सुभाषचंद्र झा, सहरसा। मैथिली जिन्दाबाद, अप्रैल ३०, २०१५.
सहरसाक नयाबाजार मे रविन्द्र सिंह केर आवास पर आयोजित ‘साप्ताहिक रामायण गोष्ठी’ द्वारा आइ भूकम्प मे मृतकक लेल शोक सभा कयल गेल। मधुसूदन झा व्यास व अच्युतानंद झा केर संचालन मे वक्ता सभ कहलनि जे विपतिक पहर मे नेपाली जनताक संग छी। यथासंभव मानवीय सहायता करबाक संकल्प सेहो बेर-बेर दोहरौलनि। मृतक सभक आत्माक शान्ति लेल दू मिनटक मौन राखि श्रद्धांजली देल गेल। विदित हो जे ई रामायण गोष्ठी नित्य-निरंतर एक ठाम सँ दोसर ठाम हरेक सप्ताह आयोजित होइत अछि। पूर्वी मिथिलाक संस्कृति मे आइयो गाम-गाम मे रामायण, गीता, महाभारत, देवी-भागवत, आदिक आध्यात्मिक गोष्ठी हरेक दुपहरिया मे मन्दिर-मठ आदि मे निरंतर मनायल जाइत अछि। मानव धर्म मे स्वाध्याय समान सर्वोपरि धर्म केर निर्वहन एहि क्षेत्रक खासियत मे गानल जाइत अछि। हरेक गाम व ठाम पर बड़-बुजुर्ग आ युवाक बीच एहेन सुमधुर संस्कारक निर्वहन सगर-संसार लेल अनुकरणीय अछि।
एहि अवसर पर मानस मर्मज्ञ लखनलाल मिश्र कहलनि जे विपदाक घरी मे धैर्य धारण कय प्रभुजी केँ सदैव स्मरण करबाक चाही, जहिना भगवान राम राजमहल केँ त्यागि वन-वन भटकलाह, ओहि क्रम मे नाना प्रकारक विपत्तिक सामना करैतो मर्यादा सहित आदर्श स्थापित कय नव संदेश देलनि, तहिना प्रलय केर बाद नव सृजन मे हर तरहक सहयोग भारत करैत रहत। एहि अपरिमित सहयोगक कारण अदौकाल सँ नेपाल आ भारतक बीच अटूट संबंध मानल जाइछ। दुनू देशक सभ्यता, संस्कृति, परम्परा, भाषा, धर्म सब किछु एक अछि। ताहि हेतु मैत्रीपूर्ण सहयोग अमर अछि आ रहत।
गोष्ठी मे रविन्द्र सिंह, देवकांत राय, त्रिभुवन गुप्ता, बालेशवर वर्मा, बालेशवर कुँवर, दीनानाथ झा, कमल किशोर झा, जगन्नाथ झा, आदि मौजुद छलाह। ओतहि बहुत रास संगठन सब कै़न्डिल मार्च व राहत पहुँचाबय मे जुटल छथि। प्रत्येक व्यक्ति शोका सँ भरल छथि।