संस्मरणः डा. जयकान्त मिश्र द्वारा प्राथमिक शिक्षा मे मातृभाषा मैथिलीक माध्यम केर मांग आ पटना हाई कोर्ट तथा दिल्लीक सुप्रीम कोर्टक डिग्री भेलाक बादो बिहार सरकार द्वारा अधिकारहनन करबाक मुद्दापर मिथिला राज्य निर्माण सेनाक तत्कालीन सेनानी ‘अनुप मैथिल व मनोज झा’ द्वारा आमरण अनशन केर परिणाम पर समीक्षात्मक संस्मरण
– वार्ताकार प्रवीण नारायण चौधरी

२१ फरबरी, २०१४ केर ई तस्वीर छी। तस्वीर मे स्पष्टतः १० दिन सँ भूख हड़ताल कएनिहार दुइ सज्जन अनुप मैथिल व मनोज झा मिथिला राज्य निर्माण सेनाक बैनर तर पटनाक आरबी चौराहा पर बैसल छलाह। दरभंगा सँ विधायक संजय सरावगी, बेनीपुरक तहियाक विधायक गोपालजी ठाकुर, काँग्रेस सँ वरिष्ठ नेता ओ प्रवक्ता प्रेमचन्द्र मिश्र, अभामिपा केर तत्कालीन महासचिव रत्नेश्वर झा, मिरानिसे केर अध्यक्ष श्याम सुन्दर झा, बिहार प्राथमिक शिक्षा निदेशालय केर उप-निदेशक डा. ओंकार प्रसाद सिंह व हमहुँ बैसल देखा रहल छी। बात बड पुरान नहि भेलैक अछि। एहि १० दिन मे एहि धरना स्थल पर मिरानिसे केर अध्यक्ष श्याम सुन्दर झा केर नेतृत्व मे दिल्ली, दरभंगा, पटना, बोकारो व कतय-कतय सँ समर्पित मैथिल अभियानी लोकनि पहुँचल छलाह। विषय छलैक – डा. जयकान्त मिश्रा द्वारा हाई कोर्ट आ सुप्रीम कोर्ट दुनू ठाम बिहार सरकार विरुद्ध दायर याचिका मे भेटल जीत अनुरूप ‘मैथिली (मातृभाषा) मे प्राथमिक शिक्षाक व्यवस्था लागू हो’। ई संविधानप्रदत्त अधिकार थिकैक, एकरा व्यवहार मे लागू करेबाक काज राज्य द्वारा अविलंब करायल जाय।

अनशनक संगे-संग विधायक संजय सरावगी द्वारा विधानसभा मे राखल गेल प्रश्न जे मैथिली मे मिथिलावासी केँ प्राथमिक शिक्षा देल जाय, एकर जबाब २२ फरबरी केँ बिहार सरकार द्वारा सदन मे ई देल गेल जे शिक्षक केँ मातृभाषाक शब्द सहितक भाषा सेतु निर्माण करैत शिक्षा देबाक लेल शिक्षक संदर्शिका मार्फत नीतिक बात सँ अवगत कराओल गेल अछि, ताहि कारण अलग सँ मैथिली माध्यम मे शिक्षा देबाक संभावना नहि अछि। एम्हर अनशनकारी केँ अनशन तोड़ेबाक लेल शिक्षा निदेशक व उप-निदेशक दुनू गोटा मौखिक कहलैन जे एहि वास्ते बहुत रास गृहकार्य करबाक जरुरत होयबाक कारण एखन मौखिक आश्वासन टा देल जा रहल अछि, १ महीनाक भीतर ई काज फायल पर लिखित रूप सँ चलि जायत आर एहि लेल फायल संख्या मिथिला राज्य निर्माण सेना शिक्षा निदेशालय सँ ग्रहण कय सकैत अछि। सहिये बात छैक। खाली मुंह सँ बाजि टा लेला सऽ शिक्षा पद्धति रातो-रात परिवर्तन नहि आबि सकैत छैक। एहि लेल सिलेबस तैयारीक चुनौती सब सँ पैघ बात थिकैक। एहि काजक लेल मैथिली-मिथिलाक संस्था या कोनो राजकीय निकाय या मैथिली अकादमी आदि द्वारा कहियो कोनो पहल नहि करब भारी चूक कहि सकैत छी। एखनहु जँ किनको सँ ई काज द्रूतगति सँ करबाक कहल जाय तऽ ई एतेक सहज काज नहि छैक। एहि सब बहसक बाद वार्ताकार रूप मे हम आ मिरानिसे अध्यक्ष श्याम सुन्दर झा उप-निदेशक व शिक्षा निदेशालयक अधिकारीक समूह केर कथन सँ राजी होएत मात्र ‘आश्वासन’ केर आधारपर अनशनकारीक प्राणक रक्षा करब उचित मानल आर २१ फरबरी केँ सोशल मीडिया सँ एहि सब बातक जानकारी दैत अनशन खत्म कराओल। स्वयं शिक्षा उप-निदेशक डा. ओंकाप्रसाद सिंह केर हाथ सँ जूस पीबि – सहयोगी काँग्रेसी नेता प्रेमचन्द्र मिश्र, भाजपा नेता संजय सरावगी व गोपालजी ठाकुर केर सोझाँ मे अनशन तोड़ल गेल छल। बाद मे निरंतर सम्पर्क मे बनि डा. ओंकारप्रसाद सर केँ मैथिली भाषा सँ जुड़ल आरो बहुत रास जानकारी फायल मे टिप्पणी लिखबाक लेल ईमेल द्वारा सेहो उपलब्ध कराओल गेल छल। ई सब आन-रेकर्ड उपलब्ध अछि। मुदा आपसी वैमनस्यताक कारण एक बेर फेर मिथिला राज्य निर्माण सेनाक अन्तर्कलह २०१४ केर संसदीय चुनाव आबैत-आबैत छहोंछित होयबाक कारण ई आन्दोलन परिणाममुखी नहि भऽ सकल। बादहु मे अध्यक्ष श्यामसुन्दर बाबू केँ एहि लेल रिमाइन्डर करेलाक बादो आपसी कटुताक कारण कियो घूरिकय तकबो नहि केलक जे आखिर एहि केसक फायल संख्या कतेक छैक। निश्चित रूप सँ एहि वास्ते आइयो सरोकारवला आवाज उठेबा सँ पूर्व संज्ञान लैत डेग आगू बढा सकैत छथि।
बिहार सरकार द्वारा लीपापोती ‘शिक्षा संदर्शिका’ मे मातृभाषाक शब्द केँ ‘भाषा सेतु’ मे ४०% धरि शामिल करबाक निर्देशन विद्यालयक शिक्षक सब केँ देब कहिकय जरुर कएल गेल अछि, लेकिन एकर प्रभाव आ परिणाम कतेक सार्थक भेल से फेर कोन एजेन्सी निकालत, ई कहब दुर्लभ अछि। कि दिल्ली-अमेरिका मे कार्यरत एलिट मैथिल्स केर ई काज थिक जे ओ जमीनपर सरकारी शिक्षा मे भाषा सेतु केर सार्थक उपयोग केँ पता करत? कि शिक्षा व्यवस्था पर नजरि रखबाक लेल बनल ‘शिक्षा समिति’ जे हरेक पंचायत मे अछि, ओकरा बकार हरण भऽ गेल छैक? आ कि सरकारी निकाय केँ मात्र सरकारी धन लूटबाक संयंत्र मानिकय अपन धिया-पुता केँ प्राइवेट मे पढेबाक होड़ केर यथार्थता हमरा सभक यथार्थ दुश्मन थिक? एहि सब विन्दुपर गहिंर दृष्टि सँ मनन करबाक आवश्यकता छैक। मैथिली लेल गोही नोर बहेबाक कोनो जरुरत नहि। फेसबुक पर ओहिना बड पैघ-पैघ दाबी कएनिहार आर कतेको रास फन्ने खाँ बनिकय खरखाँही लूटनिहारक कोनो कमी नहि छैक। जँ गम्भीर छी त उठाउ डेग – चेक करू एक-एक शिक्षा समितिक क्रियाकलाप आर देखू जे अहाँक गामक विद्यालय मे सरकारी शिक्षा पद्धति कतेक सार्थक काज कय रहल अछि। भाषा सेतुए सही, कि ई ४०% शब्द-सहितक भाषा-सेतु लेखन कार्य तक कएल गेल अहाँक विद्यालयक शिक्षक द्वारा? कि छात्र केँ एहि सब विषय पर कोनो तरहक जनतबो देल गेल? हमरा लोकनि केँ एहि तरहें समीक्षा करैत आगू बढबाक आवश्यकता अछि। सब कियो सुप्रीम कोर्ट आर हाई कोर्ट धरि पहुँचब से न जेबी अछि आ ने जेबी मे माल, तखन फूसियेक कमाल फेसबुक पर जँ भऽ जाय त हम के होएत छी केकरो रोकनिहार!
हरिः हरः!!