मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०१८ दोसर दिनः गरमागरम रहल सब सत्र, मैथिली फिल्म सेहो प्रदर्शित

दिल्ली, १७ मार्च, २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!

मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०१८ नई दिल्लीक इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्रक सभागार मे पुनः निर्धारित समय यानि ठीक १० बजे सँ आरम्भ भऽ गेल। समय समन्वय श्याम दरिहरे सहित मैथिली लेखक संघ सँ जुड़ल समस्त पुरोधा लोकनि समयक पाबन्दी केँ पहिल अनुशासन बुझैत सभागार मे विमर्शक विन्दु ‘मैथिली मीडिया’ तथा संचालक ललित नारायण झा सहित विमर्शी प्रवीण नारायण चौधरी तथा संजीव सिन्हा संग उपस्थित भऽ गेलथि। किछु विमर्शी यथा रामलोचन ठाकुर तथा रूपेश त्योथ केँ कोलकाता सँ एबाक छलन्हि जे किछु कारणवश उपस्थित नहि भऽ सकलाह। तहिना दिल्लीक मैथिल पत्रकार समूह केर संतोष ठाकुर तथा मानवेन्द्र झा सेहो समयक पाबन्दी सँ अनभिज्ञ रहबाक कारण अपन सत्र मे उपस्थिति दर्ज नहि करा सकलाह। हुनका लोकनि केँ दूरभाष द्वारा सम्पर्क कयला उत्तर ओ सब केवल असमर्थता जतौलनि।

मैथिली मीडिया सत्रक संचालन मिथिला मिरर डट कम तथा प्रिन्ट मे मासिक संग-संग पृथक् यूट्युब चैनल एवं सोशल मीडियापर पर्यन्त मजबूत उपस्थिति दर्ज करेनिहार संचालक-संपादक ललित नारायण झा द्वारा कयल गेल। विमर्शीक रूप मे मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक एवं भाषा-संस्कृति अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी एवं मीडिया क्षेत्र राष्ट्र-स्तर पर प्रवक्ता डट कम संग-संग कमल सन्देशक सह-संपादक एवं कार्यक्रम (मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल) केर सह-संयोजक संजीव सिन्हा केर उपस्थिति मे ई सत्र मैथिली पत्रकारिता सहित मीडियाक विभिन्न कमी-कमजोरी आ समाचार संकलनक संग विचारक संप्रेषण पर्यन्त मे आबि रहल दिक्कत सभपर बड़ा खुलिकय अपन विचार रखलनि। दर्शक दीर्घा मे मौजूद वरिष्ठ साहित्यकार सहित रंगकर्मी एवं अन्य सरोकारवाला सब सेहो अपन-अपन प्रश्न विमर्शी लोकनिक विचार सुनिकय रखने छलाह। एकटा नीक अन्तर्क्रिया सहितक सत्र सँ दोसर दिनक आरम्भ ई पहिनहि संकेत कय चुकल छल जे आजुक आरो-आरो सत्र सब एतबे गरमा-गर्मी मे संपन्न होयत।

दोसर दिनक दोसर सत्र मे पुनः कवि रमण कुमार सिंह केर पोथी ‘फेर सँ हरियर’ विषय पर कवि विनीत उत्पल केर संचालन मे विमर्श राखल गेल। एहि विमर्श मे सहरसा सँ पहुँचल कवि शैलेन्द्र शैली, कोलकाता सँ पहुँचल आइआइएम कोलकाताक प्राध्यापक सह कवि विद्यानन्द झा एवं कवि चन्दन कुमार झा केर सहभागिता छल। पोथीक रचनाकार रमण कुमार सिंह जाहि तरहें मिथिलाक लोकजीवन सँ दूर प्रवासक दुनिया मे रहबाक लेल बाध्य भेलाह आर फेर गाम दिस घुमिकय तकलाह त केहेन दृश्य नजरि पड़लन्हि ताहि बातक संवेदना सँ भरपूर अछि हिनकर पोथी ‘फेर सँ हरियर’। पोथीपर विद्वत् विमर्शी लोकनिक विचारक बीच-बीच मे स्वयं रचनाकार अपन कविता सेहो परोसलनि।

तेसर सत्र ‘कथा आ कथाकार’ शीर्षक मे कथाकार शिवशंकर श्रीनिवास केर रचना-प्रक्रिया पर विमर्शक छल। एहि सत्र मे लेखक रमेश केर संचालन तथा विमर्शीक तौरपर श्रीधरम, वीरेन्द्र झा, मधुकान्त झा तथा पंकज प्रियान्शु आमंत्रित छलाह, परञ्च कतिपय कारणवश एहि समस्त विमर्शी मे सँ कियो गोटा मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल मे उपस्थित नहि भऽ सकलाह। एहि तरहें संचालक आ रचनाकार बीच विषय-वस्तु पर चर्चाक संग दर्शक दीर्घा मे मौजूद विभिन्न साहित्यकार लोकनिक विज्ञ प्रश्न सब पूछल गेल छल। मैथिली कथाक विम्ब आ प्रस्तुति पर कथाकार श्रीनिवास अपन विलक्षण विचार सब रखने छलाह, तहिना लेखक रमेश बहुत रास गंभीर विन्दु पर हुनका सँ विचार समेटय मे सफल भेलथि।

भोजनावकाश उपरान्त ‘बाल साहित्य’ केर विषय ऊपर बाल-बन्धुक संपादक कवि-लेखक चन्दनकुमार झा केर संचालन मे महत्वपूर्ण विमर्श भेल जाहि मे प्रसिद्ध लेखक लक्ष्मण झा सागर, प्रवीण भारद्वाज तथा विभा कुमारी विमर्शीक रूप मे भाग लेलनि। मैथिली मे बाल साहित्यक अभाव, सीमित विधा मे लेखन आ वांछित परिवर्तन सभ पर विमर्शी लोकनि अपन-अपन सुझाव देलनि। एहि सत्र मे सेहो बाल साहित्यक नव विधा जाहि मे विश्वक आन-आन भाषा नीक प्रदर्शन कय रहल अछि ताहि सँ जुड़ल तथा राखल गेल विचार सँ सम्बन्धित विभिन्न आयाम पर श्रोताक माझ सँ बहुत रास महत्वपूर्ण प्रश्न सब पूछल गेल छल जेकर जबाब विमर्शी लोकनि चतुराई सँ देलनि।

दोसर दिन फेर एक गोट झमटगर कवि गोष्ठी भेल, पहिल दिनक गीत-गजल मे प्रस्तुत कवि सहित आन-आन कवि-कवियित्री जाहि मे श्रेष्ठजनक संख्या काफी उल्लेख्य छल त नवतुरिया कवि लोकनिक संख्या सेहो ओतबे बेसी, लगभग ३ घंटा धरि काव्य पाठ श्रोता लोकनि गंभीरतापूर्वक सुनलनि। नवतुरिया कवि लोकनि फेर सँ अपन प्रस्तुति केँ प्रखर राखय सँ चूकलाह, हलाँकि किछु नव कवि-कवियित्री अपन सुन्दर प्रतिभा सँ सब केँ नया भरोस सेहो देलनि। परञ्च मैथिलीक वयोवृद्ध स्रष्टा लोकनि अपन काव्य पाठ सँ दर्शक-श्रोता केँ कविता असल मर्म सँ परिचित करबैत रहल छलाह। आजुक कवि-गोष्ठी मे लगभग ४ दर्जन कविक नाम रहितो, उपस्थिति लगभग ४० गोटाक छल, जेकर संचालन कवि एवं मैथिली लेखक संघक सचिव अजित आजाद द्वारा बहुत चतुराई आ कुशलता सँ कयल गेल छल। बीच मे एहनो अवस्था आयल जे कवि लोकनि कविताक जगह महाकाव्यहि पढय लगलाह त संचालक केँ बीच्चहि मे रोकय पड़लन्हि।

अत्यधिक लम्बा कवि गोष्ठी सँ छुटकारा पेलाक बाद मैथिली फिल्म केर प्रदर्शन ओ विमर्शक कार्यक्रम राखल गेल छल। रंगकर्मी-सिनेकर्मी सागर झा केर कुशल संचालन मे एहि सत्र मे सेहो कविता पर आधारित मैथिली फिल्मक नाम सुनिकय एक बेर त दर्शक दीर्घा घबरेलाह, परञ्च एहि मे कतहु दुइ मत नहि जे एहि फिल्म मे प्रयुक्त कविता – कविक एकटा एहेन कल्पना केँ काव्य शैली मे नायिका संग मुम्बई केर समुद्रक किनार मे प्रस्तुत कयल गेल जेकर आनन्द दर्शक लोकनिक ठहक्का आ थोपड़ी स्वतः बजैत मैथिली काव्यक जिवन्तताक गबाही दैत रहल। सभक मुंह सँ वाह-वाह केर ध्वनि आ फिल्मक पिक्चराइजेशन सँ लैत कथानक आदि केँ भरपूर प्रशंसा कयल गेल। झा विकास केर काव्य रचना, हुनकहि निर्देशन मे बनल ई फिल्म सभक मोन जीत लेलक। एकर अभिनेता दिवाकर सेहो अपन दुइ शब्द रखलनि जाहि मे एहि तरहक कविता पाठक संग अभिनय करबाक चुनौती केँ ओ केना पूरा केलनि तेकर वर्णन छल जे श्रोता-दर्शक केँ मोन केँ जीत लेलक। निर्देशक झा विकास अपन प्रयोगधर्मी सृजन लेल प्रसिद्धि पेने छथि, ओ आश्वासन दैत कहलनि जे मैथिली फिल्म जगत मे जाहि तरहक डर पसरल छैक से व्यर्थ अछि, एकर नीक भविष्य शनैः-शनैः आएब रहल अछि। प्रदर्शन सँ पहिने अभिनेता नरेन्द्र झा केर दुखद मृत्यु पर १ मिनट मौन धारण करैत श्रद्धाञ्जलि अर्पण कयल गेल छल।

तहिना सागर झा केर संचालन मे मैथिली फिल्म विमर्श मे प्रसिद्ध निर्माता विष्णु पाठक, भवेश नंदन झा, पंकज प्रसून, भास्कर झा, रूपक शरर, किसलय कृष्ण व अन्य वक्ता लोकनि भाग लेलनि। मैथिली फिल्म मे तकनीकी पक्ष सँ लैत कलाकारक चुनाव पर विशेष ध्यान देबाक आह्वान संग लगभग समस्त वक्ता अपन-अपन प्रतिबद्धता सँ मैथिली सिनेमाक नीक भविष्य पर वृहत् कार्यक रूपरेखा रखलनि। भवेश नंदन कहलनि जे जहिना एक समय सिनेमा घरक औचित्य दर्शकक अभाव मे समाप्त भऽ गेलैक, तहिना नव तकनीक पीवीआर आदिक प्रयोग एकटा नया स्वर्ण युग आनिकय सिनेमा जगत केँ नव दिशा-दशा प्रदान केलक अछि। एहिना मैथिली फिल्म मे सेहो एक न एक दिन सफलता भेटब तय छैक। विष्णु पाठक अपन पूर्व मे कयल गेल कार्यक विवरण दैत कहलनि जे जा धरि आमवर्गक मैथिलीक दर्शक सिनेमा सँ नहि जुड़त, एकर सफलता पर सन्देह अछि। ताहि हेतु कतबो नुकसान कियैक नहि उठबय पड़त, लेकिन ओ आमवर्गक वास्ते ‘सिलेमा’ बनबैत रहता जेना पूर्व मे डमरू उस्ताद आदि बनौलनि अछि। हर तरहें एहि सत्रक महत्ता बहुत उच्च रहल कारण सिनेमा सँ जुड़ल अलग-अलग पक्षपर चर्चाक संग एकटा नीक सिनेमाक प्रदर्शन सचमुच मैथिली फिल्मक अच्छे दिन केर दर्शनक संकेत कय रहल छल।

दोसर दिवसक अन्तिम प्रस्तुति एम्पीथियेटर मे देखायल गेल ‘निर्मोही बालम हमर’ नाटक छल। एकर निर्देशन नीलेश दीपक आ मुख्य अभिनय प्रज्ञा झा सहित शैल एवं अन्य सहयोगी लोकनि द्वारा प्रस्तुत कयल गेल छल। स्व. राजकमल चौधरीक कथा हो, उपन्यास हो, काव्य हो, नीलेश दीपक हुनक साहित्यक कथ्य आ शिल्प केँ रंगकर्म मे नीक सँ ढालबाक ख्याति हासिल कयने छथि। प्रस्तुत निर्मोही बालम हमर सेहो स्टोरी टेलिंग केर पद्धति पर एकल प्रस्तुति छल, परञ्च स्वयं प्रस्तोता प्रज्ञाक विभिन्न छायाचित्र केँ दोसर अभिनेत्रीक प्रस्तुति आ अन्य-अन्य कलाकारक सहयोग संग एकटा नव प्रयोग करैत देखायल जेबाक दृष्टान्त भेटल। नाटकक कथ्य तँ नायिकाक विरह अपन पति सँ मिलन लेल आग्रह आ पूर्व मे मिलनक बीच पड़ल बाधा आ अधूरापन केँ देखेलक, परञ्च रंगकर्मक नव प्रयोग एहि नाटक केँ बहुत बेसी आकर्षक बना देने छल जे देखि दर्शक लोकनि खूब गद्गद् भेल छलाह।

एहि तरहें मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर दोसर दिन अलग-अलग सत्र आ पुस्तक तथा विभिन्न कला एवं गृह उद्योग उत्पाद सभक प्रदर्शनीक संग अपन पूर्ण यौवन पर देखायल। विदित हो जे कार्यक्रमक शुरुआती आ दोसर दिन पर्यन्त स्रष्टा-लेखक-संचारकर्मी विनीत उत्पल द्वारा मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल विशेष समाचार केर प्रकाशन कयल गेल। दर्शक दीर्घा मे एहि तरहें ई समाचार फेस्टिवलक बीतल आ आगामी दुनू बातक नीक जनतब दैत देखायल।