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“खोंइछ भरबाक विधि और अहि केर महत्त्व पर जानकारी दैत इ लेख”

– आभा झा।                             

दुर्गा पूजाक अवसर पर दुर्गा माँ के खोइंछ भरै के उत्साह तऽ देखै जोगर रहैत अछि। महाअष्टमी के दिन सुहागन स्त्री दुर्गा माँ के नब साड़ी में खोइंछ बान्हि कऽ आर सुहागक सब चीज संग मिठाई,फल,फूल सेहो खोइंछ में चढ़बैत छैथ। सुहागन के सोहाग बनल रहैन आ परिवार में सुख-समृद्धि के वास होइन। लोक धन-धान्य सं सम्पन्न रहै। महाअष्टमी के दिन माँ आदिशक्तिक अष्टम स्वरूप देवी महागौरी के पूजन कैल जाइत अछि। माँ भगवती के पूजन अष्टमी कऽ केला सं कष्ट,दुख दूर भऽ जाइत छैक। भगवती महागौरी के आराधना सब मनोवांछित कामना के पूर्ण करै वाली और भक्त के अभय,रूप व सौंदर्य प्रदान करै वाली अछि। नवरात्रि के अष्टमी कऽ कन्या पूजन सेहो होइत अछि। आमतौर पर लोक दुर्गा पूजा में अष्टमी आ नवमी दुनु दिन कुमाइर के भोजन करबैत अछि और दक्षिणा दऽ कऽ ससम्मान विदा करैत अछि।
अपन मिथिला में सीताजी के सेहो खोइंछ दऽ विदा कैल जाइत छलनि। जखन बेटी अपन नैहर सं सासुर जाइत छैथ तखन विदाई के समय खोइंछ देल जाइत अछि। माँ जखन खोइंछ के ओरियान करैत छल तखन हमरा एहसास भऽ जाइत छल कि आब हमर विदाई होइ वाला अछि। माँ के आँखि में नोर भरनाइ शुरू भऽ जाइत छल। ओ समय बड्ड भावुक होइत छल। खोइंछ में धान,हरैद,दुभि,सुपारी आर सिंदूरक गद्दी आ किछ पाइ राखल जाइत अछि। यैह बेटीक आँचर में माँ बिदागरी के समय दैत छथिन। बेटी जखनो अपन नैहर सं विदा होइत छथि तखन यैह खोइंछ देल जाइत अछि। आशीर्वाद देबा के ई प्रथा बहुत शुभ अछि। पुतौह जखन सासुर सं नैहर जाइत छथि तखन चाउर खोइंछ में देल जाइत छैक।
धानक अर्थ अछि—जाहि घर में अहाँ जा रहल छी ओत खूबसूरत फसल जेकां लहलहाइत रहब–
हरैद—एकर औषधीय गुण अछि–जतऽ अहाँ जा रहल छी ओत सब लोक निरोग रहैथ।
सिक्का—ओइ घर में धन संपदा के कखनो कमी नहीं होइ।
फूल-दुभि–अहाँक जीवन फूलक जेकां सुगंधित रहै। आब अहाँ बुझि सकैत छी कि खोइंछ में देल गेल ई आशीर्वाद कतेक महत्वपूर्ण अछि।
खोइंछ के ई परंपरा संबंधक डोर के मजबूत करैत अछि।
एकर पाछू ई भावना अछि कि माँ अपन बेटीक आँचर धन-धान्य सं भरि कऽ,हुनका लक्ष्मी और अन्नपूर्णाक रूप में सासुर पठाबैत छथि। आँचरक गांठ में यानी ‘खोइंछ ‘में मुट्ठी भरि धान,हरैद के पांच गांठ,दुभि के किछ तिनका और रूपया या सिक्का देल जाइत अछि। मुदा विदा होइत बेटीक भावना में एकर महत्व अनमोल अछि।
खोइंछ हमेशा बाँसक सूप सं देल जाइत अछि ताकि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा हमेशा रहै। गांठक जेकां ही कन्या पूरा परिवार के एक संगे बन्हने रहै।पहिने जखन दुरागमन एक या तीन वर्ष में होइत छल तखन दुरगमनिया कनियां अगर गर्भवती रहैत छलीह तखन हुनकर खोइंछ में नारियल (गरी)सेहो देल जाइत छल।

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