विद्यनान्द बेदर्दीक गीत – तेजुक आवाज – शैलेन्द्रक संगीत: डिजाइन बड्ड डेन्जर छौ

विराटनगर, अक्टुबर १, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

मैथिली गीत-संगीत केर दुनिया मे नवागन्तुक छात्र गीतकार केर रूप मे जानल-मानल विद्यानन्द बेदर्दी (राजविराज) जे हाल विराटनगर मे अपन प्लस-टू केर पढाई सेहो कय रहला अछि आ निरन्तर मैथिली गीत-संगीत तथा रेडियो कार्यक्रम आदिक संचालन करैत आबि रहला अछि तिनकर लिखल नव दुइ गीत केर रेकर्डिंग एकटा दोसर मैथिल स्रष्टा तेजू मैथिल केर सुमधुर स्वर मे कैल गेल अछि।

vidyanad tezu1) लगाकऽ गर्दनिमे जोरी
मरतै कतेक’ गे गोरी?
बात कि तोहर अन्दर छौ
डिजाइन बड्ड डेन्जर छौ॥

आर,

2)निर्मोही अहाँके यादमे,
आँखिक नोर पीब रहल छी
नहि पुछु यै अहाँ विना,
कोना हम जीब रहल छी॥

© स्वर-तेजु मैथिल
© गीत-विद्यानन्द वेदर्दी
© संगीत-शैलेन्द्र विश्वकर्मा

एहि नव मैथिली गीतक उपहार हिन्दू सबहक महान् पावनि दुर्गा पूजा, दीपावली आ छैठिक संध्या पर कैल गेल अछि। आशा करी जे एहि नव उपहार केँ मैथिल स्रोता हलैस केँ स्वीकार करता।

गायक तेजू मैथिल सेहो एकटा विलक्षण संस्कार सँ युक्त छथि, हलाँकि प्रकृति हिनका दुनू आँखिक रौशनी सँ बड बच्चे मे विहीन कय देने छन्हि, परंच हिनकर भितरका ज्ञान आ कला दुनू हिनका एहि धरा पर एकटा विशेष उपहार केर रूप मे प्रसिद्धि दय रहल अछि। हिनकर आवाज केँ प्रशंसा सब ठाम होइत रहल अछि। विश्वास ई कैल जा सकैत छैक जे नव उपहार सेहो ओतबे प्रशंसित होयत।