जनकपुर सँ घुरलाक बाद…… महोत्सवक भूमिका महत्वपूर्ण

जनकपुर साहित्य आ कला महोत्सव आ हमर विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी, भाषा-संस्कृति अभियन्ता आ कवि-कथाकार-संचारकर्मी, स्वतंत्र लेखक, विराटनगर, नेपाल। दिसम्बर १५, २०१६. 

jlaf1मैथिली भाषा, मिथिला संस्कृति आ मिथिलाक ऐतिहासिक-पौराणिक पहिचान केर पुनर्स्थापनाक दिशा मे मीलक पाथर प्रमाणित होयत जनकपुर मे सम्पन्न तीन-दिवसीय साहित्य व कला महोत्सव। वैचारिक विमर्शक संग पोथीक प्रदर्शन-बिक्री आ संगहि मिथिलाक महत्वपूर्ण चित्रकला, हस्तकला, व्यवसायिक कला सामग्रीक प्रदर्शन आ बिक्री केन्द्र सँ अलंकृत एहि महोत्सव मे कला एवं सांस्कृतिक गीत-संगीत, प्रहसन, नाटक आदिक प्रदर्शन अनुपम संगम स्थल जेकाँ अभरल। दुनू देश (नेपाल ओ भारत) केर मिथिलाक्षेत्रीय अगाध – दिग्गज स्रष्टा सर्जक सँ लैत नवतुरिया लेखक-कवि-कलाकार सभक मिलान सेहो एहने गंगा-जमुना-सरस्वतीक संगम स्थल समान देखायल। आयोजक मैथिली विकास कोष केर तत्वावधान मे संपन्न महोत्सव मे विमर्शक विषय-वस्तु आ ताहि मे सहभागी विमर्शी लोकनिक प्रखर प्रस्तुति आर ताहि सभक दस्तावेजीकरण – डिजिटल विडियो तथा साउन्ड रेकर्डिंग आदिक व्यवस्था अत्यन्त दूरगामी कार्य पूरा केलक अछि।

वर्तमान संक्रमणकालीन राजनैतिक परिवेश आ बदलैत नेपाल ‍- तथाकथित नया नेपाल जाहि मे संघीयता स्थापित होयबाक नव बुनियाद ठाढ भ रहल अछि, तरह-तरह केर अन्दाज आ कल्पना मे एहि ठामक करीब ढाई करोड़ जनता अपन आ राष्ट्रक नव भविष्यक सपना देखि रहल अछि, एहना सन अवस्था मे भाषा, साहित्य, संस्कार आ सभ्यताक परिलक्षित करयवला महत्वपूर्ण आयोजन आर कतहु भेल अथवा नहि, प्राचीन मिथिलाक विद्यमान राजधानी जनकपुर मे गूढ सृजनतत्त्व सँ ई संभव भेल अछि एहि महोत्सवक मार्फत। तीन दिन मे करीब डेढ दर्जन महत्वपूर्ण विषय – संघीयता आ मिथिला, मिथिलाक राजनीतिक, सांस्कृतिक संकट आ निकास, मैथिली भाषाक विकास मे संचारक महत्व, मैथिली भाषा-साहित्य मे महिला हस्ताक्षर, मिथिला चित्रकलाक इतिहास आ वर्तमान, पर्यटनक संभावना आ विकास, मैथिली संगीतमे लोकलय निजत्व व आधुनिकता आदि कतेको रास अत्यन्त प्रासंगिक, सम-सामयिक आ सारगर्वित विषय पर विज्ञ लोकनि पूर्ण भावना, तथ्य, तथ्यांक, गणना आ भविष्यक सटीक कल्पना करैत पूरा केलनि अछि। एकटा जनादेश संकलन कैल गेल अछि जे कोन विषय मे केहेन अवधारणाक संग आगू बढला सँ मिथिलाक स्वर्णकाल फेर सँ स्थापित होयत। निश्चिते, भाषा सँ साहित्य, साहित्य सँ संस्कार, संस्कार सँ सभ्यता आ सभ्यता सँ भूगोल केर निर्माण करबाक सिद्धान्त केँ अक्षरशः अनुसरण करैत पूरा कैल गेल ई साहित्य आ कला महोत्सव। एकर परिकल्पक आ आयोजक संग-संग एहि मे सहभागिता देनिहार हरेक सर्जकवर्गक लोक, कवि, कथाकार, लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, राजनीतिकर्मी, गायक, वादक, चित्रकार, रंगकर्मी, समाजसेवी, अभियानी, छात्र आर आम जनमानस केँ धन्यवाद देबाक चाही जे एतेक महत्वपूर्ण यज्ञ केँ सफलतापूर्वक आहूति देलनि।

pran-hamar-mithila-vimochanउद्घाटन नेपालक उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री स्वयं जनकपुर केर लाल विमलेन्द्र निधि द्वारा भेल। एहि महोत्सवक पहिल उद्घाटन सत्र मे ४ टा मैथिली पोथीक विमोचन उपप्रधानमंत्री द्वारा कैल गेल आर सब लेखक केँ आगाँ सेहो लिखबाक प्रेरणा भेटल। उपप्रधानमंत्री निधि द्वारा नेपाल केर संविधान मे मिथिला आ मैथिली लेल अनवरत कार्य करबाक प्रतिबद्धता प्रकट केलनि। संविधान सँ असन्तुष्ट पक्ष केँ संतुष्ट करबाक लेल संशोधन प्रस्ताव पर सेहो ओ संबोधन करैत कहलैन जे अति-राजनीति सँ देशक नोकसानी होएत छैक, बिना बात बुझने सेहो राष्ट्रद्रोही होयबाक आरोप विपक्ष लगाबय ई देश लेल नीक बात नहि भेल। ओ सब पक्ष केँ देशक अग्रगामी निकास लेल आह्वान करैत शुभकामना संदेश दैत महोत्सवक सफलताक कामना कएलनि। हुनका संग-संग मंचपर करीब दुइ दर्जन आरो आगन्तुक अतिथि एहि महोत्सवक उद्घाटन सत्रक हिस्सा बनलैन। मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरीक पहिल पोथी ‘प्राण हमर मिथिला’ केर विमोचन सेहो एहि उद्घाटन सत्र मे उपप्रधान एवं गृह मंत्री विमलेन्द्र निधि द्वारा कैल गेल छल।

महोत्सव मे दुइ-दुइ टा पुस्तक बिक्री केन्द्र सँ एक सँ बढिकय एक दुर्लभ मैथिली साहित्यक पोथी सब उपलब्ध कराओल गेल। तहिना चित्रकला आ हस्तकला प्रदर्शनी मे सिक्कीकला सँ लैत विभिन्न सजावटक समान, परिधान, मिथिला चित्रकला सहितक साड़ी, बिछौना, ओढना, अन्य घरेलू प्रयोगक समान सभक उपलब्धता सँ आम जनमानस काफी उत्साहित आ आत्मसंतुष्टि प्राप्त कएलनि। एहि अवसर पर अपन मिथिलाक लोकमानसक अतिरिक्त नेपाल-भारतक विभिन्न भागक लोक आ विदेशी शैलानी सभक उपस्थिति वर्तमान वैश्वीकरणक युग मे मैथिली-मिथिला केँ कतय सँ कतय पहुँचेलक ई स्वतः बुझय योग्य यथार्थ उपलब्धि थीक महोत्सवक।

दुइ देश मे बँटल मिथिलाक विद्वान् साहित्यकार, लेखक, कलाकार, रंगकर्मी आदिक सेहो मिलान विन्दुक रूप मे ई महोत्सव बड पैघ महत्वक काज पूरा केलक अछि। एहि सँ पूर्व दुइ बेर मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल पटना मे संपन्न भऽ चुकल अछि, लेकिन पटना मे आमजनक सहभागिता जनकपुर समान नहि देखायल छल। एतय त एक्कहि समय दुइ अलग-अलग सत्र दुइ अलग-अलग सभागार मे चलितो आ पोथी तथा चित्रकला प्रदर्शनी बाहर खुल्ला क्षेत्र मे रहितो सब ठाम ओतबे भीड़ ई स्वतः प्रमाणं केर कहबी पूरा करैत छल। उत्साहक माहौल एहेन विलक्षण जे बाहर सँ सहभागी लोक सब समूचा संसार सँ कटिकय मात्र आ मात्र महोत्सव मे लीन देखल गेलाह। एतेक विषम मौसम – असह्य जाड़ रहितो बुढ सँ बच्चा धरिक चहल-पहल पूरे तीन दिनक महोत्सव मे देखायल। तेसर दिन कार्यक्रम समापनक घोषणा करब दर्शक आ सहभागी केँ मानू पसिन नहि पड़लनि, किछु गोटे सभागार मे सब किछु अन्त भेलाक बादो धरि बैसले देखल गेला जे आगू फेर किछु नव कार्यक्रम कैल जायत। तहिना रातिक १ बजे धरि ग्राउन्ड मे लोक भरल देखल गेल। जनकपुर केर सब सड़क आ दोकान सब सेहो हरियायल देखायल।

महोत्सव मे पैघ सँ पैघ राजनेता – सांसद – राजनीतिकर्मी – मंत्री – पूर्वमंत्री सेहो भाग लेलनि। विषय पर वक्ताक रूप मे सीपी गजुरेल, अशोक राई, धर्मेन्द्र झा, घनश्याम भूसाल, रामचन्द्र झा, शीतल झा, रौशन जनकपुरी, डा. विजय कुमार सिंह, राम सरोज यादव आदि सक्रिय राजनीतिकर्मी द्वारा मिथिलाक हक-अधिकार प्रति सकारात्मक बात सब रखलैन। तहिना साहित्यकर्मी मे डा. रमानन्द झा ‘रमण’, महेन्द्र मलंगिया, श्याम दरिहरे, राम भरोस कापड़ि भ्रमर, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, रमेश रंजन झा, अजित आजाद, कमल मोहन चुन्नू, मनोज झा मुक्ति, घिमिरे युवराज, परमेश झा, सुनील मिश्र, सुनील कुमार मल्लिक, डा. आभास लाभ, राम अशीष यादव, मीना ठाकुर, अमरकान्त झा, आरती झा, विजेता चौधरी, आदि भाग लेलनि – विभिन्न सत्रक संचालन आ विमर्शीक तौरपर हिनका लोकनिक सहभागिता आ प्रस्तुति आम जनमानस मे मैथिली भाषा-साहित्यक महत्व सँ आत्मसात करौलक।

संपूर्ण कार्यक्रमक प्रस्तुति लेल महत्वपूर्ण संयोजन-संचालनक कार्य आयोजक संस्था मैथिली विकास कोष केर सदस्य सचिव स्वयं एक विद्वान् साहित्यकार तथा संचारकर्मी श्यामसुन्दर शशि केर भूमिका अत्यन्त सराहनीय रहल। एहि कार्यक्रमक परिकल्पक रमेश रंजन झा द्वारा संपूर्ण कार्यक्रमक प्रस्तुति पर खास ध्यान राखल गेल, प्रथम सत्र नेपालमे संघीयता आ मिथिला सनक अति महत्वपूर्ण विषयक सत्रक संचालन सेहो हिनकहि द्वारा संपन्न भेल छल। आयोजन मे सहयोगीजन अशोक दत्त, अनिल कर्ण, सुजीत झा सहित दर्जनों युवा कार्यकर्ता लोकनिक व्यवस्थापन आ प्रस्तुति तत्परता आ तदारुकताक संग देखल गेल। मिथिला नाट्यकला परिषद् – मिनाप (जनकपुर), शिल्पी (काठमांडू) तथा रंगदर्पण द्वारा तिनू दिन नाटकक प्रस्तुति तऽ महोत्सवक जान-प्राण जेकाँ बुझायल। तहिना सुनील कुमार मल्लिक आ डा. आभास लाभ आ कुञ्जबिहारी मिश्र समान दिग्गज गायक लोकनिक प्रस्तुति दर्शक-श्रोता आ महोत्सवक अतिथि लोकनि लेल अमृत जेकाँ काज केलक।

कार्यक्रमक आयोजक मैथिली विकास कोष केर अध्यक्ष जीवनाथ चौधरी केर जतेक प्रशंसा कैल जाय ओ कम होयत, कारण एतेक पैघ आयोजन केँ सफल करबाक लेल महीनों-महीना धरि पूर्वाभ्यास कएलनि, दक्ष कार्यकर्ताक संग सब इन्तजाम पर बारिक नजरि रखलनि, सचिव श्यामसुन्दर शशि व अध्यक्ष जीवनाथ चौधरीक जोड़ी द्वारा कुशल नेतृत्वक परिणाम भेल जे कार्यक्रम पूर्णरूपेण सफल रहल। एकर आलोचना सेहो किछु न किछु दृष्टि सँ कैल जायत, बजनिहार बहुतो तरहक नुक्स निकालत, मुदा पहिल बेर एतेक पैघ आयोजन केर एहेन पैघ सफलता सँ अधिसंख्य कर्तावर्गक लोक काफी प्रसन्न भेल अछि।

एहि महोत्सवक दूरगामी प्रभाव निकट भविष्य मे एहि तरहक आयोजन बढला सँ होयत। किछुए दिनक बाद पटना मे तेसर मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर आयोजन होयत जाहिपर जनकपुरक प्रभाव स्पष्ट देखल जायत। पटना आ जनकपुर बीच एक-दोसर सँ अनुकरण करबाक बहुत विन्दु अछि जे आन्तरिक समीक्षाक विषय थीक, लेकिन सहज रूप मे एतेक बुझल जा सकैत छैक जे नीक चीज एक-दोसर सँ अनुकरण करबाक चाही – जनकपुर द्वारा जाहि तरहें राष्ट्रीय राजनीतिक क्षेत्र सँ लैत साहित्य, संस्कृति, समाज आदि सब क्षेत्रक लोक केर सहभागिता कराओल गेल ताहि सँ जरुर पटना मे सेहो एकटा नव परिवर्तन देखल जायत। संगहि, रमेश रंजन झा समान परिकल्पक आ सक्षम सहजकर्ताक घोषणा आगामी काठमांडू लेल जाहि तरहें आरो छूटल विषयपर केन्द्रित कार्यक्रमक आयोजन पर जोर देलक ओकरो रंग किछुए दिन मे नजरि पड़त से विश्वास राखल जा सकैछ। विराटनगर, राजविराज, लहान, काठमांडू, बीरगंज, बुटवल आदि मे होएत आबि रहल मैथिली भाषा व मिथिला संस्कृतिक संरक्षणार्थ विभिन्न कार्यक्रम मे सेहो जनकपुर महोत्सवक सार्थक संदेश पहुँचब तय अछि। दुनू पारक कवि लोकनिक बीच समन्वय बढत, एक-दोसरक आयोजन मे सहभागिता बढत आर एहि तरहें दुनू देशक बीच जे सांस्कृतिक सम्बन्ध अछि ओ आरो प्रगाढ होयत।

मिथिलाक मौलिक पहिचान आ मैथिलत्व मे यैह सृजनशीलताक आधार एकरा सनातन जीबित रखैत आयल अछि, ई आगामी भविष्य मे आरो बढत आर मिथिलाक पुनर्स्थापना मे दूरगामी उपलब्धिक आरम्भ-विन्दुक रूप मे महोत्सव बेर-बेर याद कैल जायत।

हरिः हरः!!