जनकपुर मे होयत रगधूम्मस ‘जुड़शीतल’ थाल-कादो खेलेबाक आयोजन

मिथिलाक लोकपावनिः जुड़शीतल विशेष

– सुजीत कुमार झा, जनकपुरधाम

मिथिलाञ्चलमे जुडशीतल पावनिके तयारी, थालमाटिक सेहो धुमगज्जर हएत

मैथिली रंगमञ्चक कलाकार गुड्डु कर्ण अखन जुडशीतलक तैयारीमे छथि । हुनक गाम गंगुलीमे प्रत्येक बर्ष जुडशीतल महोत्सव होइत अछि । के बुढ – के बच्चा! सभ एकदोसरकेँ ओहि पावनिमे थाल-पानि लगबैत-ढारैत अछि ।

थालमाटिक पावनि देखबाक लेल जनकपुरोसँ लोक अबैत अछि । एकरा सभ बर्ष विशिष्ट बनाओल जाइत अछि । अहू द्वारे ई पावनिकेर विशेष रुपसँ तैयारी कऽ रहल गुड्डु जानकारी देलन्हि । गंगुलीमे मात्रे नहि, ओहि गामक अगल बगलक गाममे सेहो ओतबे उत्साहक संग ई पावनि मनाओल जाइत अछि ।

मिथिलाञ्चलक जुड़शीतल विशिष्ट पावनिमेसँ एक अछि । ओहि दिन थालमटिसँ पूरे मिथिलाञ्चल नहा जाइत अछि । किछुठाम ई पावनि मनाबएबलाके संख्या घटल अछि मुदा फेरसँ लोक पावनिक उत्सवकेर रुप प्रदान करबाक लेल उत्साहित भऽ रहल जनक हजारी विद्यापीठ जनकपुरक सह प्राध्यापक विजय दत्त कहैत छथि ।

जुडशीतलमे कि सभ होइत अछि ?

एहि पावनिकेर नामहिसँ अर्थ स्पष्ट भऽ रहल अछि शीतलता प्रदान करब आ जुड़ायब । ठीक एकर प्रारम्भ एहिसँ होइत अछि । राजविराजबाली नामक महिला कहैत छथि वैशाख १ गते संक्रान्तिक रातिमे भगवतीलग लोटा वा डोलमे पानि राखल जाइत अछि फेर ओ पानिसँ वैशाख २ गते भोरमे अपनासँ छोटके कनीक माथपर छिट कऽ जुडाओल जाइत अछि ।

ई जुडाबएके पाछाँ आशीर्वाद नुकाएल ओ कहैत छथि । ओहि दिन बसिया भोजन करबाक संगहि थाल माटि खेलल जाइत अछि । ई पावनि दू दिनक होइत अछि । पहिल दिन वैशाख १ गते सतुवाइन होइत अछि ओहिमे पुरैनक पातपर सतुवा, गुड़, आ आमक चटनी चढाओल जाइत अछि संगहि बरी पूरीकेर सेहो भगवतीकेँ भोग लगाओल जाइत अछि । एहि दिन तुलसी चौरालग बाँसक दूटा खुट्टा गाडि ओहिपर बल्ला दऽ सीक लगा कऽ माटिक घैला वा डाबा राखल जाइत अछि । जाहिके कूश दऽ कऽ ठोपे ठोपे जल तुलसीपर खसाओल जाइत अछि । ई काज एक महीनाधरि चलैत अछि । एहि दिन पितरक समाधि (सारा) पर सेहो यैह प्रक्रिया कएल जाएछ, नव बाँसक अड़कन मे माटिक घैला या डाबा बान्हि हुनको सबकेँ जलक शीतलता भेटनि ताहि लेल नित्य जलार्पण सखा-सन्तान सब द्वारा कएल जाएछ। औझका दिन सतुआ, जौउ, आम टिकोला आ बैन पंखा ब्राह्मणकेँ दान देल जाइत अछि । एहि दिन सतुवा सेहो घर घरमे खेबाक विशेष चलन छैक मिथिला मे। वैशाख २ गते थालमाटिक खेल बिल्कुल होलीक रंग-अबीरक स्थानपर खेलेनाय एकटा अनुपम आ विशिष्ट आकर्षण सेहो होइत छैक एहि पावनिक । एहिके माध्यमसँ समाजमे रहल वैमनस्यता हटाबएमे बल पहुँचैत अछि महाराज महेश ठाकुर कलेज दरभंगाक प्राध्यापक चन्द्रमोहन झा पड़वा कहैत छथि ।

पर्यावरणीय महत्व

जुडशीतल दिन अपनासँ छोटकेँ जुड़ेबाक बहुत महत्व छैक । केहनो व्यस्तताक बादो लोक अपन अग्रजसँ जुड़ेबा लेल गेनाय नहि छोडैत छथि । ओहि दिन अपना धियापुता टा केँ नहि बल्कि टोल-पड़ोसक धियापुताक संगहि गाछ वृक्षधरिकेँ सेहो जुड़ाओल जाइत अछि । पर्यावरण संरक्षणक दृष्टिसँ मिथिलाञ्चलक ई पावनि अत्यन्त महत्वपूर्ण रहल सेभ हिस्टोरिकल जनकपुरक अध्यक्ष रामअशिष यादव कहैत छथि । गाछ वृक्षसँ मात्र फाइदा नहि ली ओकरा संरक्षण सेहो करी से सन्देश ई पावनि दैत अछि ।

जुड़शीतलक दिन मिथिलाञ्चलमे चुल्हाकेँ विश्राम देल जेबाक परम्परा अछि । आजुक दिन लोक एक दिन पूर्वक बनल टटका-टटका व्यंजन यथा दैलपूड़ी, सतुआ भरल लिट्टी, दालिक बेसन व चाउरक पिठार संग छानल गेल तरुआ-बघरुआ आदिक संग बसिया भात, बरी आदि भोजन करैत अछि । यैह बाइस भात आ बरी केर भोग घर-अंगना-दुवाइर-चौखैट पर लगेबाक संग-संग अन्यत्र सेहो चढेबाक परम्परा देखल जाएछ । चुल्हाकेँ विश्राम सेहो पर्यावरण संरक्षणसँ जुडल विषय थिक । पहिने लोक जाड़निपर भोजन बनबैत छल जाहिसँ गाछ वृक्षकेँ बहुत हानि पहुँचैत छल ओकरो एक दिनेके लेल किए नहि हुए ओकर प्रयोग नहि कऽ पर्यावरणकेर संरक्षणक लेल एक प्रयास कएल जाइत छल ई स्पष्ट बुझाएछ । तहिना ओहि दिन भोजन नहि बनलाक कारण धुवाँ धुक्करसँ सेहो दूर राखल जाइत छल । गर्मीमे तुलसी गाछकेँ बचाएब सेहो चुनौती रहैत अछि एकरो समाधान एहि पावनिमे देखल जाइत अछि ।

मचानजँका बना कऽ घइल वा डाबा दऽ ओहि बाटे थोपे थोपे तुलसी गाछमे पानि खसाओल जाइत अछि मिथिला राष्ट्रिय प्राथमिक विद्यालय घोडघासक प्रधानाध्यापक आशा कुमारी झा कहैत छथि । ओ आगाँ कहैत छथि थालमाटि खेलएके माध्यमसँ टोल पडोसक सभ थाल कादोसभ हटाओल जाइत अछि । सभकिछु सफा भऽ जाइत अछि । अर्थात ई पावनि स्वच्छताक सन्देश सेहो दैत अछि । कतेक ठाम तँ डोबरा वा थाल-कादो सँ भरल खधिया आदि सँ सेहो लोक सब माटि-पानि खेल वास्ते थाल-कादो निकालबाक कारण बुझू जेना पोखरिक उड़ाही करबाक काज पूरा होएछ आर एकर बाद जे पोखरि मे पानि रहत ओ पुनः सफा-सुथरा आ स्वच्छ रहत जेकर उपयोग लोक आ माल-जाल सब करत ।

जनकपुरमे थालमाटिक तैयारी

जनकपुरक चौक-चौकपर थालमाटि खेलक तैयारी कएल गेल अछि । जनकपुरक पेठिया बजारपर थालमाटिक धूमगज्जर होइत अछि । पिडारी चौकपर रामशिरिठ पाण्डेक नेतृत्वमे सभ बर्षजेकाँ अहू बेर थालमाटि खेलल जाएत । ओ कहलन्हि जे बसिया बरी-भातक अतिरिक्त तरुवाक भोजनक संगहि थालमाटिक व्यवस्था भऽ रहल अछि ।

सेभ हिस्टोरिकल जनकपुर गंगासागरपर थालमाटिक आयोजना करए लागल अछि । महावीर चौक, भानु चौक सहितक स्थानसभपर सेहो थालमाटि उत्सवक तैयारी भऽ रहल अछि । ओ स्थलसभपर पहिनेसँ चिकनी माटि घोरि कऽ राखल जाइत अछि आ ओ माटि लऽ कऽ एक दोसरके लगाओल जाइत अछि ।