समाचार संप्रेषण – श्री राजकुमार महतो, जनकपुरधाम, नेपाल
१५ नवम्बर २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिलीक बिस्तारीकरण, सहजीकरण आ शुद्धिकरण पर बैसार आ विमर्श
आयोजकः भोर
मितीः २०७६।७।११ सोम दिन
स्थानः एलाइट होटल, जनकपुरधाम
विषय स्थापनाः डा. सुरेन्द्र लाभ
विशेष मन्तव्यः श्री राम भरोस कापडि
संयोजन आ सहजीकरणः राज कुमार महतो
विमर्शक संक्षेपण
डा. सुरेन्द्र लाभ
आइ मैथिली कमजोर भेल, जनगणनामे खतराक संकेत आर जेना नेपालीभाषी अपनाके मात्र नेपाली बुझलक तहिना ब्राहमण अपनाके मात्र मैथिल बुझलक । ताहिसं दोसरके बितृष्णा विभिन्न स्थानक ब्राहमणमे विभिन्न प्रकारक मैथिली भाषा । डोम, चमार, मुसहर सन दलितक भाषाक निरन्तरता । यैह जाति सबसं मैथिलीक संरक्षण सम्भव । विदेश पलायन होइत व्यक्ति वर्गसं मैथिलीक संरक्षण असम्भव । भाषा सरलिकरणक आवश्यकता सभ जिल्लामे स्वीकार योग्य भाषा बाजी लिखी । कोनो संस्था आ कार्यक्रममे जातीय समावेशिता आवश्यक । मैथिलीक दायरा विस्तृत होइ । संरक्षण अभियान जरुरी । जे जहिना बजैछ तहिना स्वीकार करी । भाषा संरक्षण रणनिती आवश्यक ।
श्री राम भरोष कापडि भ्रमर
ई लघु रुपक बैसार । बादमे विस्तृत बैसार आ कार्यक्रम केनाइ आवश्यक । मिथिला मिहिर पत्रिकाक भाषा श्रेत्रीय ब्राहम्णक भाषा । बहुसंख्यक लोकस मैथिलीके स्वीकार जरुरी । डा. योगेन्द्र प्रा. यादव (भाषा वैज्ञानिक) बहुमतक पक्षमे । विदेशी भाषा वैज्ञानिक अनुसार बज्जिका मैथिलीक भाषिका । एतुका भाषा वैज्ञानिक सभक लेख । वकत्व एनाइ जरुरी । भाषा भ्रम मगही भ्रम तोडनाइ आवश्यक । जनगणना नजदीक रहलासं सचेत भेनाइ, अभियान चलौनाई जरुरी । अभियान चलौलापर बज्जिकाक संख्या बढल पुष्टि । आंजुर आ गामघर पत्रिकामे जेहने लीखक देल जाएत, ओहने छापल जाएत । जल्दीए बृहत बैसारक आवश्यकता । प्रदेश स्तरपर प्रतिनिधीमुलक बैसार होएव जरुरी । अर्थ सम्पन्न संस्थाके आगु बढनाई जरुरी । मैथिली शब्दकोशक पुनः निर्माण चाही जाहिमे पर्यायवाची शव्द हो । अगामी सर्वजातीय बैसार आवश्यक ।
डा. रेवतीरमण लाल
विधालय आ घरक वातावरण फरक भेलासं विधार्थी भ्रमित । विधालयमे मातृभाषामे पढाई आवश्यक । विधार्थीके मंचपर बजनाई कठिनाई । कतेको व्यक्ति नेपाली, अग्रेजीमे लीखमे सक्षम आ मैथिलीमे असक्षम । आनो भाषामे विविधता मैथिलीओ मे । राज्यद्धारा मैथिलीके समाप्त करवाक षडयन्त्र । एहिमे विभिन्न तत्व खेलैत । नैमिकानन त्रैमासिकमे जहिनाक तहिना ककरो रचना छापल जाएत ।
सुधा कर्ण
मैथिली भाषीबिच एकताक आवश्यकता । जनगणनाक तालीममे भाषा मुद्धा राखक चाही ।
अनिल कुमार कर्ण
गाम गाम जा क मैथिली बारेमे समझाबक चाही । समावेशिता आ शब्दकोषक पुनः निर्माण जरुरी ।
शबनम खातुन
मैथिली भाषाक विविधता । मसुलमानक धार्मिक भाषा छै उर्दु, अरबी मुदा व्यवहारक भाषा नै । भाषा कोनो व्यक्ति, जाति, वर्गक सम्पती नै छै ।
प्रेम विदेह
मैथिली भाषामे ह्रस्व, इकार, उकारमे सुधार जरुरी । जेना “पानि” के बजला “पाइन” आ “मासु” के बजला “माउस” । के, स‘ विभक्ति बोलचालमे नै रहलासं चन्द्रबिन्दु हटाओल जाए । कोनो अक्षर वा क्रियासड. बिकारी ऽ आ उर्धविराम ’ नै लगाउल जाए । जेना ज ऽ न क बदला जन आ खाक’ बदला खा क प्रयोग करी । पत्रपत्रिकामे तिथीबाहय शब्दसबक प्रयोग नै करी जेना मादे, खाहे, सन्ता, कोलब, बौसब । समावेशी आ व्यवहारीक मैथिलीक व्याकरण निर्माण होए ।
राजाराम सिंह राठौर
वर्ग विशेषक भाषा भ्रम छै । किछु व्यक्ति आ संस्था मैथिलीके भजा क खाइत । मैथिली पर खतरा । गामपालिका नगरपालिका मे जा कार्यक्रम करी । खतरा टरतै । आई ने कालिह मगही आ बज्जिका मैथिलीक रुपमे स्वीकार होएबै करतै ।
श्यामसुन्दर शशि
भाषा विवाद लिपिक कारण । तिरहुता लिपिक प्रयोगक अभावमे । प्रदेश सरकार द्धारा मैथिलीके तोडके षडयन्त्र । भाषा संरक्षणक रणनिती आवश्यक । सरलीकरणक लेल भाषा वैज्ञानिकसंग विमर्श आवश्यक । शिक्षा, संचार आ साहित्यमे भाषाक मानकता चाही । मेचीस महाकालीतक जोडवला मैथिली शब्द चाही । नेपालियो भाषामे विविधता । कर्णालीक नेपाली काठमाडु नै बुझैछ । तैयो स्वीकार । अवसरवादिता छोडी । अवसरवादी के सामाजिक बहिष्कार जरुरी । जनगणनालेल तत्काल रणनिती बनावी ।
बलराम साह
मैथिली भाषीक घरमे नेपालीक प्रयोग चिन्ताजनक । अपनाआपमे परिवर्तन जरुरी । मैथिलीप्रति दलितक वितृष्णा । वैश्य समाजमे मगहीके मातृभाषा रुवमे स्वीकार । असंतुष्ट लोक वर्गके मंचपर सम्मानीत करी । जनगणनालेल नया रणनिती बनावी ।
सार निचोड
मैथिली भाषाक संरक्षणलेल नव रणनिती जरुरी । कोनो सस्था आ कार्यक्रममे समावेशी सहभागीता आवश्यक । जनगणनालेल गाम नगरमे जा सचेतना फैलाबी । बृहत सर्वजातीय बैसार जरुरी । बादमे भाषा वैज्ञानिकसभक संयूक्त बैसार आवश्यक । सरलीकरण आ मानकीकरण कएल जा सकैछ । समावेशी मैथिली शब्दकोश आ व्याकरण सेहो लेखन प्रकाशन आवश्यक । मैथिली पत्रपत्रीकामे जे जहिना लीखैछ ओहिना छापल जा सकैछ ।
विर्मशक अभिलेखीकरणः प्रेम विदेह
संपादकीय नोटः उपरोक्त अभिलेख मे कतेको रास भाषिक अशुद्धता किंवा टाइपिंग एरर केँ जहिनाक-तहिना छोड़ि देल गेल अछि। एहि मे संपादकक कोनो भूमिका जानि-बुझि नहि कयल गेल अछि, कारण लेखक भावना सहजीकरणक दिशा मे चिन्तन कय रहल अछि। एतय शुद्ध कि आ अशुद्ध कि एकरा छुटेनाय भारी समस्या बुझायल।