विशेष सम्पादकीयः दिल्ली मे मैसाम केर दुनू यूनिट द्वारा दुइ अलग-अलग आयोजन
मैथिली जिन्दाबाद!!
काल्हि २१ फरबरी २०१७ केँ पूर्व योजनानुसार मैथिली साहित्य महासभाक दुनू यूनिट द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मैथिली भाषा-भाषी केँ संङ्गोरि भव्य परिचर्चा एवम् सांस्कृतिक आयोजन कएल गेल अछि। सोसल मीडिया सँ ज्ञात प्राप्त फोटोक आधारपर दुनू कार्यक्रमक भव्यता स्पष्ट अछि। विदिते अछि जे एहि तरहक आयोजन सँ दूर परदेश मे सेहो अपन आत्मबल बढबाक आर संगहि मातृभाषाक मीठ चासनी मे अपन भाषाभाषी केर एकजुटता सँ सांगठनिक सामर्थ्य सेहो बढैत अछि। दिल्ली भारतक राजधानी थीक आर एतय करोड़ों लोकक बीच मे मैथिली अपन दम-खम पर गोटेक समर्पित संतानक अग्र-भूमिका सँ किछु डेग बढि रहली अछि यैह असाधारण बात भेल।
मैथिली साहित्य महासभा एखन दुइ अलग मंच द्वारा संचालित अछि, दुनू ग्रुप अपन अलग-अलग पंजियन केर दाबी सेहो एहि वर्ष कयलक अछि। २०१५ मे स्थापित आर २०१६ मे विभाजित एहि वर्ष दोसर बेर दुइ अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग विषय आर मुख्य सहभागिताक संग ई आयोजन मैथिली लेल ओहिना भेल जेना भोज मे बारीक तमशेने भोज बनबाक बात कहल जाएछ। एहि दुइ अलग स्थानपर आयोजनक ओना खिद्दांश सेहो होएत अछि, परन्तु बारीक तमशेने भोज बनि रहल यैह टा यथार्थ अछि। ई त स्वतःसिद्ध तथ्य छहिये जे आयोजनकर्ता मध्य मुख्य चेहरा लोकमानस मे अलग स्थान प्राप्त करैत अछि आर तेकर फायदा हुनका लोकनिक नाम, प्रतिष्ठा, समृद्धि, संगठन मे अभिवृद्धि भेटैत छन्हि आर ई प्राकृतिक न्याय अनुरूप सेहो सही छैक, भेटबाके टा चाही। अहाँ समृद्ध होयब तखनहि अहाँक भाषा आ साहित्य सेहो समृद्ध होयत। हँ, तखन आपस मे गलत प्रतिस्पर्धा आ गला कटबाक आत्मघाती कोनो डेग नहि उठबाक चाही।
२०१६ मे जखन ई संस्था विभाजित भेल छल त एना लागल छल जे विभाजन कएनिहार गलत कय रहला अछि, हुनका सब केँ एकरा एक्के ठाम रखबाक लेल काफी अनुरोध कएल गेल छल लेकिन मैथिलक स्वभाव जे एक बेर हमरा-अहाँ सँ कोनो तरहक मनमुटाव भऽ गेल तऽ आब ओहि कार्य केँ छल, बल, कल – सब तरहें ओ सफल कय केँ देखेबा करता। बिल्कुल तहिना, विभाजित पक्षक मजबूत कर्णधार लोकनि आखिरकार अपन संकल्प केँ एहि बेरुक आयोजन कय केँ सिद्ध कए देलनि अछि। संस्थापक पक्ष (मूल) मे सक्षम नेतृत्व त रहबे करय जे एक सुन्दर परिकल्पनाक जन्म दैत एहि मुहिम केँ जमीन पर उतारने छल। मुदा विभाजनक असर देखल जाउ जे २०१५ सँ २०१६ होएत २०१७ धरि ठोस उपलब्धि कतेक हासिल कएल जा सकल अछि। संस्थापन पक्ष द्वारा घोषित २५ हजार टाकाक पुरस्कार निश्चित एकटा अनुपम कार्य भेल अछि। साहित्य अकादमी आ मैथिली-भोजपुरी अकादमी सँ नजदीकी अन्तर्क्रिया सेहो उपलब्धिमूलक कहल जा सकैत अछि। लेकिन धरातलीय कार्य मे चुनौती ओहिना मुंह बाबिकय ठाढ अछि। घर-घर मे मातृभाषाक मिठास कोना बाँचत से चुनौतीक सामना करबाक लेल दिल्ली मे सांगठनिक सामर्थ्य ओतबे लचर अछि आर ताहि कारण सँ कठोर आ निर्दयी आलोचक एहि सब आयोजन केँ फूसफूसिया बम कहि आयोजनक तुरन्त बाद बिसैर जाएत छथि, हँ तखन आयोजकक पास नीक मात्रा मे फोटो आ वीडियो सब रहैत छन्हि जाहि सँ ओ सब अपन पीठ अपने ठोकबाक लेल एहि वस्तु सभक प्रयोग करैत रहैत छथि आर अपन व्यक्तिगत कार्यानुभव मे आयोजनक गिनती बढबैत रहैत छथि। सकारात्मक दृष्टि सँ दुनू आयोजन पुनः मैथिली लेल नीक भेल से कहि सकैत छी।
धरातलीय कार्य मे सब सँ पैघ आवश्यकता छैक जे एनएमसीडी द्वारा सरकारी विद्यालय मे मैथिली मातृभाषा पढबाक व्यवस्थापन लेल लगभग सब कार्य लगभग ३ वर्ष पहिने पूरा कएल जा चुकल छैक। एनसीईआरटी, शिक्षा विभाग, सभक राय भारतक संविधान अन्तर्गत प्रदत्त मौलिक अधिकार अनुरूप मैथिलीभाषी केँ सेहो अपन मातृभाषा मे पढबाक अधिकार प्रदान कएलक अछि। एहि वास्ते सरकारी विद्यालय सब सँ प्रतिवेदन २०१३ केर शुरुए मे मांगल गेल रहैक। मुदा तेकर बाद कि प्रगति भेल से समयाभाव मे नहि समेट सकलहुँ अछि, मुदा नीक खबैर कतहु सँ नहि भेटल जे आखिर विद्यालय सब मे कतेक मैथिलीभाषी छात्र या अभिभावक द्वारा अपना बच्चाक शिक्षा केँ सुडौल आ सुन्दर रखबाक लेल ई मांग विद्यालय समक्ष कएलनि जे हुनका मैथिलीक पढौनी जरुरी अछि। एना केला सँ मैथिली शिक्षक केर नियुक्ति, मैथिली पुस्तक लेल तकनीकी समिति आ लेखकक लेखादिक संकलन आर अनुवादक सहित विभिन्न पद आ स्थान लेल रोजगार सेहो बढत आर भाषाक मूल महत्व जे आर्थिक गतिविधि मे सेहो लोक लेल सम्बल बनत से बाकी अछि। एहि दिशा मे पूर्वहि सँ कार्यरत विभिन्न संस्था-संगठन संग सहकार्य करैत तुरन्त उपलब्धिमूलक डेग अहाँ बढा सकैत छी। लेकिन मात्र स्वार्थ मे डूबल रहब त ई परमार्थक कार्य अहाँ सब सँ संभव नहि होयत, फेर कोनो तागतवर बेटाक जन्म होयत तेकर इन्तजार करू।
मातृभाषा मे शिक्षाक कि महत्व छैक? ई प्रश्न मिथिलाक ९९% लोक लेल अनुत्तरित छैक। एकटा पोथी एहेन प्रकाशित हो जाहि मे एकर समाधान कएल हो। विश्वक लगभग सब विकसित देशक उदाहरण सँ हो या भारतहि केर विभिन्न राज्य मे भऽ रहल मातृभाषाक अनिवार्य पढौनी सँ भेटल लाभ सँ – मातृभाषा मे विद्यार्थीक समझ-शक्ति व स्मरण शक्ति कारगर होयबाक वैज्ञानिक तथ्य सँ हो या फेर संविधानक ओ मर्म जे मातृभाषाक महत्व केँ ‘मौलिक अधिकार’ मे निहित मानलक अछि – ई बात हम सब अपन लोकमानस केँ बुझाबी जे आखिर मातृभाषाक महत्व कोना सभा-आयोजन सँ ऊपर घर-घर आ बच्चा-बच्चा लेल उच्च मूल्यक छैक। एहि वास्ते छोट-छोट कार्यदल निर्माण कय प्रत्येक मैथिलीभाषीक घर धरि सब बात केँ पहुँचेबाक आवश्यकता अछि आर मैथिली लेखन तथा पठन-पाठनक संस्कृति केँ वृहत् स्तर पर उजागर करबाक जरुरत धरातलीय कार्य मे अबैत अछि। पुनः वैह गलती नहि करू जे फल्लाँ बाबूक बेटा बड पैघ विद्वान् भेलखिन मैथिली मे जिनका ‘साहित्य अकादमी’ सँ सम्मान भेटलनि, बुझू बात जे अकादमीक सम्मान गुणस्तर टा देखिकय नहि देल गेलैक अछि, एहि मे सेटिंग आ भाई-भतीजावादक दुष्प्रभाव रहलैक, तैँ आइ मैथिली फक्सियारी काटिकय मैर रहलैक अछि। अहाँ पर दायित्व अछि जे एकरा आमजन धरि लऽ चली, सर्वहारा समाज सँ लेखक, विचारक आदि केँ समेटी। साहित्य अकादमीक नीक काजक सराहना जरुरे करी, लेकिन जाबत स्वयं एहि यथार्थ सँ आश्वस्त नहि भऽ जाय जे फल्लाँ सम्मानित सज्जन वास्तव मे नीक काज कएने छथि ताबत एहि तरहक फूसिक मानवर्धन सँ बचब जरुरी अछि।
काल्हिक विषय दुनू ठाम बहुत सुन्दर छल। एक दिश बात भेल जे ‘विद्यापतिक साहित्यक प्रभाव समाज पर कोन तरहें पड़ल अथवा पड़ैत अछि वा पड़त….’ आर दोसर ठाम बात भेल जे ‘मिथिलाक सांस्कृतिक परंपरा मे लोकदेवताक केहेन स्थान, भूमिका, महत्व, आदि रहल अछि’। एक ठाम श्याम दरिहरे समान यथार्थ सर्जक आ साहित्य अकादमियो सँ सम्मानित स्रष्टा सहित अनेक गणमान्य भाषा-साहित्यक सेवक आर युवा अभियानी, चिन्तक, कार्यकर्ता सब छलाह त दोसर दिश सेहो डा. उमाकान्त झा समान लेखक व विचारक सहित अनेको अन्य गणमान्य व्यक्तित्व, स्रष्टा संग मैथिली-मिथिलाक समर्पित कार्यकर्ता लोकनिक सहभागिता छल। विस्तृत समाचार एखन धरि कोनो विज्ञप्ति मार्फत कतहु नहि अभरल अछि। मैथिली कार्यक्रमक सबसँ पैघ दुर्बलता जे कार्यक्रम भेलाक बाद ओकरा विज्ञप्तिक रूप नहि देब ई हमरा ९५% कार्यक्रम मे देखाएत अछि। एतेक महत्वपूर्ण विषय पर कार्यक्रम – परिचर्चा आदि भेल आर के विद्वान् अपन कोन मत रखलैन ताहि पर कोनो तरहक टिप्पणी तक नहि लिखलहुँ, कोनो कार्यवाहीक लिखित रूप नहि बनल, ई बड पैघ दुर्भाग्य आर कमजोरी थीक मैथिली कार्यक्रमक। यदि कियो लिखने होएथ आर से भेटय त आरो दूर धरि संचार कार्य मार्फत ओहि पर बहस कएल जा सकैत छल। तखन आयोजन भेल आर सब कियो सन्तुष्ट आ प्रसन्न छी यैह बहुत भेल। अस्तु!
हरिः हरः!!