विशेष रिपोर्ट
– प्रवीण नारायण चौधरी
(नेपालक समसामयिक अवस्था आ मिथिलाक स्थान पर केन्द्रित)
नेपाल मे दोसर संविधान सभा द्वारा पहिने पूर्ण प्रस्तावना, ताहि पर फेर जनताक राय आ पुन: मस्यौदा मे सुधार करैत दोसर प्रस्तावनाक प्रस्तुति मे विभिन्न सुझाव केँ स्थान दैत, नागरिकता सम्बन्धी समस्याक संबोधन, प्रदेशक सीमांकन केर खाका प्रस्तुति, राष्ट्रक प्रमुख केर चुनावक संग नगर आ गाम पालिकाक अध्यक्ष प्रत्यक्ष निर्वाचन सँ चुनबाक समेत विभिन्न माँग केँ स्थान दैत कैल गेल अछि।
सीमांकन केर वर्तमान निर्णय देश मे एक बेर फेर सँ आन्दोलनक भूकंप आनि देने अछि। विभिन्न क्षेत्रक लोक अपन प्रदेश केर वर्तमान स्वरूप सँ असन्तुष्ट विरोध प्रदर्शन कय रहल अछि। मानव अधिकार आयोग व अन्य निकाय द्वारा एहि लेल संज्ञान लैत सरकारक ध्यानाकर्षण करायल गेल अछि। संवाद आ वार्ताक माध्यम सँ हर विवादित विषय केँ सुलझेबाक अनुरोध लगभग सब निकाय द्वारा कैल गेल अछि।
स्वयं चारि दलक प्रमुख द्वारा विशेष प्रेस मीट करैत ओहेन तत्व सँ सावधान रहबाक आह्वान कैल गेल अछि जेकर इच्छे नहि छैक जे नेपाल मे संविधान अन्तिम रूप ग्रहण करय। कहल गेल छैक जे पहिल बेर संघीयताक स्वाद चैख रहल नेपाल मे सब बात पर एकमत बनेनाय मात्र चुनौतीपूर्ण टा नहि, बल्कि स्वाभाविके सबहक राय मे भिन्नताक असंभव सेहो छैक। ताहि हेतु किछु विन्दु पर गंभीर बनि समाधान तकबाक दिशा मे समझौतावादी बनब जरुरी छैक।
तथापि, चारि दलक प्रमुख जे वर्तमान मे संविधान केँ अन्तिम रूप देबाक लेल तत्पर देखाइत अछि, जेकरा पास दुइ-तिहाई बहुमतक संग-संग जनता-जनार्दनक जनादेश सेहो छैक, एहि दल सब द्वारा ई आश्वासन फेर देल गेलैक अछि जे ‘सीमांकन केर विषय मे पुनर्विचार’ कैल जायत। संगहि अपील कैल गेलैक अछि जे ‘नेपालक सन्दर्भ मे संघीयता नव विषय हेबाक कारण एहि मे जे-जेना सीमांकन केलो पर कतहु-न-कतहु विवाद रहबे करत आर जनता द्वारा विविध कोण सँ बात उठब, सुझाव देब स्वाभाविक सेहो छैक। एहि सब विवाद केँ जनताक भावना आर राष्ट्रक आवश्यकता आर हित केँ ध्यान मे राखि उचित समाधान हेतु पहल केर प्रयत्न कैल जायत’। संगहि ईहो कहल गेलैक अछि जे ‘एहि समय मे सम्पूर्ण जनता केँ संयम धारण करी आर सर तरहक आन्दोलन केँ रोकि उपयुक्त सुझाव द्वारा सहयोग पहुँचाबैत समस्या समाधान केर प्रतीक्षा करबाक लेल हम सब हार्दिक अपील करैत छी।’
‘इतिहास मे पहिल बेर नेपाली जनताक इच्छा अनुसार संविधानसभा सँ संविधान निर्माणक कार्य अन्तिम चरणमा पहुँचि गेलाक समय ऐतिहासिक कार्य केँ सफल बनेनाय राष्ट्रक अपरिहार्य आवश्यकता बनि गेल अछि’ अपिल मे कहल गेल छैक, ‘ताहि हेतु राष्ट्रियता, शान्ति, स्थायित्व आर विकास हेतु सेहो संविधान निर्माणक कार्य सम्पन्न करबाक लेल सब एकजुट होयबा लेल आहवान करैत छी।’
‘संविधानक मस्यौदा परिमार्जन सहितक प्रस्ताव संविधानसभा मे प्रस्तुत भऽ गेलाक बाद देश मे असहज परिस्थिति उत्पन्न भेल अछि। राज्य पुनर्संरचना सहित नितान्त नव विषय प्रस्तुत भेला पर बहस आर विमरश होयब अन्यथा नहि थीक। मुदा, ई असहज ढंग सँ नहि हो। प्रमुख दल आर शीर्ष नेता सब उपयुक्त समय मे अपन दृष्टिकोण स्पष्ट करब जरुरी होइत छैक। संविधानसभा द्वारा एकरा कोन तरहें संबोधन कैल जायत ताहि बारे स्पष्ट करब नीक होयत।’ संविधान संवाद समितिक अध्यक्ष डा. बाबुराम भट्टराई प्रेस मीट केर डेगक सराहना करैत ई भावना रखलैन।
विदित हो जे कुल ६ प्रदेश केर सीमांकन मे मधेश, थरुहट, जातीय पहिचानक प्रदेश, आ विभिन्न ‘हुले-ले टाइप’ माँग केँ नकारैत राष्ट्रीय एकताक ध्यान सर्वोपरि राखि लगभग पुरने स्वरूपक ५ ‘विकास क्षेत्र’ केर अवधारणा केँ कने-मने काट-छाँट करैत नव रूप मे राखल गेलैक अछि। वर्तमान सीमांकन मे लगभग हरेक प्रदेश जे पहाड़ी क्षेत्र केँ कवर करैत छैक, ओकरा भारतक सीमा सँ जोड़िकय राखल गेलैक अछि। भौगोलिक बनौट पहाड़ी क्षेत्रक एहेन छैक जे चीनक सीमा ओहि क्षेत्र सँ स्वत: जुड़िते छैक। विवादक विषय ‘मधेश एक प्रदेश’ केँ छहोंछित करैत पहाड़ी प्रदेशकेँ भारतक सीमा सँ जोड़ि रखबाक रणनीति संग वर्तमान प्रदेश-सीमांकन स्पष्ट छैक। देशक पूर्व आ सुदूर पश्चिम केँ पूर्ण रूप मे मिश्रित पहिचान आ उत्तर-दक्षिण केँ जोड़ैत राखल गेलैक अछि।
पुनर्विचार मे परिवर्तनक गुंजाईश न्युन देखाइत अछि, तथापि देश मे चलि रहल आन्दोलन एकरा मे कखनहु परिवर्तन आनि सकैत अछि, कारण देशक जनताक भावना सर्वोपरि होइत छैक। राजनीति करब, छूपल मानसिकता सँ शान्तिक बदला अपन स्वार्थ सिद्धि करब, मधेशी-पहाड़ी व अन्य जातीय पहिचानक आधार पर राष्ट्रीयता केँ विखंडित करब, ई सब कमजोर पक्ष जाबत हावी रहतैक, विवादक पूर्ण समाधान भेटब मोस्किले टा नहि असंभव सेहो छैक। तथापि प्रक्रिया संविधान निर्माणक थिकैक आ १९-२० करैत अन्तिम रूप मे एला सँ राष्ट्र मे शान्ति स्थापित होयबाक संभावना क्रमश: बढि रहलैक अछि।
मिथिला क्षेत्र मे सेहो आयल बदलाव
पूर्व मे विभिन्न आयोग केर सिफारिश आ ऐतिहासिक दस्तावेजक आधारक संग भाषिक-सांस्कृतिक-भौगोलिक संरचनाक संग जनसंख्या आदिक आधार पर जेना प्रदेश निर्माण करबाक बात कैल गेल छलैक – ताहि मे मिथिलाक जाहि स्वरूपक चर्चा छल ओहो किछु बदलल प्रतीत होइत अछि।
वर्तमान मे कोसीक जे धारा १९५६-५९ ई. मे कोसी बैरेज केर निर्माण सँ बनल, तेकरे आधार मानि मिथिला प्रदेशक सीमा केँ छोटियाअल गेल जेना प्रतीत होइत अछि। एहि मे आब पश्चिमक परसा-बारा सँ पूर्वक झापा-मोरंग तक केर सीमाक कुल ११ जिलाक प्रदेश मे बदलाव आनैत परसा-बारा-रौतहट-सर्लाही-महोत्तरी-धनुषा-सिरहा-सप्तरी धरि मात्र ८ जिलाक राखल गेल अछि। एहि क्षेत्रक सर्वाधिक विकसित हिस्सा मोरंग, सुन्सरी आ झापा केँ राज्य १ मे मिला देल गेल अछि। विराटनगर राजधानी बनय ई माँग बहुतो राजनीतिकर्मी आ जनभावना अनुरूप रहल। तहिना मिथिलाक साविक राजधानी जनकपुर केर वर्तमान प्रदेशक राजधानी बनायल जाय ईहो जनभावना अनुरूप रहल अछि।