मिथिला मे बनल दक्षिण भारतीय शैलीक मन्दिर

सुपौल मे निर्मित तिरुपति बालाजीक मन्दिर - नव पर्यटन केन्द्रक रूप मे प्रसिद्धि पाबि रहल अछि। फोटो: डा. रविन्द्र कुमार चौधरी
सुपौल मे निर्मित तिरुपति बालाजीक मन्दिर – नव पर्यटन केन्द्रक रूप मे प्रसिद्धि पाबि रहल अछि। फोटो: डा. रविन्द्र कुमार चौधरी

पूर्वी मिथिलाक सुपौल जिला मे निर्माण भेल दक्षिण भारतीय शैली मे मन्दिर ‍- एक नव पर्यटन केन्द्र केर रूप मे ख्याति कमा रहल अछि। ई देखल गेल अछि जे स्वयं मिथिलाक्षेत्र एक सिद्ध तंत्र भूमि रहितो वर्तमान युग मे अपन पौराणिकता आ वैदिककालक ऐश्वर्य सँ दूर, एहि ठामक मातृभाषा मैथिली पर्यन्त सँ हीनताबोधक शिकार आ जाति-पातिमे टूटल समाजक बीच अन्य-अन्य धरोहरक विकास, परदेसिया संस्कृति आ संगीतक धुन मे आ हिन्दी-भोजपुरी भाषाक झमार सँ झमारल दूरहि केर ढोल सुहाओन तर्ज पर चलि रहल अछि। एहि बीच ई मन्दिरक निर्माण सँ एकटा नव पर्यटन केन्द्रक स्थापना भेल बुझल जा रहल अछि। बाबा सिंघेश्वरक महत्त्व ओना आइयो ओतबे अछि, मुदा हुनका संग देबाक लेल साक्षात् नारायण एहि तिरुपति बालाजी मन्दिर मे आबिकय ‘हरि – हर’ केर जोड़ा निर्माण केला – निश्चित एहि सँ समाज मे आरो प्रगति आ क्षेत्रक विकास होयबाक संभावना बढि गेल अछि।