हैरदाबाद मे मिथिला विभूति पर्व संपन्न, स्मृति मे आनल गेला धूमकेतु ओ भोला लाल दास

विकाश वत्सनाभ, हैदराबाद । मई १५, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

हैदराबाद-सिकन्दराबाद नगर द्वय मे मैथिली साहित्यिक चेतनाक प्रतिनिधि मंच ‘देसिल बयना’क मैथिली दधीचि भोला लाल दास तथा मैथिली साहित्यक जाज्वल्यमान नक्षत्र धूमकेतु पर केंद्रित एहि वर्ष तेसर बेरुक मिथिला विभूति पर्व दिनांक १४/०५/२०१७ केँ हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालकय सभागार मे भव्यताक संग संपन्न कएल गेल अछि ।
 
कार्यक्रमक शुभारंभ आगन्तुक अतिथिक हाथें दीप प्रज्वलन आ मनीषी द्वय (भोला लाल दास तथा धूमकेतु)’क प्रतिमापर माल्यार्पणक संग भेल । सभागार मे उपस्तिथ समस्त साहित्यानुरागी द्वारा विभूति लोकनिक प्रतिमा पर पुष्पार्पण कएल गेल । एकर उपरांत अनिंद्या द्वारा गोसाउनिक गीत आ जयचंद झा द्वारा स्वागत गीतक प्रस्तुति भेल । एहि कार्यक्रमक मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवम् संपादक (मिथिला दर्शन) रामलोचन ठाकुर छलाह । संगहि विशेष अतिथिक रूप मे बुद्धिनाथ झा बोकारोसँ तथा सियाराम झा ‘सरस’ राँची सँ आयल छलाह । एकर अतिरिक्त मंच पर साहित्यिक संस्था कादम्बनी क्लबक संस्थापिका डा. अहिल्या मिश्र, संस्थाक संयोजक/संस्थापक दयानाथ झा आ अध्यक्ष चंद्रमोहन कर्ण उपस्थित छलाह । मंचक संचालन प्रसिद्ध वैज्ञानिक आ संस्थाक उपाध्यक्ष डा. चंद्रशेखर झा केलनि ।
 
संस्थाक संयोजक/संस्थापक दयानाथ झा अपन आरम्भिक संबोधन मे मिथिला विभूति पर्वक औचित्य व एकर प्रासंगिकताक संग भोला लाल दास तथा धूमकेतुक संघर्ष ओ समर्पण पर प्रकाश दैत एहि मनीषी लोकनिक रचना संसारक व्यापकता सँ स्रोता लोकनि केँ परिचित करबैत युवा तथा नवतुरिया केँ आगु आबि मैथिली भाषा-साहित्य आर संस्कृति केँ अक्षुन्न रखबाक लेल सक्रियतापूर्वक सेवा मे लगबाक अपील केलनि ।
 
मुख्य अतिथि रामलोचन ठाकुर अपन सम्बोधन मे मैथिल पहिचान पर गौरबबोध केँ आत्मसात करबाक आह्वान केलनि । ऐतिहासिक विभिन्न प्रसंगक माध्यम सँ मैथिलीक अजस्रता आ विशिष्टता सँ परिचय करबैत ओ वैश्विक परिवेश मे अपन आंचलिक परिवेश केँ आत्मसात करबाक आवश्यकताक मादे पांडित्यपूर्ण विश्लेषण सेहो प्रस्तुत केलनि । आजुक युवा पीढी मे आत्मगौरव लेल मिथिलाक ऐतिहासिकताक संग एतुका लोकक वैश्विक योगदान अपना-आपमे एतेक विलक्षण अछि जे हम सब मिथिलाक लोक कहाय मे कतहु गर्वक अनुभूति करैत छी – ओ कहलैन । विशेष अतिथि आ हैदराबादक प्रवासी मैथिलक ह्रदयसम्राट बुद्धिनाथ झा अपन वक्तव्य मे मनीषी द्वय केर सरोकार, प्रतिरोध आ लोकसरोकारी औदार्यताक वर्णन करैत विश्वसाहित्यक सन्दर्भ दैत ई सिद्ध कयलनि जे कोना धूमकेतु भोरुकबाक तरेगन सन सदिखन विशिष्ट भ’ एखन धरि प्रेरणाक दिव्य पुंज बनल छथि । दोसर विशिष्ट अतिथि मैथिलीक सुप्रसिद्ध गीतकार सियाराम झा सरस धूमकेतुक व्यक्तिगत जिनगीक संघर्ष आ ताहि संघर्ष कें प्रतिबिंबित करैत हुनक साहित्य पर विलक्षण ज्योतिक प्रसार केलनि ।
 
आयोजक संस्था देसिल बयनाक महासचिव मनोज शांडिल्य संस्थाक बीतल छओ मासक गतिविधि पर प्रकाश दैत अपन मातृभाषाक प्रयोग बढेबाक वास्ते आम जनमानस सँ निवेदन कएलनि । साहित्यकार विनय कुमार झा मनीषी द्वय पर अपन शोधपूर्ण आख्यान प्रस्तुत केलनि आर मैथिलीसेवी बी. के. कर्ण द्वारा मिथिला समाजक आर्थिक संरचना तथा प्रवासी मैथिल द्वारा मूल मातृभूमि मे लगानीक आवश्यकता दिश इशारा करैत काफी ओजपूर्ण संबोधन प्रस्तुत कएलनि ।
पहिल सत्रक समापन संस्थाक अध्यक्ष चन्द्रमोहन कर्णक संबोधन सँ भेल । संबोधन मे संस्था केँ सहियोग केनिहारक समस्त सहयोगी हाथ-माथ प्रति विनम्र आभार प्रकट कएल गेल छल । संस्थाक उद्देश्यक पूर्तिक मादे स्थानीय लोकनिक सक्रिय सहभागिता बढेबाक आग्रह कएलनि । उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर झा अपन पांडित्यपूर्ण उद्घोषण सँ एहि सत्र केँ आरो विशेष प्रभावकारी बनौने रहथि ।
 
एहि कार्यक्रमक एकटा विशिष्ट उपलब्धि ईहो रहल जे हैदराबाद मे सक्रिय प्रकाशन संस्थान ‘क्रिएटिव कैंपस’क सद्यः प्रकाशित तीन गोट पोथीक लोकार्पण एहि मंच सँ कयल गेल । प्रकाशकीय वक्तव्य मे मोहन मुरारी झा द्वारा पोथी सभक महत्ताक मादे प्रकाश दैत लेखक लोकनिक प्रति अपन आभार ओ शुभकामना प्रकट केलनि । ज्ञात हो जे उपरोक्त वर्णित पोथी सभ मे मैथिली गीतक प्रतिनिधि रचनाकार सियाराम झा सरसक ‘सोनहुल इजोतक खिड़की’, चर्चित मैथिली कवियित्री शारदा झाक कविता संग्रह ‘प्रेम कविताक बाद’ आ रुसी भाषाक मर्मज्ञ रहलि माधुरी उमरणीकरक रसियन भाषाक सर्वकालीन महान कथाकार ‘लियो टल्सटाय’क कथाक अनुवाद सम्मिलित अछि ।
 
एहि अवसर पर गतवर्षक भाँति मिथिला विभूति पर्व स्मारिकाक तेसर ‘मिथिला विभूति’ विशेषांकक लोकार्पण सेहो भेल । एहि बेर ई विशेषांक भोलालाल दास आ धूमकेतु पर केंद्रित अछि । २६७ पृष्ठक एहि स्मारिका मे सताधिक रचना एहि मनीषी लोकनिक पर केंद्रित अछि आ एकर अतिरिक्त एहि अंक मे मैथिली साहित्यक अनेकानेक विधापर प्रसिद्ध विद्वान् लोकनिक प्रचुर सामग्री सेहो उपलब्ध अछि ।
 
भोजनोपरांत दोसर सत्र मे कवि गोष्ठीक आयोजन भेल । एहि सत्रक सञ्चालन मैथिलीक समकालीन मंचिय परम्पराक प्रथम पुरुष, कवि ओ नाटककार बुद्धिनाथ झाक अध्यक्षता मे भेल । सत्रक आरम्भ मिनाक्षी चौधरीक संस्मरणीय अभिव्यक्ति सँ भेल आ एहि क्रम कें आगाँ बढबैत रामलोचन ठाकुर, सियराम झा ‘सरस’, प्रेम चौधरी, बुद्धिनाथ झा, डा.अहिल्या मिश्र, मनोज शांडिल्य, शारदा झा, विकाश वत्सनाभ, कुमार सौरभ, चंद्र मोहन कर्ण, मोहन मुरारी झा, डा. अर्चना झा, शम्भुनाथ झा, जागृति मंडल, सेतु शर्मा समेत लगभग बीस गोट कवि/कवियित्री लोकनि कविता पाठ कएलनि । एहि सत्रक विशेष आकर्षण सियाराम झा सरस द्वारा गाओल किछु विशेष गीत आ बुद्धिनाथ झाक ‘कथा काव्य’ रहल । हुनक विलक्षण मंच संचालनक ई प्रभाव भेल जे कार्यक्रमक अंत धरि श्रोताक संलग्नता बनल रहल । मात्र साहित्यिक गतिविधि केँ केंद्र मे राखि कएल जाय बाला अपना तरहक एहि विशिष्ट कार्य्रक्रमक दोसर सत्रक अंत धरि श्रोताक झमटगर उपस्थिति एहि बातक प्रति आस्वस्त करैत अछि जे प्रवासी मैथिल लोकनिक ह्रदय मे मैथिलीक प्रति अनुराग बेस प्रगाढ़ ओ सजीव अछि ।
 
कार्यक्रमक समापन उपाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार चौधरीक धन्यवाद ज्ञापन सँ भेल । कार्यक्रमक तकनिकी सहयोग आ साज-सज्जाक परिकल्पना मे विकाश वत्सनाभ स्वप्निल सौरभ, कुमार सौरभ, मोहन मुरारी झा, सेतु वर्मा, गौरभ आ रजनीशक विशेष सहियोग रहलनि ।