Search

कविता

अपने लोक सँ हारल छी हम

लागैए  जेना  पागल छी हम

आब की कहु हालत अहाँ के

दुख सँ अपने मारल छी हम

गरमे छोलनी मारलहुँ हमरा

अखनो तक तएँ दागल छी हम

पुरना बात अहाँ जाए दीयौ

सभ सँ बेसी अभागल छी हम

आने बुझू अहाँ सभ हमरा

अपने लोक सँ बारल छी हम

Related Articles