काल्हि राजविराज मे एकटा अत्यन्त महत्वपूर्ण अन्तर्क्रिया कार्यक्रम ‘मिथिलाक अनुपम डेग’ द्वारा आयोजित छल। बहुत गंभीर विमर्श भेल। सब पक्षपर विचार सब आयल। हमहुँ भाग लेलहुँ। भाषण मात्र नहि देबाक आत्मनिर्णय सँ क्रान्ति होएत छैक, अतः एकटा मैथिली लेखन छात्रवृत्ति राजविराज (सप्तरी जिला) लेल घोषणा कैल जे आयोजक संस्था द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय मे निबंधित सप्तरी जिलाक सब विद्यालय सँ पत्राचार करैत कक्षा ८ सँ १० केर बाल-बालिकाक मैथिली कविता, निबन्ध, नाटक, आदि लेखन केँ एकटा निर्णायक मंडलीक निर्णय देल जेबाक निर्णय कएल। प्रथम, द्वितीय आ तृतीय पुरस्कारक रूप मे क्रमशः ५ हजार, ३ हजार आर २ हजार रुपया मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ देल जेबाक घोषणा कएल अछि। ई पुरस्कार आयोजक संस्थाक हाथे सप्तरी जिला मे बाँटल जायत।
मातृभाषाक माध्यम सँ शिक्षाक महत्व के नहि बुझैत छैक, लेकिन सिस्टम मे एहि व्यवस्थाक अनुपलब्धताक कारण ई सब सोच-विचार बस सोचे-विचार धरि सीमित रहि जाएत छैक। हमरा मोन पड़ैत अछि पटनाक आरबी चौराहापर मातृभाषा मैथिली मे प्राथमिक शिक्षाक अधिकार लेल राखल आमरण अनशन – करीब १० दिन धरि चलल एहि अनशन केँ अन्त मे शिक्षा मंत्री पी. के. शाही संबोधित करैत शिक्षा निदेशालय सँ सद-निदेशक ओंकार प्रसाद सिंह केँ अनशनकारीक मांग कोना पूरा कैल जा सकत ताहि लेल वार्ताकार बनाकय पठौने छलाह। अनशनकारीक तरफ सँ वार्ताकारक भूमिका मे हम आ श्याम भाइ गेल रही। सरकार मौखिक रूप सँ आश्वस्त केलक जे चूँकि ई काज तकनीकीक विकास केलाक बादे संभव हेतैक, ताबतकाल लेल अनशन केँ रोकि शिक्षा निदेशालय सँ सहकार्य करब त परिणाम सोझाँ आयत। एहि लेल निदेशालय विज्ञ-विद्वानक बैसार करबाक वास्ते समयक मांग करैत अनशन खत्म करायल गेल छल। लेकिन बुझिते छी…. आन्दोलन करब, नाम होयत आ परिणाम भेटल कि नहि ततेक समय आन्दोलनकारी समूह लग नहि अछि…. ई महाकमजोरीक कारण ओ सपना अधरे मे लटकल अछि आइ धरि।
मातृभाषाक माध्यम सँ प्राथमिक शिक्षा बहुल्य देशक संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार थिकैक। बिहार सरकार केर शिक्षा नीति मे भाषा सेतु केर प्रयोग हेतु शिक्षक केँ विशेष संदर्शिका आर प्रशिक्षण सेहो देल गेल छैक। कहल गेल छैक जे बेसी स बेसी शब्द स्थानीय भाषाक प्रयोग करैत विद्यार्थी केँ विषय-वस्तु फरिछाकय बुझायल करू। एहि लेल शब्दकोश सेहो तैयार करबाक निर्देश छैक शिक्षक सब केँ। आब क्रियान्वयन त तखन हेतैक जखन खिचड़ी बनाय, खुआय आ ओहू मे सँ किछु बचाय आदि कारोबार मास्टरसाहेब सभ द्वारा केलाक बाद समय बचतैक…. मतलब जे ‘मातृभाषा मे शिक्षा देला स साक्षरता दर मे उल्लेखनीय प्रगति होएत छैक’ – ई मात्र कागजे धरि आ सिद्धान्ते धरि रहि गेल बुझाएछ। आर फेर बिहार मे… हाहा! एतय जँ मातृभाषा बढि जेतैक त कहाँ दिना हिन्दीक दुर्दिन आबि जेतैक। एहि परिकल्पनाक संग भारतीय राजनीतिक पुरोधा लोकनि बिहार, यूपी, एमपी, दिल्ली, राजस्थान, आदि किछु राज्य मे भाषा नीति तेना बनौने अछि। हिन्दीक दुश्मन मानि अन्य क्षेत्रीय भाषा केँ मृत्युदान देबाक कठोर नीति बनौने अछि। परिणाम भले वर्ग विभेद केँ आरो कतेक गहिंर बनेने जा रहल हो, पिछड़ा आ निरक्षर कतबो आरो पिछैड़ गेल हो, अशिक्षाक माहौल २१वीं शताब्दी मे सेहो कियैक नहि चरम् पर हो…. कि फरक पड़ैत छैक एहि सब सँ?
मैथिली केँ बचेबाक अछि भाइ लोकनि त अपने सँ वीरतापूर्वक आगू बढिकय स्वयंसेवा करय पड़त। आर अछि एहेन-एहेन वीर सपुत हमरा सबहक समाज मे। किछु दिन पूर्व एकटा युवा जे स्वयं विदेशी रोजगार मे कतार मे रहैत छथि, रविन्द्र उदासी, ओ कहला जे एहि दिशा मे किछु डेग बढबियौक भाइजी, हमरा सब सँ जे बनि पड़त से योगदान पठायब। मिथिला स्टुडेन्ट यूनियन नेपाल द्वारा सिरहा जिलाक विभिन्न विद्यालय सब मे एहि वास्ते पहिनहि सँ छात्र सब केँ जागरुक करबाक काज निरन्तर कैल जा रहल अछि। अनुपम डेग सेहो मातृभाषा मे शिक्षा – एक डेग विषय पर अन्तर्क्रिया सँ एहि दिशा मे डेग बढा चुकल अछि। मोरंग जिलाक विभिन्न विद्यालय मे हम हुनका सबहक नारा केँ सब विद्यालय धरि पहुँचायब से प्रतिबद्धता राखि चुकल छी। एतय वसुन्धरा झा – आशा झा – राधा मंडल – अरविन्द मेहता – जितेन्द्र ठाकुर – नवीन कर्ण आदि अनेकानेक अभियानीक संग सँ केहनो असंभव पहाड़ केँ ढाहल जा सकैत छैक। तखन बस स्वयंसेवा सँ मैथिलीक प्राणरक्षा होयत। राज्य द्वारा देल जा रहल मृत्युदान सँ ऊबार पेबाक लेल हम सब सपुत आगू बढी। हमरहि समाज मे किछु एहनो वीर युवा सब छथि जिनका ‘मैथिली’ मे पढने से क्या होगा कहय मे मिनटो नहि लगैत छन्हि। बाँझ कि जानय गेल प्रसव केर पीड़ा…. ओ नीक-निकुत खेला, पहिरला आ बाबूजी केर होटलक डान्स बार मे सेहो डान्स केला आर सब दिन निजी विद्यालयक अंग्रेजी माध्यम सँ अपना केँ सजेला-सँवारला…. लेकिन भाइ! ई ९०% विपन्न छात्र केँ कतय सँ नसीब हेतैक…. ई नहि सोचला। हुनका मिथिला क्षेत्रक पिछड़ापण कहियो नहि चूभलैन, कहैत छथि जे ‘विधायक को घेरिये’… एन्ना मारिये, ओन्ना मारिये… हमसे सीखिये। रे खाया-पिया-मस्त युवा! कहियो अपन धरतीक बहुल्यजनक पीड़ा देखे आ तखन बुझमे जे मातृभाषाक महत्व, भाषिक पहिचानक महत्व आ जन-जन मे शिक्षाक महत्व कि होएत छैक। आइ जतेक विकसित राष्ट्र छैक विश्व मे ओ सब अपन मातृभाषा केँ सबल बनेने अछि। भारतहि केर राज्य मे देख ले… जे अपन भाषा केँ बचौलक ओ विकसित भेल। तोहर बिहार बस एकटा गाएर बनिकय रहि गेल छौक। एकरा आगू लाबे। नेपालक मिथिलाक्षेत्र मे सेहो मैथिली मे शिक्षाक उचित अवसर संविधान द्वारा गछल गेल अछि, बस एहि मौलिक अधिकार केर उपयोग बढेबाक आवश्यकता अछि। एहि लेल हम सब मिथिलाक अनुपम डेग व अन्य स्वयंसेवी संस्था संग डेग-सँ-डेग मिलाकय बढी।
हरिः हरः!!