राम नाम केर महत्वः रामचरितमानस सँ सीख – ११

स्वाध्यायः रामचरितमानस सँ सीख – ११

आइ ११म भाग मे हमरा लोकनि महाकवि तुलसीदासकृत् रामचरितमानसक बालकाण्ड मे उद्धृत ‘राम’ नाम केर महत्वपर चर्चा करब। महाकवि तुलसीदास अति सरल भाषा मे भगवान् राम केर नाम आर ताहि मे प्रयुक्त अक्षर-अक्षर केर विन्यास बुझौलनि अछि जे हरेक भक्त लेल अमृत समान बुझाएत अछि। मैथिली जिन्दाबाद पर चलाओल जा रहल श्रृंखलाबद्ध लेख मे नाम महत्वक ई लेख अति विशिष्ट अछि।

१. श्रीरघुनाथजी केर नाम ‘राम’ केर वन्दना करू जे कृशानु (अग्नि), भानु (सूर्य) और हिमकर (चन्द्रमा) केर हेतु अर्थात् ‘र’, ‘आ’ एवम् ‘म’ रूप सँ बीज थिक। यैह राम नाम ब्रह्मा, विष्णु आ शिवरूप थिक। यैह वेदक प्राण थिक, निर्गुण उपमारहित आर गुणक भण्डार थिक।

२. ‘राम’ नाम महामंत्र जेकरा महेश्वर श्रीशिवजी जपैत छथि, जेकर महिमा गणेशजी जनैत छथि आ एकरहि प्रभाव सँ प्रथम पूज्य सेहो छथि, वाल्मीकिजी उलटा ‘मरा’-‘मरा’ जपैतो यैह महामंत्रक प्रताप केँ बुझि सकलाह, पार्वतीजी सेहो साक्षात् महादेव केर संग एहि मंत्रक जप केलनि, हम सब ई बुझी।

३. शिवजी स्वयं राम-नाम महिमा बुझलापर पार्वतीजी केँ अर्धांगिनी बनौलनि, कालकूट जहर हुनका अमृतक फल देलकनि।

४. श्रीरघुनाथजीक भक्ति वर्षा ऋतु थिक, उत्तम सेवकगण धान थिक आर ‘राम’ नाम केर दुइ सुन्दर अक्षर सावन-भादव केर दुइ पवित्र महीना थिक।

५. राम – ‘रा’ यानि र और म दुइ अक्षर मधुर आ मनोहर थिक, जे वर्णमालारूपी शरीरक नेत्र अछि। भक्त लोकनिक जीवन होएछ। स्मरण करय मे सभक वास्ते सुलभ आ सुख देबयवला अछि। आर यैह एहि लोक मे लाभ और परकोल मे सेहो निर्वाह करैत अछि। यानि कि भगवान् केर दिव्यधाम मे दिव्य देह सँ सदिखन भगवत्सेवा मे नियुक्त रखैत अछि ‘राम’।

६. राम – कहय, सुनय आ स्मरण करय मे बहुते सुन्दर व मधुर अछि। हिनकर अलग-अलग वर्णन करय मे प्रीति त खूब जगैछ मुदा छथि ई जीव आ ब्रह्म केर समान स्वभावहि सँ एक संग रहयवला – सदा एकरूप आ एकरस। ई दुनू अक्षर नर-नारायण केर समान सुन्दर भाइ छथि। ई जगत केर पालन और विशेष रूप सँ भक्तक रक्षा करयवला छथि।

७. ई भक्तिरूपिणी सुन्दर स्त्रीक कानक सुन्दर कर्णफूल आर जगत् केर हितक लेल निर्मल चन्द्रमा आ सूर्य छथि। ई सुन्दर गति मोक्षरूपी अमृतक स्वाद आ तृप्तिक समान छथि, कच्छप आ शेषजीक समान पृथ्वी धारण करयवला छथि, भक्तक मनरूपी कमल मे विहार करयवला भँवराक समान छथि आर जीभरूपी यशोदाजीक लेल श्रीकृष्णजी आ बलरामजीक समान छथि।

८. श्रीरघुनाथजीक नाम केर दुइ अक्षर ‘र’कार छत्ररूप (रेफ आकार) आ दोसर ‘म’कार मुकुटमणि अनुस्वार रूप सँ सब अक्षरक ऊपर अछि।

हरिः हरः!!