कविश्वर चन्दा झा केर जन्म २० जनबरी १८३१ ई. केँ भेल छलन्हि। आधुनिक मैथिली कविताक आरम्भ सेहो हुनकहि सँ भेल मानल जाएछ। पुरुष परीक्षाक अनुवादक संग अनेक पोथी हुनका द्वारा लिखल गेल। हिनकर पूरा नाम चन्द्रनाथ झा छलन्हि। मूलग्राम पिण्डारुच (दरिभंगा जिला) केर तथा मड़रय रजौरा मूलक काश्यप गोत्रीय मैथिल ब्राह्मण छलाह कविश्वर चन्दा झा। हिनक मातृक बड़गाँव (सहरसा जिला) मे आर हिनकर मातामहक नाम पं. गिरिवर नारायण झा छलन्हि। कविवर केर जन्म अपन मातृके मे भेल छलन्हि, पारंभिक जीवनक किछु समय अपन गाम पिण्डारुच मे बितौलनि, परञ्च अपन जीवनक उत्तरार्ध ठाढी गाम जतय आइयो हिनकर विभिन्न कृतिक चर्चा तऽ अछिये, गाम मे भव्य स्मारक स्थल सेहो निर्माण कैल गेल अछि। ई महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह तथा महाराजा रामेश्वर सिंह केर दरबारक सम्माननीय पण्डित सेहो छलाह। हिनक मृत्यु १४ दिसम्बर १९०७ ई. वाराणसी मे भेल छलन्हि। मैथिली भाषा ओ साहित्य क्षेत्र मे महाकवि विद्यापतिक बाद हिनकहि नाम लेल जाएत छन्हि, ताहि सँ हिनकहि मैथिली केँ आधुनिक युग मे स्थापित करयवला स्रष्टाक रूप मे गानल जाएछ, आर एहि तरहें एकटा युगपुरुषक रूप मे ई प्रसिद्धि पौलनि।
कविश्वर चन्दा झा केर जयन्ति २० जनबरी केँः झंझारपुर मे समारोह
चन्दा झा जयन्ति २० जनबरी केँ झंझारपुर मे
मधुबनी, जनबरी १६, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
मिथिला भाषा रामायण केर प्रसिद्ध रचयिता कविश्वर चन्दा झा केर जन्म जयन्ति समारोह आगामी २० जनबरी केँ झंझारपुर मे मनेबाक निर्णय लेल गेल अछि। एहि कार्यक्रमक संयोजन मलय नाथ मंडन द्वारा कैल जेबाक समाचार भेटल अछि।मधुबनीक भूमि पर विगत किछु समय सँ साहित्यिक क्रान्ति केँ पूरजोर ढंग सँ आगू कएनिहार स्रष्टा-साहित्यकार अजित आजाद ई जानकारी दैत कहलनि अछि जे मैथिली साहित्य जगत् मे मधुबनीक योगदान अविस्मरणीय अछि, युगपुरुष सेहो मानल जायवला कविश्वर चन्दा झा अपन अनमोल योगदान सँ मैथिली भाषा केँ एकटा संस्थापक कहाएत छथि। हालहि संपन्न डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन जयन्ति दिवस पर ई चर्चा बेर-बेर अबैत छल जे डा. ग्रियर्सन मैथिली भाषा-साहित्य-व्याकरणक संग एहि ठामक जीवनशैली आदि पर जे शोध केने छलाह, ताहि मे पर्यन्त कविश्वर चन्दा झा केर सहयोग महत्वपूर्ण छल। संगहि, मैथिली जगत् मे विद्यापति समान महाकविक स्मृति जाहि उत्साह सँ कैल जाएछ, किछु तहिना आरो विभूति लोकनि केर स्मृति मे करब वर्तमान समयक मांग अछि। एहि सब दृष्टिकोण सँ मधुबनीक साहित्य जगत् द्वारा सामूहिक जिम्मेवारीक संग ई आयोजन मलय नाथ मंडन केर संयोजन मे होयबाक निर्णय लेल गेल अछि।