साक्षात्कार
दलान बाबाक प्रसिद्ध गाम बघवा सँ संघ लोक सेवा आयोग केर परीक्षा मे सफलता प्राप्त कएनिहार प्रखर व्यक्तित्व राकेश रंजन राय केर परिचय एवं हिनका संग मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरीक बातचीत निम्न अछि।
आइपीएस केर बेटा आइपीएसः राकेश रंजन राय, गाम बघवा, सहरसा
यूपीएससी केर सिविल सेवाक जारी परिणाम मे राकेश रंजन केँ १३८वाँ रैंक भेटलनि अछि। वर्तमान समय झारखंड मे पोस्टल विभाग मे डिप्टी डायरेक्टर छथि। एहि रैंक मुताबिक हुनका आइपीएस बनब तय अछ। राकेश २०१२ मे सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करैत ५१५म स्थान पाबि भारतीय डाक एवं दूरसंचार लेखा सेवा प्राप्त कएलनि। एहि वर्ष ओ पाँचम आ अन्तिम बेर प्रयास केलनि। एहि सँ पहिनहुँ ओ तीन बेर इंटरव्यू धरि पहुँचला, मुदा सफलता सँ दूर रहय पड़ल छलन्हि।
राकेश केर पिता सेहो आइपीएस छलाह। धनबाद मे जैप मे एसपी रहलाह। वर्ष २०१४ मे सेवानिवृत्त भेलाह। माँ रीता राय गृहिणी थिकी। एक भाइ रंजन भारतीय रेल सेवा मे आर बहिनोइ राकेश रतन जिंदल स्टील मे कार्यरत छथि। बहिन पायल गृहिणी छथिन।
राकेश दसमा आ १२माक परीक्षा झारखंड बोर्ड सँ उतीर्ण कएलनि। दुनू मे ६६ – ६६ प्रतिशत अंक भेटलनि। तेकर बाद भारती विद्यापीठ पुणे सँ केमिकल इंजीनियरिंग मे गोल्ड मेडलिस्ट रहलाह। सिविल सेवा मे ऐच्छिक विषयक रूप मे मैथिली विषय रखलैन। वर्ष २०१२ मे सिविल सेवाक तैयारी मे भूगोल आ लोक प्रशासन विषय रखने छलाह।
सफलताक सूत्र लगन आ मेहनत केँ माननिहार राकेश केर कहब छन्हि जे नौकरी करैत पढाई करब कनेक मुश्किल काज त होएत छैक, मुदा जिद्द पकड़ि लेला सँ जीत जरुर भेटैत छैक। सफलता मे पत्नी प्रिया भारतीक अहम भूमिका रहबाक बात सेहो ओ कहैत छथि। पत्नी आ बेटी पीहू द्वारा हमेशा नीक प्रदर्शन करबाक लेल प्रेरणा भेटैत रहल, ओ कहैत छथि। हिनकर कहब छन्हि जे कोनो क्षेत्र मे ईमानदारी सँ निरन्तर मेहनत करब त सफलता भेटबे टा करत। स्मार्ट सफलताक लेल कड़ा मेहनतक संग स्मार्ट वर्क केर जरुरत पड़ैत छैक, अपन कैरियर केर प्रति हमेशा सकारात्मक सोच राखू। विपरी परिस्थिति मे सेहो हिम्मत नहि हारू। राकेश केर सन्देश पत्र-पत्रिका मार्फत प्रकाशित कएल गेल अछि। (साभारः जागरण, संकलनः कुमुदानन्द झा, चैनपुर)
मैथिली जिन्दाबाद संग राकेश रंजन केर वार्ता
हमः मैथिली विषय सँ पहिले बेर प्रयास केने रही आ कि एहि सँ पूर्वहु?
राकेशः पूर्वहु मे मैथिली विषय संग प्रयास केने रही। ई हमर मातृभाषा थिक। बाजब, लिखब आ पढब आसान अछि हमरा लेल। तखन त साहित्य एकरो बड सहज नहि छैक। गूढ छैक। ई ऐच्छिक विषय केर रूप मे शुरुए सँ चुनने रही।
हमः मैथिली विषय केर चुनाव कतेक सहज या कठिन छैक?
राकेशः विशेष फायदाक प्रयोजन सँ एकर चुनाव करबाक बुझाइ गलत छैक। आने विषय जेकाँ मैथिली सेहो कठिन छैक। एकर व्याकरण बहुत क्लीष्ट छैक। साहित्य मे जाबत गूढ पैठ नहि हेतैक, मैथिली विषय ताबत सहज नहि भऽ सकैत छैक। तखन मातृभाषा जेकर मैथिली छैक ओकरा लेल ई फायदा छैक जे बाजब, पढब आ लिखब आसान छैक। तैयारी करय मे सहजता छैक। मुदा मेहनत आ लगन एत्तहु ओतबे करय पड़ैत छैक। भ्रमक स्थिति नहि बनय किनको मे जे मैथिली राखि लेला सँ विशेष लाभ भेटत, सहजता जरुर लागत ई मानय योग्य बात छैक।
हमः बहुत नीक रैंक भेटल एहि बेर, त सेवाक क्षेत्र कि भेटत आ कोन राज्यक कैडर बनब रुचि रूप मे आवेदन केने छी?
राकेशः पहिले बेर मे सफलता भेटल, मुदा रैंक ओतेक उत्कृष्ट नहि रहय। तथापि जिम्मेदारीपूर्वक भारतीय पोस्टल विभाग मे सेवाक मौका भेटल छल। सेवा करिते आगाँ सेहो बेसी मेहनत आ लगन सँ तैयारी जारी रखलहुँ। तीन-तीन बेर इंटरव्यू धरि पहुँचितो मन लायक परिणाम नहि भेटल छल। लेकिन एहि बेर अन्तिम मौकाक लाभ कोनो हाल मे नहि चूकय चाहैत रही, तहिना परिणाम भेटल अछि। आइपीएस भेटत। कैडर लेल पहिल रुचि गृहराज्य बिहार आ दोसर झारखंड केर आवेदन केने छी।
हमः आगाँ अपन सेवा मातृभूमि मिथिला लेल कोना करब सोचैत छी?
राकेशः मातृभूमि मिथिलाक ऐतिहासिक समृद्धि रहितो वर्तमान काफी विपन्न अवस्था मे देखि हमहुँ किछु विशेष करबाक सोच रखैत छी। सब सँ बेसी चिन्ता गाम-समाजक लोक मे गुटखा आ तम्बाकू उत्पादक प्रयोग बच्चा-बच्चा मे पसरल देखि होएत अछि। व्यसन विरुद्ध लोक केँ जागरुक करब बहुत जरुरी अछि। दोसर बात, शिक्षाक अवस्था सेहो लचैर गेल अछि। एकटा सेन्ट्रल युनिवर्सिटी खोलबाक आवश्यकता देखि रहल छी। तहिना रोजगार बढेबाक लेल क्षेत्र मे औद्योगिक उपक्रम खोलल जाय ताहि दिशा मे लगानीकर्ता समाज केँ आकर्षित करब। स्वास्थ्य सेवा वास्ते सर्वसुविधासम्पन्न अस्पताल पटना टा मे अछि, अपन मिथिला क्षेत्र मे एकटा सूपर स्पेशियलिटी अस्पताल खोलबाक लेल सेहो उचित प्रयास करब।
हमः मिथिलाक मुख्य आमदक स्रोत कृषि प्रणाली मे सुधार लेल अहाँक विशिष्ट आ विज्ञ दृष्टिकोण कि सोचैत अछि? पूर्व मे हिमालयक अपार जलस्रोत केँ अवैज्ञानिक बाँध परियोजना सँ गंगा मार्फत बंगाल मे लऽ जा कय बिजली व अन्य लाभ पेबाक स्थिति मे परिवर्तन अनबाक लेल किछु सुझाव?
राकेशः आब बाँध परियोजना मे झट परिवर्तन त संभव नहि छैक, आर नहिये पारंपरिक कृषि प्रणाली सँ लोकहित मे कोनो क्रान्तिक संभावना देखैत छी। समय-सापेक्ष परिवर्तन, प्रस्तुत आवोहवा मे योग्य आ समुन्नत कृषि, सिंचाई केर पूर्वाधार मे द्रुत विकास – ई सब उपाय राज्य केर तरफ सँ आ किसान अपनहु पूँजी सँ करय ई बहुत जरुरी बुझाएछ। कम पानि सँ बेसी फसल केर उत्पादनक विकल्पक तकनीक केँ अपनेबाक आवश्यकता देखैत छी। धानक खेती मे वैज्ञानिक प्रविधि एखन धरि अपन मिथिलाक किसान सब नहि अपनौलनि अछि। एहि सब दिशा मे ध्यान देला सँ निश्चित सार्थक प्रगति होयत से कहि सकैत छी।
हमः अहाँ आइपीएस बनलहुँ अछि। पुलिस व्यवस्था प्रति पब्लिक नजरिया त एहने छैक जेना पूर्व मे जमीन्दारी प्रथाक लठैत सब सामंती सब केँ धकियाकय मालिकक बात मनबैत रहैत छल। एहि मे परिवर्तन लेल कि सब योजना विचारने छी?
राकेशः किछु समय पूर्व जखन मीडिया आ लोक समाज राज्य संचालन पद्धति सँ परिचित नहि रहय तखन जरुर किछु मनमानीपूर्वक ढंग सँ पुलिस व्यवस्था बदनामी पेलक, लेकिन आब स्थिति मे सुधार भऽ रहलैक अछि। राज्य व्यवस्था द्वारा पुलिस व्यवस्था मे सुधार आनल गेलैक अछि – पुलिस केँ लोक समाजक मित्र मानल जाय तेहेन मुहिम सब चलाओल गेल छैक विगत किछु समय सँ। बिहार सरकार द्वारा सेहो बहुत रास डेग उठायल गेल छैक। मीडिया प्रखर छैक। लोक जागरुकता बढि गेल छैक। प्रशासनिक व्यवस्था केर दुरुपयोग आब लोक वर्दाश्त नहि करैत अछि। तैँ, हम अपनो अधिनस्थक सब क्रियाकलाप मे ईमानदारिता, नियम आ निष्ठा केर बिना कोनो कार्य कतहु नहि करब आ नहि करनिहार केँ क्षमा करब, बढाबा देब, से आश्वस्त करय चाहि रहल छी।
हमः एखनहु कतेको प्रकरण एहेन छैक मानू कोनो ऊपर बैसल आका पूरा पुलिस आ प्रशासनिक तंत्र केँ अपन ठाठ आ मनमौजी सँ हाँकि रहल हो। एखनहि मधुबनीक महादेव मठ मे १२ वर्षीया नावालिग नैन्सी केर अपहरण, बलात्कार आ हत्याक प्रकरण आर ताहि मे अपराधी तत्त्व केँ संरक्षण, दारूबन्दीक समय पुलिस संरक्षण मे दारूक ब्यापार सभक कतेको रास उदाहरण देखय लेल भेटैत अछि। एहि सब तरहक अराजकता पर कि सोचैत छी अहाँ?
राकेशः सरकार केँ सदिखन नियम आ निष्ठा सहित संविधान मुताबिक दंडात्मक कार्रबाई करबाक अधिकार छैक। लोक-समाजक कल्याण जाहि सँ हेतैक ओ सब कार्य करय लेल प्रशासनिक व्यवस्था छैक। अपराधिक तत्व केँ कदापि कतहु संरक्षण नहि देबाक चाही। नैन्सी प्रकरण पर हमरा बहुत रास जानकारी नहि अछि, जँ एहि तरहक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना घटलैक अछि त कठोरता सँ अपराधी संग निबटनाय प्रशासनक जिम्मेदारी बनैछ। एहि दिशा मे राज्य केर विधायिका आ प्रशासिका संग-संग न्यायपालिका आ मीडिया सभक ध्यान पहुँचय, एखन हम यैह टा कामना कय सकैत छी।
हमः सफलता भेटबाक खुशी गामक लोक संग प्रत्यक्ष भेंटघांट कयकेँ कहिया शेयर करब?
राकेशः बस, ऐगला महीना गाम आयब। गाम सँ अतिशय स्नेह अछि। गामहि केर माटि-पानि सँ बनल-बढल छी। बहुत जुड़ाव अछि सब सँ।
हमः अहाँक गामक प्रसिद्ध दलान बाबा पर अहाँक कि कहब अछि?
राकेशः दलान बाबा हमर सभक आत्मा थिकाह। कोनो देवकार्य या पितरकार्य सँ पूर्व दलान बाबा केँ सुमिरन करैत छी हम समस्त ग्रामीण। भगवान केर याद मे दलान बाबा पहिने सोझाँ ठाढ होएत छथि। हुनके सँ शुरु, हुनके सँ खत्म!
हमः भारतीय गणराज्य मे राज्य गठनक सब आधार केँ विश्वक अति प्राचीन सभ्यता मिथिला पूरा करैत छैक, मुदा ई एखन धरि राज्य नहि बनि सकलैक अछि। कि कहबय अहाँ?
राकेशः राज्य गठनक क्रम मे मिथिला केँ राज्य बनेबाक सम्बन्ध हमर सोच पृथक् अछि। एकर आकार आ भौगोलिक अवस्था राज्य बनय योग्य हमरा उपयुक्त नहि बुझाएत अछि। राज्य के लेल बिहार उपयुक्त छैक। जहाँ तक रहलैक एतुका लिपि, भाषा, साहित्य ओ संस्कार आदि केँ जीबित रखबाक बात, त एकरा वास्ते राज्यक गठन भेनाय कोनो आवश्यक हम नहि मानैत छी। ई काज हम मिथिलाक जनमानस स्वयं करी। अपन भाषा आ संस्कार प्रति हम स्वयं जागरुक बनी। राज्यक काज ई सब नहि थिकैक।
हरिः हरः!!