अगस्त १७, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
गर्व करी एहेन संतान पर जे जिया रहल अछि मिथिलाक विशिष्ट पहिचान
– सन्दर्भ बाढि राहतक अपील सर्जक अजित आजाद द्वारा
“मिथिला मे आयल एहि प्रलयंकारी बाढ़िक समय मे मैथिलीक लेखक लोकनि तन-मन-धन सँ सहयोग लेल आगू आबथि।
जिनका सभक लेल लिखै छी, आइ वैह सभ विपदा मे छथि…”
– अजित आजाद
उपरोक्त अपील पर अपने समस्त मैथिली-मिथिला सेवी लोकनिक ध्यानाकर्षण करय चाहब – ई अपील हमरा लोकनिक माननीय – आदरणीय साहित्यकार-अभियानी-नेतृत्वकर्ता आ सदिखन कोनो न कोनो महत्वपूर्ण कार्यभारक संग मिथिला सेवा मे लागल व्यक्तित्व “अजित आजाद” द्वारा कएल गेल अछि। एहि दिशा मे हम सब गोटा ध्यान देब त निश्चित अपन हिस्साक थोड़-बहुत कृति – पुण्य जरुर कय सकब।
अजित आजाद जी केर योगदानक सूची (लिस्ट) बड लम्बा अछि। लेकिन हालहि मैथिली साहित्य जगत् केँ अपन सक्रिय अभियान आ प्रकाशन मार्फत ओ उत्कृष्ट सृजन सब सौंपैत आबि रहला अछि। विगत २ वर्ष सँ मधुबनी मे कार्य करैत आदरणीय आजाद निरन्तर साहित्यिक गतिविधि दहोंदिस पसारय मे भूमिका निर्वहन कएलनि। सदिखन गतिविधि मे सहभागिताक संग प्रकाशन कार्य केँ निरन्तरता मे रखैत वर्तमान आह्वान बाढि पीडित केँ राहत पहुँचेबाक लेल कएल गेल अछि, जेकर हृदय सँ स्वागत करी आ अपन-अपन योगदान पीडित धरि कोनो-न-कोनो रूप मे पहुँचेबाक प्रयत्न करय जाय।
मैथिली भाषाक वर्तमान स्थिति अत्यन्त गम्भीर अवस्था मे रहबाक बात सब गोटा केँ बुझले अछि। राज्य द्वारा मैथिली भाषा आ साहित्य केँ संविधान मे स्थान देबाक झूनझून्नाक अतिरिक्त गोटेक रास अकादमीक औपचारिकता आ यदा-कदा तुष्टीकरण हेतु घोषणा – यैह रहि गेल अछि मैथिली समान अत्यन्त प्राचीन भाषा आ साहित्यक भाग मे। आर सभक बाते छोड़ू, खुद मैथिलीभाषी अपन बाल-बच्चा केँ जाहि तरहें अपन मातृभाषा सँ दूर कय रहल छथि ओकर दूरगामी प्रभाव कतेक आत्महंता वला डेग थिक ई वैज्ञानिक शोध आ मृत भाषा सभक लक्षण केर विषय मे अहाँ जँ पढने होयब त जरुर जनैत होयब। खुद मैथिलीभाषी लेल दू-दू गोट उदाहरण – ब्रजस्थ मैथिल (भारत मे) आ नेवारी मैथिल (नेपाल मे) प्रत्यक्ष सोझाँ मे देखा रहल अछि। आइ ओ सब अपन नाम केर टाइटिल मे ‘मैथिल’ जोड़ि अपन मौलिक पहचान केर प्राप्ति हेतु घोर संघर्ष कय रहला अछि। विवाह-शादी लेल जाति-पाति-पाँजि आदिक त बाते छोड़ू – गुंहखिचरियो पर आफद रहैत छन्हि। आर यैह दिकदारी आम मैथिल केँ प्रवासक जीवन केँ अपनेला सँ होमय लागल छैक ई हमरा मोन पाड़बाक कोनो जरुरत नहि, अपने सब स्वयं भुक्तभोगी बनि रहल छी, जनिते होयब। एहेन दुरावस्था मे अजित आजाद केर एक बड पैघ डेग भेल अछि ‘बाल-साहित्य’ केँ नव प्राण प्रदान करबाक।
“बाल-बंधु” पत्रिकाक पहिल अंक बाजार मे आबि गेल आ सफलतापूर्वक १००० प्रति ग्राहक बीच हाथो-हाथ बिका गेल। लेकिन, कतय ७ करोड़ तथाकथित मैथिली बजनिहार लोकक जनसंख्या आ कतय १ हजार ग्राहक – ऊँटक मुंह मे जीराक फोरन वाली कहाबत – से सब कियो ध्यान राखब जे ई कर्तब्य मात्र एक गोट वा किछु गोट सर्जक केर नहि, हमरा सभक संयुक्त दायित्व आ कर्तब्य थिक। एहि मुहिम मे श्री आजाद केँ हम सब हाथ मजबूत करैत रहबैन। ग्राहक बनिकय, विज्ञापनदाता बनिकय आर प्रकाशनार्थ आरो-आरो पोथी वा पत्रिकादिक प्रकाशन करबा केँ। नवारम्भ प्रकाशनक नाम सँ हिनकर प्रकाशन सदिखन अपन मातृभूमि लेल समर्पित भऽ काज करैत आबि रहल अछि आर ई हमरा सभक मिथिला-मैथिली पहिचान केर संरक्षकक भूमिका निभा रहल अछि। हमहुँ सब उचित संरक्षक केर भूमिका निभा दानक दक्षिणा भरी, बस यैह अपील अछि।
हरिः हरः!!