आइ माघ १६ गते नेपाल मे शहीद दिवस केर रूप मे मनाओल जाएत अछि। राष्ट्र, राष्ट्रीयता आर जनताक अधिकार लेल कोनो तरहक क्रान्ति मे मारल गेल आन्दोलनी पक्ष अथवा राज्यपक्षक लोक केँ एतय शहीद मानल जाएत छैक। कहियो राणा शासन विरुद्ध प्रजातंत्र केर स्थापना लेल कियो अपन जानक बाजी लगाकय संघर्ष कएलक त कियो राजतंत्र अन्तर्गत पंचायती शासनक विरुद्ध बहुदलीय प्रजातांत्रिक अधिकार लेल लड़ल आर प्राणक आहूति देलक तैँ शहीद भेल। तहिना सम्पूर्ण राजतंत्रक विरुद्ध गणतांत्रिक प्रजातंत्रक स्थापना लेल अपन प्राणक आहूति देनिहार सेहो शहीद भेल। तखन शहीद कहेबाक लेल राज्य द्वारा शहीदक नाम घोषणा भेलाक बादे ओकरा शहीद मानबाक एकटा निश्चित प्रक्रिया एतय देखय मे अबैत अछि।
नव नेपाल जेकर संविधान हाले किछु महीना पहिने घोषित कएल गेलैक अछि, ताहू मे विवाद छैक आर असन्तुष्ट पक्ष एखनहु अपन अधिकार लेल संघर्ष कय रहल अछि आर अपन प्राणक आहूति दैत अछि। एहि तरहें शहादति केर एकटा विचित्र लेकिन यथार्थ घटना एतय देखय लेल भेटैत अछि। हरेक जनता लेल शहीद आर शहादतिक विविधता केँ विचित्र घटनाक रूप मे एहि लेल कहलहुँ जे एतय एहि विषय पर फरक-फरक मत अछि, जेना पहाड़ी समुदायक दृष्टि मे मधेश आ मधेशीक आन्दोलन आर ताहि मे शहादति देनिहार शहीदक प्रति कोनो श्रद्धाक भावना नहि अछि, तहिना माओवादी जनयुद्ध मे शहीद सैकड़ों जनसेना केँ आन पक्ष शहीद मानय लेल आर ओकरा श्रद्धाञ्जलि तक देबाक लेल तैयार नहि अछि। आर यैह मतभिन्नताक कारण कतेक विद्वान् ईहो मानैत अछि जे एहि दिवसक औचित्य कोनो खास नहि अछि नेपाल मे। हम एतय मिथिलाक दृष्टिकोण सँ किछु मंथन करैत छी। ओना सब शहीद नमन योग्य होएछ आर सभक प्रति श्रद्धाञ्जलि देब प्रत्येक राष्ट्रधर्म बुझनिहार केँ देब जरुरी छैक।
शहीद के?
अपन देश, संस्कृति आर अस्तित्वक संरक्षण तथा स्वतन्त्रता प्राप्तिक निमित बलिदानी दैत लोकहितम लागल अमर व्यक्ति (स्रोतः प्रज्ञा प्रतिष्ठानक शब्दकोश)
नेपालक शहीद आ मिथिला वीर शहीद लोकनि
नेपाल केर शहीदक बात हो, गणतंत्र केर स्थापनका बात हो… आर शहीद दुर्गानन्द झा केर स्मरण नहि कएल जाय – ई संभव नहि अछि। भले राज्य द्वारा हुनका ५० वर्षक बाद शहीदक दर्जा देल गेलनि, लेकिन जनगणमन बीच ओ अपन निर्भीक वीरतापूर्ण कार्य जे तात्कालीन नेपालक राजा महेन्द्र केर जनकपुर आगमन पर हुनक सवारी (जीप) पर बम प्रहार कएलनि, जाहि वास्ते २-३ वर्ष बाद हुनका ब्राह्मणक हत्या राज्य द्वारा नहि कएल जेबाक कानून मे परिवर्तन आनि फाँसी देल गेलनि। नमन ओहि वीर शहीद केँ! जनआन्दोलन दुइ आर तेकर बाद ३ वर्ष मे सब प्रक्रिया पूरा कय केँ घोषित शहीदक संख्या १०१ अछि जाहि मे मधेश आन्दोलन मे शहादति देनिहार कुल ३० गोट व्यक्ति सेहो शामिल अछि। पुनः मधेश आन्दोलन दुइ मे ५२ गोट शहीद भऽ चुकल अछि। किछु स्रोतक मानल जाय तऽ एखनहु सरकारक पास कतेको शहीदक नाम शहीद घोषणा करय लेल बाकिये अछि।
जनकपुर मे निज जानकी दिवस केर दिन मिथिला राज्य स्थापनाक मांग पर ५ जन शहीद आर दर्जनों लोक जिन्दा शहीदक सूची मे अपन नाम दर्ज करौलक। प्रसिद्ध महिला रंगकर्मी रंजू झा सहित शहादत देनिहार ५ जनक पारिवारिक स्थिति आइयो विपन्न अछि।
नेपाल मे संघीयता आर मिथिला राज्यक समर्थन मे आवाज उठेनिहार डा. लक्ष्मी नारायण झा केर स्थिति अज्ञात
डा. लक्ष्मी नारायण झा केँ २०३६ सालक अति-महत्वपूर्ण जनआन्दोलन पश्चात् राज्य द्वारा गिरफ्तार कय केँ यातना दैत जेल मे राखल गेलनि आर तेकर बाद हुनकर स्थिति आइ धरि स्पष्ट नहि कएल जा सकल अछि…. डा. एलएन झा केर सहयात्री राजेश्वर नेपालीक मानल जाएन त हुनका २०४२ के आसपास जेल सँ बाहर लऽ जा कय मुठभेड़ मे मारि देल गेलनि, लेकिन एखन धरि एहि बातक पुष्टि सरकार द्वारा नहि कएल जा सकल अछि। अज्ञातवास मे १२ वर्ष सँ बेसी यानि आब ३० वर्ष नांघि गेलाक कारणो हम सब हुनका शहीद मानि रहल छी।
विदित हो जे ई सब कियो संघीयताक स्थापना करबाक संग-संग अपन मूल पहिचान मिथिला केँ स्थापित करबाक लेल एक सँ बढिकय एक काज करौने छथि। जानकी मन्दिर जनकपुर मे एहि मांग केँ पूरा करबाक लेल कइएको बेर अनुष्ठानपूर्वक ‘सीताराम’ नामक अष्टयामक आयोजन कएल जेबाक स्मृति हुनक ग्रामीण वर्तमान काशी मे अवकाशप्राप्त प्राचार्य – व्याकरणाचार्य पं. जीवनन्दन झा सुनबैत छथि। हुनकर मान्यता ईहो छलन्हि जे नेपाल मे जाबत मिथिला राज्यक स्थापना समुचित ढंग सँ नहि कएल जायत, एतय शान्ति नहि आबि सकैत अछि। संगहि, राज परिवार केँ ब्रह्म-हत्याक पापाचार करबाक कारण ओ शापित रहैत जैड़-मूल सहित नष्ट होयबाक बात ग्रामीण व अपन अनुयायी सब सँ कहैत रहबाक बात एखनहु सुनल जाएछ। राजा वीरेन्द्र विक्रम शाहदेव केर संपूर्ण परिवार एकटा दरबार हत्याकाण्ड मे रातो-रात साफ भऽ जेबाक बात सर्वविदिते अछि। नेपाल मे राजनैतिक असन्तुलन तथा अनियंत्रणक बात सेहो विदिते अछि।
जानल-अन्जानल सब शहीद केँ नमन जे अपन देशक अग्रगामी विकास लेल क्रान्तिक नारा दैत अपन प्राणक आहूति देलनि। कोनो देश केर जनता जँ सुखी नहि हो तऽ क्रान्तिक धार बेकार मानल जाएछ, अतः हम सब कामना करी जे एहि सुन्दर सन हिमालयक कोरा मे अवस्थित प्रकृतिक छटा सँ सुशोभित देश मे शीघ्र शान्ति स्थापित हो, जनगणमन केर शासन तंत्र हो। संघीय गणतंत्र सुव्यवस्थित हो। यैह शहीद सब लेल सत्य श्रद्धाञ्जलि होयत।
जय मिथिला – जय जानकी!!
हरिः हरः!!
यथार्थतः शहीद दिवस केर प्रासंगिकता कि अछि नेपाल मे?
तत्कालीन एकतन्त्रीय जहाँनियाँ राणा शासनविरुद्ध प्रजातन्त्रक पक्ष मे आवाज उठेबाक कारण शहादत प्राप्त कएनिहार चारि सपुत शुक्रराज शास्त्री, धर्मभक्त माथेमा, गंगालाल श्रेष्ठ आर दशरथ चन्द केँ मृत्युदण्ड देबाक दिवस केँ स्मृति मे आनि आजुक दिन शहीद दिवस मनाओल जाएत अछि।
नेपालक चारि सपुत लोकनि विक्रम सम्वत १९९७ माघ महीना मे तत्कालीन राणा शासक सब केँ कठोर यातना देलाक बाद मृत्युदण्ड देने छल।
राणा शासक लोकनि एहि शहीद सब मे शुक्रराज केँ माघ १० गते टेकु पचली स्थित खरीक गाछ मे फाँसी पर लटका देने छल। माघ १३ गते धर्मभक्त केँ सिफल मे, १५ गते गंगालाल आर दशरथ चन्द केँ शोभाभगवतीमे मृत्युदण्ड देने छल।
चारि शहीदक स्मृतिमे काठमाडौ महानगरपालिका द्वारा माघ १० गते सँ १६ गते धरि शहीद सप्ताह मनाओल जाएछ। चारि शहीदक बलिदानीक बाद देश मे पुनः कतेको बेर उथलपुथल भेलाक बादो लोकतान्त्रिक, शान्त आर सम्मृद्ध नेपाल बनेबाक शहीदक सपना धरि एखनहु पुरा नहि भऽ सकल अछि।
सरकार द्वारा सामान्य घटना मे मारल गेल ब्यक्ति केँ सेहो शहीदक कोटा मे राखिकय राहत रकम वितरण कएल जेबाक बाद सँ शहीद शब्दक अपमान होयबाक शिकायत काफी सुनल जाएत अछि।
२००७, २०३६, २०४६ आर २०६२-६३ साल मे महत्वपूर्ण परिवर्तन वास्ते भेल पैघ-पैघ जनआन्दोलन सब मे शहादत प्राप्त कएनिहार केँ अवमूल्यन करब समान जथाभावी शहीदक वर्गीकरण कएला सँ शहीदक संख्या गणना मे सेहो अनिश्चितता बढल अछि। देशक अस्तित्व रक्षा आर जनताक हकहित, अधिकार तथा स्वतन्त्रताक निमित अपन जीवन आहुति कएनिहार महान शहीद सभक बलिदान केँ श्रद्धापूर्वक स्मरण करैत सम्पूर्ण ज्ञात अज्ञात शहीद सभक प्रति हार्दिक श्रद्धान्जली अर्पण करबाक वर्तमान चलन-चल्ती देखल जाएछ।
संघीयता, गणतन्त्र आर समावेशिकता सहितक लोकतन्त्रयुक्त शासन व्यवस्था आनय मे कतेको नेपाली सपूत सभक जान अर्पण करबाक घटना केँ स्मरण करैत एतुका प्रधानमन्त्री लोकनि आजुक दिन देश, लोकतन्त्र तथा आम जनताक प्रति ईमान्दारीपूर्वक समर्पित भऽ कार्य करबाक प्रेरणा देबाक काज करैत अछि कहैत छथि।