काठमांडु, नेपाल। नवम्बर २४, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली भाषा व साहित्यक जानल-मानल स्रष्टा धीरेन्द्र प्रेमर्षि नेपाल सरकार सँ माँग केलनि अछि जे विद्यापतिक पुण्यतिथि ‘कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी’ केँ सार्वजनिक छुट्टी देल जाए, संगहि विद्यापति जनिक रचना शैली व काव्य आदि सँ मैथिली, नेपाली, बंगाली सहित समस्त आर्य जनभाषाक आदिकवि मानल जाएत अछि हुनका राष्ट्रीय विभूतिक रूप मे मान्यता सेहो देल जाय ओ माँग केलनि अछि।
भारत व नेपाल केर मैथिली भाषाभाषी सहित साहित्य जगत् केर अन्य भाषाभाषी द्वारा सेहो विद्यापति प्रति अगाध श्रद्धा व मान्यता रहल अछि आर ई मांग दुनू देश मे उठैत रहल अछि जे विद्यापति केँ राष्ट्रीय विभूतिक रूप मे मान्यता देल जाय। संगहि हुनक पुण्य तिथि जेकरा राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समारोहपूर्वक विद्यापति स्मृति दिवस केर रूप मे मनाओल जाएछ, ताहि दिन सार्वजनिक छुट्टी सेहो देल जेबाक चाही।
कातिक धवल त्रयोदशि जान
विद्यापतिक आयु अवसान॥
यैह उक्ति सँ विद्यापतिक अवसान अर्थात् पुण्यतिथिक पता चलैत अछि। धीरेन्द्र प्रेमर्षि कहैत छथि जे आर्य जनभाषा सबहक आदिकवि विद्यापतिक आइ ५६७म स्मृति दिवस थीक। नेपालक दोसर सबसँ अधिक जनसमूहक भाषा मैथिलीक महाकवि विद्यापति केँ राष्ट्रिय विभूति घोषणा करैत प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल त्रयोदशीक दिन सावर्जनिक विदा घोषणा कय नेपाल सरकार नेपाली राष्ट्रियता केँ आरो सुदीर्घ, सुदृढ आर विस्तृत बनाबय।
विदित हो जे नेपाल मे एकल भाषा सँ एकल पहिचान केँ संवर्धन-प्रवर्धन करबाक एकटा विशाल इतिहास रहल अछि, मुदा आब नेपाल मे संघीय गणतंत्रक संग नव संविधान केर निर्माण भेलाक बादो ओहि एकल भाषा व एकल पहिचानक नीति मे हाल धरि कोनो उल्लेखनीय सम्मान नेपाली छोड़ि दोसर भाषाक कवि-विद्वान्-स्रष्टा आदि केँ नहि भेटल अछि। सबहक मातृभाषाक सम्मान लेल संविधान मे अधिकार देल गेलाक बादो संविधान स्थापनाक बाद एखन धरि विरोध जारी अछि। एहेन कठिन परिस्थिति मे धीरेन्द्र प्रेमर्षिक माँग अत्यन्त प्रासंगिक आर सान्दर्भिक लगैत अछि। नेपाल सरकार यदि मैथिली सहित अन्यान्य भाषाक महाकवि लोकनि केँ राष्ट्रीय विभूति मानैत सुनिश्चित कार्ययोजना बनाओत तऽ जरुर नेपाली राष्ट्रीयताक संकुचित स्तर विस्तार पाओत आर एहि सँ समस्त भाषाभाषी मे राष्ट्रीयता प्रति श्रद्धा बढबे टा करत।
नेपाल मे विद्यापति ओनाहू बहुत समय धरि रहल छलाह। नेपालक बनौली राज मे राजा शिव सिंह केर रानी सहित अपन कृति आदिक यवन आक्रमण सँ रक्षा करबाक लेल ओ नेपाली मिथिला भूभाग मे गुप्त वास केने छलाह से मान्यता अछि। विद्यापतिक महान् कृति कीर्तिलता व कीर्तिपताका सहित विभिन्न अन्य पाण्डुलिपि सेहो नेपालक शाही दूतावास मे सुरक्षित राखल भेटल। एहि तरहें ऐतिहासिक साक्ष्य केर आधार पर सेहो नेपाल मे विद्यापति प्रति एकटा राष्ट्रीय योगदान देब आवश्यक अछि।