मिथिला निर्माणक सूत्रः कर्मठता, मर्दक बेटा ओ जे बाजय से कय केँ देखाबय

सम्पादकीय, मई १६, २०१७.

दहेज मुक्त मिथिला – माँगरूपी दहेजक प्रतिकार करू, स्वयं दहेज मुक्त बनू, अपने स्वच्छ त दुनिया स्वच्छ, बेटा-बेटी दुनू केँ एक्के सम्मान करू आदि नाराक संग विगत ६ वर्ष सँ गतिमान अभियान मिथिलाक वैह मौलिक स्वरूप केँ देखय चाहैत अछि जे यथार्थतः किछुए दसक पूर्व धरि रहल छल। जेना-जेना भौतिक युगक उजमाड़ि हमरा लोकनिक समाज पर पड़ि रहल अछि, तहिना-तहिना ई आडंबरी व्यवहार सब बढल जा रहल अछि।

दहेज़ मुक्त मिथिला केर कॉज लेल नामी धावक अपन गाम बिरौल (दरभंगा) सँ लगभग ६० किलोमीटर धरि मिथिला विश्वविद्यालय केर द्वार धरि दौड़ लगेबाक निर्णय कहलैन अछि। हिनका दौड़ लगेबाक लेल समुचित सहयोग जुटेबाक भार देलनि अछि। एहि वास्ते १७ जून केर समय अछि। धावक प्रसिद्ध धावक मात्र नहि एक सच्चा मिथिला सपूत सेहो छथि जे अपन प्रिय दिवंगत पिता केर आत्माक शान्ति लेल ई पुनीत कार्य दहेज़ मुक्त मिथिला लेल करय चाहैत छथि। हम सब बड़भागी छी एहि सपूत केँ पाबिकय आ प्रतिबद्ध छी जे सम्पूर्ण व्यवस्था शीघ्रातिशीघ्र करब। आइ के बाद ठीक एक महीना बाकी रहत – १७ जून भोरे ३ बजे बिरौल (सुपौल बजार) महाविद्यालय केर मुख्यद्वार सँ मिथिलाक चिर-परिचीत युवा धावक ‘आर के दीपक’ धावन क्रिया आरम्भ करता। हुनका संग-संग एकटा गाड़ी हेडलाइट केर रौशनी देखबैत चलत। पेयजल, सर्बत, ग्लुकोज, औषधीय उपचार टोली सब हुनका संगे रहत। कुल ६० किलोमीटर केर दूरी लगभग ६ घंटा मे तय करता दीपक। एहि दौड़ केर मुख्य उद्देश्य रहत मिथिला समाज सँ मांगरूपी दहेज केर मुक्ति कय ‘दहेज मुक्त मिथिला’ निर्माण करबाक सन्देश देबक।

मैथिली साहित्यक एक स्तम्भ आदरणीय स्रष्टा अशोक कथाकार केर सुझाव अनुरूप एहि पुनीत कार्य लेल १ सप्ताह पूर्वहि सँ गाम-गाम केर लोक केँ एहि विषय आ दौड़ केर संबंध मे जनतब देल जायत। आइ दहेजक विभिन्न रूप हमरा सभक समाज केँ कमजोर बना रहल अछि। भौतिकतावादी युग मे आब कुटुम्ब मांगैथ नहि मांगैथ, समाजक देखाबाक कारण सेहो कतेक रास खर्च बढि गेल अछि जे एक बेटीक पिता या बेटाक पिता केँ विवाह सम्बन्ध निर्धारण करबाक समय लोकलज्जा लेल लाखों रुपया ब्यर्थ मे खर्च करबाक बाध्यता होएत छन्हि। वर पक्ष केँ असगरे मांग करय लेल दोषी मानबाक संख्या मे तेजी सँ कमी आयल अछि, लोक दहेज मांगबाक कार्य केँ पाप बुझय लागल अछि। आब तेहने जिद्दी आ पापाचारी लोकक अपवाद छोड़ि दी त औसत समाज द्वारा विवाह सम्बन्ध निर्धारण हेतु जतेक सहजता सँ विवाह होएक ताहि दिशा टा मे दुनू पक्ष सोचैत अछि। लेकिन सामाजिक व्यवहार मे एक दिश बरियाती खुएनाय भले ३ साँझ सँ १ साँझ पर आनल गेल हो, मुदा आब पहिने जेकाँ तिरपाल टांगि, पेट्रोमैक्स जरा, समाजहि केर १० घर सँ कुर्सी-टेबुल एकत्रित कयकेँ बरियातीक स्वागत करबाक बदला कम सँ कम १ लाख के करीब खर्च करैत टेन्ट आ लाइट्स लगेनाय फैशन बनि गेल अछि। आब जँ कियो गरीब बाप अपन बेटीक बियाह करत त ई खर्च नहि करत त समाज ओकरा पर हँसैत अछि जे फल्लाँ संग एतबो ओकादि नहि छैक जे ओ टेन्ट-लाइटक इन्तजाम करैत। एहेन आरो कतेको उदाहरण छैक जाहि सँ मिथिलाक लोकक बड पैघ पूँजी एम्हर-ओम्हर फेकाइत अछि, बरु ओतेक उपहार जँ वर-कन्याक भविष्य निधि लेल नगदे देल जाय त ओ आदर्श स्थापित करत। एहि सब तरहक बातपर समाजक लोक संग चर्च करैत एकटा टोली धावन-मार्ग मे पड़यवला गाम सब मे जागृति पसारत, जाहि मे स्वयं सल्लाहकार कथाकार अशोक अपन संरक्षण आ संलग्नता रखबाक वचन देलनि अछि।
 
एम्हर धावक आर के दीपक जे पुणे मे रहैत छथि, एक सफल होटल व्यवसायी सेहो छथि आर सब सँ पैघ बात जे सामाजिक सरोकारक विषय पर स्वस्थ मन, हृदय ओ शरीरक संग सेवा करबाक मर्म हेतु दौड़ लगेनाय प्रत्येक नागरिक लेल जरुरी रहबाक नियम केर पालन करैत छथि, एखन धरि कतेको रास रेकर्ड अपना नाम कय चुकला अछि – कहल गेल तिथि १७ जून केँ अपन पिताक बर्खी दिवस पर मिथिला मूल धरा पर आबि ‘दहेज मुक्त मिथिला’ लेल दौड़ लगेबाक सूचना देलनि आ कहलैन अछि जे कोनो भी आयोजन राजनीति आ जातिवादिता सँ दूर राखब। सहिये छैक जे राजनीति केर काज भले देश चलेबाक हो, मुदा एहि मे ततेक ढकोसलापंथ आ झूठ-मक्कारी आदिक प्रयोग होएत छैक जे कोनो खेलाड़ी अपन अनुशासित जीवन मे राजनीति केर गंदगी देखय नहि चाहत। तहिना अछि ई जातिवादिताक कैंसर…. सबकेँ पता छैक जे सब जाति एक्के फूलबाड़ीक विभिन्न तरहक गाछ-वृक्ष-फूल-पात सब थिक; मुदा वैह राजनीति केर कारण आइ सब जाति आपस मे ईरबाजी आ भाव-बट्टा खोजैत समाज केँ छहोंछित कय देने अछि। धावक केर एहि भावना प्रति पूर्ण आदर भाव संग आयोजक ‘दहेज मुक्त मिथिला’ अभियान ठाढ रहत, से प्रतिबद्ध छी।
 
आब बात अबैत छैक जे एतेक कार्य करबैक त अर्थक आवश्यकता त पड़बे करत। अर्थक संकलन करय लेल हाथ पसारब कतहु सेहो हमरा सब सन मिथिलाक विदेहिया बेटा लेल संभव नहि अछि। मानल बात छैक जे ६० किलोमीटर केर धावन मार्ग आ कम सँ कम १०० गो सभा हेतैक। एहि मे प्रायोजक जुड़ैथ, ई अपेक्षा रहत। प्रायोजक ओ भेल जे अपन उत्पाद केर विज्ञापन हमरा सभक मार्फत करता। ओनाहू बिना विज्ञापन आइ कोनो उत्पाद केर बिक्री-वितरण मे कतेक कठिनाई छैक से केकरो सँ छपित नहि अछि। नीको वस्तु केर जँ विज्ञापन नहि भेल त ओ कोणा-कापच मे पड़ल भेटत। आर विज्ञापन जेकर होएत छैक से स्वस्फूर्त ढंग सँ बाजार मे प्रदर्शन, बिक्रय, वितरण योग्य बनि जाएत छैक। ओकर मांग उपभोक्ता बीच बनि जाएत छैक। नीक-नीक संस्था, संस्थान, समारोह, समायोजन, संयोजन – सभकेँ विज्ञापनक आवश्यकता होएत छैक। तैँ, सामाजिक कार्य लेल जे कियो अपन उत्पाद केँ हमरा सब संग जोड़ि आगू बढय चाहि रहल छी से जुड़ू। सार्थक सोच राखनिहार जुड़ू – बहुते छथि जे हमरा सभक कार्यशैली आ दक्षता-सामर्थ्य आदि केँ बिना बुझने कबिलपुर के काबिल बनि ‘चन्दा नारायण’ केर माला सेहो जपैत छथि, ओ सब जरिते रहि जेता आ जेकरा माथ मे सोचबाक करबाक कला रहतैक ओ आगू बढि सब कार्य केँ पूरा करबैत रहत। हमरा सभक पूर्वज अपन स्वयंसेवा सँ मिथिलाक एहि सम्बल केर प्रदर्शन अपन कृति मार्फत करैत आयल छथि। बुझनिहार बनू आ सकारात्मक सोच राखू। अस्तु!
 
हरिः हरः!!