दिल्ली, जनवरी ५, २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!
मिथिला गृह उद्योग केर संस्थापक अमरनाथ मिश्र मैथिली जिन्दाबाद केँ जनतब दैत कहलनि अछि जे एहि उद्योग द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे मैथिल उपभोक्ताक संग-संग मिथिलाक मौलिक उत्पाद सँ सिनेह रखनिहार आनो-आनो उपभोक्ता लोकनिकेँ आब कतरनी चुरा सेहो उपलब्ध कराओल जेतनि। संगहि ओ कहलनि जे आगामी तिला संक्रान्ति आ ताहि अवसरपर खिच्चैड़ केर परिकार लेल विशेष रूप सँ तैयार कयल गेल तुलसीफूल अरवा चाउर सेहो मिथिला गृह उद्योग द्वारा उपलब्ध करायल जायत। विदित हो जे दिल्ली व आसपासक क्षेत्र मे एहि उद्योग परिवार द्वारा घर धरि डिलिवरीक सुविधा सेहो उपलब्ध कराओल जाएत अछि।
हालहि २४ दिसम्बर, २०१७ केँ आयोजित अखिल भारतीय मिथिला संघक स्वर्ण जयन्तीपर मुख्य अतिथिक रूपमे पहुँचल बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सेहो मिथिला गृह उद्योगक प्रदर्शनी स्टालपर भ्रमण कएलनि। ओ एहि गृह उद्योगक भरपूर प्रशंसा करैत एहि दिशा मे राज्य द्वारा सेहो राज्यसँ बाहर उद्यमशीलता केँ बढावा देबाक वास्ते विशेष योजना विकासक बात कहलनि। संगहि, मिथिला गृह उद्योगक विभिन्न परिकार सभक बारे अत्यन्त रुचिपूर्वक जिज्ञासा करैत हिनका लोकनिक काजकेँ भरपूर प्रशंसा कएलनि।
मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लेल “मिथिला गृह उद्योग” केर परिकल्पना आ उद्देश्य संग अन्य जानकारी लेल निम्नलिखीत आलेख जे मूलरूप सँ हिन्दीमे बनायल गेल अछि से राखल जा रहल अछि। एकर लाभ वृहत् स्तर पर सब केँ होएक, यैह कामनाक संगः
मिथिला गृह उद्योग का परिकल्पना एवं उद्देश्य
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प्राचीन काल से ही मिथिला ज्ञान के केन्द्र के रूप में पूरे विश्व में प्रख्यात रहा है। यहाँ की भाषा-साहित्य, सभ्यता-संस्कृति, आचार-व्यवहार, खान-पान, भेष-भूषा, लोक-कला, रहन-सहन, व्रत-त्योहार इत्यादि वेद विहित संस्कार का उदाहरण शास्त्रों-पुराणों में भी महिमा मंडित है।
भोजन विन्यास एवं खान-पान में मिथिला विभिन्न प्रकार के पकवान एवं तरह-तरह के ब्यंजनो संजोए हुआ है जिसमें (चूड़ा-दही-चीनी-पान-मखान-माँछ) काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावे यहाँ के कुछ उतकृष्ट व्यंजनों में तिलकोड़, पटूआ साग, गेन्हारी साग, तीसीयौड़ी, अदौड़ी, चरौड़ी, दनौड़ी, तीलौड़ी, कुम्हरौड़ी, मुरौड़ी, तीसीबुकनी तथा विभिन्न प्रकार के “अँचार” और पकवानों में बगिया, भूसबा, ठकुआ, तिलवा, चूरलाइ, एहिभप्फर, टिकिया, पोछूआ पूरी इत्यादि अनेक लजीज पकवानों का विन्यास है।
मर्यादा ट्रस्ट द्वारा संचालित “मिथिला गृह उद्योग” के माध्यम से यहाँ की अनूठी एवं उतकृष्ट व्यंजन को सम्पूर्ण प्राकृतिक विधि से रसायन रहित गुणवत्ता एवं शुचिता के साथ निर्मित कर विभिन्न प्रांत एवं देश के लोगो तक यहाँ के जायके का आनन्द परोसने का हरसंभव प्रयास किया गया है । हमे पूर्ण विश्वास है कि मिथिला के इन उतकृष्ट उत्पादों व व्यंजनों का स्वाद आप सभी को बहुत पसंद आएगा ।
मिथिला गृह उद्योग का अवधारणा है कि इस प्रयास को सफल होने पर निम्नलिखित सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है।
(१) इस उद्योग के सफलता से मिथिलावासियों को स्वावलंबन तथा स्वरोजगार के साथ विकासोन्मुख होने का अवसर प्राप्त होगा।
(२) यहाँ से विस्थापित हो रहे लोगों को गांव में (स्वयं सहायता समूह) द्वारा सामूहिक रोजगार मिलने से समाज कल्याण तथा गांवों का विकास होगा।
(३) मिथिला की भूमि उर्वर एवं उपजाउ होने के कारण यहाँ कृषि क्षेत्र का विस्तार होगा और यहां के लोग आत्मनिर्भर होंगे।
(४) कृषि पर आधारित उद्योग होने के कारण भारतीय ग्रामीण आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी।
(५) आर्थिक विपन्नता और पिछड़ेपन के कारण यहाँ से प्रतिवर्ष हो रहे पलायन पर रोक लगेगा और क्षेत्रीय स्थिरता आएगी।
(६) चूंकि गृह उद्योग में महिलाओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होने से महिला सशक्तीकरण को ठोस आधार मिलेगा ।
(७) मिथिला का क्षेत्रीय विकास एवं खुशहाली से भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने में सहायक सिद्ध होगा।
(८) मिथिला गृह उद्योग के उत्पाद कृषि एवं सम्पूंर्ण प्राकृतिक श्रोतों पर आधारित होने के कारण यह उद्योग कच्चे माल के लिए आत्मनिर्भर रहेगा।
(९) आर्थिक सम्पन्नता तथा स्वावलंबी होने से यहाँ आर्थिक, सामाजिक जीवन तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों का विस्तार होगा।
(१०) अपने प्राकृतिक श्रोतों तथा गुणवत्तापूर्ण उत्पादों से ख्याति प्राप्त करने पर मिथिला को गौरवान्वित कर पाएगा। ऐसे अदम्य साहस तथा आत्मविश्वास के साथ किया गया यह एक प्रयास मात्र है।
अंत: आप सभी भाइयों-बहनों का सहयोग एवं प्रोत्साहन परम आवश्यक है। आपलोगो से आग्रह है कि “मिथिला गृह उद्योग” द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकारों के ब्यंजनो का उपयोग करे तथा बाजार में उपलब्ध केमिकल द्वारा बनाए गए उत्पादों से अपने परिवार एवं परिजनों को बचाएँ। आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि अपना बहुमूल्य सुझाव एवं सलाह देकर मार्गदर्शन करें। सादर अभिनंदन ।