मधेश मे शोक आ होलीक उत्साहक रंग मे भंग

सम्पादकीय

होली उत्साहक पर्व थिक। रंग खेलायब विजय होयबाक द्योतक थिक। परन्तु नेपालक तराई जेकरा मधेश कहल जाएछ नेपाल मे, एतय एखन शोकक माहौल अछि। एहिठाम राज्य प्रशासन द्वारा मधेशी समुदायक नव संविधान प्रति असन्तुष्टि आ संशोधनक मांग केँ दबेबाक लेल घोर दमनक अनेक उदाहरण देखल जा रहल अछि। मुख्य राजनीतिक दल नेपाली काँग्रेस, नेकपा (माओवादी केन्द्र) तथा नेकपा (एमाले) सहित अन्य दल जेना राप्रपा आदिक समस्त निर्वाचित प्रतिनिधि जे सदनक लगभग ९०% सँ ऊपर प्रतिनिधित्व करबाक कारण दंभ भरैत ‘विश्वक सबसँ सुन्दर संविधान’ बनेबाक दाबी सेहो करैत अछि ताहि मे अपूर्णता, कुटिलता आ घुमावदार ढंग सँ अधिकार देबाक आ छिनबाक कतेको तरहक आरोप लगबैत अन्य दल आ गठबंधन संविधान केँ परिमार्जित मसौदाक संग संशोधन हेतु मांग राखि विरोध करैत आबि रहल अछि। राजनीतिक धरा सभक बीच एहि कारण आरोप-प्रत्यारोप आ ब्यर्थ बयानबाजी सँ जनता दिलो-दिमाग पर बदतर असर पड़ैत देखल जा रहल अछि। एना लगैत अछि जे देशक चिन्ता यथार्थतः कोनो राजनीतिक पक्ष नहि कय रहल अछि, लेकिन अपन-अपन राजनीतिक भविष्य लेल दाव-पेंच खूब खेलाएत जनताक मानसिकता मे भले केहनो तरहक विभाजन भऽ जाउक – सब एहि होड़ मे लागल अछि। सबसँ पैघ विडंबना ई अछि जे असन्तुष्ट पक्ष आ संविधान बनाकय देश केँ आगू बढेबाक लेल संविधान केँ क्रियान्वयन समेत करबाक लेल जिम्मेवार पक्ष बीच लगभग नित्य दिन ‘वार्ता’ होएत अछि, मुदा पंचायत करायब आ पंचक बात नहि मानि खूट्टा गाड़ब अपनहि मोन सँ – एहि तरहक मनोदशा सँ पीड़ित राजनीतिक शक्ति द्वारा देश केँ आगू बढेबाक कोनो तरहक स्थिति बनैत नहि देखा रहल अछि।

मधेश आ मधेशी संग उपेक्षापूर्ण शासन लेल २५० वर्षक उत्पीडणक बात सब स्वीकार करैत अछि। मधेशी संग दोसर दर्जाक नागरिक जेकाँ व्यवहार मे सुधार अनबाक बात सब राजनीतिक पक्ष स्वीकार सेहो करैत अछि। तखन अधिकारसंपन्न कोना बनायल जाय एहि मे पूर्वाग्रही मानसिकताक कारण कुटिल आ घुमावदार नीति ओ नियम बनेबाक कारण असन्तोष आरो बढि जाएत छैक। तनातनीक माहौल एहेन छैक जे मधेशवादी दल द्वारा एहि राष्ट्रीय स्तरक दल केर छवि केँ विलेन – खलनायक समान देखायल जाएत छैक। जनता मे एहि सँ आरो बेसी असन्तोष पसरैत छैक। पुनः एहि असन्तोष केँ अपन लच्छेदार बोली आ घुमावदार बात-विचार सँ हँटेबाक प्रयास ओ राजनीतिक दल करैक प्रयास करैत छैक, लेकिन प्रयासो एहेन जे फेर असन्तोषे बेसी पसाएर कय जाएत छैक। आब त मधेश केँ स्वतंत्र करबाक मांग बेसी होबय लागल छैक परिणामतः। हालहि प्रतिनिधित्वक आधारपर नेपालक दोसर सब सँ पैघ सामर्थ्यक दल – नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) द्वारा एकटा अभियान मार्फत एहि असन्तोष केँ दूर करबाक लेल एकटा अभियान संचालन कएल जा रहलैक अछि जेकर नाम छैक ‘मेची-महाकाली अभियान’। मधेशवादी दलक आरोप आ स्वयं एमालेक वरीय नेतृत्वक बोल-वचन-व्यवहार सँ एमाले मधेशविरोधी हेबाक बात सरेआम सबकेँ बुझल रहितो दल-बल आ सुरक्षाक खूब पैघ ताम-झाम संग ओहि अभियान केँ मधेश मे कय केँ देखेबाक जिद्दक कारण मधेशी-बाहुल्य क्षेत्र सप्तरी जिला जतय शत-प्रतिशत प्रतिनिधित्व पर्यन्त एमालेक रहलाक बादो एमालेक लाव-लश्कर प्रवेश करिते मधेशी जनता करारा विरोध करब शुरू कय देलकैक आर एमालेक जिद्द जे राजविराज मे अपन जनसभाक आयोजन करबे टा करब ताहि ठाम मधेशी जनताक आक्रोश केँ दबेबाक लेल पब्लिक सऽ बेसी हजारोंक संख्यामे खटायल गेल पूलिसकर्मी द्वारा अंधाधूंध गोलीबारी कयकेँ एखन धरि ५ गोट लोक केँ शहीद आर दर्जनों लोककेँ घायल-अपाहिज बना देल गेलैक। एहेन शोक सँ पीड़ित मधेश मे एहि वर्ष होली मे उत्साहक बदला घोर उदासी देखायब स्वाभाविके छैक।

बसंत पंचमीक बादहि सँ फगुआयल मन होली खेलाय वास्ते कुल्लम एक मास तरह-तरह केर आयोजन करैत फगुआ गबैत होली मनेबाक सपना देखैत अछि। रंग आ भंग केर करिश्माई संगम मे के नहि नहाय लेल चाहत, माहौल एहेन रहैत छैक। लेकिन ताहि ठाम ई होलीक उत्सव सँ किछुए दिन पहिने एहि तरहक नरसंहार आ त्रास सँ जनमानस केँ दानवी प्रवृत्तिक जीत देखि विस्मय आ आतंक दुनू पैसब स्पष्ट छैक। नेपाल मे मधेश आ मधेशी प्रति नेपाली प्रहरीक एहेन घोर दमनक दृश्य बहुत रास बात एक संग लोकक मन मे शंका उत्पन्न कय देने देखा रहल अछि। कि सच मे मधेशी जनता केँ ‘नेपाली’ नहि मानल जाएत छैक? कि राष्ट्रीय दल मे सेहो रहल मधेशी जनप्रतिनिधि अपन जमीर केँ बेचि चुकल अछि? कि राष्ट्रीय स्तरपर राजनीति कएनिहार एहेन गैर-जिम्मेवारपूर्ण ढंग सँ अपन वर्चस्व स्थापित करबाक लेल पहिने सँ जरैत मधेश मे आरो घी ढारय लेल अभियान संचालनक नीति बनेलक? बहुत रास प्रश्न छैक जे वर्तमान समय एहिठामक जनमानसक मन मे घुरघुरा रहल अछि। सबसँ खतरनाक बात ई भेलैक जे एहि राजनीतिक दल सभक स्वार्थ मे नेपाली जनता केँ अपन मौलिक पहिचानक आधारपर स्पष्टतः शासक आ शासित केर रूप विभाजित कएल गेलैक आर तेकर परिणाम जे जनता-जनता मे सेहो घृणा, अवसाद, दुश्मनी आ एक-दोसरक प्रति हिंसक बना रहल छैक। एकर समाधान लेल समाजक स्तरपर आ राष्ट्रक हित लेल जिम्मेवार संचार क्षेत्र सहित मानव अधिकारकर्मी व नागरिक समाज केँ आपसी तालमेल व वार्ता बढेबाक चाही। नेपालक मिथिला मधेश मे होली नहि मनत ई बड पैघ भयावह दुष्परिणाम भविष्य मे देत। आध्यात्मिकताक आधारपर होलिका दहन दमनकारीक विरोधक द्योतक होएत छैक त रंग उत्सव विजयोत्सव यानि हिरण्यकशिपुक बध कएला उत्तर अलौकिक सत्ताक भक्तमान जनता द्वारा होली खेलायब कहल गेल छैक। एना प्रतीत भऽ रहल अछि जे एहि बेर जगह-जगह होलिका दहन त होयत मुदा होलीक रंगोत्सव नहि कएल जायत, दुश्मनीक भावना बढि जेबाक कारण प्रतिशोधात्मक कार्रबाईक मात्रा बढत आर हिरण्यकशिपु समान अधिकार सँ वंचित रखनिहार शक्ति केँ मारलाक बादे मधेशी जनता होली खेलायत तेहेन स्थिति छैक। शान्ति हर हाल मे बहाल हो, देशक अस्मिता सुरक्षित रहय, यैह कामना!