चीनक पारम्परिक विवाह पद्धति संग मिथिला पद्धतिक तुलना

लेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

कोन नीक, हम या ओ

 
विवाहक तौर-तरीका सेहो विभिन्न सभ्यताक विशिष्टता होइत छैक। हम-अहाँ मिथिला सभ्यताक लोक मे विवाहक परम्परा अति-विशिष्ट अछि। लेकिन अपने मोने मियाँ मुंह मिट्ठू भेला सँ त काज नहि चलत, एहि लेल हम सब अपन मिथिलाक वैवाहिक विध-विधान, परम्परा, तौर-तरीका, शैली, विशेषता आदि केँ कोनो आन संस्कृति सब मे विद्यमान परम्परा व शैली सँ तुलना करब तखनहि टा ई ज्ञात होयत जे अपन चीज-वस्तु (तौर-तरीका) कतेक मूल्यवान अछि।
 
विवाह सँ जुड़ल विभिन्न बात पर काफी समय सँ चिन्तन-मनन करैत आबि रहल छी आ सृष्टिक सिद्धान्त केँ सुसंस्कृत-सुसभ्य तरीका सँ निर्वाह करबाक आरम्भविन्दुक रूप मे विवाह केँ मानैत छी। स्त्री आ पुरुष केर स्थिति प्रकृति मे लगभग सब जीव मे अछि, कोनो-कोनो जीव केँ प्रकृति ऊपरे सँ ‘उभयलिंगी’ सेहो बनाकय पठौने अछि नहि त बाकी सब मे मर्यादित स्वरूपक संग एक नर आ एक मादा होइत अछि, यैह नर आ मादा केँ एकाकार भेला सँ सृष्टि मे नव सन्तानक पदार्पण भेल करैछ। चूँकि मानव सभ्यताक विकास मे विवाह परम्परा एहि एकाकार होयबाक विधिसम्मत उपाय थिक, एकर अतिरिक्त केर कोनो एकाकार केँ समाज मान्यता नहि दैछ आ उल्टा हेय दृष्टि सँ ओकरा ‘व्यभिचार, कदाचार, अनाचार, भ्रष्टाचार, कुविचार’ आदिक नकारात्मक विशेषण सँ परिभाषित करैत अछि।
 
लेख निरन्तरता मे – कियो जँ एडवान्स मे कमेन्ट करी त कृपया विश्व भरि मे विद्यमान कोनो देश वा सभ्यताक विवाह पद्धति केँ मिथिला सँ तुलना करैत किछु विन्दु जरूर कमेन्ट करी।
 
File Photo (Pic Credit Wikipedia)

हालहि चीनक सामाजिक संरचना पढैत-पढैत हमरा दिमाग मे आयल जे एक बेर एतुका वैवाहिक प्रक्रिया सेहो देखी जे ओतय केना-केना सृष्टिक एहि प्रबल सिद्धान्त केँ मानव जाति जीबि रहल अछि। स्वाभाविक छैक जे विवाह त सदिखन नारी आ पुरुष बीच होइत छैक, तखन अपना सब ओतय जे ‘कन्यादान’ केर महत्व एतेक बेसी मानल गेलैक अछि से अन्यत्र विरले देखाइत अछि। शायद यैह मुख्य कारण छैक जे अपना ओतय बेटावला पास कन्यादानक प्रस्ताव लय जखन बेटीवला जाइत अछि त ओतय भिन्न-भिन्न तरहक मांग कयल जाइत अछि जेकरा हमरा लोकनि मांगरूपी दहेज कहैत छी। चीन मे उल्टा छैक। बेटावला विवाहक प्रस्ताव तैयार कय इच्छित बेटीवला ओतय जाइत अछि। दोसर चरण मे वरपक्ष द्वारा कन्याक नाम तथा जन्मतिथिक मांग कयल जाइत अछि। ई नाम आ जन्मतिथिक मांग करबाक अर्थ भेल जे एहि कन्या लेल योग्य वर हमर परिवार मे अछि आर दुनूक जोड़ीक भविष्य चाइनीज ज्योतिषी पद्धति पर से चेक कयल जायत। जेना भारतीय वैवाहिक पद्धति मे जन्मकुन्डली मिलेबाक परम्परा किछु तहिना। एहि तरहें दुनू पक्ष विवाह वार्ता आरम्भ करैत आगू बढैत अछि।

 
प्रथम आ दोसर शिष्टाचार (etiquette) – वैवाहिक प्रस्ताव (नाकाई) मे जेना अपना सब ओतय जाति, गोत्र, कतेको पीढी धरि रक्त सम्बन्ध (किछु उच्च जाति मे मात्र) आ तेकर बाद वर-कन्याक योग्यता, कुलीनता, सम्पन्नता, ऐश्वर्य (सुन्दरता); दोसर नाम-जन्मतिथि मंगनाय (वेनमिंग) जेना अपना ओतय कुन्डली मिलेबाक परम्परा आदि अछि तहिना चीन मे सेहो किछु उच्च जाति मे जातीय सीमा निरीक्षण प्राचीनकाल सँ अछि, बाकी सामान्यजन मे एहेन कोनो जातीय सीमा नहि अछि। कुल छह शिष्टाचार मे तेसर चरण होइछ ‘भविष्यवाणीक परिणाम और सगाई उपहार (नाजी) पठेनाय, चारिम दुल्हिनक घर विवाहक उपहार पठेनाय (नाझेंग), विवाहक तारीख (क़िंगकी) लेल अनुरोध करनाय, और दुल्हिन केँ व्यक्तिगत रूप सँ बिदागरी करेनाय अर्थात् दूल्हाक घर अननाय (क्विनिंग)। प्रत्येक अनुष्ठानक विवरण अलग-अलग भऽ सकैत छैक – ठीक जेना अपना सब ओतय अलग-अलग जाति-समुदाय मे अलग-अलग व्यवहार लेकिन मुख्य शीर्षक लगभग सभक समाने होइत छैक। हँ, एकटा बात आर। जेना अपना सब ओतय ‘दुतीकार’ केर बात जिनका बाद मे घटकराज सेहो कहल गेल, ठीक तहिना चीन मे सेहो विवाहक मामिला मे मैचमेकर (दुतीकार) केर भूमिका बड़ा जबरदस्त होइत छैक। दुतीकार केर उपस्थिति सम्पूर्ण विध-व्यवहार मे अनिवार्य कयल गेल छैक।
 
दुतीकार केँ जोड़ी मिलानी मे दुनू परिवारक हित देखबाक नियम ओतहु छैक। लड़का-लड़कीक जोड़ी मिलत, ओकरा सँ सुन्दर सन्तति एहि धरती पर आओत, ओ सब एक-दोसरक परिवार आ माता-पिता, जेठजन, आदि प्रति जिम्मेदारीपूर्वक घर-गृहस्थी सम्हारि सकत – ई सारा बात एकसमान अछि। ई नहि केवल मिथिला या भारतीय या नेपाली परम्परा मे, बल्कि संसारक सब भाग मे समान अछि। आइ तेँ मैचमेकिंग के मेट्रोमोनियल वेबसाइट केर सौफ्टवेयर सेहो बनि गेल अछि, कतेको तरहक आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स (एआई) केर प्रयोग करैत एप्प सब बनि गेल अछि जे दुइ सम्भावित जोड़ीक भविष्य केँ मैच करैत भविष्यवाणी कयल करैत अछि।
 
जन्मकुंडली मिलेबाक काज तखनहि होइछ जखन बेटीवला केँ दुतीकारक प्रस्ताव पसिन पड़ल आ तखन जेना हिन्दू परम्परा मे ज्योतिषाई ज्ञान सँ भविष्य केहेन हेतैक से जाँच कयल जाइछ, ठीक तहिना चीन मे सेहो चन्द्रमाक स्थितिक गणना पर आधारित ‘वर्ष, महीना, दिन आर घंटा लेल ८ चक्रीय वर्ण द्वारा जन्मतिथि कोनो व्यक्तिक भाग्य केर निर्धारण करैत छैक से मानल जाइछ। सुआन मिंग (चीनी भाग्य बतेनिहार) केर उपयोग ओहि जोड़ीक भविष्यक भविष्यवाणी करबाक लेल कयल जाइछ। यदि सुआन मिंग केर परिणाम नीक भेल त ओहि दुल्हिनक कीमत जमा करैत वरपक्ष आगू डेग बढा सकत।
 
दुल्हिन केँ संपत्ति (विश्वासघात उपहार): दूल्हाक परिवार दुल्हिनक परिवार केँ दुल्हिन केर मूल्य (विश्वासघात उपहार) दुतीकारक माध्यम सँ पेश करबाक व्यवस्था करत जाहि मे बाकायदा दुल्हिन संग अलग होयबाक अवस्था मे ओकर भरण-पोषण आ जीवन लेल वचनबद्धताक ‘विश्वासघात पत्र” सेहो शामिल रहैछ। आर तेकर बाद विवाह लेल उपहार दूल्हाक परिवार द्वारा दुल्हिनक परिवार केँ दयवाला सारा वस्तुक (भोजन, केक और धार्मिक वस्तु आदि) विस्तृत सूची पठबैत छैक। तखन आगू विवाहक व्यवस्थापन अर्थात् विवाह समारोह से पहिलुका चीनी टंग शिंग केर अनुसार विवाहक दिन, जोड़ाक नीक भविष्य केँ सुनिश्चित करबाक लेल शुभ दिन केर चयन करब ओतबे महत्वपूर्ण होइत छैक, एतहु शुभ-अशुभ दिनक बहुत ध्यान राखल जाइछ। गोटेक मामला मे कोनो शुभ तिथि नहि भऽ सकैत अछि त विवाह होयवला जोड़ा केँ अपने अपन सुझबुझ सँ सब किछु समीक्षा करैत तिथिक सीमा निर्धारित कयल जाइछ। आर अन्त मे, वैवाहिक समारोह – अंतिम अनुष्ठान विवाह समारोह होयत जतय दूल्हा और दुल्हिन एक विवाहित जोड़ा बनि जाइछ। एकर सेहो कतेको विस्तृत भाग होइत छैक।
 
आब एतय गौर करू – उपरोक्त छहो शिष्टाचार लगभग अपना सब ओतय सेहो होइत अछि, बस अपना ओतय कन्या व कन्याक पिताक कन्यादानक परम्परा निर्वाह करबाक परिस्थिति केँ बाध्यकारी बुझि दहेजक मांग व अन्य कतेको तरहक उपहार आदि लेल उल्टे दूहि लेल जाइत अछि। प्राचीन समय मे लेकिन अपन मिथिला मे सेहो बिल्कुल यैह व्यवस्था छल जे कन्या केर विवाह लेल दुतीकार वरपक्ष दिश सँ प्रस्ताव आ मूल्य दुनू देबाक गारन्टी करथि। एतय मूल्य केर आध्यात्मिक अर्थ अछि कन्याक जीवन भरिक सुरक्षा। जँ विवाह उपरान्त वर या वरक घर द्वारा उचित ढंग सँ कन्याक रक्षा नहि होयत त विश्वासघात उपहार एतेक न एतेक देल जायत, चीन केर एहि परम्परा के मादे ई बात कहल। जहिया दहेजरूपी व्यवस्था अपना ओतय शुरू भेल तहिया केवल कोनो विशिष्ट वर या वर-परिवार केँ कोनो तेहने सम्पन्न कन्याक माता-पिता परिजन द्वारा हुनक विशेष उपलब्धि केँ सम्मान देबाक लेल किछेक राशि देल करथि, धीरे-धीरे यैह देब-लेब दहेज कुप्रथाक रूप मे स्थापित भऽ गेल अछि।
 
आगू बरियाती सेहो पहिने कन्यापक्षक घर सँ लाल रंगक लिवास मे दूल्हिन केँ जेठ भाइ द्वारा पालकी मे बैसाकय ओकरा संग किछु परिचर्चा करयवाली सहायिकाक संग कन्याक पूरे परिवार वरक घर जाइत अछि। कन्या अपन घर सँ विदाह होयबाक समय बिल्कुल ओहिना कनैत अछि जेना अपना ओतय विदाई के समय यानि दुइरागमनक बेर मे। वरपक्ष कन्या सहित पूरे बरियाती केँ भव्य स्वागत करैछ, भोज दैछ। आर फेर एकटा रोचक प्रसंग देखू – जेना अपना ओतय कन्या केँ तरह-तरह के चुनौतीपूर्ण काज करबैत बौद्धिक सामर्थ्य, शारीरिक क्षमता आ गृहस्थी सम्हारयवला अनेकों आचरण सभक जाँच कयल जाइछ, ठीक तहिना चीन मे वरक परीक्षा लेल जाइछ। जखन कनियाँ बरियाती सहित ओकर घरक बाहर आबि जाइत छैक तखन वर केँ कतेको तरहक परीक्षा लेल जाइत छैक, ओ ओहि समस्त कठिनाईक श्रृंखला केँ टपलाक बादे अपन कनियाँ संग भेंट कय सकैत अछि। फेर जेना अपना सब ओतय होइत अछि जे खूब पटाखा, बैन्ड, ढोल-पिपही, गाना-बजाना सब होइछ आ बरियातीक स्वागत-सत्कार कयल जाइछ – ठीक तहिना ओतय वरपक्ष द्वारा विवाह स्थल पर पालकीक आगमन पर संगीत आ आतिशबाजी कयल जाइछ। दुल्हिन केँ रेड कार्पेट पर लय गेल जाइछ। दूल्हा लाल रंग के गाउन मे स्वर्ग, माता-पिता और जीवनसाथीक पूजा करबाक लेल तीन बेर झुकत। पश्चिमी सभ्यता मे प्रतिज्ञाक आदान-प्रदान करबाक समान चीनी विवाहित जोड़ी जेड सम्राट (चीनक एक देवतातुल्य महापुरुष), संरक्षक परिवारक देवता (यानि कुलदेवता – संरक्षक बुद्ध या बोधिसत्व) केर सम्मान करत, मृतक पूर्वज लोकनि (पितर लोकनि) केर पूजाक संग दूल्हा और दुल्हिन केर माता-पिता और अन्य जेठजन लोकनिक सम्मान करत, आरो लोक सभक सम्मान करत। तखन, नव जोड़ा अपन दुल्हन कक्ष मे जायत और पाहुन सब केँ भोजन करायल जायत। कोनो-कोनो विवाहोत्सव मे आरो किछु विध सब कयल जाइछ। जेना दुल्हिन द्वारा अपन सासु-ससुर केँ चाय दैत सम्मानक भाव प्रकट कयनाय, दूल्हा संग पहिल भेंट मे पंखा सँ अपन लजायल मुंह नुकेनाय, आदि। एतय ध्यान दय योग्य बात ई छैक जे पहिल दिन कन्यापक्षक दिश सँ आयल बरियाती लेल वरपक्ष द्वारा भोज भेल, तहिना दोसर दिन कन्या अपन पति, पतिक परिवार आ बरियाती सहित पुनः अपन घर लौटैत अछि आ फेर कन्याक पिता द्वारा अपेक्षाकृत छोट पार्टीक आयोजन कयल जाइत छैक।
 
आब लेख केँ विराम दय रहल छी। आशा अछि जे अपन संस्कृति-संस्कार पर गर्व करबाक लेल दोसरो विकसित संस्कृति-संस्कार सँ हम सब हरेक विन्दु पर समीक्षा करब। अपन नीक लेल आत्मगौरव करब, आ जँ कोनो गलत आ कूरीति अछि त ओहि पर खूब नीक सँ चिन्तन करब। मातृकापूजा, परिछन, वैदिक विवाह रीति, अग्नि केँ साक्षी मानिकय सप्तपदी वचन दैत पाणिग्रहण करब, फेर कनियाँक दुइरागम उपरान्त हुनकर परीक्षा आ विभिन्न विध-व्यवहार सँ घर-गृहस्थी केँ सफलतापूर्वक सम्हारबाक सन्देश, कोहबर मे युगल दाम्पत्य जीवन केँ आगू बढेबाक सन्देश आ सर-कुटुम्ब आ सम्बन्धी सहित हर्षोल्लास मे होयवला विवाह मे दहेज नाम्ना फालतू चीज केर कतेक जरूरत छैक ताहि पर सेहो मनन करब। अस्तु!
 
हरिः हरः!!