दिल्ली, १६ मार्च, २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल आइ समय सँ दिल्लीक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम सारिणी आ स्रोत व्यक्तित्व केर सहभागिता में शुभारंभ भ गेल। पुनः वैह गरिमा, वैह ओज, वैह मूल्य आ ओतबे महत्वपूर्ण मान्यता केँ स्थापित करैत भारतक राजधानी दिल्ली में सेहो पूर्वक दुइ पटनाक आयोजन जेकाँ ई महोत्सव दर्शक श्रोता केँ भरपूर प्रभावित करैत रहल।
मोन पड़ैत छथि शीर्षक सँ आरम्भ आजुक फेस्टिवल में मैथिली केर दिवंगत सर्जक अवदान देनिहार उग्र नारायण मिश्र ‘कनक’, अणिमा सिंह, सुनील कुमार झा, चन्द्रभानु सिंह, हेतुकर झा, भाग्य नारायण झा, गिरीश चन्द्र झा, बिलट पासवान ‘विहंगम’, प्रेम शंकर सिंह आ नरेन्द्र झा केँ स्मरण कयल गेलन्हि। एहि सत्र में नेपाल सँ श्याम शेखर झा, लेखक रमेश, इन्द्रकांत झा, गणपति नाथ झा, महेंद्र नारायण राम, कैलाश कुमार मिश्र द्वारा श्रद्धांजलि शब्द संस्मरण राखल गेल, जखन कि संचालन कवि अशोक मेहता द्वारा भेल छल।
तदोपरांत उद्घाटन सत्र में मैथिली भोजपुरी अकादमीक उपाध्यक्ष नीरज पाठक, डॉ वीरेंद्र मल्लिक, डॉ गंगेश गुंजन, मंत्रेश्वर झा, डॉ उदय नारायण सिंह नचिकेता वक्ता तथा मैथिली लेखक संघक अध्यक्ष नरेन्द्र झा केर अध्यक्षता आ संयोजक विनोद कुमार झा व डॉ देवशंकर नवीन केर संचालन में सम्पन्न भेल। पूर्व केर आयोजन पर प्रकाश दैत वर्तमान आयोजन पर सभक विचार मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर औचित्य आ सेहो देशक राजधानी में समस्त मिथिला दुनू देशक विद्वान साहित्यकार व सर्जक लोकनि संग होयबाक बात आत्मगौरवक विषय होयबाक भाव रखलाह।
कवि आ कविता शीर्षक में मैथिली भाषाक वरेण्य कवि विभूति आनन्द संग तीन-तीन गोट सब तुरक कवि लोकनि कविता केर पूर्व आ वर्तमान स्थिति पर समीक्षात्मक चर्चा आ कवि केर निजी अनुभव आ रचनाधर्मिता समेत विभिन्न विन्दु पर विस्तार सँ चर्चा कयलखिन।
आजुक चारिम सत्र मिथिला चित्रकला विमर्श केर अत्यंत सारगर्भित चर्च करैत मिथिलाक कला संस्कृति विश्व परिवेश केँ कोना प्रेरित केलक, केना रोजगारपरक अछि आर गाम शहर बीच केहेन सांस्कृतिक आर्थिक सम्बन्ध स्थापित करैत अछि ताहि विषय पर पद्मश्री बौआ देवी, संजू दास, मुक्ति झा, दयाशंकर चित्रकार आ आर्किटेक्ट इंजीनियरिंग सँ मिथिला चित्रकला केँ जोड़नीहैर मनीषा झा अपन अपन विचार रखलन्हि। एहि सत्रक संचालन विद्वान एंथ्रोपोलॉजिस्ट कैलाश कुमार मिश्र कयलाह।
ततबे महत्वपूर्ण विमर्श ‘आदान प्रदान’ डॉ देवशंकर नवीनक संचालन आ रामनारायण सिंह, बैद्यनाथ झा, योगानंद झा तथा इन्द्रकांत झा समान प्रसिद्ध अनुवादक साहित्यकार लोकनि विमर्शकार केर रूप में अपन विचार मैथिली सँ अडान भाषा आ आन भाषा सँ मैथिली में अनुवाद केर स्थिति पर महत्वपूर्ण विचार रखलन्हि।
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर आजुक रंगारंग प्रस्तुति में लगभग दुइ दर्जन कवि गजलकार लोकनि अपन कविता सस्वर पाठ कयलाह। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि बुद्धिनाथ मिश्र आ संचालन कमल मोहन चुन्नू द्वारा कयल गेल। अंतिम प्रस्तुति शैली सिंह केर गायन गिरिजनन्द सिंह केर शोध कयल मिथिलाक विशिष्ट गायिकीक गीत सब प्रस्तुत कयल गेल।
हरि हर!!