विराटनगर, दिसम्बर ६, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
काल्हि दिसम्बर ५ शनि दिन विराटनगर केर महावीर चौक पर स्वतंत्र मधेसी समाज (बुद्धिजीवी नागरिक समाज) एवं राष्ट्रीय मुस्लिम संघर्ष गठबन्धन द्वारा एकटा वृहत् नागरिक खबरदारी सभाक आयोजन कैल गेल छल। एहि कार्यक्रम मे नेपाल प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक, साहित्यकार, कूटनीतिज्ञ एवं कानूनविद् केर संग राजनीतिकर्मी, भाषा-संस्कृति अभियानी सहित हजारों-हजारक संख्यामे आम जनसहभागिता भेल छल। एहि सभा द्वारा नेपाली राज्य सत्ता-संचालक केँ मधेसक मांग शीघ्र पूरा करबाक लेल खबरदारी संवाद देल गेल।
सभाकेँ संबोधित करैत कूटनीतिज्ञ व नेपालक पूर्व सचिव डा. प्रवीण मिश्र आश्चर्य व्यक्त केलैन जे एक्कहि माँगक वास्ते दोसर बेर आन्दोलन करबाक लेल बाध्य करबाक रिकार्ड बनल अछि ई मधेस आन्दोलन, आ ताहू मे एतेक समय बीत गेलाक बादो सरकार पर कोनो असैर नहि पड़ि रहल अछि। एहि सँ स्पष्ट विभेदक गाथा आर कि भऽ सकैत छैक प्रश्न पूछलनि नेपालक आम जनमानस सँ। ओ कहलनि जे नेपाल मे शोषण मात्र गानल लोक द्वारा कैल जा रहल अछि – पहिल लेयर मे ४० सँ ४५ गोटा राजनेता, दोसर लेयर मे करीब १५० टा ब्युरोक्रेट्स आ तेसर मे तकरीबर ४३०० शासन व्यवस्थाक भ्रष्ट अधिकारी – ई सब मिलिकय देशक जनताक खून चूसि रहल अछि। मधेसी जनता आब अपन अधिकार लेने बिना एकरा सब सन शोषक सँ समझौता नहि करत।
तहिना कानूनविद् व संविधान अध्येता विद्वान् अधिवक्ता सुरेन्द्र महतो वर्तमान नेपालक संविधान केर व्याख्या करैत आम जनमानस समक्ष बेईमानीक नियत वर्तमान शासक केर कोना रहल आर कोन तरहें छलपूर्वक ओ शोषित-पीडित मधेसी सहित अनेको अन्य नेपाली जन केँ अधिकारविहीन बनाकय राखय चाहि रहल अछि तेकर पर्दाफाश केलनि। हरेक विरोधाभाषी धाराक वर्णन करैत कोन समयक संविधान मे कि रहल तेकर नीक विवरण प्रस्तुत केलनि। अन्तरिम संविधान द्वारा देल गेल अधिकार पर्यन्त वर्तमान संविधान द्वारा छीन लेल गेल अछि से खुलस्त केलनि। नेपाली कांग्रेस द्वारा संशोधन प्रस्ताव केर सेहो स्वरूप आ ताहि सँ समाधानक बाट नहि खुजबाक बात कहैत ओ कहला जे ई तऽ २०४७ केर संविधानक भाषा आनैत देश मे वैह पुरान परित्यज्य नीति केँ पुनर्स्थापना करबाक षड्यन्त्र कय रहल अछि। अतः आब जाहि मांग लेल मधेस आन्दोलन एतेक दिन सँ एतेक लोकक शहादति दैत चलि रहल अछि ओ पूर्ण माँग संबोधन बिना रुकबाक नहि चाही। राज्य केँ फेरो दोसर मौका देबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि आर ओकरा पास विकल्प सेहो नहि छैक। माँग पूरा करहे टा पड़तैक।
विशिष्ट वक्ता खगेन्द्र संग्रौला शासन तंत्र केर नियत पर सवाल ठाढ करैत कहला जे ओ सब अखंड नेपाल केर चिन्ता करैत अछि लेकिन जानि-बुझिकय नेपाल केँ खंडित रखने अछि। किछु शासन चलौनिहार केँ चांदी रहैत छैक जखन कि बाकीक नेपाली जनता शोषित-दमित रहैत छैक। मधेसक आन्दोलन एकमात्र ठठल आन्दोलन थीक जे दासत्व सँ मुक्ति लेल संघर्ष केँ निरन्तरता देने अछि। बाकी सब सरकारक दमन व छल केर आगाँ घूटना टेक देलक। जँ सरकार मधेसक आन्दोलन केँ गोली-बन्दूक सँ दमन करबाक नीति पर चलत तऽ माँग कएनिहार आरो किछु माँग करैत संघर्ष शुरु कय सकैत छैक। हुनकर इशारा सीधा-सीधी मधेस स्वतंत्र राष्ट्र केर लेल लड़त से छल। ओ मधेसक माँग संग आन्दोलन कएनिहार केँ भरपूर आशीर्वाद दैत कहलनि जे हम बेर-बेर आयब आर अहाँ सबकेँ अहिना आशीर्वाद दैत रहब। स्वयं पहाड़े मूलक शासक वर्ग समाजक रहितो मधेसक पीड़ा आर उत्पीडित आम नेपाली जनताक पीड़ा हमरा वर्दाश्त नहि अछि आर सरकार चलेनिहार लोभी-लालचीक फाँस सँ देश केँ निकालबाक लेल एकमात्र सफल आन्दोलन मधेसक संग सदिखन छलहुँ आर रहब ओ कहलनि।
एकटा प्रख्यात साहित्यकार व लेखक केर रूप मे प्रसिद्ध संग्रौला अपन संबोधन शुरुहे मे कहलनि जे मधेस आन्दोलन पर राज्य द्वारा तरह-तरह केर कलंक लगायल जा रहल अछि जे मात्र ढकोसला थीक। ओ स्पष्ट केलनि जे भारतक उकसाहट पर वा भारतक खर्चा पर – दोसर केकरो पोषण सँ कोनो आन्दोलन ५-७ दिन सँ फाजिल नहि चलैत, लेकिन मधेसक आन्दोलन करीब चारि मास सँ निरंतरता दैत नहि केवल मधेसीक हित मे काज कय रहल अछि बल्कि एहि सँ नेपालक भविष्य मे पर्यन्त शोषक द्वारा शासनक अन्त करबाक मार्ग प्रशस्त कय रहल अछि। सार्वभौम जनता अन्तिम न्यायक होएत अछि, एहि जनताक हाथ मे सब किछु रहैत छैक। ओ जेना कहत तहिना देश आगू बढत। ई बात शासन चलौनिहार केँ बुझय पड़त। मधेसक आन्दोलन ताबत चलय जाबत एकर पूर्ण जीत नहि हेतैक।
एहि खबरदारी सभाक अन्तिम व प्रमुख वक्ताक रूप मे सुप्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक सी के लाल अपन संबोधन मे संविधान केर नियति पर प्रश्न ठाढ करैत चुटुक्का लैत बजला जे ई संविधान एहने बनल अछि जेना प्रधानमंत्री के पी ओली प्रधानमंत्री बनैत कहि रहल छथि जे ‘हम बनलहुँ राजा – अहाँ सब बजाउ बाजा’, राष्ट्रपति विद्या भंडारी कहि रहल छथि जे ‘हम बनि गेलहुँ रानी – अहाँ सब भरू पानी’, आर विजय गच्छदार कहि रहल छथि जे ‘हम बनि गेलहुँ उपप्रधानमंत्री – अहाँ सब केँ बनायब संतरी’ – से आम जनता केँ ई निर्णय करबाक अछि जे सब दिन बाजे बजायब, आ कि सब दिन पानिये भरब या फेर संतरिये बनब। ई आन्दोलन अन्तिम युद्ध थीक आर सीमांकन एकर प्रमुख मांग अछि। ई भूमि मधेसीक थीक। एतय पहाड़े मूलक आम लोक संग मधेसी मिलिकय बसैत अछि। आम लोक मे कोनो विभेद नहि छैक। बस, ई गोटेक शासक मानसिकताक लोक पसेरी मे एतय सँ लैत अछि, मुदा पद पेलाक बाद एतुके जनता केँ कनमा मे दैत अछि। आब पसेरी देबाक बदला कनमा मे नहि लेबाक अछि, बल्कि मन्न केर हिसाब सँ वापस लेबाक अछि।
श्री लाल अपन संबोधन मे पूर्वाञ्चलक तीन जिला मोरंग, सुनसरी ओ झापा केर वासिन्दा केँ अपन भौगोलिक गरिमा नहि बिसरबाक बात कहलनि। कोसीक जल सँ सींचित एहि भूमिक भाषा, संस्कृति ओ समाज कोसी ओहि पार यानि प्रदेश २ केर वासिन्दा सँ एक्कहि समान रहल अछि। ताहि हेतु सीमांकन मे हेर-फेर मधेस व मधेसी केर प्रतिनिधित्व केँ कमजोर करबाक षड्यन्त्र थीक जेकरा अहाँ सब कदापि पूरा नहि होमय दियौक, ओ आह्वान केलनि।
संगहि श्री लाल वर्तमान सरकार केर अहं बढि जेबाक दृष्टान्त दैत एकर अन्त निश्चित अछि कहैत आन्दोलन मे नैतिकताक आधार कायम रखबाक अनुरोध केलनि। ओ अंगद द्वारा रावणक सभा मे अपन पैर रोपि ई कहबाक जे राम संग युद्ध बाद मे करब, पहिने हमर पैर उठा केँ देखाउ, ओहि नैतिकता आधार पर हरेक मधेसी जनमानस केँ एहि आन्दोलन केँ ताबत निरंतरता देबय पड़त जाबत वर्तमान शासक एकर सब मांग केँ ईमानदार बनिकय संबोधन नहि करैत अछि।
श्री लाल मोन पाड़लनि जे पहिने राजतंत्र केँ उखाड़बाक समय आन्दोलनी सब कहैत छलैक जे ‘ताज हिला देंगे – तख्त हिला देंगे – तंत्र बदलते हम देखेंगे’, एहि नारा मे ताज तऽ सही मे हिला देलियैक, मुदा तख्त नहि हिलबाक कारणे आइ फेर वैह सब ताज पहिरिकय मधेसीकेँ अधिकारविहीन बनाकय राखय चाहैत अछि। लेकिन एहि बेर अहाँ सब केँ दुनू केँ हिला देबाक अछि ओ आह्वान केलनि।
काल्हिक खबरदारी सभा मे स्थानीय वक्ता जफर जमाली, सलीम अंसारी, भगवान् झा, आरती साह, राधा मंडल, शिव नारायण पंडित ‘सिंगल’, प्रवीण नारायण चौधरी व अजित झा द्वारा सेहो विभिन्न साहित्यिक विधाक संग प्रस्तुति छल। तहिना विरेन्द्र झा केर गायन मे भैरवि वंदना सँ सभाक शुरु आर अजित झा रचित मधेस क्रान्ति गीत सँ अन्त कैल गेल छल। विराट मैथिल नाट्कला परिषद् – विराटनगर केर एकटा छोट नाटक ‘कनैत बच्चा’ केर प्रस्तुति अत्यन्त सराहनीय रहल। एकर निर्देशक तथा कलाकार राम भजन कामत कहलनि जे एकटा कनैत बच्चा केँ चुप करेबाक लेल ओकर औचित्यपूर्ण माँग केर संबोधन होइत छैक, नहि कि वर्तमान राज्य जेकाँ ओकरा गोली सँ उड़ा देबाक नीति। उपस्थित दर्शक जतबा बात महत्वपूर्ण संबोधन सँ सुनलनि, ओतबे सीख एहि नाटक सँ सेहो लेलनि। चारूकात एहि सभाक चर्चा चलि रहल अछि।
स्वतंत्र मधेसी समाजक एहि खबरदारी सभाक संचालन प्रसिद्ध राजनीतिक अभियानी सूर्यदेव यादव केलनि, ओही ठाम एकर संयोजक फूल कुमार देव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कैल गेल। कार्यक्रमक आयोजन केर सफलताक केन्द्र मे भास्कर चौधरी, मनोज शाह, रमेश यादव, सनातन मंडल, वसुन्धरा झा, डा. एस. एन. झा, आलोक मिश्र, जयराम यादव, भरत यादव सहित विभिन्न संघ-संस्थाक सहयोग अविस्मरणीय छल। राजनीतिक व सामाजिक नेत्री वसुन्धरा झा द्वारा गाम-गाम व टोल-टोल सँ महिलाक सहभागिता करायल गेल छल, संगहि हुनका लोकनिक बैसबाक आर भीड़ नियंत्रण करबाक योगदानक संग हुनक श्रेष्ठ उपस्थिति सँ एहि सभाक मर्यादा मे चारि चान लागि गेल छल। पत्रकारिता क्षेत्र मे निरन्तर योगदान देनिहार जितेन्द्र ठाकुर, अबधेस झा, नवीन कर्ण, आदिक भूमिका सेहो सराहनीय रहल। कार्यक्रमक स्तर सँ मधेसी, पहाड़ी सब वर्ग अत्यन्त संतुष्ट रहल। सब सँ पैघ बात जे शान्तिपूर्ण आन्दोलनक असल स्तर कि छैक तेकर एकटा नीक अनुकरणीय उदाहरण बनल काल्हिक विरोध सभा।
विदित हो जे भैरवि वन्दना सँ शुरु एहि कार्यक्रम मे अल्लाहताला प्रति समर्पण लेल अजानक समय कार्यक्रम मे मौन धारणा करैत एकटा धार्मिक सौहार्द्रताक संदेश सेहो देल गेल छल। हर तरहें काल्हिक कार्यक्रम अत्यन्त अनुकरणीय रहल।