सौराठ सभागाछी मे पूर्वक परम्परा केँ पुनः स्थापित करबाक प्रयासः फेर शुरु भेल शास्त्रार्थ गोष्ठी

डा. रामसेवक झा, सौराठ सभागाछी, मधुबनी। १ जूलाई, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

मिथिलाक हृदयस्थली मधुबनी जिलाक सौराठ सभा कर प्रांगन मे वृहस्पति दिन शास्त्रार्थ परिचर्चा आयोजित कएल गेल । शास्त्रार्थ परिचर्चा समारोह केर अध्यक्षता कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयक पूर्व कुुलपति प्रो. रामचन्द्र झा कएलनि । ओ सभा केँ संबोधित करैत बजला जे एहि सभागाछी मे वर केर परीक्षणार्थ जे शास्त्रार्थ आयोजित होएत छल तेकरा फेर सँ आयोजक द्वारा शास्त्रार्थ परिचर्चा आयोजित करब अभिनन्दनीय अछि।

शास्त्रार्थ परिचर्चा केर विषय – ‘वर्तमानसन्दर्भे विवाहसंस्कारस्य प्रासंगिकता’ अर्थात वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे विवाह संस्कार केर कि औचित्य अछि से छल। शास्त्रार्थ परिचर्चा मे जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम आदर्श संस्कृत महाविद्यालय लगमा, दरभंगा केर युवा विद्वतमंडली मे संस्कृत भारती केर मधुबनी नगर संयोजक डॉ. रामसेवक झा, संस्कृत शिक्षक डॉ. गोपाल कुमार ठाकुर, पं. रुपेश कुमार झा, पं. अखिलेश मिश्र, पं. राकेश रौशन चौधरी, पं. धीरज कुमार शास्त्री सहित पंजीकारक बीच दुइ घंटा धरि शास्त्रार्थ परिचर्चा भेल। परिचर्चा में डॉ. रामसेवक झा द्वारा सन्दर्भित विषय पर विस्तार सँ चर्चा करैत विवाह केर शास्त्रीय एवं व्यवहारिक पक्ष पर पक्ष-विपक्ष मे चर्चा केलनि ।

परिचर्चाक क्रम मे विवाह केर कुल आठ प्रकार जाहि मे वर्तमान मे प्रचलित ब्रह्म विवाह पर विस्तार सँ चर्चा भेल। संगहि विभिन्न धर्मशास्त्रीय ग्रन्थपर विचार करैत षोडश संस्कार केर अन्तर्गत विवाह संस्कार केर आवश्यकता एवं उपयोगिता पर सेहो चर्चा भेल। संस्कार केर आभाव मे समाज मे व्याप्त अत्याचार, दुराचार, भ्रष्टाचार, बलात्कार एवं कन्या भ्रूण हत्या आदिक शास्त्रीय पक्ष सभक विवेचना सेहो कएल गेल। पंजीकार द्वारा विवाह मे गोत्र परम्परा केर शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक दृष्टि सँ अक्षुण्ण रखबाक बात कहल गेल छल।

आयोजक द्वारा आगत अतिथि सब केँ पाग-डोपटा सँ सम्मानित कएल गेल। कार्यक्रम मे संयोजक समाजसेवी प्रफ्फुल चन्द्र झा, मनोज मिश्रा, मृत्युंजय झा, शेखर चन्द्र मिश्र, प्रभाष झा, धर्मेन्द्र झा, आशीष कुमार झा, निलाम्बर मिश्र, शंकर झा, प्रमोद मिश्र, रतन झा सहित सैकड़ोंक संख्या मे आरो कतेको गणमान्य मैथिल ब्राह्मण समुदायक सभासद लोकनि मौजूद छलाह। कार्यक्रम केर संचालन डॉ. रामसेवक झा द्वारा कएल गेल। तहिना परिचर्चाक समापन शान्ति पाठ सँ भेल।

मैथिलीक चर्चित कवि – समाजसेवी एवम् मिथिला-मैथिली अभियानी उदय चन्द्र झा विनोद द्वारा एहि शास्त्रार्थ सम्बन्धित टिप्पणीक उल्लेख करब अपरिहार्य भऽ जाएत अछि। हिनका अनुसार शास्त्रार्थक विषय आजुक सन्दर्भ मे सौराठ सभाक प्रासंगिकता विचारणीय विषय छल आर एकर माध्यम भाषा संस्कृत छल।सभैताक संख्या नहि बढि रहल अछि। जे लोकनि बीडा पान उठौने छथि से धन्यवादक पात्र छथि किन्तु कनेक जमिकय आसपासक गामक लोक केँ पहिने जमा करबाक काज करय पड़त। एकरा विद्यास्थलीक रूप मे भेंटघांट करबाक जगह बनाबय पड़त। कालान्तर मे विवाहादि कार्य लेल एकर सेवा लेल जा सकत। रहिकाक किछु युवक कान्ह उठौने छथि, से लागल। प्रो. रामचन्द़ झा जीक अध्यक्षता मे आयोजित गोष्ठी ठीक लागल। मृत्युंजय झा समेत तमाम सक्रिय समांग केँ धन्यवाद।

आशीष कुमार मिश्र आयोजक समिति सदस्य एहि तरहक आयोजन केँ पुनरावृत्ति देबाक लेल डा. बिरबल झा आ हुनका द्वारा संचालित गैर-सरकारी संगठन ‘मिथिलालोक’ केँ प्रेरणा आर सहयोग लेल धन्यवाद करैत सभागाछी मे बेसी सँ बेसी संख्या मे मैथिल ब्राह्मण समुदायक उपस्थिति लेल अपील कएलनि अछि। पूर्व मे मात्र उद्घाटन समारोह कय केँ सभा केँ मरणासन्न अवस्था मे छोड़निहार कतेको गणमान्य सज्जन लोकनि सेहो एहि बेर बेसी उत्साहित छथि आर स्वाभाविके रूप मे सभैतीक संख्या पूर्व सँ बेसी देखल जा रहल अछि।