मिथिलानी कनियाँ (काव्य)

काव्य - काजल चौधरी, योग प्रशिक्षिका, नई दिल्ली मिथिलानी कनियाँ (कनियाँ = पुतोहु, daughter-in-law) हम छी मिथिलानी कनियाँ घूँघट लैपटौप संग रखय छी! फायल मे माथा ओझराबी क्लाइंट्स सभक दुःख केँ...

मिथिलाभाषा रामायण – अयोध्याकाण्डः पाँचम अध्याय

स्वाध्याय पाठ कविचन्द्र विरचित मिथिलाभाषा रामायण  अयोध्याकाण्ड - पाँचम अध्याय ।चौपाइ। ।राग-तरङ्गिणी-ग्रन्थानुसारेण मंगलराज-विजय छन्दः। केकयि कयल कुठाठ कठोर। गुपचुप रहल न भय गेल सोर॥ केकयि - कृत शुनि शुनि उतपात।...

मिथिलाभाषा रामायण – अयोध्याकाण्डः चारिम अध्याय

कवि चन्द्र विरचित मिथिलाभाषा रामायण अयोध्याकाण्ड - चारिम अध्याय ।चौपाइ। ।मिथिलासंगीतानुसारेण मिथिला गौड़-मालवं छन्दः। जैँ कौशल्या जानथि शञ्च। तेहन सुमित्र कयल प्रपञ्च॥ रामक छवि देखल भरि नयन। नील-कमल-निन्दक छवि...

माटि मंगल सुभकाज के बिसरि मात्र देखावा होइ अछि जनेऊ संस्कार मे

लेख प्रेषित : रिंकु झा लेखनी के धार शीर्षक - आधुनिकता आर परंपराक बिच उपनयण संस्कार मे बढि रहल आडंबर ********* पारंपरिक विध -व्यबहार कोनो भी समाज के संस्कृति...

उपनयनक बाद कियो जनेऊ नै पहिरैत अछि आब

लेख प्रेषित : नीलम झा ‘निवेधा’ #लेखनीक_धार विषय:- "आधुनिकता आ परंपरा के बीच बढ़ैत यज्ञोपवीतमे आडम्बर " पहिने यज्ञोपवीतमे विध पर बहुत बेसी धियान रहैत छलैक। सभ शुभ-शुभक...

उपनयन के नाम पर जीवन भरिक कमाई छन मे लुटाई

लेख प्रेषित : कीर्ति नारायण झा विषय : उपनयन संस्कार मे विधि सओं बेसी देखावट पसरल अछि । विचित्र स्थिति भऽ गेलैक अछि अपन मिथिला के जे...

धनुषाक प्रसिद्ध हास्यकवि – गंगुलीवासी नरेश ठाकुर

व्यक्तित्व परिचय - नित्यानन्द मंडल (साभारः फेसबुक पोस्ट) फगुआक दिन बाँकी चारि, आबए कहलनि छोटकी सारि... ई होरिआएल काव्यपंक्ति छनि पब्लिक पोएट नरेश ठाकुर जीक । बुझबामे...

वाजसनेयिनां विवाहपद्धतिः – मैथिल ब्राह्मण व अन्य समुदाय मे वैवाहिक रीतिक शास्त्रीय विधान

महामत्तक-ठक्कुर-दत्तरामविरचिता वाजसनेयिनां विवाहपद्धतिः इन्दुमती टीका टिप्पणीभ्यां विभूषिता सम्पादकः श्री रामचन्द्र झा, व्याकरणाचार्यः आत्म निवेदन कन्यादान वस्तुतः कन्यादानक अर्थ विवाह संस्कार थिक। १६ संस्कारान्तर्गत विवाहसंस्कार प्रमुख मानल गेल अछि। कन्याक हेतु ई...

वाजसनेयिनाम्-एकोद्दिष्टपद्धतिः (मिथिला मे प्रचलित बरखीक पद्धति)

अथ वाजसनेयिनाम् एकोद्दिष्टपद्धतिः 'इन्दुमती' मैथिली-भाषाटीकाटिप्पणीभ्यां विभूषिता पृष्ठ १ - वाजसनेयिनाम्-एकोद्दिष्टपद्धतिः एकोद्दिष्टक सामग्री अच्छिञ्जल, गङ्गाजल, गङ्गौट, पिड़ी बनेबाक हेतु बालु, रक्षोघ्नदीप, उत्सर्गदीप, कुश, तिल, जौ, धूप, अक्षत, सालिग्राम, तेकुशा...

नब आशाक चेतना जगबैत अछि इ वसंत ऋतु

लेख प्रेषित : रिंकु झा लेखनी के धार शीर्षक -वसंत  ऋतु मे प्रकृति अपन सुन्नरताक छटा चहुंदिस पसारैत अछि - भारत मे मुख्यतः छः टा ऋतु मानल जाइत...