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१६म विश्व संस्कृत सम्मेलन – बैंकाक मे मैथिल विद्वान् प्रो. डा. अर्कनाथ चौधरी

काल्हि प्रकाशित समाचार ‘डा. पंकज मिश्र केर सहभागिता’ १६म विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकाक केर वेब पेज पर एक विशिष्ट महानुभाव नवीन चौधरी केर प्रतिक्रियाक माध्यम सँ पता चलल जे मिथिलाक आरो विद्वान् सब उपरोक्त सम्मेलन मे सहभागी बनल छथि।

arknath choudharyडा. अर्कनाथ चौधरी – ३५ वर्षक विशाल शैक्षणिक अनुभव, अनेकानेक विषय पर लगभग ८००० पृष्ठ केर २१ टा पोथीक रचयिता, व्याकरण, साहित्य, दर्शन, तंत्र आ वेद केर पूर्ण ज्ञाता, एक कुशल प्रशासक, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान अन्तर्गत ३ महाविद्यालयक प्रधान प्राचार्य, विभिन्न समितक अध्यक्ष आ शिक्षा रत्न सम्मान सँ सम्मानित – वर्तमान् युगक वाचस्पति मिश्र समान अतूलनीय विद्वान् छथि।

मैथिली जिन्दाबाद केँ जानकारी देल गेल अछि जे मिथिला सँ डा. पंकज मिश्र केर अलावे डा. अर्कनाथ चौधरी सेहो एहि सम्मेलन मे सहभागी छथि। डा. अर्कनाथ चौधरी मूल रूप सँ ग्राम रुद्रपुर (मधुबनी, मिथिला) सँ छथि आ वर्तमान मे राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लखनऊ केर प्राचार्य छथि, अपने सेहो एहि गरिमामय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन मे कार्यपत्र प्रस्तोताक रूप मे सहभागी छी। हिनकर प्रस्तुतिक विषय वस्तु हाल धरि कोनो स्रोत सँ ज्ञात नहि भेल अछि, मुदा डा. पंकज मिश्र सँ संभाव्य वार्ताक माध्यम सँ विस्तृत जानकारी संध्याकाल धरि मैथिली जिन्दाबाद पर उपलब्ध होयत।

एखन सँ कनिकबा काल पहिने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपन संबोधन संस्कृत मे करैत विदेश मंत्रालय मे से संस्कृत विद्वान् हेतु एकटा सह-सचिव समान उच्च पद केर सृजना करबाक बात कहली। ओ ईहो कहली जे संस्कृतक ज्ञान मानव केँ बहुत दूरदर्शी आ दूरगामी बनबैत अछि। उद्घाटन सत्र उपरान्त करीब ६० देशक ६०० महाविद्यालयक विद्वान् लोकनिक सहभागिता आ करीब ४२ टा महत्त्वपूर्ण विषय पर विशिष्ट विद्वान् लोकनिक कार्यपत्रक प्रस्तुति होयत आ ताहि पर समीक्षात्मक विश्लेषण होयबाक विस्तृत कार्यक्रम हेबाक जानकारी भेटल अछि।

प्रकाशित समाचार: https://www.youtube.com/watch?v=mdHtD1LTqOg

मैथिली जिन्दाबाद उपरोक्त समाचार सँ उत्साहित अछि जे मिथिलाक विद्वान् आइयो अपन अखण्ड इतिहास केँ सुरक्षित रखने छथि, केवल हमरा लोकनि वर्तमान मे पहिचानक विकृतिक कारणे ई नहि बुझि पाबि रहल छी जे के कतय छथि। प्रो. विद्यानन्द मिश्र (सहरसा) केर उक्ति केँ पुन: स्मरण मे आनि रहल छी, “हम सब आइयो ओतबे महत्त्वपूर्ण विभूति छी, मुदा तिल-तिल मे बिखड़ल छी। जानि नहि ओ कोन गुरक पाक हेतैक जे हमरा सबकेँ पुन: एकठाम साटिकय तिलबा समान महत्त्वपूर्ण कार्यक योग्य वस्तु बना देत!” मिथिला राज्य आ मैथिल पहिचान पर देल गेल ई वक्तव्य एहेन घड़ी बेसिये स्मृति मे अबैत अछि। विद्वान् आ सज्जन लोकनि केँ बेर-बेर प्रणाम!!

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