आत्मगौरवक बोध सँ मिथिलाक दिन सुदिन होयतः जेएनयू मिथिला मंच

जेएनयू मिथिला मंच केर सौजन्य सं आयोजित मैथिल चर्चा-परिचर्चा: एक रिपोर्ट

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली, 21/11/2015: मैथिली जिन्दाबाद!!

jnu paricharchaजेएनयू मे वाद-संवाद केर विशिष्ट परंपरा केँ आगु बढबैत जेएनयू मिथिला मंच द्वारा काल्हि राति माहि-मांडवी मेस मे एकटा “चर्चा-परिचर्चा” आयोजित कराओल गेल.

चर्चा में आमंत्रित विशिष्ट वक्ता छलाह, डॉक्टर रामनाथ झा, प्रोफ़ेसर, संस्कृत केंद्र, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, श्री सुशांत मिश्र, प्रोफ़ेसर, भाषा अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, डॉक्टर गौतम झा, सहायक प्रोफ़ेसर, भाषा इंडोनेशिया, भाषा अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय.

एहि चर्चा-परिचर्चा केर मुख्य उद्देश्य जेएनयू में अध्ययनरत मैथिल आ दोसर छात्र सबकेँ मिथिलाक समृद्ध संस्कृति, परंपरा आर इतिहास सँ अवगत करेबाक लेल उचित डेग पर चिन्तन करब छल.

jnu paricharcha1डॉक्टर रामनाथ झा चर्चा शुरू करैत बजलाह जे विश्व मे जतेक दर्शन केर आय अध्ययन कैल जाएत अछि ओ समस्त दर्शनक जन्मभूमि मिथिला अछि, चाहे ओ गौतमक न्याय दर्शन होय, कपिल केर सांख्य दर्शन होय अथवा जैमिनीक मीमांसा होय; सभक आविर्भाव मिथिला केर माटि सं भेल अछि. रामनाथ सर आगू बजलाह जे विद्यापति समान महाकवि केर छाप रविन्द्रनाथ टैगोर पर एतबा बेसी छलनि जाहि सँ हुनकर साहित्य मे विद्यापतिक चर्चा स्वतः अबैत छल, परिणामस्वरूप बहुते बादो धरि बंगाल आ मिथिला मे विद्यापति केर जन्मभूमि पर विवाद रहल, मुदा बादमे बंगाली दार्शनिक लोकनि ई स्वीकार केलनि कि विद्यापति परम प्रतापी भूमि मिथिला सँ छलाह.

श्री सुशांत मिश्र सर मुख्य रूप सं मिथिलाक पावनि-तिहार आर ओकरा सँ जुड़ल इतिहास पर चर्चा केलैथ. सर कहलाह कि मिथिला एकमात्र एहेन भूमि अछि जतय आजुक नव-नव विचारधारा जेना कि फेमिनिज्म आदि पर वर्षों पहिने पुस्तक लिखल जा चुकल छल, मिथिला एकमात्र धाम अछि जतय आय धरि पुरुष परीक्षा होइत अछि नहि कि स्त्री परीक्षा, चाहे मिथिला रामायण होय अथवा मधुश्रावनी केर कथा सब जगह मिथिला मे स्त्री केर सम्मुख पुरुष केँ अप्पन सामर्थ्यक परिचय सिद्ध करय पड़ैत अछि, कहबाक अर्थ ई अछि जे आय जाहि फेमिनिज्म आर स्त्री सशक्तिकरण केर गप्प पर एतबा हाय तौबा मचाओल जा रहल अछि ओकर निराकरण वर्षों पूर्व मैथिल साहित्य सबमे लिख देल गेल अछि, आवश्यकता अछि ओकरा सब केँ विश्व पटल पर आगू आनल जाय आर वृहत् बहस करैत अपन विकसित सभ्यता सँ लोक केँ परिचित कराओल जाय.

डॉक्टर गौतम झा मैथिल परंपरा आर इंडोनेशिया में व्याप्त परंपरा केर समानता – विषय पर बजलाह. इंडोनेशिया में आय धरि रामायण देखबा लेल लोक सबमे जतबा उत्सुकता रहैत अछि ओतबा उत्सुकता मिथिला या भारतो मे नहि अछि, सर कहलाह कि ओतय रामायण केर प्रस्तुति मुख्य रूपेण कठपुतली केर माध्यम सँ कयल जायत अछि, एक समय कठपुतली केर खेल मिथिलामे सेहो खूब होयत छल मुदा आय देखबा लेल नै भेटैत अछि, सर एहि विषय पर अप्पन चिंता व्यक्त केलैन.

चर्चा परिचर्चामे करीब ७० गोटा हिस्सा लेलनि, जाहिमे मैथिल छात्र सभक अलावा दोसरो राज्य सभक छात्र छलाह. मिथिला केर एतबा समृद्ध परंपरा आर साहित्य केर जानकारी लs कs सब संतोष आ आभार व्यक्त केलाह जेएनयू मिथिला मंच केर प्रति. ई परिचर्चा अपना तरहक पहिल एहेन परिचर्चा छल. अंत मे उपस्थित श्रोता सभ अप्पन अप्पन प्रश्न सेहो पूछलाह. ईहो विषय पर चर्चा कयल गेल कि जेएनयू मे मैथिली विषय केर पढाय कोना शुरू कयल जाय.

चर्चा-परिचर्चा के आरम्भ रातिमे १० बजे भेल आ समाप्त होयत-होयत राति के १ बाजि गेल, श्रोता आर वक्ता दुनु एतबा उत्साहित छलाह एहि कार्यक्रम सं जे नहि तऽ श्रोता प्रश्न पूछय सँ अपना आपकेँ रोकि पाबि रहल छलाह आ नहिये वक्ता सभ प्रश्न केर उत्तर देबा सँ. जाड़क मौसम आ रातिक समय केँ देखैत अंतमे ई आग्रह केर संग जे जल्दिये फेर सं एहने तरहक दोसर कार्यक्रम केर आयोजन कयल जायत, चर्चा-परिचर्चा केर विराम लगाओल गेल.

भास्कर ज्योति, उपाध्यक्ष, जेएनयू मिथिला मंच मैथिली जिन्दाबाद सँ जानकारी दैत कहला जे क्रमशः मैथिल छात्र मे अपन मूल संस्कृतिक महत्व उजागर होमय लागल अछि। जतय लोक मे अपन भाषा तक व्यवहार करबा मे लाज लागैत छल, ताहि ठाम एहि तरहक आत्मसम्मान व आत्मगौरवक बोध कराबयवला कार्यक्रमक आयोजन सँ मैथिली ओ मिथिलाक ग्रहण लागल समय जल्दिये टरत से विश्वास अछि।

एहि मे कोनो दुइ मत नहि जे राजनैतिक समर्थन व राज्य केर पोषण बिना कोनो मूल्यवान् संस्कृतिक रक्षा नहि कैल जा सकैत अछि, मुदा जागरण जाहि स्तर पर विद्वत्वर्ग मे प्रवेश पाबय लागल अछि ताहि सँ मिथिलाक जीवन सनातनकाल धरि जिबैत रहत – यैह सत्य प्रमाणित होएत प्रतीत भऽ रहल अछि।