपन खराब असैर छोड़ैत चलि गेल आर आब मिथिला केँ विश्व-पटल पर चिन्हेबाक ई विशिष्ट प्रतीक ‘माछ, मखान आ पान’ तिनू धीरे-धीरे विलोप होमय लागल अछि।

कहियो कहल जाएत छलैक जे आयल पाइन, गेल पाइन आ बाटहि बिलायल पाइन – कोन नदी मे केखन पहाड़क पाइन बाढि आनैत छल आ फेर कनिकबा काल मे कोम्हर बहिकय चलि जाएत छल, तेकरे ई कहावत चरितार्थ करैत अछि। मुदा कालान्तर मे वैह बाढि केँ नियंत्रण करबाक नाम पर जेहेन-जेहेन योजना बनल आर तेकरा जेना-जेना क्रियान्वयन कैल गेल ओ अन्ततोगत्वा एहि ठामक विशिष्टता केँ मृत्युदान मे विसर्जित करैत बुझा रहल अछि।

यैह जमीनक नीचाँक जलस्तर केँ प्रभावित करैत आइ कुसियारक खेती योग्य भूभाग केँ कतहु नहि सही-सलामत छोड़लक; एतय खुजल चीनी व पेपर मिल केर वास्ते कच्चा माल केर संयोजन मे कठिनाई एक दिस आ दोसर दिस अराजक राजनीति सँ मजदूर द्वारा आन्दोलन आ तेसर दिस मुनाफा कमेबाक स्थान पर सरकारी माल बुझि हड़पबाक कुत्सित मानसिकता – आइ यैह सब बात सँ ई मिथिलाक्षेत्र भारतक आन राज्य लेल मजदूर आपूर्तिकर्ता क्षेत्र केर रूप मे परिणति पाबि चुकल अछि।

सब समस्याक मूल जैड़ थीक ई बाँध परियोजना, जाहि मे समुचित नहर आ सुलिस गेट सँ नदीक पानि केँ समुचित नियंत्रित फैलाव सँ खेती योग्य भूमि केँ पटौनी आ पाँक माटिक आपूर्ति केर योजना ठीक सऽ अमल नहि कैल गेला सँ मिथिलाक भूमिक अपन विशिष्ट उर्वरता धीरे-धीरे समाप्त भेल जा रहल अछि। ई बड़का-बड़का नदी पर बनाओल गेल बाँध बान्हक पेटे-पेटे नदीक जल केँ बहेबाक कार्य करैत अछि आर फेर गंगा समान विशाल नदी ओहि सब जल केँ अपना मे समेटैत बंगालक फरक्का मे जा कय बिजली उत्पादन केर एकटा अवसर दैत अछि, तहिना पेय जल केर समस्या सँ सेहो किछु शहर केँ निजात दियबैत अछि।

मुदा मिथिला मे पूर्वक बाढि सँ जमीन नीचाँक जलस्तर आ जल-जमावक क्षेत्रक संग पोखैर – झील आदि निर्मित होएत छल, माछ व अन्य जलजीवक संग जलकृषिक विभिन्न अवसर बनबैत छल, ओ सब लगभग समाप्तप्राय होएत देखा रहल अछि। मिथिला मे पानक इतिहास – पारंपरिक कृषि मे पानपान वैदिक युग सँ शुभक प्रतीक केर रूप मे मानल जाएत अछि। वैदिक कर्मकाण्ड मे पानक पात केँ ताम्बुल कहल जाएत अछि आर एकर उपयोग बिना कोनो पूजा-प्रसाद अधूरा अछि।

मिथिलाक पानः किछु विशेष चर्चा

मिथिलाक लोक व्यवहार केँ वेद अनुरूप होयबाक आख्यान याज्ञवल्क्य संहिता मे लिखल गेल अछि। ताहि मिथिला मे हरेक पूजा-पाठ व भोज-आदिक संग अतिथि-सत्कार हेतु पर्यन्त अन्तिम स्वागत पान-सुपारी सँ कैल जाएत अछि।

पान केँ मुंहक शोभा मानल गेल अछि। पान खेनाय स्वास्थ्यक हित मे सेहो मानल जाएत अछि। मुदा जेना-जेना विकृति पसरल, पान मे तमाकुल व इत्र-पिपरमिन्ट आदिक प्रयोग सँ एकर सुच्चापन स्वास्थ्यक प्रतिकूल बनि गेल अछि।
पानक खेती कएनिहार केँ बरइ कहल जाएत अछि। बहुत विशाल स्तर पर एकर खेती कैल जाएत रहल अछि मिथिलाक्षेत्र मे। मिथिलाक पान, माछ आ मखान विश्वप्रसिद्ध अछि। राज्य केर ध्यान बरइ द्वारा कैल गेल पान-कृषि केर सुरक्षा पर कम भेला सँ मौसमक मारिक कारण घाटा सँ ऊबार नहि भेटबाक कारणे ई कृषि आब न्यून होमय लागल अछि।
पानक माँग आइ संसार मे सब तैर बढि गेल छैक। बंगला पत्ता – मीठा पत्ता बाहर सँ आबिकय बिका रहलैक अछि, मुदा मिथिलाक अपन देसी पत्ता केर गुणस्तर सर्वाधिक नीक रहितो राज्य द्वारा कोनो तरहक कृषि बीमा व तकनीकी केर प्रयोगक प्रवर्धन नहि कएला सँ नोकसानी झेलैत एतय कृषि कार्य ठप्प पड़ि गेल छैक।

किछु समय पूर्व बरइ समुदायक कृषक सब संग बैसिकय एहि सन्दर्भ मे एकटा रिपोर्ट तैयार करैत रही। ओ सब कहला जे बरखा केर बड पैघ भूमिका छैक पानक खेती मे। पानक बुआइ करबा मे सूर्यक तीख किरण सँ पानक पत्ता केँ जोगायब सेहो बड जरुरी छैक, ताहि कारण टाटक फरकी जेकाँ संरचना सँ खेत केँ गछारल जाएत छैक आर ताहि संरचनाक अन्दर मे पानक बुआइ कैल जाएत छैक। बरखा जँ समय पर नहि भेल तऽ पानक पत्ता मे नहिये रस बनि पबैत छैक आ नहिये ओकर जीवनकाल बढियां होएत छैक। एहेन मारि खेलहा खेती सँ किसान केँ मूइरो पर आफद होएत छैक।

ई पूछला पर जे एहि बातक शिकायत अपन विधायक-सांसद केर मार्फत सदन मे कियैक नहि पहुँचाबैत छी, या फेर स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि – जिला पार्षद आदिक माध्यम सँ प्रखंड विकास पदाधिकारीक मार्फत सरकारक ध्यानाकर्षण कियैक नहि करबाबैत छी – ओ सब कहलैन जे कतेको बेर शिकायल लय केँ प्रखंड पर पहुँचलहुँ। धरना-प्रदर्शन सेहो केलहुँ। मुदा बरइ समुदायक आवाज केँ आरो बुलंदी दियेनहार नेता कतहु कियो नहि अभरल। प्रखंड पर तऽ पंचायती राजवला लोक सबहक लूट-खसोट केर बँटवारा सऽ फुरसते नहि होएत छैक। के सुनत हमरा सबहक आवाज? आन-आन जिला मे कट्ठा पाछू थोड़-बहुत पैसा सरकार देबो केलक, मुदा दरभंगा मे तऽ कतहु किछु नहि अछि। एक कट्ठाक पाछू हजारों रुपयाक लगानी करू आ तखन साल भरि ओहि सँ खेपू…. आब हमहुँ सब अपन-अपन धियापुता केँ परदेशे कमाय लेल पठबैत छी। खेती केनिहार लोको नहि रहि गेल अछि। कतय सँ भेटत मिथिलाक अपन देशी पत्ता आ ओकर विलक्षण रस?

पानक एकटा खास औषधीय गुणः मोटापा कम करबाक अचूक दबाइ

आजुक समय व्यस्त लोक जेकरा मोटापाक चिन्ता बेसिये खेहारैत छैक, तेकरो वास्ते पानक औषधीय गुण बड प्रभावकारी मानल गेलैक अछि। आयुर्वेद कहैत अछि जे पानक पत्ता सँ मोटापा घटिकय वजन कम कैल जा सकैत अछि, सेहो मात्र ८ हफ्ता मे। आयुर्वेद केर अनुसार पान केर पत्ता शरीर सँ मेधा धातु यानि कि बॉडी फैट्स केँ निकालैत अछि, जाहि सँ वजन कम होएत अछि।

एकटा पान केर पत्‍ता लियऽ आर ओहिमे ५ टा साबुत काली मिर्च (मरीचक दाना) राखू। फेर ओकरा मोड़िकय चिबाउ। ई प्रक्रिया खाली पेट रोजाना ८ हफ्ता धरि करू। ई खेबा मे तीत लागत। एकरा धीरे धीरे चिबाकय खाउ जाहि सँ एकर सब पेाषण अहाँक थूकक संग आराम सँ पेटक अंदर जाय।अगर पान केर पत्‍ता केँ काली मिर्च केर दानाक संग खाय, तऽ ई ८ हफ्ता मे मोटापा कम कय देत।  पान केर पत्ता बहुत शक्तिशाली गुण सँ भरल होएत अछि, ई आरो नीक पाचन लेल जानल जाएत अछि। मिथिलाक लोक व्यवहार मे हरेक अतिथि-भोजन उपरान्त लोक पान-सुपारी दैते टा अछि। एकटा स्‍टडी मे पायल गेल अछि जे पानक पत्‍ता शरीर केर मेटाबॉलिज्‍म बढा दैत अछि आर पेट मे एसिडिटी होयबा सँ सेहो रोकैत अछि। लेकिन आयुर्वेद कोनो तंबाकू उत्पाद या तंबाकू केँ पानक संग सेवन करबाक सलाह नहि दैछ। तंबाकू या तंबाकू उत्पाद सिर्फ अहाँ केँ नोकसान पहुँचाबैत अछि। एहि प्रयोग मे अहाँ केँ मात्र हरियर नीक पानक पात मरीचक दानाक संग प्रयोग करबाक अछि। (आयुर्वेदीय गुणक जानकारी साभार टापएस्ट्रोआर्टिकल्स.कम सँ)