विराटनगर, २५ जनबरी, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
नेपाली कवि एवं गीतकार दिनेश अधिकारी संग सृजन-संवाद
सिर्जन विन्दु, विराटनगर द्वारा आयोजित ‘दिनेश अधिकारी संग सृजनसंबाद’ कार्यक्रम मे विराटनगर केर साहित्य जगत् केर विभिन्न स्रष्टा लोकनि भाग लेलनि। कार्यक्रम संयोजक सुमन पोखरेल जी द्वारा नेपाली भाषाक जानल-मानल कवि तथा गीतकार दिनेश अधिकारी सप्तनीक केँ दोपटा ओढा सम्मान कैल गेल छल। ओत्तहि उद्योग संगठन मोरंग केर कार्यकारी अधिकारी सोमनाथ अधिकारी द्वारा स्ष्टा अधिकारी सहित सभा मे सहभागी समस्त स्रष्टा लोकनि केँ स्वागत कैल गेल छल।
श्री दिनेश अधिकारी एक प्रसिद्ध कवि तथा गीतकारक संग निजामती सेवा मे सचिव समान सम्माननीय पद धरि राष्ट्र केर सेवा मे योगदान देलनि, विभिन्न जिला मे सरकारी वकील केर पद पर सेहो कार्यरत रहलाह आ वर्तमान समय मे एकटा स्वतंत्र अधिवक्ताक रूप मे कार्यरत छथि। कार्यक्रमक उद्घोषक द्वारा एहि विषय पर प्रश्न सँ संवादक आरम्भ कैल गेल जे आखिर एक्कहि व्यक्ति एना तीन-तीन विधा मे विशेषज्ञ कोना भऽ सकलहुँ। जेकर जबाब मे स्रष्टा अधिकार कहलैन जे जीवन मे क्रियाशीलता सँ ई सब उपलब्धि संभव होएत अछि। ओ प्रत्येक मनुष्य केँ सुख संग दुःखक अनुभूति होयबाक तथा एक्कहि नारीक विभिन्न रूप मे सफलतापूर्वक भूमिका अदा करबाक उत्कृष्ट उदाहरण दैत कहलैन जे जीविकोपार्जन करबाक लेल जतय निजामती सेवा हमर आधार छल ओत्तहि बाल्यकालहि सँ साहित्य सृजना मे कविता लिखब हमर शख छल। कविता लेखन मे हमर अभिव्यक्ति रहैत अछि। जँ अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता नहि होयत तऽ मनुष्य लेल दोसर जेलक आवश्यकता नहि ई हमर अनुभूति अछि। ई शख थीक आ एहि लेल पर्यन्त यदि हम ईमानदार नहि बनब तऽ जीवनक आन कोनो उपलब्धि लेल ईमानदारिताक उपयोग नहि कैल जा सकैछ।
कार्यक्रमक आरम्भहि मे श्री दिनेश अधिकारी स्वागतकर्ता उद्योग वाणिज्य संगठन मोरंग केर अधिकारी सोमनाथ जी सँ आग्रह केलनि जे साहित्य सृजनक दिशा मे राष्ट्र हित निहित अछि आर एहि तरफ उद्योगी-ब्यापारीक उचित प्रयास सँ विकासक कार्य कैल जाय। एहि सँ राष्ट्र केर निर्माण होयत – विकास होयत – समाज प्रगतिशील बनत। अपन जीवन यात्रा सँ जुड़ल विभिन्न सहभागी स्रष्टा (दर्शक) लोकनिक प्रश्नक जबाब दैत साहित्य यात्रा ‘रहरी र लहरीवाट आरम्भ भएर जिम्मेवारी बोध सम्म हुन्छ’ – अर्थात् शुरु मे शख आ लहर पर लोक काज आरम्भ करैत अछि आर धीरे-धीरे ओकरा अपन लेखन मे सुधार करैत जिम्मेवारीक बोध होमय लगैत छैक – तेहेन भाव ओ रखलैन। अपन प्रसिद्ध रचना सिपाही कविताक पूर्ण पाठ करैत एकर लेखनक पृष्ठभूमि प्रति पत्रकार-साहित्यकार अनन्त न्योपानेक प्रश्नक जबाब मे रुस मे भेटल सिपाहीक जीवन सँ सीखल अनुभूतिक चर्चा कएलनि। हुनकर एहि कविताक भाव मे सिपाहीक देश लेल जान कुर्बान करबाक मर्म छल, जाहि मे सिपाहीक विधवा पत्नी केँ लेखक संबोधन करैत कहने छथि जे अहाँ अपन माँग सिन्दुर कियैक पोछैत छी, ओ तऽ अमर विभूति छलाह जे सब दिन जिबैत रहता। ओ तऽ देशक माटि मे मिलि गेला जेकर अन्न – उपजा सब किओ खाएत अछि। जँ सिपाहियोक मरण होइछ तऽ जहिया ओकरा नियुक्ति भेटलैक तहिये ओ मरि गेल से बुझू! यैह कविताक भाव सँ विह्वल दर्शक केँ छोड़ि स्रष्टा दिनेश अधिकारी सब सँ विदा लैत काठमान्डु लेल प्रस्थान भऽ गेलाह।
अपन छोट समयक सृजनसंबाद मे ओ बहुत रास बात विराटनगर साहित्य जगत् लेल छोड़िकय गेलाह जाहि मे सब दिन याद राखय योग्य बात ई छलः
रोएं पनि यसैमा रुन्छु
हाँसें पनि यसैमा हाँस्छु
विद्रोह पनि मेरो यसैमा हुनेछ!
अर्थात् साहित्यसेवाक मूल आधार पर एकटा कवि-सर्जक सब दिन अटल रहत। ओकर सब भावना अभिव्यक्तिक माध्यम यैह किछु पाँति सँ स्पष्ट कैल जाएत रहलैक अछि।
हुनकर अभिव्यक्ति सँ एकटा बात आरो स्पष्ट भेल जे कोनो समय मे नेपाल काठमान्डु धरि मात्र सीमित छल, मुदा आब सब तैर रहनिहार केँ ई अनुभूति भेटैत छैक जे ओ नेपाल मे रहैत अछि आर ओहो नेपाल देश प्रति ईमानदारी सँ सेवादान करैत अछि। अपन जीवनक पूर्व अनुभूति सब सुनबैत ओ ईहो कहलैन जे पंचायत काल मे राजकाजक मुद्दा सेहो खेपय पड़ल, गोटेक समय अपन नौकरीक दबाव सँ सेहो मोस्किलक सामना करय पड़ल, मुदा तैयो लेखन प्रति जे झुकाव छल से कहियो रुकल नहि, ओ अविरल चलैत रहल।
अपन पारिवारिक पृष्ठभूमि मे पिता ओ जेठ भाइ केर चर्चा करैत हुनका लोकनिक साहित्य-समर्पण सँ प्रेरणा भेटबाक बात सेहो कहलैन। शुरु मे एकटा कविता संभवतः सोझें बैसल अपन पत्नी प्रति समर्पित सुनबैत विवाहक एक्के दिनक बाद सपत्नीक पैदल यात्रा पर निकलल छलहुँ, एक्के टा छाता छल, पानि पड़य लागल, हम पत्नी केँ छाता ओढाबी, पत्नी हमरा ओढाबथि… दुनू गोटा ओ यात्राकाल धरि एहि तरहें एक-दोसर प्रति प्रेमक विशुद्ध अनुभूति करैत अन्त भिजबो केलहुँ तऽ भैर जीवन लेल एकटा सुन्दर अनुभूतिक संग बितेबाक सीख संग… एहि भावक कविता सँ उपस्थित दर्शकक मन मोहि लेने छलाह।
मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी एहि आयोजनक प्रशंसा करैत कहलैन जे सृजनसंबाद कार्यक्रम सँ एकटा नामी-गिरामी कवि-गीतकारक अनुभव बहुत किछु सिखाबयवला रहल। सुमन पोखरेल, विवश पोखरेल, मीन कुमार नवोदित, मधु पोखरेल, सरोज कार्की, विवेक दहाल, सीमा, तथा विराटनगरक साहित्य क्षेत्रक अनेकानेक स्रष्टा लोकनिक उपस्थिति सँ ई कार्यक्रम पूर्ण सारगर्वित छल।
हरिः हरः!!