रज्जोक भैया रमण २ वर्ष पर गाम एलैक – प्रकाश कमतीक धारावाहिक केर भाग...
कथा
- प्रकाश कमती
दू बहिन आ एकटा भाइमे रज्जो सभसँ छोट बच्चे सँ बड्ड मेहनतिया आ फुर्तीली छल। देखै-सुनै मे जहिना रूपवती तहिना स्वभाव सँ...
एकटा सासु छलीह जसोधा
लघुकथा
- रूबी झा
कहैय लेल हम सब कहैय छियैय बेटी पुतोहु में कोन अंतर, लेकिन कतेक लोक आकाश-पाताल जकाँ अंतर बुझैत छैथ, बेटी और पुतोहु...
बाबूजी केर दोस्त फेल नहि फैल भऽ गेल छलन्हि (खिस्सा)
कथा
- डा. लीना चौधरी
बाबूजी और बाबूजी के किछ दोस्त संग परममित्र बच्चुबाबू ओही साल मैट्रिक के परीक्षा देने छला। परीक्षा के बाद सब मित्र...
खापरि मे जाइत भुजै छेलौं – वंदना चौधरी लिखित एक अत्यन्त मर्मस्पर्शी कथा
लघुकथा
- वंदना चौधरी
मनीषा काफी पढ़ल लिखल और देखै में सुंदर छेली। घर के काज राज में सेहो दक्ष। एकटा मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में...
सिर्फ पुत भऽ गेला सँ माय-बापक उद्धार भऽ जाइत छैक की? – रूबी झा...
लघुकथा
- रूबी झा
तोरा त बेटो नै छौ, तोहर दुनू प्राणी के उद्धार कना हेतौ? दिन राति कमला अपन जेठ दियादनी के कहैत रहैय छलखिन्ह,...
मैथिली कविता – एक दिन
कविता
- ममता झा
एक दिन
एक दिन सब के जिन्दगी शेष भ जैत
ई बात सब कियो जनई या,
लेकिन अंतिम दिन तक
स्वीकार बहुत लोग नई करै या
कियाक...
दिल्लीक सुधीरा दाय ऊर्फ दीपक चौरसियाक खिस्सा
लघुकथा
- रूबी झा
कहल गेल छै सैंग (थोड़) लोक अपने संतान स होययै। एकटा छली सुधीरा दाय। अपन घरक ख्याल राखैय स ज्यादा दोसरे के...
जुड़य अपना त आदर करय आन – ओकर कहानी जे संघर्ष कय धियापुता केँ...
लघुकथा
- रूबी झा
बिलो रिक्सा चालक छलाह। दिन-राति मेहनत क अपन परिवार केर लालन-पालन करैत छलाह। ओ पाँच-प्राणी छलाह - अपने, कनियाँ आ हुनक दुटा...
आइना सँ प्रश्न – मैथिली कविता
कविता
- ममता झा
एतबा बता दे आइना
एतबा बता दे आइना जे हम
तोरा देखैत छी या अपना केँ?
तोरा देखी तँ हमरा अपन चेहरा देखाइछ
तखन तोहर चेहरा...
घर-घर केर कथा – एहनो होइत छैक सासु-पुतोहु
कथा
- डा. लीना चौधरी
गर्मी के छुट्टी छल। आमक मौसम छल। सब बच्चा क लक कनियाँ गांम ऐल छलीह। आंगन पैघ छलैन । चारिटा भइयारी...