रामबाबू सिंह, दिल्ली। दिसम्बर २६, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
राष्ट्रीय राजधानी दिल्लीक तालकटोरा स्टेडियम भेल मिथिला मैथिली स्वर सँ गुँजायमान
दिल्लीक तालकटोरा स्टेडियम मे अखिल भारतीय मिथिला संघ २४ दिसंबर केँ अपन पचासम स्थापना दिवस पर ‘स्वर्ण जयंती समारोह’ केर रूप मे मनेलक। लगभग तीन सँ चारि हजार क्षमता वाला स्टेडियम दर्शक सँ खचाखच भरल छल संगहि हेंजक हेंज लोक ठाड़ आ जतय ततय बैसल सेहो देखल गेल। उत्साहित लोकक जोशक अनुमान गरगरायत थोपड़ी स्वतः प्रमाणित कS रहल छल।
समारोहक स्वागताध्यक्ष भाजपा राज्य सभा सांसद प्रभात झा, उप-स्वागताध्यक्ष जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा, उद्घाटनकर्ता बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संगहि अन्य विशिष्ट उपस्थिति मे मधुबनीक सांसद हुकुमदेव नारायण यादव, झंझारपुर लोकसभाक सांसद बीरेन्द्र चौधरी, बिहारक मंत्री बिनोद नारायण झा, देवेश पाठक आदिक संग आयोजक अखिल भारतीय मिथिला संघ केर राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय चन्द्र झा मन्चासीन छलाह। एहि अति विशिष्ट समारोहक संचालक लेल विशेषरूप सँ आमंत्रित प्रसिद्ध उद्घोषक छत्रानंद सिंह झा उर्फ बटुक भाइ केर उपस्थिति अत्यन्त सारगर्वित रहल।
समारोहकेर विधिवत शुरुआत विद्यापतिक तैल्यचित्रपर पुष्पांजलि देलाक बाद गायिका श्वेता शर्मा आओर मोनी झा द्वारा स्वागत गान “मङ्गलमय दिन आजू हे, पाहुन छथि आएल” गाबि मंचस्थ पाहुन सभक स्वागत कयल गेल। फेर स्वागताध्यक्षक रूप मे प्रभात झा सभा केँ संबोधित कएलाह। मंचस्थ समस्त माननीय लोकनिक आभार प्रकट करैत स्वागत सम्बोधनक पश्चात प्रभात झा अपन भाषणमे केंद्र सरकार आ राज्य सरकार सँ आग्रह कएलाह जे मिथिलाक मूल आ विशिष्ट ऐतिहासिक स्थल जेना जानकी जन्मभूमि सीतामढ़ीक पुनौराधाम, अयाची जन्मस्थान सरिसोपाही, मंडनक जन्मस्थान महिषीधाम, विद्यापतिक जन्मस्थान बिस्फी आ जतय कालिदास केँ ज्ञान भेटल रहनि ताहि उच्चैठ भगवतीस्थान आदिक विकास धार्मिक पर्यटनक संग ऐतिहासिक पर्यटन लेल सेहो कयल जाय। एहि लेल उचित योजना बनेबाक संग बजट मे विशेष प्रावधान लेल मुख्य अतिथि बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सँ निवेदन कयलनि।
समारोहक अध्यक्षता सेहो कय रहला आयोजक समितिक अध्यक्ष वयोवृद्ध समाजसेवी विजय चन्द्र झा पाहुन लोकनिक स्वागत सँग पचास बर्खक यात्राक वृत्तान्त संक्षेप मे रखलनि। संघक उपलब्धि सब गनबैत मैथिली भोजपुरी अकादमीक गठन मे केवल आ केवल अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अथक परिश्रमक प्रतिफल ओ कहलनि। फेर बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपन वक्तव्य रखलाह। नीतीशजी लोकक हुजूम देखि प्रफुल्लित छलाह। ओ सभागारमे बैसल लोककेँ अभिवादन करैत कहलखिन जे मिथिला आ मैथिली सँग हमर बड्ड पुरान नाता अछि, अपन एक मैथिल संगी जेकरा सिर्फ मैथिली टा बाजय अबैक तिनका याद करैत ओ स्वयं ओकरे सँ मैथिली बाजब सिखबाक बात कहैत अपनो कनेक समय लेल मैथिली मे खुलिकय बजलाह। हुनक मैथिली मे बाजब सभागार मे उपस्थित हाउसफूल दर्शक केँ खूब मनोरम लागल। ऐतिहासिक स्थल सभक जीर्णोद्धारक प्रभात झाक अनुरोध केँ स्वीकार करैत एहि दिशा मे शीघ्र उचित डीपीआर आदि बनेबाक बात ओ कहलनि। हालहि मुख्यमंत्री आयाची डीह सरिसोपाही मे अयाचीक प्रतिमा स्थापना समारोहक मुख्य आतिथ्य केँ दिल्ली मे पर्यन्त याद करैत हुनक महताक बखान कएलनि जे कोना आयाची मिश्र जीवन पर्यंत किनको सँ कोनो दान अथवा याचना नहि कयलनि आर ताहि सँ हुनक नाम आयाची पड़लनि। मिथिलाक व्यंजन पर जोर दैत ओ कहलखिन जे मखान सभ घरक व्यंजन पुनः बनैक, माछक उत्पादन पूर्ववत् होय, एहि तरहक भावनाक प्रस्तुतिक अतिरिक्त मुख्यमंत्री द्वारा कोनो ठोस आ उपयोगी घोषणा नहि कयल गेलाक कारण जनमानस काफी निराश भेल परञ्च हुनक आगाँ-पाछाँ कय रहल लोक सब अपन पीठ अपनहि सँ ठोकय मे कतहु पाछाँ नहि देखायल। स्वयं सभाध्यक्ष विजय चंद्र झा द्वारा मुख्यमंत्रीक ओ प्रसिद्ध उक्ति जे मिथिलाक विकास बिना बिहारक विकास नहि, आर बिहारक विकास बिना मिथिलाक विकास नहि – तेकरा सम्मान देबाक लेल मिथिलाक लोकक अपेक्षा विकास प्रति केहेन अछि से मांग कयलाक बादो मुख्यमंत्री द्वारा ताहि दिशा मे कोनो ठोस घोषणा नहि कयला सँ जनमानस मे निराशा स्वाभाविके छल।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिथिलाक पेंटिंग केर खूब प्रचार-प्रसारक बात कहलनि। ओ कहलनि जे भागलपुरी सिल्क पर पेंटिंग करा मिथिला चित्रकला सगरो दिस सम्मान ओ स्नेहक स्मृति चिह्नक रूप मे दैत छी। दरभंगा आ पुर्णिया हवाई अड्डा जल्दिए प्रारम्भ होयत सेहो जनतब ओ सभा केँ करौलनि। पटनाक हवाई अड्डाक भितरक भागमे सेहो मिथिला पेंटिंग जगह पाओत। आरो बहुत किछु लेकिन मैथिली भाषा जे मिथिलाक मूल आत्मा छैक ताहि मे प्राथमिक शिक्षाक व्यवस्था सहित पर्यटन, उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य, लोकपलायन आदिक मुद्दा पर ओ चुप्पे रहलाक।
जेडीयू केर राष्ट्रीय अध्यक्ष सभागारमे लोकक अभिवादन पश्चात् अपन नेता ओ बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केर प्रशंसा मे खूब्बे रास गाथा सब गेलनि। सभा केँ जनतब करौलनि जे नीतीशजी व्यंजनमें मखानक खीर नित दिन रहिते टा छनि आ हमरा लोकनिक सरकारक प्रयास सेहो अछि जे ई खीर मिथिला आ बिहार सँग देश-विदेशक सभक थरिया धरि पहुँचय। मुदा जतय पलायन, अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी, बीमारी आ अनेकानेक विपन्नता सँ भरल जनमानस रहैत अछि ताहि ठामक लोकक थरिया मे एहि मखानक खीरक प्रासंगिकता ओ औचित्य पर कोनो खास तर्क हुनकर प्रस्तुति मे नहि देखल गेल। जतय लोक भोर साँझ भोजनक आसमे टकटकी लगौने होय ओतय खीर तँ दिवास्वप्न सँ कम किछुओ नहि। अहि सँग पहिल सत्रक विराम देल गेल।
दोसर सत्रक शुरुआत पटना सँ आएल चर्चित मंच उद्घोषक जनिका साँस्कृतिक कार्यक्रमकेर सञ्चालनक जिम्मा सेहो छलनि ओ मैथिली गीतक इतिहास संग कतेको रास नव जानकारी वर्तमान पीढी केँ करौलनि। मैथिली कार्यक्रमक खासियत यथार्थतः एहने सक्षम आ सजग मंच उद्घोषण सँ होएत छैक, ई बात सच प्रमाणित भेल। नीक-नीक विषय वस्तु सँ लोककें जोड़िकय रखलनि अति-प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक सह मंच उद्घोषक बटुक भाइ। आमोदजीक कंठ सँ सुमुधुर संगहि नव धुन मे “उगना रे मोर कतय गेलाह” सुनैत श्रोता सब अपन भाग्यक सराहना कयलक। स्वेता मिश्र, मधुलता मिश्रक गीतनाद सेहो खूब मनोरंजक भेल। आर फेर विराम देल गेल।
तेसर सत्रक शुरुआत फेर सँ बटुक भाइ केर संचालनमे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ओ लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजनक विशिष्ट आतिथ्यक संग-संग मिथिला माटिक शान पूरी पीठक जगतगुरु शंकराचार्य जी महाराज अपन विशिष्ट जन संग मंचस्थ भेलाह। हुनका सभक सम्मानक बाद राजनाथ सिंह द्वारा सभा केँ संबोधित कयल गेल। ओ कहलनि जे विदेहपुरी मिथिला आ कौशलपुरी अयोध्या दुनु महान आ समृद्ध प्राचीन सभ्यता आ संस्कृति थिक जे देशक विरासत होयबाक संग-संग अलौकिक आ ऐतिहासिक सेहो रहल अछि। दुनूक बीचक सम्बन्ध अटूट अछि। मिथिलाक लेल कोनो आन राज्यमे एतेक भव्य समारोह पचास बरखक उत्सव मनायल जायब स्वर्णिम अछि। कविकोकिल विद्यापतिक महानता पर बजैत ओ कहलनि जे रविन्द्र नाथ टैगोर केर गीतांजलि सेहो हुनकहि सँ प्रभावित बुझना जाएत अछि से साहित्यकारक मत अछि। हमहूँ चाहैत छी जे साँस्कृतिक आ ऐतिहासिक धरोहर केर पूनरुद्धार होय। तथ्य संग मिथिलाक स्वतन्त्रता संग्राममे सहभागिता पर सेहो बजैत ओ याद केलथि जे कोना मुंगेरक तारापुर थानामे आंदोलकारी सभकेँ गोली सँ भुनि देल गेल छल आर जे लाठी गाँधीजी (बापू) लग रहनि सेहो मिथिलहि केर खोरखट गाम वासी द्वारा देल गेल छलनि। लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन बजलीह जे मिथिला बौद्धिकताक जन्मस्थली रहल अछि। बाबा विद्यापति संगहि नारी शक्तिक आ समर्पण और भामतीक प्रसंग रखलिह। पहिल प्रजातन्त्रक सूत्रपात मिथिला छथि आ अटल जीक मिथिला प्रति सिनेहक चर्च करैत कहलखिन जे विरोधी दल रहितौ आदरणीय स्व० भोगेन्द्र बाबू सदिखन मिथिला मैथिली आयोजनमे अटल जी आमंत्रित करैत छलनि।
आब अंतिम वक्ता स्वरूप आमंत्रित कएल गेलनि पूरी पीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य अपन स्वस्ति वाचन सँग ओ भूमिजाक रूपमे मैथिली खाली मिथिलाक मान सम्मान नै अपितु समस्त मानवलोकमे सम्मानित भेलीह। आइ अपनहि लोक अपन ताक़ति बिसरि रहल अछि। याज्ञवल्क्य, गार्गी, मैत्रेयी, योगिनी, सुलभा, गौतम, मंडन, आयाची, विद्यापति आदिक जतय प्रादुर्भाव भेल होय एहन धरा जतय स्वर्ग सँ देवगण अएबाक प्रतिक्षारत रहैत छलाह से आइ उपेक्षित अवस्था मे अछि। पूरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य द्वारा बिहारक मुख्यमंत्री नीतीशजी पर तंज कसैत कहलनि जे ओ हमरा देखिते पड़ा गेल हेताह किएक तँ ओ सत्त नहि सुनि सकैत छथि। हम राज्य सरकार आ केन्द्र सरकारक नीतिक दोष दैत छी जेकर कारण सँ मिथिलाक ई दुर्दशा अछि। जा धरि श्रमशक्ति आ मेधाशक्तिक सदुयोग निज क्षेत्रक विकास लेल नै होयत ता धरि देशक स्थिति जस केँ तस रहत, विकास असम्भव अछि। अमेरिका हमरा देशमे सभ क्षेत्रमे विनियोगक बात कय रहल अछि आ हम अमेरिकामें। कनि सोचु जे भारत १८४६ ई. मे काबुल, गंधार आ अफगानिस्तान धरि पसरल छल, आइ भारत सँ फराक वर्मा, श्रीलंका आ फेर पाकिस्तान। रक्षा, शिक्षा, वाणिज्य, सेवा, उद्योग केर सभ परिकल्प दोसर देश पर आश्रित अछि तखन भारत स्वतंत्र कोना भेल। मिथिलाक लेल जरूरी बात जे पहिने लिपि केँ फेरसँ स्थापित करू, भारतीय आ नेपालीय मैथिल दुनु कातक लोक केँ एक मन्च पर सभा हेबाक चाही, तखन भाषा कि राज्य आ कि अन्यान्य समस्याक निदान सेहो सम्भव भ सकैछ।
अहि मन्च सँ पोथीक विमोचन राजनाथ जी आ सुमित्रा महाजन जीक हाथ सँ भेल संगहि किछु विशिष्ट लोकनि केँ पुरस्कार सेहो प्रदान कयल गेलनि। जेना मिथिला मैथिलीक प्रसिद्ध सृजनकर्मी रचनाकार लक्ष्मण झा सागर कें बाबू साहेब चौधरी पुरस्कार, स्वच्छ भारत मिशनक आदर्श प्रतीक सुलभ शौचालयक संस्थापक बिंदेश्वरी पाठक केँ मिथिला रत्न, वरिष्ठ साहित्यकार विरेन्द्र मल्लिक केँ भोगेन्द्र झा सम्मान, मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ भीमनाथ झा केँ यात्री सम्मान आओर डॉ आभा झा चौधरी केँ मिथिला विभूति सम्मान सँ सम्मानित कएल गेलनि।
चारिम सत्र शुरू भेल जाहि मे विद्यापति गीत-संगीत ओ साँस्कृतिक कार्यक्रमक आयोजन छल। डा. चन्द्रमणि झा द्वारा दू गोट नीक-नीक गीत सुनबाक अवसर भेटल दर्शक सब केँ, जाहि मे एक गोट छल ‘पाग पूजा हमर मैथिली’ आ दोसर बहुत सुन्नर “अहाँक सुग्गा मंत्र पढ़ैए, बटुक पढ़ैए वेद, ताहि सिर पर बैसिकय उल्लू सिखबैय जातिक भेद”। फेर रंजना झा द्वारा मनमोहक विद्यापतिक गीत आ फेर पहिल बेर रविन्द्र महेंद्रक जोड़ीक रविन्द्रक झनकैत आवाज सभागार केँ आत्ममुग्ध कय देलक। उदित नारायण झा सेहो छोटछोट गायन सब राखिकय दर्शक श्रोताक मान राखि लेलनि। उत्कृष्ट लोकनृत्यक प्रस्तुति सब दिल्लीक प्रसिद्ध रंगकर्मी समूह मैलोरंग द्वारा भेल जे वास्तवमे अद्भुत रहल। अन्त मे ई स्वर्ण जयंती समारोह वास्तवमे स्वर्णिम आ ऐतिहासिक सिद्ध भेल आ एकर सन्देश दिल्लिए टा नै अपितु समस्त देशमे पसरत तकर भरोसा अछि। हम रामबाबू सिंह एकटा मैथिलीजीवी मिथिलावासी, अपन प्रणामक संग!!